आत्मनिर्भर बनकर कर रही हैं मुर्गीपालन का व्यवसाय.
आजीविका संवर्धन गतिविधि से गांव में महिलाओं को मिल रही है सराहना.
स्टोरी/रायपुर/जांजगीर-चाँपा/28 अगस्त, 2021. कोई कहानी ऐसे ही नहीं बनती बल्कि उसके पीछे अथक मेहनत, परिश्रम और एक बेहतर सोच होती है। ऐसी ही सोच को पहचानने का काम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महात्मा गांधी नरेगा) और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के बेहतर तालमेल के साथ किया गया। जांजगीर-चाँपा जिले के बलौदा विकासखण्ड के गांव औराईकला की स्व सहायता समूह की महिलाओं के लिए महात्मा गांधी नरेगा के माध्यम से बनाया गया पोल्ट्री शेड फलीभूत साबित हुआ और उनके लिए कर्मभूमि बन गया। कर्मभूमि ऐसा बना कि पोल्ट्री शेड निर्माण के बाद से ही महिलाओं ने भविष्य की उम्मीदों का ताना-बाना बुनना शुरू कर दिया। आज समूह की महिलाओं ने गांव में रहते हुए अपने आपको आत्मनिर्भर बनाया और मुर्गीपालन क्षेत्र में हाथ आजमाते हुए सफलता की सीढ़ियों को चढ़ना शुरू किया। उनके आत्मनिर्भर बनने से उनके परिवार की आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ हुई और वे गांव के लिए एक मिसाल बनकर उभरने लगीं।
बलौदा विकासखण्ड की ग्राम पंचायत औराईकला के मोहारपारा की जय सती माँ स्व सहायता समूह की महिलाओं ने अपनी जिंदादिली, मेहनत एवं कुछ अलग कर दिखाने का जज्बे के चलते अपने रोजमर्रा के कामों को निपटाते हुए पहले तो अपने समूह का नियमित रूप से संचालन करते हुए बैठकें कीं। साथ ही अपने सभी दस्तावेजों का संधारण नियमित रूप से किया। उसके बाद समूह ने शुरूआती दिनों में छोटी-छोटी बचत करके जो पैसा जमा किया, उस राशि को कम ब्याज पर जरूरतमंदों को देकर उनकी मदद की। इससे वे गाँव में लोकप्रिय होने लगीं और धीरे-धीरे आर्थिक रुप से मजबूत होने लगीं। जब उनके पास नियमित बचत के जरिये कुछ रकम जमा हुई, तो उन्होंने मुर्गीपालन व्यवसाय के जरिये आत्मनिर्भर होने का सोचा। इस सोच को हकीकत में बदलने के लिए उन्हें एक बहुत बड़े शेड की जरूरत थी, जिसमें वे मुर्गीपालन कर सकें। लेकिन इस समूह के पास शेड निर्माण के लायक कोई बड़ी बचत राशि नहीं थी।
स्व सहायता समूह की महिलाओं ने अपनी इस जरूरत को ग्राम पंचायत के माध्यम से ग्राम सभा के समक्ष रखा। तब इन महिलाओं की इच्छाशक्ति और आत्मबल को देखते हुए ग्राम रोजगार सहायक श्री पीलासिंह गोड़ ने आजीविका गतिविधियों के संचालन हेतु महात्मा गांधी नरेगा के माध्यम से मुर्गीपालन शेड बनाकर दिये जाने की बात बताई। बस फिर क्या था, ग्राम सभा के अनुमोदन के आधार पर वर्ष 2020-21 में 5 लाख रुपये की लागत से महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत समूह के लिए मुर्गीपालन शेड निर्माण का कार्य मंजूर हो गया। इस राशि से ग्राम पंचायत ने तत्काल गाँव में बने गोठान (पशु आश्रय स्थल) के साथ में खाली पड़ी जमीन पर समूह के लिए एक मुर्गीशेड का निर्माण करा दिया। इस प्रकार महात्मा गांधी नरेगा से जहाँ समूह को मुर्गीपालन व्यवसाय के लिए शेड मिला, तो वहीं 65 मनरेगा श्रमिकों को गाँव में ही 277 मानव दिवस का रोजगार भी मिला। पोल्ट्री शेड निर्माण होने के बाद तो समूह की महिलाओं को आर्थिक उन्नति के मानो पंख ही मिल गए हों और वे उन्मुक्त गगन में अपने पंखों को पसार कर उड़ने के लिए तैयार हो गई।
हार के बाद जीत
समूह की अध्यक्ष श्रीमती रूप बाई बिंझवार बताती हैं कि शेड के मिलने के साथ ही मुर्गीपालन कैसे किया जाता है, इसके बारे में विस्तार से पशुपालन विभाग के डॉक्टरों से प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया गया। इसके बाद छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) योजना से अनुदान राशि के रुप में मिले रिवाल्विंग फंड के 15 हजार रूपए एवं सी.आई.एफ. (सामुदायिक निवेश निधि) के 60 हजार रुपए से शेड में मुर्गीपालन का काम शुरू किया। इसके अंतर्गत सबसे पहले काकरेल प्रजाति के 600 चूजे खरीदे गए, जिन्हें नियमित आहार, पानी, दवा एवं अन्य सुविधाएं देकर छह सप्ताह में बड़ा किया गया। वे आगे बताती हैं कि इसी दरम्यान मौसम के खराब होने के कारण कई चूजों की मौत हो गई, जिससे समूह को काफी नुकसान हुआ। इन सबके बावजूद समूह की महिलाओं ने हार नहीं मानी और अपने आत्मबल एवं समूह की शक्ति के दम पर फिर से मुर्गीपालन के काम में जुट गई। इस बार समूह ने 600 ब्रायलर चूजे खरीदे और उनकी देखभाल करना शुरू किया। धीरे-धीरे ये चूजे बड़े हो गए। आखिरकार इन महिलाओं की मेहनत रंग लाई और चाँपा के एक बड़े व्यवसायी ने मुर्गों को बेहतर दाम देकर खरीद लिया। इस बार समूह को मुर्गीपालन से लाभ हुआ और सभी खर्चों को काटकर उन्हें लगभग 30 हजार रूपए की बचत हुई।
मुर्गीपालन से समूह को पहली बार हुए लाभ के बारे में बताते हुए समूह की सचिव श्रीमती मालती चौहान कहती हैं कि इस बार समूह की सभी सदस्य काफी खुश थीं। सभी का उत्साह भी दो-गुना हो चुका था। समूह ने फिर एक कदम आगे बढ़ाते हुए लगभग 600 चूजे और खरीद लिए, जो बड़े हुए तो उन्हें बेचने से समूह को लगभग 50 हजार रूपए का मुनाफा हुआ। इसने समूह में एक नई ऊर्जा का संचार कर दिया था, सो अब उनके कदम कहाँ रूकने वाले थे। उन्होंने फिर 600 ब्रायलर चूजे खरीदे, जिन्हें फिलहाल दाना-पानी देकर बड़ा किया जा रहा है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इनको बेचने से समूह को लाभ होगा।
पंचायत से मिली मदद
ग्राम के सरपंच श्री दशरथ यादव बताते हैं कि मुर्गीपालन का कार्य ध्यानपूर्वक किये जाने वाला कार्य है। यहाँ चूजों और मुर्गियों की नियमित रूप से देखभाल करनी पड़ती है। इसलिए समय-समय पर इनके स्वास्थ्य जाँच के लिए पंचायत द्वारा समय-समय पर पशुपालन विभाग के वेटनरी डॉक्टरों को बुलाया जाता है, ताकि इनको किसी तरह की कोई बीमारी न हो सके। पंचायत द्वारा महिलाओं को मुर्गीपालन व्यवसाय के लिए लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके अलावा उनके व्यवसाय को बढ़ाने के लिए मुर्गी व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों से भी संपर्क करके उन्हें अच्छे दाम दिलवाने का प्रयास किया जा रहा है।
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ग्राम पंचायत- औराईकला, विकासखण्ड- बलौदा, जिला- जांजगीर-चाँपा,
कार्य का नाम- गौठान में पोल्ट्री शेड हेतु शेड निर्माण कार्य(कार्य श्रेणी- एन.आर.एल.एम. स्व सहायता समूह हेतु वर्कशेड निर्माण),
क्रियान्वयन एजेंसी- ग्राम पंचायत, पिनकोड- 495668, स्वीकृत वर्ष- 2020-21, स्वीकृत राशि- रुपए 5.00 लाख,
नियोजित श्रमिकों की संख्या- 65, सृजित मानव दिवस- 277, मजदूरी भुगतान- रुपए 52,580.00 लाख, व्यय राशि- 4.94 लाख, जी.पी.एस. लोकेशन- 22°05'20.2" N 82°34'47.4"E, कार्य का कोड- 3314006038/AV/1111387451
तथ्य एवं आंकड़े- 1. श्री हृदय शंकर, कार्यक्रम अधिकारी, जनपद पंचायत-बलौदा, जिलाः जांजगीर-चाँपा, छत्तीसगढ़।
2. श्री पीलासिंह गोंड, ग्राम रोजगार सहायक, ग्रा.पं.-औराईकला, जिलाः जांजगीर-चाँपा, छत्तीसगढ़।
लेखन- श्री देवेन्द्र कुमार यादव, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायतः जांजगीर-चाँपा, छत्तीसगढ़।
संपादन- श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
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तथ्य एवं आंकड़े- 1. श्री हृदय शंकर, कार्यक्रम अधिकारी, जनपद पंचायत-बलौदा, जिलाः जांजगीर-चाँपा, छत्तीसगढ़।
2. श्री पीलासिंह गोंड, ग्राम रोजगार सहायक, ग्रा.पं.-औराईकला, जिलाः जांजगीर-चाँपा, छत्तीसगढ़।
लेखन- श्री देवेन्द्र कुमार यादव, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायतः जांजगीर-चाँपा, छत्तीसगढ़।
संपादन- श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
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