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Monday, 7 February 2022

मल्टी-यूटिलिटी सेंटर ने खोला स्वरोजगार का द्वार, महिलाओं ने अकुशल श्रम से व्यवसाय की ओर बढ़ाए कदम

महात्मा गांधी नरेगा अभिसरण से निर्मित वर्क-शेड में बना रही हैं फेन्सिंग पोल, आर्थिक स्वावलंबन के लिए बनीं प्रेरणास्रोत.


मजदूरी करने वाली महिलाएं अब खुद का व्यवसाय कर रहीं, इनके काम को देखकर गांव में बने 12 नए स्वसहायता समूह.


स्टोरी/रायपुर/कोरिया/7 फरवरी 2022. स्वरोजगार के लिए अच्छा माहौल और उपयुक्त स्थान पाकर सुदूर कोरिया जिले के आदिवासी बहुल चिरमी गांव की महिलाओं ने अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया है। महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) और डी.एम.एफ. (जिला खनिज न्यास निधि) के अभिसरण से बने मल्टी-यूटिलिटी सेंटर में वहां की गंगा माई स्वसहायता समूह की 12 महिलाएं खुद का उद्यम स्थापित कर फेंसिंग पोल बनाने का काम कर रही हैं। खेतों और महात्मा गांधी नरेगा में खुले कार्यों में मजदूरी करने वाली इन महिलाओं को अकुशल श्रम से स्वरोजगार की ओर कदम बढ़ाते देखकर गांव की बांकी महिलाएं भी प्रेरित हो रही हैं। इनके काम शुरू करने के बाद से गांव में 12 स्वसहायता समूह गठित हो चुके हैं।

महात्मा गांधी नरेगा और डी.एम.एफ. के अभिसरण से 12 लाख 15 हजार रूपए की लागत से वर्क-शेड के रूप में तैयार मल्टी-यूटिलिटी सेंटर में चिरमी की गंगा माई स्वसहायता समूह की महिलाएं फेन्सिंग पोल बनाकर खड़गंवा विकासखण्ड के कई गांवों में आपूर्ति कर रही हैं। इनके द्वारा निर्मित 300 से अधिक पोल्स (Poles) की बिक्री अब तक की जा चुकी है। ग्राम पंचायतें इनका उपयोग गौठान और ब्लॉक-प्लांटेशन की घेराबंदी में कर रही हैं। पोल्स की बिक्री से समूह को 80 हजार रूपए मिले हैं। इन महिलाओं को तीन लाख रूपए का वर्क-ऑर्डर मिला है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत गठित इस समूह की महिलाओं के आर्थिक स्वावलंबन की उड़ान को देखकर गांव में 12 नए महिला स्वसहायता समूह गठित हो गए हैं।

गंगा माई स्वसहायता समूह की सदस्य श्रीमती उर्मिला सिंह और श्रीमती रामवती महात्मा गांधी नरेगा में पंजीकृत श्रमिक हैं। खेती-किसानी, वनोपज संग्रहण और महात्मा गांधी नरेगा में मजदूरी ही उनकी आजीविका का साधन हुआ करता था। उन्होंने कुछ साल पहले गांव की अन्य महिलाओं को जोड़कर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत गंगा माई स्वसहायता समूह बनाया। समूह की इन महिलाओं ने महात्मा गांधी नरेगा में कार्य से मिली मजदूरी में से कुछ रकम बचाकर समूह की गतिविधियां प्रारंभ की। इनके समूह को आजीविका मिशन से 15 हजार रूपए की आर्थिक सहायता भी मिली। इससे उत्साहित होकर इन्होंने वन-धन केन्द्र के माध्यम से वनोपज संग्रहण का काम शुरू किया। इस काम के लिए समूह को वन प्रबंधन समिति के माध्यम से बतौर कमीशन 18 हजार रूपए मिले। चिरमी में पिछले साल गौठान बनने के बाद इन महिलाओं ने वहां जैविक खाद बनाने का काम किया। इससे उन्हें साढ़े आठ हजार रूपए की अतिरिक्त कमाई हुई।

श्रीमती उर्मिला सिंह बताती हैं कि ग्राम पंचायत से उनके समूह को जून-2021 में यह मल्टी-यूटिलिटी सेंटर मिला था। लेकिन इसके तुरंत बाद खेती-किसानी का काम आ जाने से उन लोगों ने सितम्बर-2021 से फेंसिंग पोल बनाने का काम शुरू किया। आजीविका मिशन से मिले संसाधनों, वहां बने समान रखने का स्टोर और पोल्स की तराई के लिए पानी की व्यवस्था होने के बाद काम में तेजी आई। वह बताती हैं कि समूह को आसपास के ग्राम पंचायतों से अब तक करीब एक हजार पोल का ऑर्डर मिल चुका है। वे इनमें से 300 पोल्स की आपूर्ति भी कर चुके हैं।

कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर से 28 किलोमीटर दूर चिरमी में गौठान के पास ही वर्क-शेड का निर्माण कराया गया है। इसके लिए 12 लाख 15 हजार रूपए की प्रशासकीय स्वीकृति जारी हुई थी। महात्मा गांधी नरेगा से मजदूरी भुगतान के लिए मिले एक लाख 54 हजार रूपए और डी.एम.एफ. से सामग्री के लिए प्राप्त दस लाख 61 हजार रूपए के अभिसरण से इसका निर्माण हुआ है। गांव में मल्टी-यूटिलिटी सेंटर के निर्माण से जहां एक ओर 39 मनरेगा श्रमिकों को 798 मानव दिवस का रोजगार मिला, वहीं स्थानीय समूह को स्वरोजगार के लिए ठौर भी मिल गया।

महात्मा गांधी नरेगा के तहत वर्ष 2020-21 में गंगा माई स्वसहायता समूह की महिलाओं के परिवार ने 612 दिनों का रोजगार प्राप्त किया था, जबकि इस वर्ष 2021-22 में उन्होंने केवल 306 दिनों का रोजगार प्राप्त किया है। यह इस बात का प्रमाण है कि ये महिलाएं अब अकुशल श्रम के स्थान पर रोजगार के स्थाई साधन अपने व्यवसाय को तरजीह दे रही हैं। कल तक खेतों और महात्मा गांधी नरेगा के कार्यों में मजदूरी ढूंढने वाली ये महिलाएं अब राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान), महात्मा गांधी नरेगा और डी.एम.एफ. से संबल और संसाधन पाकर आर्थिक स्वावलंबन के नए आयाम गढ़ रही हैं।
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एक नजरः-
कार्य का नाम- स्व सहायता समूह हेतु मल्टी यूटिलिटी सेन्टर निर्माण कार्य, क्रियान्वयन एजेंसी- ग्राम पंचायत,
ग्राम पंचायत- चिरमी, विकासखण्ड- खड़गवां, स्वीकृत राशि- 12.15 लाख रुपए, व्यय राशि- 11.95 लाख रुपए
स्वीकृत वर्ष- 2020-21, कार्य प्रारंभ तिथि- 28.01.2021, कार्य पूर्णता तिथि (भौतिक)- 24.05.2021,
वर्क कोड- 3306003015/AV/1111388920, जी.पी.एस. लोकेशन- 23°05'31.6"N 82°32'44.2"E, पिनकोड- 497449, 
परियोजना में शामिल योजनावार लागतें-
स्वीकृत राशि रुपए 12.15 लाख रुपए में महात्मा गांधी नरेगा से मजदूरी भुगतान हेतु रुपए 1 लाख 54 हजार और जिला खनिज न्यास संस्थान निधि (डी.एम.एफ.) से रुपए 10 लाख 61 हजार रुपए।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत पोल निर्माण हेतु आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था हेतु निधि।
सृजित मानव दिवस- 798, नियोजित श्रमिकों की संख्या- 39, मजदूरी भुगतान- 1,51,620.00 रुपये

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रिपोर्टिंग एवं लेखन- श्री रुद्र मिश्रा, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत-कोरिया, जिला-कोरिया, छ.ग.।
पुनर्लेखन एवं संपादन-
1. श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
2. श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क संचालनालय, रापपुर, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
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Pdf अथवा Word Copy डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें- http://mgnrega.cg.nic.in/success_story.aspx

Monday, 3 January 2022

मनरेगा अभिसरण और ‘बिहान’ ने दिया कमाई का जरिया

स्वसहायता समूह की चार महिलाएं कैंटीन चलाकर रोज हज़ार से 12 सौ रूपए कमा रहीं


स्टोरी/रायपुर/कबीरधाम (कवर्धा)/ 3 जनवरी 2022. इंद्राणी, उर्मिला, सुनीता और सातोबाई की जिंदगी अब बदल चुकी है। महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) और ‘बिहान’ (राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन) ने उनका जीवन बदलने में बड़ी भूमिका निभाई है। महात्मा गांधी नरेगा और 14वें वित्त आयोग मद के अभिसरण से निर्मित वर्क-शेड में स्वसहायता समूह की ये महिलाएं ‘बिहान कैंटीन’ संचालित कर रोज लगभग एक हजार से 1200 रूपए की कमाई कर रही हैं।

ये चारों महिलाएं कबीरधाम जिले के बोड़ला विकासखंड के राजानवागांव के भारत माता स्वसहायता समूह की सदस्य हैं। इन महिलाओं ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत गठित ग्राम संगठन से 30 हजार रूपए का कर्ज लेकर कैंटीन शुरू किया है। इनके हुनर और इनके बनाए नाश्ते के स्वाद से कैंटीन में भीड़ जुटने लगी है। प्रसिद्ध पर्यटन एवं धार्मिक स्थल भोरमदेव पहुंचने वाले पर्यटक, कैंटीन के पास स्थित भोरमदेव आजीविका केन्द्र में काम करने वाले तथा नजदीकी धान खरीदी केन्द्र में आने वाले किसानों की भीड़ वहां लगी रहती है। इससे इनकी आमदनी बढ़ रही है। अक्टूबर-2021 के आखिरी सप्ताह में शुरू हुई इस कैंटीन से इन महिलाओं ने अब तक लगभग 60 हजार रूपए का नाश्ता बेचा है। इसमें से 30 हजार रूपए बचाकर उन्होंने आमदनी में हिस्सेदारी के साथ ग्राम संगठन से लिया गया कर्ज लौटाना भी शुरू कर दिया है।

‘बिहान कैंटीन’ संचालित करने वाली भारत माता स्वसहायता समूह की सचिव श्रीमती उर्मिला ध्रुर्वे बताती हैं कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत उनके समूह का गठन हुआ है। समूह ने कैंटीन चलाने के लिए बर्तन और राशन खरीदने ग्राम संगठन से 30 हजार रूपए का ऋण लिया है। समूह की चार महिलाएं इस कैंटीन का संचालन कर रही हैं। उर्मिला आगे बताती है कि समूह की कोशिश रहती है कि कैंटीन में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को गरमा-गरम चाय-नाश्ता परोसा जाए। दिनभर की मेहनत के बाद चारों सदस्यों को 300-300 रूपए की आमदनी हो जाती है। महात्मा गांधी नरेगा और ‘बिहान’ के सहयोग से वे अब आर्थिक रूप से स्वावलंबी हो रही हैं।

राजानवागांव के सरपंच श्री गंगूराम धुर्वे स्व सहायता समूह के लिए महात्मा गांधी नरेगा अभिसरण से बने इस वर्क-शेड के बारे में बताते हैं कि ग्राम पंचायत के प्रस्ताव के आधार पर वर्ष 2020-21 में इसकी स्वीकृति मिली थी। भोरमदेव आजीविका केन्द्र से लगा यह शेड सात लाख आठ हजार रूपए की लागत से जुलाई-2021 में बनकर तैयार हुआ। गांव के मनरेगा श्रमिकों को इसके निर्माण के दौरान 335 मानव दिवस का रोजगार प्राप्त हुआ जिसके लिए उन्हें करीब 64 हजार रूपए का मजदूरी भुगतान किया गया। महात्मा गांधी नरेगा और 14वे वित्त आयोग के अभिसरण के तहत निर्मित इस परिसम्पत्ति ने कैंटीन के रूप में महिलाओं को आजीविका का नया साधन दिया है।

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एक नजरः-
कार्य का नाम- शेड निर्माण कार्य स्व सहायता महिला समूह के लिए, क्रियान्वयन एजेंसी- ग्राम पंचायत, स्वीकृत वर्ष- 2020-21
ग्राम पंचायत- राजानवागांव, विकासखण्ड- बोडला, स्वीकृत राशि- 7.30 लाख रुपए, व्यय राशि- 7.08 लाख रुपए
कार्य प्रारंभ तिथि- 03.11.2020, कार्य पूर्णता तिथि- 24.07.2021, वर्क कोड- 3302002041/AV/1111385308,

परियोजना में शामिल योजनावार लागतें-
स्वीकृत राशि रुपए 7.30 लाख रुपए में महात्मा गांधी नरेगा से ₹ 6 लाख 64 हजार और 14वे वित्त से ₹ 66 हजार रुपए,
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत 30 हजार रुपए (लोन) से कैंटीन हेतु बर्तन एवं खाद्य सामग्री की खरीदी

सृजित मानव दिवस- 335, नियोजित श्रमिकों की संख्या- 58, मजदूरी भुगतान- 63815.00 रुपए,
जी.पी.एस. लोकेशन- 22°04'43.6"N 81°11'54.8"E, पिनकोड- 491995,
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तथ्य एवं आंकड़े-
1. श्री अभिषेक जायसवाल, बी.पी.एम.-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान), ज.पं.-बोडला, जिला-कबीरधाम, छ.ग.।
2. श्रीमती गीतू वर्मा, तकनीकी सहायक, जनपद पंचायत-बोडला, जिला-कबीरधाम, छ.ग.।
3. श्री मनोज यादव, ग्राम रोजगार सहायक, ग्रा.पं.-राजानवागांव, ज.पं.-बोडला, जिला-कबीरधाम, छ.ग.।

रिपोर्टिंग- श्री रमेश भास्कर, कार्यक्रम अधिकारी, जनपद पंचायत-बोडला, जिला-कबीरधाम, छ.ग.।
लेखन- श्री विनीत दास, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत-कबीरधाम, जिला-कबीरधाम, छ.ग.।
पुनर्लेखन एवं संपादन-
1. श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
2. श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क संचालनालय, रापपुर, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
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Thursday, 23 December 2021

रोजगार के साथ ही कुपोषण को मात देने का काम, आंगनबाड़ियों में अंडों की आपूर्ति

# महात्मा गांधी नरेगा, 14वां वित्त आयोग एवं जिला खनिज संस्थान न्यास निधि के अभिसरण से सामुदायिक मुर्गीपालन.
# समूह की महिलाएँ मुर्गीपालन व अंडा उत्पादन कर हुईं आत्मनिर्भर.
# परंपरागत मुर्गीपालन को व्यावसायिक रूप देकर महिलाओं ने कमाए 25 लाख रूपए.



स्टोरी/रायपुर/बीजापुर/23 दिसम्बर, 2021. आदिवासी अंचल की महिलाएं घर पर किए जाने वाले परंपरागत मुर्गीपालन को व्यावसायिक रूप देकर अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं। अलग-अलग स्वसहायता समूहों की ये महिलाएं स्वरोजगार के साथ ही कुपोषण को मात देने का भी काम कर रही हैं। महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम), डी.एम.एफ. (जिला खनिज संस्थान न्यास निधि) और 14वें वित्त आयोग के अभिसरण से सुदूर वनांचल बीजापुर जिले की 43 समूहों की महिलाएं सामुदायिक मुर्गीपालन कर अंडा उत्पादन कर रही हैं। स्थानीय जिला प्रशासन महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान हेतु आंगनबाड़ियों के लिए इन अंडों की खरीदी कर रही है। समूह की महिलाएं स्थानीय बाजारों में भी इन अंडों को बेचती हैं। विभिन्न स्वसहायता समूहों द्वारा जिले के 43 सामुदायिक मुर्गीपालन केन्द्रों में तीन लाख 77 हजार अण्डों का उत्पादन किया गया है। इनमें से तीन लाख 44 हजार अंडों की बिक्री से महिलाओं ने 25 लाख रूपए से अधिक की कमाई की है।

नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में वनोपज संग्रहण, कृषि और पशुपालन ग्रामीणों की आजीविका का प्रमुख आधार है। वहां के आदिवासी परिवार घरों में परंपरागत रूप से मुर्गीपालन करते हैं। स्थानीय महिलाओं की मुर्गीपालन में दक्षता और कुपोषण दूर करने में अंडा की उपयोगिता को देखते हुए बीजापुर जिला प्रशासन ने वर्ष 2020-21 में अलग-अलग योजनाओं के अभिसरण से सामुदायिक मुर्गीपालन के माध्यम से अंडा उत्पादन की आधारशिला रखी। इस परियोजना के अंतर्गत जिले में अभी 43 सामुदायिक मुर्गीपालन शेड संचालित किए जा रहे हैं। इनका निर्माण महात्मा गांधी नरेगा से प्राप्त 60 लाख नौ हजार रूपए, 14वें वित्त आयोग के 29 लाख 72 हजार रूपए और डी.एम.एफ. के एक करोड़ 27 लाख 26 हजार रूपए के अभिसरण से हुआ है। इस दौरान जिले के मनरेगा श्रमिकों को 6536 मानव दिवस का सीधा रोजगार भी प्राप्त हुआ।

स्वरोजगार के साथ ही कुपोषण से मुक्ति की लड़ाई में जिले के बीजापुर विकासखण्ड में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के अंतर्गत गठित नौ, भैरमगढ़ विकासखण्ड के 14, भोपालपटनम विकासखण्ड के सात और उसूर विकासखण्ड के 13 स्वसहायता समूहों की महिलाएं अपनी सहभागिता दे रही हैं। पशुपालन विभाग के तकनीकी मार्गदर्शन में मुर्गीपालन में व्यावसायिक दक्षता हासिल कर ये महिलाएं बी.वी. 380 लेयर बर्ड्स प्रजाति की मुर्गियों का पालन शेड में कर रही हैं। सामुदायिक मुर्गीपालन के लिए चूजों की आपूर्ति, केज की व्यवस्था तथा वर्षभर के लिए चारा एवं आवश्यक दवाईयों का इंतजाम डी.एम.एफ. के माध्यम से किया गया था।

बीजापुर विकासखण्ड के तोयनार ग्राम पंचायत में मुर्गी शेड का संचालन करने वाली रानी दुर्गावती स्वसहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती सोनमणि पोरतेक बताती हैं कि उसके समूह द्वारा अब तक 49 हजार अण्डों का उत्पादन किया गया है। इनमें से साढ़े 48 हजार अण्डों की बिक्री से करीब तीन लाख रूपए की आमदनी हुई है। उसूर विकासखण्ड के नुकनपाल पंचायत में मुर्गी शेड संचालित करने वाली काव्या स्वसहायता समूह की सचिव सुश्री पार्वती कहती है कि इस परियोजना से हम महिलाओं को अपनी आजीविका चलाने का साधन मिल गया है। आर्थिक रूप से हम सक्षम हो गई हैं। मुर्गीपालन से समूह को हर माह अच्छी कमाई हो रही है। जिला प्रशासन की कोशिशों और महिलाओं की मेहनत का असर अब दिखने लगा है। बीजापुर में कुपोषण तेजी से घट रहा है। अक्टूबर-2019 में कुपोषण की दर वहां लगभग 38 प्रतिशत थी, जो जुलाई-2021 में आयोजित वजन त्यौहार के आंकड़ों के मुताबिक 13 प्रतिशत गिरकर 25 प्रतिशत पर आ गई है।

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एक नजरः-
कार्य का नाम- स्व सहायता समूह हेतु पोल्ट्री फार्म निर्माण, क्रियान्वयन एजेंसी- ग्राम पंचायत, स्वीकृत वर्ष- 2020-21
विकासखण्ड (ग्राम पंचायत)-
1. बीजापुर विकासखण्ड में शामिल ग्राम पंचायतें- तोयनार, ईटपाल, चेरपाल, बोरजे, मोरमेड़ एवं पापनपाल (6).
2. भैरमगढ़ विकासखण्ड में शामिल ग्राम पंचायतें- जैवारम, मटवाड़ा, मंगलनार, पातरपारा, नेलसनार, मिरतुर, कोडोली, तालनार, टिन्डोडी, जांगला, कॉन्ड्रोजी, मंगापेठा एवं फरसेगढ़ (13).
3. भोपालपटनम विकासखण्ड में शामिल ग्राम पंचायतें- तमलापल्ली, संगमपल्ली, दम्पाया, चेरपल्ली, रुद्राराम, गोटाइगुड़ा एवं भद्रकाली (7).
4. उसूर विकासखण्ड में शामिल ग्राम पंचायतें- आवापल्ली, नुकनपाल, मुरदण्डा, इलमिड़ी, संकनपल्ली, हीरापुर एवं बासागुड़ा (7).
परियोजना में शामिल 43 सामुदायिक मुर्गीशेड निर्माण में योजनावार लागत- महात्मा गांधी नरेगा से 60.09 लाख, 14वां वित्त आयोग से 29.72 लाख एवं जिला खनिज संस्थान न्यास निधि से 127.26 लाख रुपए।
प्रति इकाई लागत-
(क) 100 मुर्गियों के लिए एक सामुदायिक शेड की स्वीकृत राशि-
1.83 लाख रुपए (महात्मा गांधी नरेगा-1.13 लाख एवं 14वां वित्त आयोग राशि- 0.70 लाख)
(ख) 200 मुर्गियों के लिए एक सामुदायिक शेड की स्वीकृत राशि-
2.48 लाख रुपए (महात्मा गांधी नरेगा-1.48 लाख एवं 14वां वित्त आयोग राशि- 1 लाख)
(ग) प्रति यूनिट हेतु 50 मुर्गियाँ, वर्षभर का चारा, आवश्यक दवाईयाँ व केज हेतु स्वीकृत राशि-
1.14 लाख रुपए (जिला खनिज संस्थान न्यास निधि)

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तथ्य-आंकड़े एवं रिपोर्टिंग - श्री मनीष सोनवानी, सहायक परियोजना अधिकारी, जिला पंचायत-बीजापुर, छत्तीसगढ़।
लेखन - श्री प्रशांत यादव, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत-बीजापुर, छत्तीसगढ़।
पुनर्लेखन एवं संपादन -
1. श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
2. श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क संचालनालय, रापपुर, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग - श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।

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Tuesday, 5 October 2021

भादा के निवासियों को आजादी के पर्व के साथ मिली नवीन पंचायत भवन की सौगात

आश्रित ग्राम भादा एवं गाड़ापाली को मिलाकर नवगठित ग्राम पंचायत-भादा बना.
मनरेगा अभिसरण से बने पंचायत भवन से अब हर कार्य एक ही छत के नीचे.


स्टोरी/रायपुर/जांजगीर-चांपा/05 अक्टूबर, 2021. आजादी की 75वीं वर्षगाँठ के अवसर पर पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। यह महोत्सव जांजगीर चाम्पा जिले के नवागढ़ विकासखण्ड के भादा और गाड़ापाली गाँव के निवासियों के लिए एक खास पल के रुप में सदा के लिए यादगार बन गया है। यहाँ के निवासियों को एक लंबे इंतजार के बाद आजादी के पर्व स्वतंत्रता दिवस पर 15 अगस्त 2021 को नवीन पंचायत भवन की सौगात मिली है। सुंदर और सुव्यवस्थित भवन की यह सौगात उन्हें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (महात्मा गांधी नरेगा) और 14वें वित्त की निधियों के अभिसरण से प्राप्त हुई है। पंचायत गठन के बाद भादा ग्राम पंचायत में सबसे पहले संसाधन के रुप में नवीन पंचायत भवन बनने से ग्रामीणों के साथ-साथ पंचायत राज पदाधिकारी भी काफी खुश हैं। अब नये भवन में सभी सरकारी काम एक ही छत के नीचे होने से भादा और गाड़ापाली के निवासियों को राहत और सुकून मिला है।

नवीन ग्राम पंचायत गठन के पहले भादा गाँव ग्राम पंचायत-नवापारा का और गाड़ापाली गाँव ग्राम पंचायत-अकलतरी का आश्रित ग्राम हुआ करता था। यहाँ के निवासियों को ग्राम पंचायत स्तर के छोटे-छोटे कामों के लिए संबंधित ग्राम पंचायतों के मुख्यालयों तक दौड़ लगानी पड़ती थी, जो काम निपटने तक काफी लम्बी और थकाने वाली हो जाया करती थी। परिणामस्वरुप खेती-बाड़ी और मजदूरी का कार्य छोड़कर पूरा दिन पंचायती कामों में निकल जाता था।

प्रदेश सरकार ने इन गाँवों के ग्रामीणजनों की समस्या को समझते हुए भादा और गाड़ापाली गाँव को मिलाकर एक नवीन ग्राम पंचायत-भादा का गठन कर दिया। पंचायत गठन के बाद नव-निर्वाचित पंचायतीराज पदाधिकारियों के सामने पंचायत के संसाधनों का निर्माण सबसे बड़ी चुनौती थी। नवीन गठित पंचायत का अपना भवन नहीं होने से विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन और पंचायती कामों के संपादन में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। सामुदायिक भवन में ग्राम पंचायत का कार्यालय संचालित करने से पंचायत के कार्मिकों को विभिन्न योजनाओं के कार्यों का संपादन, उनके दस्तावेजों का उचित संधारण एवं अन्य शासकीय कार्यों को करने में बड़ी कठिनाई आ रही थी।

ऐसे में महात्मा गांधी नरेगा से 14 लाख 32 हजार रुपए और 14वें वित्त आयोग की 10 हजार रुपए की राशि के अभिसरण (कन्वर्जेंस) ने पंचायत के नवीन भवन निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया। 13 जुलाई 2020 को पंचायत भवन का निर्माण शुरु हुआ। ग्रामीणों ने भी बढ़-चढ़कर निर्माण कार्य में हिस्सा लिया और 690 मानव दिवस सृजित करते हुए ग्राम पंचायत के नवीन भवन को तैयार कर दिया। सरपंच श्री सुनिल कुमार गोंड बताते हैं कि इस नवीन पंचायत भवन में पंचायत राज पदाधिकारियों और कर्मचारियों के लिए पृथक-पृथक बैठक व्यवस्था की गई है। इसके अलावा पृथक से कम्प्यूटर कक्ष का भी निर्माण किया गया है। पंचायत की बैठकों के लिए एक बैठक कक्ष बनाया गया है। स्वच्छता व निजता का ध्यान रखते हुए नवीन पंचायत भवन में महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग प्रसाधन (टॉयलेट) बनाये गये हैं। परिसर की सुरक्षा के लिए इसे चारों तरफ से दीवार से घेरा गया है और हरियाली के लिए किनारे-किनारे पौधरोपण भी किया गया है। सरपंच श्री सुनिल आगे बताते हैं कि पंचायत भवन का निर्माण कार्य कोरोना काल में प्रारंभ हुआ था, जिसके चलते निर्माण कार्य में कुछ दिक्कतें जरुर आयी थीं, किन्तु तकनीकी सहायक श्री अब्दुल कामिल सिद्दीकी से मिले लगाता मार्गदर्शन एवं पंचों के साथ से यह निर्धारित समय पर बनकर तैयार हो गया।

सरपंच एवं पंचों ने सर्वसम्मति से ग्रामीणों के साथ 15 अगस्त 2021 को स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का ध्वजारोहरण करते हुए इस नवीन भवन में पंचायत का काम-काज शुरु कर दिया। इस कार्य के परिणामस्वरुप अब एक ही छत के नीचे ग्राम पंचायत स्तर की विभिन्न योजनाओं का लाभ ग्रामीणों को मिलने लगा है। पंचायत भवन में कार्मिकों की उपस्थिति रहने से ग्रामीणों को अपना कार्य करवाने में काफी सहूलियत हो रही है। इससे उनके धन और समय की भी बचत हो रही है।

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एक नजरः-
ग्राम पंचायत- भादा, विकासखण्ड- नवागढ़, जिला- जांजगीर चांपा, क्रियान्वयन एजेंसी- ग्राम पंचायत, पिनकोड- 495668,
कार्य श्रेणी- ग्रामीण अवसंरचना, कार्य का नाम- नवीन पंचायत भवन निर्माण, स्वीकृत वर्ष- 2020-21, पूर्णता वर्ष- 2020-21,
स्वीकृत राशि- रुपए 14.42 लाख (महात्मा गांधी नरेगा- रुपए 14.32 लाख एवं 14वां वित्त आयोग- रुपए 10 हजार),
व्यय राशि- रुपए 13.54 लाख, मजदूरी भुगतान- रुपए 1,31,100.00, सृजित मानव दिवस- 690, नियोजित श्रमिक- 24,
कार्य का कोड- 3314001095/AV/1111378714, जी.पी.एस. लोकेशन- 21°56'56.7"N 82°40'16.2"E,

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तथ्य एवं आंकड़े- 
1. श्री अब्दुल कामिल सिद्दकी, तकनीकी सहायक, जनपद पंचायत-नवागढ़, जिला- जांजगीर-चांपा, छत्तीसगढ़।
2. श्री राजपाल गाड़ा, ग्राम रोजगार सहायक, ग्राम पंचायत-भादा, वि.ख.-नवागढ़, जिला- जांजगीर-चांपा, छ.ग.।
लेखन - श्री देवेन्द्र कुमार यादव, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत- जांजगीर-चांपा, छत्तीसगढ़।
संपादन- श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
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Thursday, 30 September 2021

मनरेगा और जनभागीदारी से हुआ प्राथमिक स्कूल-सकड़ा का कायाकल्प


स्टोरी/रायपुर/कोरिया/30 सितम्बर, 2021. अगर आपके अंदर इच्छाशक्ति है और आप कुछ कर गुजरने की चाहत रखते हैं, तो परिस्थितियां खुद ब खुद मददगार बनने लगती हैं। ऐसा ही एक वाक्या कोरिया जिले के खड़गवां विकासखण्ड के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र ‘सकड़ा’ में देखने को मिला है। इस गाँव में बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा के लिए बनाए गए प्राथमिक विद्यालय में संसाधनों के अभाव के कारण, यहाँ एक नैराश्य का भाव बना रहता था। परंतु यहां पदस्थ शिक्षकों के मनोयोग, महात्मा गांधी नरेगा के मिले आर्थिक सहयोग और ग्रामीणों की भागीदारी की सकारात्मक पहल से यह विद्यालय आज दर्शनीय हो चुका है। आलम यह है कि आज की स्थिति में ग्राम पंचायत सकड़ा का यह प्राथमिक विद्यालय जिले के साथ-साथ प्रदेश स्तर पर उत्कृष्ट प्राथमिक विद्यालयों में शुमार हो चुका है। इसका एक उदाहरण यह है कि जब आप इस विद्यालय के परिसर में प्रवेश करेंगे, तो प्राथमिक स्तर में पढ़ने वाले आदिवासी बच्चे पहले पहल अंग्रेजी में स्वयं का परिचय देकर आपसे भी अंग्रेजी में ही आपका परिचय पूछेंगे।

इस स्कूल में बच्चों के लिए सुरक्षित परिसर, सुव्यवस्थित मैदान और भोजन शेड जैसी आवश्यक जरुरतों को पूरा करने में महात्मा गांधी नरेगा ने अहम भूमिका निभाई है। इसके बाद यहां पदस्थ शिक्षकों द्वारा पढ़ाई को लेकर किए गए भागीरथ प्रयासों के बाद गांव में पालकों में शिक्षा के प्रति जागरूकता की ऐसी अलख जगी है कि अब ग्रामीणजन विद्यालय में हर गतिविधि में समर्पित भाव से आगे आने लगे हैं और यहां पढ़ने वाले आदिवासी बच्चों में शिक्षा को लेकर गजब का उत्साह और आत्मविश्वास दिखाई देने लगा है। विशेष रूप से उल्लेखनीय यह भी है कि इस विद्यालय के बच्चे अब एकलव्य विद्यालय जैसे उच्च स्तरीय शिक्षण संस्थानों में प्रवेश पाने में सफल होने लगे हैं।

ग्राम पंचायत सकड़ा के वर्तमान सरपंच श्री शंकर सिंह पोर्ते कहते हैं कि इस विद्यालय के कायाकल्प में शिक्षक श्री रूद्र प्रताप सिंह राणा और पूर्व सरपंच श्रीमती जयमन बाई ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यहाँ के शिक्षकों की मांग पर विद्यालय परिसर के उन्नयन के लिए ग्राम सभा में एक प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसमें प्राथमिक विद्यालय में भोजन के लिए सुरक्षित कमरा और पूरे परिसर की पक्की घेराबंदी करने के लिए अहाता निर्माण का कार्य प्रस्तावित था। चूँकि मामला गाँव के बच्चों का था, इसलिए इसे ग्रामवासियों ने पूरे समर्थन से पारित कर दिया। ग्राम सभा से पारित निर्णय के आधार पर महात्मा गांधी नरेगा से यहाँ 2 लाख 23 हजार रुपए की लागत से भोजन हेतु शेड निर्माण तथा 11 लाख 53 हजार रुपये की लागत से स्कूल परिसर उन्नयन कार्य कराया गया। इन दोनों कार्यों से 26 ग्रामीणों को एक हजार 304 मानव दिवस का रोजगार भी प्राप्त हुआ।

विद्यालय के प्रधानपाठक श्री दिलीप सिंह मार्को ने बताया कि इस विद्यालय के कायाकल्प के बाद आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री आदित्येश्वर शरण सिंहदेव ने इस विद्यालय के लिए एक ई-आटो रिक्शा भेंट किया था, जिसका उपयोग बारिश या खराब मौसम में बच्चों को विद्यालय लाने के लिए भी करते हैं। इस विद्यालय में हुए कायाकल्प के बारे में विस्तार से यहाँ पदस्थ शिक्षक श्री रूद्रप्रताप सिंह राणा बताते हैं कि बच्चों को पढ़ाने के लिए पहले संसाधन कम पड़ते थे, लेकिन हम निरंतर प्रयास करते रहे। बच्चों को शिक्षा के प्रति उत्साहित करने के लिए खेल के माध्यम से शिक्षा देने का चलन प्रारंभ किया। इसके सुखद परिणाम मिलने लगे। आधारभूत संरचना के लिए यहां महात्मा गांधी नरेगा से स्कूल के पूरे परिसर का पक्का घेराव किया गया और बच्चों के लिए एक बड़ा स्टेजनुमा कक्ष बनाया गया, जिसका बच्चे कई तरह से उपयोग करते हैं। इसमें बच्चे बड़े आराम से बैठकर मध्याह्न भोजन करते हैं और कोरोना से सुरक्षा के मद्देनजर बच्चों के मध्य पर्याप्त शारीरिक दूरी रखते हुए पढ़ाई भी हो जाती है। इसके अलावा यह एक मंच के रूप में भी काम आता है।

शिक्षक श्री राणा आगे बताते हैं कि स्कूल के कायाकल्प से प्रभावित होकर यहां ग्रामीणों से प्राप्त जनसहयोग से बच्चों के लिए गार्डन, पाथ-वे और खेल उपकरणों का निर्माण भी किया गया है। इससे विद्यालय, एक नई पहल और उत्साह के साथ उत्कृष्टता की ओर बढ़ चला है। इस विद्यालय के कायाकल्प में शाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष श्री कमोद सिंह की भूमिका भी उल्लेखनीय रही है। उन्होंने लॉकडाउन के दौरान लगभग दो वर्षों तक बिना किसी अवकाश के इस परिसर में हुए पूरे निर्माण कार्यों और पौधरोपण की देखभाल करते रहे। वे बताते हैं कि इस विद्यालय में वर्तमान में बच्चों की कुल दर्ज संख्या 84 है और खास बात यह है कि महात्मा गांधी नरेगा और जनसहयोग से बने विद्यालय के इस नये सुंदर परिसर और बेहतर शिक्षा व्यवस्था के कारण शत-प्रतिशत बच्चे नियमित विद्यालय आने लगे हैं।

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एक नजरः-

ग्राम पंचायत- सकड़ा, विकासखण्ड- खड़गंवा, जिला- कोरिया, क्रियान्वयन एजेंसी- ग्राम पंचायत, पिनकोड- 497449,
कार्य श्रेणी- ग्रामीण अवसंरचना
1. कार्य का नाम- प्राथमिक शाला सकड़ा में भोजन हेतु शेड निर्माण, कार्य का कोड- 3306003058/AV/1111320166
स्वीकृत वर्ष- 2018-19, पूर्णता वर्ष- 2020-21, स्वीकृत राशि- रुपए 2.23 लाख, सृजित मानव दिवस- 240,
मजदूरी भुगतान- रुपए 0.42132 लाख, व्यय राशि- 2.14 लाख,
जी.पी.एस. लोकेशन- 22°57'59.6" N 82°12'35.8"E,

2. कार्य का नाम- प्राथमिक शाला सकड़ा परिसर उन्नयन कार्य, कार्य का कोड- 3306003058/AV/1111320167
स्वीकृत वर्ष- 2018-19, पूर्णता वर्ष- 2020-21, स्वीकृत राशि- रुपए 11.53 लाख, सृजित मानव दिवस- 1064,
मजदूरी भुगतान- रुपए 1.73722 लाख, व्यय राशि- 11.21 लाख,
जी.पी.एस. लोकेशन- 22°57'59.6" N 82°12'35.8"E,
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तथ्य एवं आंकड़े- 1. श्री राजनारायण सिंह, कार्यक्रम अधिकारी, जनपद पंचायत-खड़गवां, जिला- कोरिया, छत्तीसगढ़।
2. श्री रुद्र प्रताप सिंह राणा, शिक्षक, प्राथमिक शाला-सकड़ा, जिला- कोरिया, छत्तीसगढ़।
लेखन - श्री रुद्र मिश्रा, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत- कोरिया, छत्तीसगढ़।
संपादन- श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
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Saturday, 28 August 2021

मनरेगा का मुर्गीपालन शेड बना समूह की महिलाओं के लिए कर्मभूमि

आत्मनिर्भर बनकर कर रही हैं मुर्गीपालन का व्यवसाय.
आजीविका संवर्धन गतिविधि से गांव में महिलाओं को मिल रही है सराहना.




स्टोरी/रायपुर/जांजगीर-चाँपा/28 अगस्त, 2021. कोई कहानी ऐसे ही नहीं बनती बल्कि उसके पीछे अथक मेहनत, परिश्रम और एक बेहतर सोच होती है। ऐसी ही सोच को पहचानने का काम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महात्मा गांधी नरेगा) और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के बेहतर तालमेल के साथ किया गया। जांजगीर-चाँपा जिले के बलौदा विकासखण्ड के गांव औराईकला की स्व सहायता समूह की महिलाओं के लिए महात्मा गांधी नरेगा के माध्यम से बनाया गया पोल्ट्री शेड फलीभूत साबित हुआ और उनके लिए कर्मभूमि बन गया। कर्मभूमि ऐसा बना कि पोल्ट्री शेड निर्माण के बाद से ही महिलाओं ने भविष्य की उम्मीदों का ताना-बाना बुनना शुरू कर दिया। आज समूह की महिलाओं ने गांव में रहते हुए अपने आपको आत्मनिर्भर बनाया और मुर्गीपालन क्षेत्र में हाथ आजमाते हुए सफलता की सीढ़ियों को चढ़ना शुरू किया। उनके आत्मनिर्भर बनने से उनके परिवार की आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ हुई और वे गांव के लिए एक मिसाल बनकर उभरने लगीं।

बलौदा विकासखण्ड की ग्राम पंचायत औराईकला के मोहारपारा की जय सती माँ स्व सहायता समूह की महिलाओं ने अपनी जिंदादिली, मेहनत एवं कुछ अलग कर दिखाने का जज्बे के चलते अपने रोजमर्रा के कामों को निपटाते हुए पहले तो अपने समूह का नियमित रूप से संचालन करते हुए बैठकें कीं। साथ ही अपने सभी दस्तावेजों का संधारण नियमित रूप से किया। उसके बाद समूह ने शुरूआती दिनों में छोटी-छोटी बचत करके जो पैसा जमा किया, उस राशि को कम ब्याज पर जरूरतमंदों को देकर उनकी मदद की। इससे वे गाँव में लोकप्रिय होने लगीं और धीरे-धीरे आर्थिक रुप से मजबूत होने लगीं। जब उनके पास नियमित बचत के जरिये कुछ रकम जमा हुई, तो उन्होंने मुर्गीपालन व्यवसाय के जरिये आत्मनिर्भर होने का सोचा। इस सोच को हकीकत में बदलने के लिए उन्हें एक बहुत बड़े शेड की जरूरत थी, जिसमें वे मुर्गीपालन कर सकें। लेकिन इस समूह के पास शेड निर्माण के लायक कोई बड़ी बचत राशि नहीं थी।

स्व सहायता समूह की महिलाओं ने अपनी इस जरूरत को ग्राम पंचायत के माध्यम से ग्राम सभा के समक्ष रखा। तब इन महिलाओं की इच्छाशक्ति और आत्मबल को देखते हुए ग्राम रोजगार सहायक श्री पीलासिंह गोड़ ने आजीविका गतिविधियों के संचालन हेतु महात्मा गांधी नरेगा के माध्यम से मुर्गीपालन शेड बनाकर दिये जाने की बात बताई। बस फिर क्या था, ग्राम सभा के अनुमोदन के आधार पर वर्ष 2020-21 में 5 लाख रुपये की लागत से महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत समूह के लिए मुर्गीपालन शेड निर्माण का कार्य मंजूर हो गया। इस राशि से ग्राम पंचायत ने तत्काल गाँव में बने गोठान (पशु आश्रय स्थल) के साथ में खाली पड़ी जमीन पर समूह के लिए एक मुर्गीशेड का निर्माण करा दिया। इस प्रकार महात्मा गांधी नरेगा से जहाँ समूह को मुर्गीपालन व्यवसाय के लिए शेड मिला, तो वहीं 65 मनरेगा श्रमिकों को गाँव में ही 277 मानव दिवस का रोजगार भी मिला। पोल्ट्री शेड निर्माण होने के बाद तो समूह की महिलाओं को आर्थिक उन्नति के मानो पंख ही मिल गए हों और वे उन्मुक्त गगन में अपने पंखों को पसार कर उड़ने के लिए तैयार हो गई।
 

हार के बाद जीत

समूह की अध्यक्ष श्रीमती रूप बाई बिंझवार बताती हैं कि शेड के मिलने के साथ ही मुर्गीपालन कैसे किया जाता है, इसके बारे में विस्तार से पशुपालन विभाग के डॉक्टरों से प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया गया। इसके बाद छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) योजना से अनुदान राशि के रुप में मिले रिवाल्विंग फंड के 15 हजार रूपए एवं सी.आई.एफ. (सामुदायिक निवेश निधि) के 60 हजार रुपए से शेड में मुर्गीपालन का काम शुरू किया। इसके अंतर्गत सबसे पहले काकरेल प्रजाति के 600 चूजे खरीदे गए, जिन्हें नियमित आहार, पानी, दवा एवं अन्य सुविधाएं देकर छह सप्ताह में बड़ा किया गया। वे आगे बताती हैं कि इसी दरम्यान मौसम के खराब होने के कारण कई चूजों की मौत हो गई, जिससे समूह को काफी नुकसान हुआ। इन सबके बावजूद समूह की महिलाओं ने हार नहीं मानी और अपने आत्मबल एवं समूह की शक्ति के दम पर फिर से मुर्गीपालन के काम में जुट गई। इस बार समूह ने 600 ब्रायलर चूजे खरीदे और उनकी देखभाल करना शुरू किया। धीरे-धीरे ये चूजे बड़े हो गए। आखिरकार इन महिलाओं की मेहनत रंग लाई और चाँपा के एक बड़े व्यवसायी ने मुर्गों को बेहतर दाम देकर खरीद लिया। इस बार समूह को मुर्गीपालन से लाभ हुआ और सभी खर्चों को काटकर उन्हें लगभग 30 हजार रूपए की बचत हुई।

मुर्गीपालन से समूह को पहली बार हुए लाभ के बारे में बताते हुए समूह की सचिव श्रीमती मालती चौहान कहती हैं कि इस बार समूह की सभी सदस्य काफी खुश थीं। सभी का उत्साह भी दो-गुना हो चुका था। समूह ने फिर एक कदम आगे बढ़ाते हुए लगभग 600 चूजे और खरीद लिए, जो बड़े हुए तो उन्हें बेचने से समूह को लगभग 50 हजार रूपए का मुनाफा हुआ। इसने समूह में एक नई ऊर्जा का संचार कर दिया था, सो अब उनके कदम कहाँ रूकने वाले थे। उन्होंने फिर 600 ब्रायलर चूजे खरीदे, जिन्हें फिलहाल दाना-पानी देकर बड़ा किया जा रहा है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इनको बेचने से समूह को लाभ होगा।

पंचायत से मिली मदद

ग्राम के सरपंच श्री दशरथ यादव बताते हैं कि मुर्गीपालन का कार्य ध्यानपूर्वक किये जाने वाला कार्य है। यहाँ चूजों और मुर्गियों की नियमित रूप से देखभाल करनी पड़ती है। इसलिए समय-समय पर इनके स्वास्थ्य जाँच के लिए पंचायत द्वारा समय-समय पर पशुपालन विभाग के वेटनरी डॉक्टरों को बुलाया जाता है, ताकि इनको किसी तरह की कोई बीमारी न हो सके। पंचायत द्वारा महिलाओं को मुर्गीपालन व्यवसाय के लिए लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके अलावा उनके व्यवसाय को बढ़ाने के लिए मुर्गी व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों से भी संपर्क करके उन्हें अच्छे दाम दिलवाने का प्रयास किया जा रहा है।

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एक नजरः-
ग्राम पंचायत- औराईकला, विकासखण्ड- बलौदा, जिला- जांजगीर-चाँपा,
कार्य का नाम- गौठान में पोल्ट्री शेड हेतु शेड निर्माण कार्य(कार्य श्रेणी- एन.आर.एल.एम. स्व सहायता समूह हेतु वर्कशेड निर्माण),
क्रियान्वयन एजेंसी- ग्राम पंचायत, पिनकोड- 495668, स्वीकृत वर्ष- 2020-21, स्वीकृत राशि- रुपए 5.00 लाख, 
नियोजित श्रमिकों की संख्या- 65, सृजित मानव दिवस- 277, मजदूरी भुगतान- रुपए 52,580.00 लाख, व्यय राशि- 4.94 लाख,  जी.पी.एस. लोकेशन- 22°05'20.2" N 82°34'47.4"E, कार्य का कोड- 3314006038/AV/1111387451
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तथ्य एवं आंकड़े- 1. श्री हृदय शंकर, कार्यक्रम अधिकारी, जनपद पंचायत-बलौदा, जिलाः जांजगीर-चाँपा, छत्तीसगढ़।
                            2. श्री पीलासिंह गोंड, ग्राम रोजगार सहायक, ग्रा.पं.-औराईकला, जिलाः जांजगीर-चाँपा, छत्तीसगढ़।
लेखन- श्री देवेन्द्र कुमार यादव, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायतः जांजगीर-चाँपा, छत्तीसगढ़।
संपादन- श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
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Thursday, 19 August 2021

नया ग्राम पंचायत बनने के एक साल के भीतर ही महेशपुर को मिला नवनिर्मित पंचायत भवन

महात्मा गांधी नरेगा से 14.42 लाख रूपए की लागत से बना है सुसज्जित भवन, 
इसके निर्माण के दौरान गांववालों को 1578 मानव दिवस का रोजगार भी मिला.



स्टोरी/रायपुर/सरगुजा/19 अगस्त, 2021. प्रदेश में त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के सशक्तिकरण के लिए लगातार काम हो रहे हैं। नवगठित ग्राम पंचायतें भी सुचारू रूप से अपने दायित्वों का निर्वहन कर सकें, इसके लिए सभी बुनियादी अधोसंरचनाएं उन्हें जल्द से जल्द उपलब्ध कराई जा रही हैं। सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखंड के नवगठित ग्राम पंचायत महेशपुर को अपने गठन के पहले ही साल में सर्वसुविधायुक्त नया पंचायत भवन मिल गया है। पहले मानपुर ग्राम पंचायत का हिस्सा रहा महेशपुर वर्ष-2020 में ही अलग ग्राम पंचायत के रूप में अस्तित्व में आया है। नई पंचायत के गठन के एक वर्ष के भीतर ही फरवरी-2021 से गांव के निर्वाचित जनप्रतिनिधि नवनिर्मित पंचायत भवन से अपने कार्य संपादित कर रहे हैं।

महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) से 14 लाख 42 हजार रूपए की लागत से इस नए पंचायत भवन का निर्माण किया गया है। इस सर्वसुविधायुक्त भवन में पंचायत स्तर के काम-काज निपटाने के लिए पृथक कक्षों का निर्माण किया गया है। यहां पंचायत सचिव एवं ग्राम रोजगार सहायक पंचायत के रोजमर्रा के कार्यों को संपादित करने के साथ ही ग्रामवासियों की समस्याएं भी सुलझा रहे हैं। पंचायत भवन की जरूरतों के अनुरूप यहां सभा कक्ष, कार्यालय कक्ष एवं शौचालय खण्ड का निर्माण किया गया है।


महेशपुर के सरपंच श्री कपिल देव पैंकरा बताते हैं कि नया पंचायत बनने के बाद गांव के सामुदायिक भवन में जैसे-तैसे उन लोगों ने पंचायत का काम शुरू किया था। व्यवस्थित ढंग से कार्य करने के लिए आवश्यक सुविधाओं वाले पंचायत भवन की जरूरत थी। महात्मा गांधी नरेगा से नए पंचायत भवन के निर्माण का रास्ता निकला। ग्राम पंचायत की पहल पर महात्मा गांधी नरेगा से नए पंचायत भवन के निर्माण के लिए 14 लाख 42 हजार रूपए की प्रशासकीय स्वीकृति मिली। पंचायत ने तत्काल जमीन का चिन्हांकन कर 25 जून 2020 को इसका निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया। गांव के 41 पुरूष और इतने ही महिला श्रमिकों ने तेजी से काम कर चार महीनों में ही निर्माण पूर्ण कर दिया। पंचायत भवन के निर्माण के दौरान 1578 मानव दिवस रोजगार का सृजन हुआ, जिसके लिए गांव के मनरेगा श्रमिकों को तीन लाख रूपए का मजदूरी भुगतान किया गया।

महेशपुर के सरपंच और पंचों ने ग्राम पंचायत के नए भवन में 1 फरवरी 2021 से विधिवत रूप से काम करना शुरू किया। भवन के सामने ग्रामसभा एवं अन्य आयोजनों के लिए पर्याप्त खुली जगह है। नए भवन में अब तक इस साल तीन ग्रामसभाएं भी हो चुकी हैं। महेशपुर में रहने वाली श्रीमती साधना दास कहती हैं कि जब महेशपुर आश्रित गांव था, तो ग्रामसभा के लिए दो किलोमीटर दूर मानपुर जाना पड़ता था। दूर होने के कारण महिलाएं अक्सर ग्रामसभा में शामिल नहीं हो पाती थीं। लेकिन अब महेशपुर में ही ग्राम पंचायत का भवन होने से काफी सहुलियत हो गई है। घर का काम निपटाकर महिलाएं भी बड़ी संख्या में ग्रामसभा में सम्मिलित होने लगी हैं।
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एक नजरः-
ग्राम पंचायत- महेशपुर, विकासखण्ड- उदयपुर, जिला- सरगुजा,
कार्य का नाम- नवीन पंचायत भवन निर्माण, क्रियान्वयन एजेंसी- ग्राम पंचायत, पिनकोड- 497117
स्वीकृत वर्ष- 2020-21, स्वीकृत राशि- रुपए 14.42 लाख, सृजित मानव दिवस- 1578, मजदूरी भुगतान- रुपए 2.99 लाख
व्यय राशि- 14.42 लाख, नियोजित श्रमिकों की संख्या- 82, जी.पी.एस. लोकेशन- 22°53'40.3"N 82°59'41.0"E,
पूर्णता वर्ष- 2020-21, कार्य का कोड- 3305003057/AV/1111379838

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रिपोर्टिंग व लेखन– सुश्री मिनाक्षी वर्मा, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत-सरगुजा, अम्बिकापुर, छत्तीसगढ़।
पुनर्लेखन- श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
संपादन- श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क संचालनालय, रायपुर, छत्तीसगढ़ एवं श्री आलोक कुमार सातपुते, रायपुर, छ.ग.।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
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Tuesday, 17 August 2021

हिकारत से देखने वाले अब इन्हें ‘स्वच्छता दीदी’ कहते हैं

महात्मा गांधी नरेगा और स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अभिसरण से बने
सेग्रिगेशन शेड ने बदली गम्हरिया की सूरत.

गांव के कचरे का निस्तारण कर महिलाओं ने कमाए 63 हजार रूपए.



स्टोरी/रायपुर/जशपुर/17 अगस्त, 2021. महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) और स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अभिसरण से बने सेग्रिगेशन शेड ने जशपुर जिले के गम्हरिया गांव की सूरत बदल दी है। वहाँ की ‘स्वच्छता दीदियां’ कचरे का निस्तारण कर गाँव की सड़कों, गलियों और चौक-चौराहों को स्वच्छ रखने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। खुले में शौचमुक्त गाँव बनने के बाद अब गम्हरिया प्लास्टिक एवं कूड़ा-करकट मुक्त ग्राम पंचायत भी बन गया है। सड़कों, गलियों और चौक-चौराहों पर फेंके जाने वाले कचरे को वहाँ की ‘सूरज स्वसहायता समूह’ की महिलाओं ने अतिरिक्त कमाई का जरिया बनाया है। पिछले एक साल में इस समूह ने कचरे के निस्तारण और यूजर चार्ज से 63 हजार रूपए कमाए हैं।

कचरा संकलन तथा उसे अलग-अलग कर निस्तारित करने का काम इन महिलाओं के लिए सहज-सरल नहीं था। शुरूआत में जब वे रिक्शा लेकर कचरा संकलन के लिए घर-घर जाती थीं, तो लोग उन्हें ऐसे देखते थे जैसे वे कोई खराब काम कर रही हों। लोगों की हिकारत भरी नजरों के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और ग्राम पंचायत के सहयोग से इस काम को जारी रखा। इनके काम से गाँव लगातार साफ-सुथरा होते गया, तो लोगों का नजरिया भी बदलने लगा। अब गाँववाले इन्हें सम्मान के साथ ‘स्वच्छता दीदी’ कहकर पुकारते हैं।

गम्हरिया की सूरज स्वसहायता समूह की महिलाएँ सफाई मित्र के रूप में घर-घर जाकर कचरा संकलित करती हैं। सेग्रिगेशन शेड यानि ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन केन्द्र में वे संकलित कचरा में से उनकी प्रकृति के हिसाब से उन्हें अलग-अलग करती हैं। कूड़े-कचरे के रूप में प्राप्त पॉलीथिन, खाद्य सामग्रियों के पैकिंग रैपर, प्लास्टिक के सामान, लोहे का कबाड़ एवं कांच जैसे ठोस अपशिष्टों को अलग-अलग करने के बाद बेच दिया जाता है। समूह की सचिव श्रीमती सुनीता कुजूर बताती हैं कि पंचायत द्वारा निर्मित सेग्रिगेशन शेड (कचरा संग्रहण केंद्र) में समूह की 12 महिलाएं जुलाई-2020 से कार्य कर रही हैं। शेड में एकत्रित ठोस कचरे की बिक्री से समूह को अब तक 28 हजार रूपए की कमाई हुई है। समूह द्वारा डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के लिए हर घर से प्रति माह दस रूपए और दुकानदारों से प्रति दुकान हर महीने 20 रूपए का यूजर चार्ज (स्वच्छता शुल्क) लिया जाता है। बीते एक साल में समूह के पास 35 हजार रूपए का यूजर चार्ज इकट्ठा हुआ है।

गाँव के सरपंच श्री विलियम कुजूर बताते हैं कि ग्राम पंचायत के प्रस्ताव पर ग्रामसभा के अनुमोदन के बाद महात्मा गांधी नरेगा से दो लाख 69 हजार रूपए और स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) से एक लाख 85 हजार रूपए के अभिसरण से कुल चार लाख 54 हजार रूपए की लागत से सेग्रिगेशन शेड (ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन केन्द्र) बनाया गया है। इस काम में गाँव के छह परिवारों के 11 श्रमिकों को 74 मानव दिवस का सीधा रोजगार प्राप्त हुआ था। इसके लिए उन्हें 13 हजार रूपए से अधिक का मजदूरी भुगतान किया गया। महात्मा गांधी नरेगा अभिसरण से निर्मित इस परिसम्पत्ति से गांव में स्वच्छता अभियान को नई दिशा मिली है। साथ ही गाँव की 12 महिलाओं को कमाई का अतिरिक्त साधन भी मिला है।
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एक नजरः-
ग्राम पंचायत- गम्हरिया, विकासखण्ड- जशपुर, जिला- जशपुर,
कार्य का नाम- स्व सहायता समूह के लिए वर्क शेड, क्रियान्वयन एजेंसी- ग्राम पंचायत, पिनकोड- 496331
स्वीकृत वर्ष- 2018-19, पूर्णता वर्ष- 2020-21,
स्वीकृत राशि- रुपए 4.54 लाख (महात्मा गांधी नरेगा- 2.69 लाख व स्वच्छ भारत मिशन-ग्रा. – 1.85 लाख),
सृजित मानव दिवस- 74, मजदूरी भुगतान- रुपए 13,024.00, व्यय राशि- 4.16 लाख, नियोजित श्रमिकों की संख्या- 11
कार्य का कोड- 3307012012/AV /1111321308, जी.पी.एस. लोकेशन- 22°52'22.6164"N 84°9'44.892"E
 
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रिपोर्टिंग – श्री शशिकांत गुप्ता, सहायक परियोजना अधिकारी, जिला पंचायत-जशपुर, छत्तीसगढ़।
तथ्य व आंकड़े – श्री राजेश जैन, जिला सलाहकार, स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण), जिला-जशपुर, छत्तीसगढ़।
लेखन- श्री अश्वनी व्यास, समन्वयक (शिकायत निवारण), जिला पंचायत-जशपुर, छत्तीसगढ़।
पुनर्लेखन - श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
संपादन- श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क संचालनालय, रापपुर, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
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Friday, 6 August 2021

वर्मी कंपोस्ट और केंचुआ बेचकर महिलाओं ने 6 महीनों में ही कमाए 6 लाख रूपए

मनरेगा से बने 30 टांकों में वर्मी कंपोस्ट और केंचुआ का उत्पादन.

समूह की महिलाएं ज्यादा कमाई के लिए बकरीपालन भी कर रहीं, 70 हजार रूपए की खरीदी बकरियां.


स्टोरी/रायपुर/धमतरी/06 अगस्त, 2021.
महिलाएं घर के भीतर और बाहर दोनों जगह मोर्चा संभाल रही हैं। घर के काम निपटाने के बाद वे स्वसहायता समूह बनाकर स्वरोजगार कर आर्थिक तौर पर भी स्वावलंबी बन रही हैं। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) से जुड़ीं धमतरी जिले के कुरूद विकासखंड की गातापार (को) की महिलाएं अपनी उद्यमिता से सफलता की नई इबारत लिख रही हैं। वहां की ‘कामधेनु कृषक अभिरूचि महिला स्वसहायता समूह’ की महिलाओं ने वर्मी कंपोस्ट और केंचुआ उत्पादन का काम शुरू किया और छह महीनों में ही छह लाख रूपए की कमाई कर लीं। गांव में वर्मी कंपोस्ट निर्माण के लिए महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) से बनाए गए 30 टांकों ने उनकी सफलता की बुनियाद रखी। अपनी सीखने की ललक, हुनर और मेहनत से उन्होंने इसे परवान चढ़ाया।

सामान्य बचत से शुरूआत कर समूह के माध्यम से आत्मनिर्भर बनने वाली इन महिलाओं का सफर वित्तीय वर्ष 2020-21 में तब शुरू हुआ, जब पंचायत की पहल पर महात्मा गांधी नरेगा से गांव में आठ लाख रूपए की लागत से सामुदायिक वर्मी कम्पोस्ट इकाई का निर्माण हुआ। ग्राम पंचायत ने चरणबद्ध तरीके से 30 टांके बनवाएं। इस काम में 88 मनरेगा श्रमिकों को सीधा रोजगार मिला। इस दौरान 561 मानव दिवसों का सृजन कर श्रमिकों को एक लाख रूपए से अधिक का मजदूरी भुगतान किया गया। टांकों के निर्माण के दौरान ही समूह की महिलाओं ने कृषि विभाग की मदद से जैविक खाद उत्पादन का प्रशिक्षण भी प्राप्त कर लिया था। टांके बनने के बाद वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन के लिए पंचायत ने तत्काल इन्हें कामधेनु कृषक अभिरूचि महिला स्वसहायता समूह को सौंप दिया। समूह ने इसी साल (2021 में) जैविक खाद बनाने का काम शुरू किया और पिछले छह महीनों में ही 295 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट की बिक्री कर एक लाख 33 हजार रूपए कमाए। जैविक खाद के साथ ही महिलाएं इसे तैयार करने में सहयोगी केंचुएं भी बेच रही हैं। बीते छह महीनों में 24 क्विंटल केंचुआ बेचकर महिलाओं ने चार लाख 62 हजार रूपए का शुद्ध मुनाफा कमाया है।

कामधेनु कृषक अभिरूचि महिला स्वसहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती मालती यादव बताती हैं कि उनके 11 सदस्यों वाले समूह ने पंचायत से टांका मिलने के बाद वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन शुरू किया था। प्रत्येक टांका में भराव की क्षमता 30 से 35 क्विंटल की है। समूह ने पिछले छह माह में 320 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट बनाया है, जिसमें से 295 क्विंटल बेचा जा चुका है। इससे समूह को दो लाख 95 हजार रूपए मिले हैं। लागत एवं अन्य खर्चों को काटकर एक लाख 33 हजार रूपए की शुद्ध आमदनी हुई है।

समूह की सचिव श्रीमती निर्मला साहू बताती हैं कि वे लोग महात्मा गांधी नरेगा से निर्मित सामुदायिक वर्मी कम्पोस्ट इकाई में जैविक खाद के साथ ही केंचुआ उत्पादन भी कर रही हैं। उन्होंने अब तक 50 क्विंटल केंचुआ का उत्पादन कर लिया है। इनमें से 24 क्विंटल की बिक्री भी हो चुकी है, जिससे समूह को चार लाख 80 हजार रूपए प्राप्त हुए हैं। इकाई के संधारण एवं केंचुआ खरीदी पर हुए खर्चों को काटने के बाद समूह को इससे चार लाख 62 हजार रूपए की शुद्ध आय हुई है। समूह की सदस्य श्रीमती गौरी ने बताया कि वर्मी कंपोस्ट से हुई कमाई से समूह ने बकरीपालन शुरू किया है। इसके लिए 70 हजार रूपए की बकरियां खरीदी गई हैं। उनका समूह भविष्य में पशुपालन के काम को आगे बढ़ाना चाहता है। इसके लिए 50 हजार रूपए अलग से रखे गए हैं। वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन के लिए गौठान में भी 50 हजार रूपये लगाए हैं।

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एक नजरः-
ग्राम पंचायत- गातापार (को.), विकासखण्ड- कुरुद, जिला- धमतरी,
कार्य का नाम- वर्मी कम्पोस्ट टांका निर्माण कार्य (30 नग), क्रियान्वयन एजेंसी- ग्राम पंचायत, पिनकोड- 493663
स्वीकृत वर्ष- 2020-21, स्वीकृत राशि- रुपए 8.09 लाख, सृजित मानव दिवस- 561, मजदूरी भुगतान- रुपए 1.06 लाख
व्यय राशि- 7.03 लाख, नियोजित श्रमिकों की संख्या- 88, जी.पी.एस. लोकेशन- 20°52'27.85" N 81°32'57.66"E,
कार्य का कोड- 3309002006/RS/1111362455, 309002006/RS/1111364347, 3309002006/RS/1111363820, 3309002006/RS/1111361562, 3309002006/RS/1111366730


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रिपोर्टिंग - श्री धरम सिंह, सहायक परियोजना अधिकारी, जिला पंचायत-धमतरी, छत्तीसगढ़।
तथ्य व आंकड़े – श्रीमती कुंति देवांगन, कार्यक्रम अधिकारी, जनपद पंचायत-कुरुद, जिला-धमतरी, छत्तीसगढ़।
लेखन - श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
संपादन- श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क संचालनालय, रापपुर, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
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Friday, 16 July 2021

मनरेगा से बनी नहर से किसानों के चेहरों पर आई मुस्कुराहट

80 किसानों के खेतों तक महीडबरा जलाशय का पानी पहुंचा, 75 हेक्टेयर रकबे में सिंचाई सुविधा का विस्तार.

नहर के लिए किसानों ने स्वेच्छा से दी अपनी जमीन.


महीडबरा के किसान इस साल मुस्कुरा रहे हैं। महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) से बनी नहर ने उन्हें यह मौका दिया है। नहर विस्तारीकरण कार्य एवं माइनर नहरों के निर्माण के बाद अब महीडबरा जलाशय का पानी गांव के 80 किसानों की 75 हेक्टेयर जमीन तक पहुंचेगा। सिंचाई के साधनों के अभाव में केवल खरीफ के मौसम में कोदो-कुटकी उगाने वाले आदिवासी बाहुल्य गांव महीडबरा के किसानों के लिए रबी की फसल के बारे में सोचना भी कभी दूर की कौड़ी हुआ करती थी। पर मनरेगा ने अब उनके खेतों तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था कर दी है।

कबीरधाम जिले के बैगा आदिवासी बाहुल्य पंडरिया विकासखण्ड के सुदूर वनांचल क्षेत्र के महीडबरा में सिंचाई के लिए न तो नहर-नाली बनी थी और न ही कोई नरवा (बरसाती नाला) बहता था। वहां महीडबरा नाम से ही एक पुराना जलाशय जरूर है, पर सिंचाई के लिए कोई नहर-नाली की संरचना इससे नहीं जुड़ी थी। गांव के किसान लंबे समय से इस जलाशय का पानी अपने खेतों तक पहुंचाना चाह रहे थे, जिससे वे खेतों को भी एक-फसली से दो-फसली में बदल सकें। ग्रामीणों की यह बहुप्रतीक्षित मांग वर्ष 2020-21 में पूरी हुई, जब महात्मा गांधी नरेगा से 14 लाख 66 हजार रूपए की लागत के महीडबरा जलाशय से मुख्य नहर विस्तारीकरण एवं दो माइनर नहरों के निर्माण का कार्य स्वीकृत हुआ। तकनीकी तौर पर भी यह काम अच्छे से हो सके, इसके लिए जल संसाधन विभाग को क्रियान्वयन एजेंसी बनाया गया।

फरवरी-2021 में नहर निर्माण का काम शुरू हुआ। स्थानीय किसानों में इसके प्रति उत्साह इस कदर था कि नहर विस्तारीकरण में जहां-जहां शासकीय जगह की कमी हुई, वहां-वहां संबंधित किसानों ने अपनी निजी जमीन का कुछ हिस्सा स्वेच्छा से दे दिया। इस काम में 1455 मनरेगा श्रमिकों को 6403 मानव दिवस का सीधा रोजगार मिला। इसके एवज में उन्हें 12 लाख 21 हजार रूपए का मजदूरी भुगतान किया गया। कार्य की अच्छी गुणवत्ता के लिए जरूरत के मुताबिक दो लाख 39 हजार रूपए सामग्री मद में भी व्यय किया गया।

मनरेगा श्रमिकों ने लगातार 12 सप्ताह तक काम कर 1800 मीटर लंबी मुख्य नहर विस्तारीकरण एवं माइनर नहरों का निर्माण कार्य पूरा किया। इस साल मई में नहर के तैयार हो जाने के बाद महीडबरा जलाशय से पानी छोड़ा गया, जो 80 किसानों के करीब 75 हेक्टेयर रकबे में पहुंचा। रबी सीजन में पहली बार अपने खेतों तक पानी पहुंचता देख किसान काफी खुश हुए। सिंचाई का साधन नहीं होने से जो किसान अब तक केवल वर्षा आधारित खरीफ की फसलें ले पाते थे, वे अब रबी की फसलें भी ले सकेंगे। इससे उनकी खुशहाली और समृद्धि का रास्ता भी खुलेगा।


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एक नजरः-
कार्य का नाम- महीडबरा जलाशय के मुख्य नहर विस्तारीकरण एवं 02 नग माईनर नहर निर्माण कार्य,
क्रियान्वयन एजेंसी- जल संसाधन विभाग, संभाग-कवर्धा,
ग्राम पंचायत- मडीडबरा, विकासखण्ड- पंडरिया, जिला- कबीरधाम, कार्य का कोड- 3302/IC/1111336971,
स्वीकृत वर्ष- 2020-21, स्वीकृत राशि- रुपए 14.66 लाख, सृजित मानव दिवस- 6403,
नियोजित श्रमिकों की संख्या- 1455, मजदूरी भुगतान- रुपए 12.21 लाख, सामग्री भुगतान- रुपए 2.39 लाख,
कुल व्यय राशि- रुपए 14.60 लाख, जी.पी.एस. लोकेशन- 22°40'72.97" N 81°28'32.18"E, पिनकोड- 491559
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रिपोर्टिंग व लेखन - श्री विनीत दास, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत-कबीरधाम, छत्तीसगढ़।
विशेष सहयोग - श्री बाबूलाल मेहरा, कार्यक्रम अधिकारी, जनपद पंचायत-पंडरिया, जिला-कबीरधाम, छत्तीसगढ़।
पुनर्लेखन - श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
संपादन - श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क संचालनालय, रापपुर, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग - श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।

Wednesday, 10 February 2021

खाली खेतों में उम्मीदों के नए अंकुर

महात्मा गांधी नरेगा ने 34 एकड़ रकबे के एक फसली से द्विफसली खेतों में बदला.
आदिवासी किसानों के खेतों में पहली बार लहलहाई गेहूँ की फसल.


रायपुर, 10 फरवरी 2021/ आदिवासी किसान श्री छोटे लाल, श्री तुलसी दास और श्री रमाशंकर अपने जीवन में एक चमत्कार देख रहे हैं। कोरिया जिला मुख्यालय से 105 किलोमीटर दूर देवगढ़ गाँव में अभी जब वे अपने खेतों की ओर देखते हैं, तो वहाँ लहलहाती गेहूँ की फसल उनकी आँखों में खुशी के आँसू ला देती है। बस, कुछ समय का इंतजार है और वे पहली बार अपने ही खेत में उपजाए गेहूँ के आटे से बनी रोटी खा सकेंगे, और फसल बेचकर अतिरिक्त कमाई कर सकेंगे। ये वही जमीनें हैं जिन्हें कई वर्षों से वे खरीफ की फसल के बाद उसके हाल पर ही छोड़ देते थे, क्योंकि पानी के बिना इनमें एक अंकुर भी नहीं फूटता था। इन किसानों ने सपने में भी यह नहीं सोचा था कि उनकी जमीन पर कभी रबी की फसलें भी लहलहाएंगी।

कोरिया जिले के वनांचल भरतपुर विकासखण्ड के बैगा आदिवासी बाहुल्य देवगढ़ में केवल ये तीन किसान ही नहीं हैं, जिनके खेतों में अभी हरियाली नजर आ रही है। पचनी नाला पर महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी अधिनियम) से बने स्टॉपडेम से नाला के दोनों पार के गांवों देवगढ़ और जनुआ के दस किसानों की 34 एकड़ भूमि पर सिंचाई हो रही है। इस स्टॉपडेम से जनुआ के सात किसानों सर्वश्री दिनेश सिंह, बलीचरण सिंह, रामदास सिंह, प्रफुल्ल सिंह, भगवान दास, बुद्धु सिंह एवं श्रीमती खेलमती की कुल 15 एकड़ तथा देवगढ़ के तीन किसानों सर्वश्री छोटे लाल, तुलसी दास व रमाशंकर के कुल 19 एकड़ रकबे को रबी के मौसम में सिंचाई के लिए पानी मिल रहा है।

खरीफ मौसम में धान की फसल के बाद खाली पड़े रहने वाले खेतों में दूसरी फसल के लिए सिंचाई की व्यवस्था की कवायद करीब चार साल पहले शुरु हुई थी। देवगढ़ के बाहरी छोर से होकर बहने वाले पचनी नाले में बरसात के बाद पानी का बहाव कम होने लगता था। गर्मियों में तो काफी कम हो जाता था। ऐसे में आसपास के खेत असिंचित होकर अनुपयोगी रह जाते थे। किसानों को रबी फसलों के लिए पानी देने के लिए ग्राम पंचायत ने पचनी नाला पर स्टॉपडेम बनाने का निर्णय लिया। स्टॉपडेम के लिए ऐसे स्थान का चयन किया गया, जिससे देवगढ़ के साथ ही जनुआ के किसानों को भी पानी मिल सके।

देवगढ़ के सरपंच श्री लाल साय बताते हैं कि पचनी नाला का उद्गम ग्राम पंचायत नोढ़िया में है। यह गाँव से बहते हुए अंत में बनास नदी में जाकर मिल जाता है। इस नाले पर स्टॉपडेम बनाने के लिए महात्मा गांधी नरेगा से तीन वर्ष पहले 19 लाख 61 हजार रुपए मिले थे। गांव के 62 महात्मा गांधी नरेगा जॉब-कॉर्डधारी परिवारों ने मिलकर इसका निर्माण पूरा किया। इस दौरान ग्रामीणों को 3030 मानव दिवस का सीधा रोजगार मिला। स्टॉपडेम से अपने खेतों की सिंचाई करने वाले देवगढ़ के किसान श्री छोटे लाल, श्री तुलसी दास और श्री रमाशंकर कहते हैं कि अब पचनी नाला का पूरा उपयोग हो रहा है। पहले बारिश का पानी नाला से यूं ही बह जाता था। स्टॉपडेम के बन जाने से नीचे के खेतों में भी नमी बनी रहती है। वहां रुके पानी से हमारे खेत जीवंत हो उठे हैं।
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क नजरः-

कार्य का नाम- स्टॉप डेम निर्माण, ग्रा.पं.- देवगढ़, विकासखण्ड- भरतपुर, जिला- कोरिया,

कार्य का कोड- 3306005013/WC/1111332293, स्वीकृत वर्ष- 2017-18, स्वीकृत राशि- रुपए 19.61 लाख,
सृजित मानव दिवस- 3030, जी.पी.एस. लोकेशन- 23°46'46.1"N 81°36'38.8"E, पिनकोड- 497778   

लाभान्वित किसान और उनकी सिंचित भूमि-

(अ) ग्राम पंचायत- देवगढ़ में 3 किसानों की 19 एकड़ कृषि भूमि
1. श्री छोटे लाल    -           8 एकड़,
2. श्री तुलसी दास   -           6 एकड़,
3. श्री रमाशंकर      -           5 एकड़.
(ब) ग्राम पंचायत- जनुआ में 7 किसानों की 15 एकड़ कृषि भूमि
1. श्री दिनेश सिंह   -           4 एकड़,
2. श्री बलीचरण सिंह-         3 एकड़,
3. श्री रामदास सिंह -           1 एकड़,
4. श्रीमती खेलमति -           1 एकड़,
5. श्री प्रफुल सिंह   -           4 एकड़,
6. श्री भगवानदास  -           1 एकड़,
7. श्री बुद्धु सिंह      -           1 एकड़. 
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रिपोर्टिंग व लेखन - श्री रुद्र मिश्रा, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत-कोरिया, छत्तीसगढ़, मो.-9424259026
तथ्य एवं स्त्रोत-
1.       श्री नरेन्द्र कंवर, तकनीकी सहायक, वि.ख.-भरतपुर, जिला-कोरिया, छ.ग., मो.-9691022830
2.       श्रीमती प्रतिमा, ग्राम रोजगार सहायक, ग्रा.पं.-देवगढ़, वि.ख.-भरतपुर, जिला-कोरिया, छत्तीसगढ़।
पुनर्लेखन व संपादन- श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
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महात्मा गांधी नरेगा से बने कुएं ने दिखाई कर्ज मुक्ति की राह

कुएं ने धान की पैदावार तो बढ़ाई ही, आजीविका का नया जरिया भी दिया. ईंट निर्माण से तीन सालों में साढ़े तीन लाख की कमाई. स्टोरी/रायपुर/बीजापुर/...