Wednesday, 10 February 2021

खाली खेतों में उम्मीदों के नए अंकुर

महात्मा गांधी नरेगा ने 34 एकड़ रकबे के एक फसली से द्विफसली खेतों में बदला.
आदिवासी किसानों के खेतों में पहली बार लहलहाई गेहूँ की फसल.


रायपुर, 10 फरवरी 2021/ आदिवासी किसान श्री छोटे लाल, श्री तुलसी दास और श्री रमाशंकर अपने जीवन में एक चमत्कार देख रहे हैं। कोरिया जिला मुख्यालय से 105 किलोमीटर दूर देवगढ़ गाँव में अभी जब वे अपने खेतों की ओर देखते हैं, तो वहाँ लहलहाती गेहूँ की फसल उनकी आँखों में खुशी के आँसू ला देती है। बस, कुछ समय का इंतजार है और वे पहली बार अपने ही खेत में उपजाए गेहूँ के आटे से बनी रोटी खा सकेंगे, और फसल बेचकर अतिरिक्त कमाई कर सकेंगे। ये वही जमीनें हैं जिन्हें कई वर्षों से वे खरीफ की फसल के बाद उसके हाल पर ही छोड़ देते थे, क्योंकि पानी के बिना इनमें एक अंकुर भी नहीं फूटता था। इन किसानों ने सपने में भी यह नहीं सोचा था कि उनकी जमीन पर कभी रबी की फसलें भी लहलहाएंगी।

कोरिया जिले के वनांचल भरतपुर विकासखण्ड के बैगा आदिवासी बाहुल्य देवगढ़ में केवल ये तीन किसान ही नहीं हैं, जिनके खेतों में अभी हरियाली नजर आ रही है। पचनी नाला पर महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी अधिनियम) से बने स्टॉपडेम से नाला के दोनों पार के गांवों देवगढ़ और जनुआ के दस किसानों की 34 एकड़ भूमि पर सिंचाई हो रही है। इस स्टॉपडेम से जनुआ के सात किसानों सर्वश्री दिनेश सिंह, बलीचरण सिंह, रामदास सिंह, प्रफुल्ल सिंह, भगवान दास, बुद्धु सिंह एवं श्रीमती खेलमती की कुल 15 एकड़ तथा देवगढ़ के तीन किसानों सर्वश्री छोटे लाल, तुलसी दास व रमाशंकर के कुल 19 एकड़ रकबे को रबी के मौसम में सिंचाई के लिए पानी मिल रहा है।

खरीफ मौसम में धान की फसल के बाद खाली पड़े रहने वाले खेतों में दूसरी फसल के लिए सिंचाई की व्यवस्था की कवायद करीब चार साल पहले शुरु हुई थी। देवगढ़ के बाहरी छोर से होकर बहने वाले पचनी नाले में बरसात के बाद पानी का बहाव कम होने लगता था। गर्मियों में तो काफी कम हो जाता था। ऐसे में आसपास के खेत असिंचित होकर अनुपयोगी रह जाते थे। किसानों को रबी फसलों के लिए पानी देने के लिए ग्राम पंचायत ने पचनी नाला पर स्टॉपडेम बनाने का निर्णय लिया। स्टॉपडेम के लिए ऐसे स्थान का चयन किया गया, जिससे देवगढ़ के साथ ही जनुआ के किसानों को भी पानी मिल सके।

देवगढ़ के सरपंच श्री लाल साय बताते हैं कि पचनी नाला का उद्गम ग्राम पंचायत नोढ़िया में है। यह गाँव से बहते हुए अंत में बनास नदी में जाकर मिल जाता है। इस नाले पर स्टॉपडेम बनाने के लिए महात्मा गांधी नरेगा से तीन वर्ष पहले 19 लाख 61 हजार रुपए मिले थे। गांव के 62 महात्मा गांधी नरेगा जॉब-कॉर्डधारी परिवारों ने मिलकर इसका निर्माण पूरा किया। इस दौरान ग्रामीणों को 3030 मानव दिवस का सीधा रोजगार मिला। स्टॉपडेम से अपने खेतों की सिंचाई करने वाले देवगढ़ के किसान श्री छोटे लाल, श्री तुलसी दास और श्री रमाशंकर कहते हैं कि अब पचनी नाला का पूरा उपयोग हो रहा है। पहले बारिश का पानी नाला से यूं ही बह जाता था। स्टॉपडेम के बन जाने से नीचे के खेतों में भी नमी बनी रहती है। वहां रुके पानी से हमारे खेत जीवंत हो उठे हैं।
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क नजरः-

कार्य का नाम- स्टॉप डेम निर्माण, ग्रा.पं.- देवगढ़, विकासखण्ड- भरतपुर, जिला- कोरिया,

कार्य का कोड- 3306005013/WC/1111332293, स्वीकृत वर्ष- 2017-18, स्वीकृत राशि- रुपए 19.61 लाख,
सृजित मानव दिवस- 3030, जी.पी.एस. लोकेशन- 23°46'46.1"N 81°36'38.8"E, पिनकोड- 497778   

लाभान्वित किसान और उनकी सिंचित भूमि-

(अ) ग्राम पंचायत- देवगढ़ में 3 किसानों की 19 एकड़ कृषि भूमि
1. श्री छोटे लाल    -           8 एकड़,
2. श्री तुलसी दास   -           6 एकड़,
3. श्री रमाशंकर      -           5 एकड़.
(ब) ग्राम पंचायत- जनुआ में 7 किसानों की 15 एकड़ कृषि भूमि
1. श्री दिनेश सिंह   -           4 एकड़,
2. श्री बलीचरण सिंह-         3 एकड़,
3. श्री रामदास सिंह -           1 एकड़,
4. श्रीमती खेलमति -           1 एकड़,
5. श्री प्रफुल सिंह   -           4 एकड़,
6. श्री भगवानदास  -           1 एकड़,
7. श्री बुद्धु सिंह      -           1 एकड़. 
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रिपोर्टिंग व लेखन - श्री रुद्र मिश्रा, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत-कोरिया, छत्तीसगढ़, मो.-9424259026
तथ्य एवं स्त्रोत-
1.       श्री नरेन्द्र कंवर, तकनीकी सहायक, वि.ख.-भरतपुर, जिला-कोरिया, छ.ग., मो.-9691022830
2.       श्रीमती प्रतिमा, ग्राम रोजगार सहायक, ग्रा.पं.-देवगढ़, वि.ख.-भरतपुर, जिला-कोरिया, छत्तीसगढ़।
पुनर्लेखन व संपादन- श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
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