संग्रहण केन्द्र में बने पक्के चबूतरे धान को बचा रहे हैं “नमी, बारिश और चूहों से”.
महात्मा गांधी नरेगा अभिसरण से बनाए गए हैं पक्के चबूतरे.
रायपुर, 21 जनवरी 2021. इस साल कोरिया जिले के दूरस्थ विकासखण्ड भरतपुर के गाँव कंजिया में सरकार द्वारा समर्थन मूल्य में उपार्जित धान की सुरक्षा को लेकर ग्राम पंचायत के पदाधिकारियों और सहकारी समिति के प्रबंधकों के माथे पर चिंता की लकीरें नहीं हैं। वहीं दूसरी ओर यहाँ अपना धान बेच चुके किसान भी अब पूरी तरह से निश्चिंत हैं कि स्थानीय सहकारी समिति द्वारा खरीदा गया उनका धान बे-मौसम होने वाली बारिश, नमी और चूहों व कीड़ों के प्रकोप से उनके द्वारा उपार्जित धान सुरक्षित है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महात्मा गांधी नरेगा) के अभिसरण तथा ग्राम पंचायत और सहकारी समिति के संयुक्त प्रयास से यह संभव हो सका है। महात्मा गांधी नरेगा से स्वीकृत सात लाख 38 हजार रूपए और 14वें वित्त आयोग के 50 हजार रूपए के अभिसरण से कंजिया धान संग्रहण केंद्र में चार पक्के चबूतरों का निर्माण किया गया है। स्थानीय पंचायत एवं सहकारी समिति को इससे जहां धान को सुरक्षित रखने में सहजता हो रही है, वहीं किसान भी अब खुश हैं। वनांचल भरतपुर की ग्राम पंचायत कंजिया की सरपंच श्रीमती विपुलता सिंह कहती हैं कि संग्रहण केन्द्र में चबूतरों के निर्माण से धान को सुरक्षित रखने में बड़ी मदद मिल रही है। इनके निर्माण के कुछ ही महीनों में उपार्जित धान के सुरक्षित रखरखाव से पक्के चबूतरों की उपयोगिता और सार्थकता दिख रही है। कंजिया में 18 जनवरी 2021 तक किसानों से उपार्जित 15 हजार 106 क्विंटल धान आ चुका है, जिसे इन चबूतरों के ऊपर सुरक्षित रखा गया है।

ग्राम पंचायत स्थित सहकारी समिति, जो कि आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित गढ़वार (कंजिया) के नाम से पंजीकृत है, वहाँ के सहायक प्रबंधक श्री विक्रम सिंह के अनुसार इस सहकारी समिति से आस-पास के 30 गाँव जुड़े हुए थे। इस साल एक और उपकेन्द्र कुंवारपुर में खुल जाने से कंजिया में लगभग 21 हजार क्विंटल धान की खरीदी का अनुमान है। उन्होंने बताया कि पूर्व के वर्षों में यहाँ सुरक्षित भंडारण की सुविधा नहीं होने से उठाव होने तक हर साल लगभग 150 से 200 क्विंटल धान खराब हो जाता था। इसका सीधा नुकसान सहकारी साख समिति प्रबंधन और समिति से जुड़े किसानों को होता था। परंतु अब अब पक्के चबूतरों के बन जाने से यह समस्या लगभग समाप्त हो गई है।
श्री सिंह ने आगे बताया कि अभी नए साल की शुरुआत में ही बे-मौसम बारिश हुई थी, परंतु इस बार धान को सुरक्षित रखने में कोई परेशानी नहीं हुई। धान संग्रहण चबूतरों के बन जाने से अब किसानों के द्वारा दिन-रात की मेहनत से उपजाई गई पूँजी 'धान' को ज्यादा अच्छे से रखा जा रहा है।
यहाँ चबूतरे के निर्माण से सहकारी समिति कंजिया से जुड़े गाँव के किसान श्री संतोष कुमार और श्री रामलाल सहित कुल 49 मनरेगा श्रमिकों को 393 मानव दिवस का सीधा रोजगार भी प्राप्त हुआ। ग्राम रोजगार सहायक श्री पुरुषोत्तम सिंह बताते हैं कि संग्रहण केन्द्र में चार नग चबूतरों के निर्माण से जहाँ पंचायत एवं समिति को अपने कार्य-उत्तरदायित्वों के निर्वहन में सहजता हो रही है।
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एक नजरः-
कार्य का नाम- धान संग्रहण केन्द्र चबूतरा निर्माण कार्य, निर्मित
चबूतरों की संख्या- 4
ग्रा.पं.- कंजिया, विकासखण्ड- भरतपुर, जिला- कोरिया, पिनकोड- 497778
स्वीकृत वर्ष- 2020-21, कार्य प्रारंभ तिथि- 15/06/2020, कार्य स्थिति- पूर्ण
स्वीकृत राशि- रुपए 7.88 लाख(महात्मा गांधी नरेगा- 7.38 लाख एवं 14वाँ वित्त आयोग- 50
हजार),
रोजगार प्राप्त श्रमिकों की संख्या- 49, सृजित मानव दिवस- 393, मजदूरी पर व्यय- 74,670.00
धान संग्रहण केन्द्र में पंजीकृत किसानों की
संख्या- 385, कार्य का
जी.पी.एस. लोकेशन- 23°41'15.9"N
81°41'18.8"E
कार्य का कोड- 3306005027/AV/1111377944 एवं 3306005027/AV/1111387491
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रिपोर्टिंग व लेखन - श्री रुद्र मिश्रा, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत-कोरिया,
छत्तीसगढ़, मो.-9424259026
तथ्य एवं स्त्रोत-
1. श्री आरिफ रजा, सहायक परियोजना अधिकारी, जिला पंचायत-कोरिया,
जिला-कोरिया, छत्तीसगढ़
2. श्री पुरुषोत्तम सिंह, ग्राम रोजगार सहायक,
ग्रा.पं.-कंजिया, वि.ख.-भरतपुर, जिला-कोरिया, छ.ग., मो.-7722853989
पुनर्लेखन व संपादन- श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य
कार्यालय, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
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