0 महात्मा गांधी नरेगा और वन विभाग के अभिसरण से मसनिया पहाड़ पर लगाए गए थे 25 हजार पौधे.
0 भालूओं के लिए पहाड़ पर ही खाने और पानी की व्यवस्था, ग्रामीणों की सोच से मानव-भालू द्वंद्व खत्म.
रायपुर। प्राकृतिक संसाधनों, पारिस्थितिक तंत्र और जल, जंगल व जमीन को सहेजने में महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) किस तरह महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, यह देखना हो तो मसनिया पहाड़ पर उगाए गए पेड़ों के बीच खेलते-कूदते भालूओं के आनंददायक दृश्य का साक्षात्कार करना चाहिए। महात्मा गांधी नरेगा और वन विभाग की योजनाओं के अभिसरण से वहां न केवल पहाड़ को वृक्षों से आच्छादित किया गया है, बल्कि जल संरक्षण के लिए कई चेकडेम भी बनाए गए हैं। मानव और वन्य प्राणी के सह-अस्तित्व को मानवीय प्रयासों से मजबूत करने का नायाब उदाहरण है मसनिया पहाड़ और इसके आसपास के क्षेत्र में महात्मा गांधी नरेगा और वन विभाग से हुए काम।

जांजगीर-चांपा जिले के सक्ती विकासखंड के मसनियां कला और मसनियाखुर्द गांव से लगे मसनिया पहाड़ पर कुछ साल पहले तक हरियाली का नामो-निशान तक नहीं था। पेड़-पौधों से वीरान इस पहाड़ी पर खाने-पीने की कमी हुई तो भालू एवं अन्य वन्य प्राणी गांव की तरफ खिंचे चले आए। नतीजतन भालू और ग्रामीण बार-बार आमने-सामने होने लगे, जिससे कभी भालू तो कभी ग्रामीण घायल हुए। भूख के कारण भालू फसलों को भी नुकसान पहुंचाने लगे। इससे ग्रामीणों में भय व्याप्त रहने लगा और वे इस समस्या से निजात पाने का रास्ता तलाशने लगे।

गांववालों ने आपस में चर्चा कर भालूओं को पहाड़ एवं जंगल में ही संरक्षित करने की योजना बनाई। मसनियां कला ग्राम पंचायत और उसके आश्रित गांव मसनियाखुर्द में ऐसे पौधे लगाने पर विचार किया गया, जिससे कि भालूओं को जंगल में ही खाने को मिल जाए और वे गांव की तरफ न आए। इसके लिए महात्मा गांधी नरेगा और वन विभाग की योजनाओं के अभिसरण से पहाड़ पर वृक्षारोपण करने का उपाय खोजा गया। वर्ष 2017-18 में अगले पांच वर्षों के लिए योजना तैयार कर इसे अमलीजामा पहनाया गया। लगभग 25 एकड़ जमीन पर मिश्रित पौधों का रोपण किया गया, जिसमें सागौन, डूमर, खम्हार, जामुन, आम, बांस, सीसम, अर्जुन, केसियासेमिया और बेर के 25 हजार पौधे शामिल थे।
इस काम के लिए महात्मा गांधी नरेगा से 29 लाख 38 हजार रूपए स्वीकृत होने के बाद श्रमिकों ने अपनी सहभागिता निभाते हुए उज्जड़, वीरान व दुर्गम मसनिया पहाड़ी पर पौधे रोपने का काम शुरू किया। यह काम मुश्किल था क्योंकि पौधरोपण के बाद पानी की कमी के चलते पौधे अधिक समय तक जिंदा नहीं रह पाते। पानी की समस्या को दूर करने महात्मा गांधी नरेगा और वन विभाग के अभिसरण से भू-जल संरक्षण के लिए करीब दस लाख रूपए स्वीकृत किए गए। इस राशि से ब्रशवुड चेकडेम, गाडकर चेकडेम, बोल्डर चेकडेम और कंटूर ट्रेंच का निर्माण किया गया। श्रमिकों ने कड़ी मेहनत से लगातार पानी देकर व फेंसिंग कर पौधों को सुरक्षित रखा।

अच्छी देखभाल से पौधे दो साल में ही वृक्ष की तरह लहलहाने लगे। मजदूरों ने कांवर एवं डीजल पंप के माध्यम से इन पौधों की सिंचाई की। पौधों की सुरक्षा के लिए सीमेंट पोल चैनलिंक से 716 मीटर फेंसिंग की गई। पांच सालों की इस कार्ययोजना में पहले साल वृक्षारोपण और उसके बाद के वर्षों में पौधों के संधारण एवं सुरक्षा कार्य में अब तक सीधे कुल 7851 मानव दिवस रोजगार का सृजन भी हुआ है। इसके लिए श्रमिकों को करीब 14 लाख रूपए का मजदूरी भुगतान किया गया है। वहां महात्मा गांधी नरेगा अभिसरण से ही निर्मित ब्रशवुड चेकडेम, गाडकर चेकडेम, बोल्डर चेकडेम व कंटूर ट्रेंच से पौधों को भरपूर पानी मिलने से उनकी अच्छी बढ़ोतरी हुई। अभी 10 से 12 फीट तक के पेड़ वहां नजर आने लगे हैं। भू-जल संरक्षण से अब भालूओं को पहाड़ी पर ही पानी भी मिलने लगा है।
जामवंत परियोजना से भालू रहवास एवं चारागाह विकास
राज्य कैम्पा मद से जामवंत परियोजना के तहत क्षेत्र को विकसित करने के लिए पिछले वित्तीय वर्ष में 48 लाख रूपए स्वीकृत किए गए। इस राशि से वहां जलस्रोत के विकास के लिए तालाब एवं डबरी बनाया गया है। भालू रहवास एवं चारागाह विकास के लिए छायादार व फलदार प्रजाति के 13 हजार 200 पौधे रोपे गए हैं। इनमें बेर, जामुन, छोटा करोंदा, बेल, गूलर, बरगद, पीपल, सतावर, केवकंद, जंगली हल्दी और शकरकंद के पौधे शामिल हैं। भालूओं को दीमक अति प्रिय है, इसलिए क्षेत्र में दीमक सिफ्टिंग (भालू के लिए उपयोगी) को भी यहां स्थापित किया गया है। वनमंडलाधिकारी श्रीमती प्रेमलता यादव कहती हैं कि जल, जंगल और जमीन को बचाने से ही प्रकृति का संतुलन बना हुआ है। महात्मा गांधी नरेगा और वन विभाग के तालमेल से मसनिया कला पहाड़ी में इस दिशा में अहम काम हुआ है। पहाड़ पर वृक्षारोपण और जल संग्रहण से वन्य प्राणी खासकर भालू स्वयं को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
मानव-भालू द्वंद्व के बजाय सह-अस्तित्व
मसनियां कला के सरपंच श्री संजय कुमार पटेल बताते हैं कि पौधरोपण के बाद से इस क्षेत्र की रंगत बदल गई है। महात्मा गांधी नरेगा तथा वन विभाग के संयुक्त प्रयासों से मानव व भालू के बीच द्वंद्व अब समाप्त हो गया है और वे सह-अस्तित्व की भावना से एक-दूसरे को नुकसान पहुंचाए बिना साथ मिलकर रहवास कर रहे हैं। फलदार और छायादार पेड़ों ने पहाड़ को न केवल हरियाली की चादर ओढ़ाई है, बल्कि भालूओं को भी संरक्षण प्रदान किया है। भालूओं को किसी से, किसी तरह का कोई नुकसान न हो, इसके लिए गांव में “भालू मित्र दल” का गठन किया गया है।
इस दल की सदस्या श्रीमती भगवती पटेल बताती हैं कि गांव में भालूओं का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन इससे किसी को किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होती। मसनिया पहाड़ के नीचे पेड़ों के पास भालू अक्सर दिख जाते हैं।
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एक नजर- कार्य का नाम- मिश्रित वृक्षारोपण,
क्षेत्रफल- 25 एकड़,
कार्य प्रारंभ तिथि- 20.7.2017
पौधों की संख्या- 25,000 (महात्मा गांधी नरेगा) एवं 13,200 (वन विभाग-राज्य कैम्पा मद)
ग्राम-मसनियाखुर्द,
ग्रा.पं.- मसनियां कला,
विकासखण्ड- सक्ति,
जिला-जाँजगीर चाम्पा,
दूरी- जिला मुख्यालय से 54 कि.मी. एवं विकासखण्ड मुख्यालय से 10 कि.मी.
स्वीकृत राशि- 39.28 लाख (महात्मा गांधी नरेगा से पौधरोपण व जल-संरक्षण व संचय कार्य हेतु) एवं 48 लाख (वन विभाग),
स्वीकृत वर्ष- 2017-18,
परियोजना अवधि- 5 वर्ष,
सृजित मानव दिवस- 7851(अक्टूबर, 2020-21 तक),
जी.पी.एस. लोकेशन- Latitude: 22.070641 एवं Longitude: 83.004816
महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत रोपे पौधों की प्रजाति व संख्या- सागौन के 8015, डूमर के 2975, खम्हार के 1815, जामुन के 2445, आम के 2075, बांस के 1425, सीसम के 1245, अर्जुन के 1275, केसियासेमिया के तीन हजार तथा बेर के 730 पौधों को मिलाकर, कुल 25 हजार पौधे रोपे गए।
वर्षवार सृजित मानव दिवस-
क्रं.
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वर्ष
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गतिविधि
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सृजित मानव दिवस
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1.
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2017-18
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पौधरोपण
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4451
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2.
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2018-19
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पौध संधारण
|
685
|
3.
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2019-20
|
पौध संधारण
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1748
|
4.
|
2020-21
|
पौध संधारण
|
967
|
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रिपोर्टिंग एवं लेखन - श्री देवेन्द्र यादव, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत- जाँजगीर चाम्पा, छत्तीसगढ़।
तथ्य एवं स्त्रोत- 1. श्री एम.आर.साहू, वन परिक्षेत्र अधिकारी, वन मण्डल-सक्ति, जिला- जाँजगीर चाम्पा, छत्तीसगढ़।
2. श्री अमर सिंह सिदार, उपवन परिक्षेत्र अधिकारी, वन मण्डल-सक्ति, जिला- जाँजगीर चाम्पा, छत्तीसगढ़।
3. श्री अमर सिंह सिदार, पूर्व सरपंच, ग्राम पंचायत- मसनियां कला, वि.ख.-सक्ति, जिला- जाँजगीर चाम्पा, छत्तीसगढ़।
4. सुश्री आकांक्षा सिन्हा, कार्यक्रम अधिकारी, वि.ख.-सक्ति, जिला-जाँजगीर चाम्पा, छत्तीसगढ़।
संपादन- 1. श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़ एवं 2. श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क अधिकारी, जनसम्पर्क संचालनालय, नवा रायपुर अटल नगर, रायपुर, छत्तीसगढ़।
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