Wednesday, 7 October 2020

हरियाली ने दिलाई जोरण्डाझरिया को विकास के नक्शे में इन्ट्री

 दर्जनभर आदिवासी मनरेगा श्रमिकों को मिला अतिरिक्त आय का साधन

रायपुर। भौगोलिक नक्शे में भले ही जशपुर जिले का जोरण्डाझऱिया गाँव का नाम छोटे अक्षरों में दर्ज किया जाता हो, लेकिन हरियाली से रोजगार के मुद्दे पर यह गाँव जल्द ही विकास के नक्शे में उभर कर सामने आने वाला है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस गाँव की सफलता की कहानी में गाँव में टसर खाद्य पौधरोपण एवं कोसाफल उत्पादन से आदिवासी परिवारों को रोजगार देने का कार्य हो रहा है। करीब एक दशक पहले इस गाँव में रेशम विभाग ने विभागीय मद से 50 हेक्टेयर क्षेत्र में 2 लाख 5 हजार अर्जुन पौधे टसर खाद्य पौधरोपण के अंतर्गत रोपे थे, जिसे 2012-13 में अतिरिक्त 9 हेक्टेयर क्षेत्र में विस्तारित किया गया। विस्तार कार्यक्रम के अंतर्गत यहाँ लगभग 11 लाख 36 हजार रुपयों की लागत से अतिरिक्त 36 हजार 900 अर्जुन पौधों का रोपण महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महात्मा गांधी नरेगा) से किया गया। वक्त बदलने के साथ-साथ इस परियोजना ने एक नया मोड़ लिया। आज ये पौधे 7 से 10 फुट के पेड़ बन चुके हैं। यहाँ 12 मनरेगा श्रमिकों के द्वारा रेशम विभाग से प्रशिक्षण प्राप्त कर, एक प्रशिक्षित कीटपालक समूह के रुप में टसर कोकून का उत्पादन कर अतिरिक्त आय प्राप्त की जा रही है। पिछले चार सालों में इन्हें कोसाफल उत्पादन से लगभग पौने तीन लाख रुपये से अधिक की आमदनी हुई है। वे अब इसे सहायक रोजगार के रुप में अपनाकर खुश हैं।

जशपुर जिला मुख्यालय से 125 किलोमीटर दूर फरसाबहार विकासखण्ड में ग्राम पंचायत जोरण्डाझरिया है। यहाँ वर्ष 2009-10 में रेशम विभाग ने विभागीय मद से करीब 50 हेक्टेयर क्षेत्र में अर्जुन पौधरोपण की आधारशिला रखी थी, जिसे साल 2012-13 में महात्मा गांधी नरेगा से 9 हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र में विस्तारित किया गया। अब यहाँ लगभग 2 लाख 41 हजार अर्जुन के हरे-भरे पेड़ हरियाली बिखेर रहे हैं।

जिले के रेशम विभाग के सहायक संचालक श्री मनीष पवार बताते हैं कि इस गाँव में महात्मा गांधी नरेगा से कराये गए अर्जुन पौधरोपण नर्सरी और संधारण कार्य में 161 मनरेगा श्रमिकों को 7 हजार 183 मानव दिवस का सीधा रोजगार मिला है, जिसके लिए उन्हें कुल 9 लाख 48 हजार 196 रुपए का मजदूरी भुगतान किया गया है। इस दरम्यान लगभग 10 से 12 श्रमिकों के द्वारा कोसाफल उत्पादन से रोजगार के संबंध में अपनी रुचि दिखाई। इनकी रुचि और इच्छाशक्ति को देखते हुए विभाग ने इनका एक समूह बनाया और फिर इन्हें कुशल कीटपालन का प्रशिक्षण प्रदान किया गया। कृमिपालन के लिए टसर कीट के रोगमुक्त अण्डे भी निःशुल्क दिए गए।

श्री पवार आगे बताते हैं कि इस समूह के द्वारा वर्ष 2016-17 में पहली बार एक लाख 38 हजार 926 टसर कोकून का उत्पादन किया गया और उससे एक लाख 10 हजार 214 रुपये की आय अर्जित की गई। पहले महात्मा गांधी नरेगा से मजदूरी और उसके बाद कोसाफल उत्पादन के रुप में सहायक रोजगार ने समूह के सदस्यों को इस कार्य में उत्साही बना दिया है। समूह ने साल 2016-17 से 2019-20 तक कुल 2 लाख 75 हजार 454 कोसाफलों का उत्पादन कर दो लाख 87 हजार 848 रुपयों की आमदनी प्राप्त की। यह आय उन्हें मजदूरी के रुप में विभाग के द्वारा स्थापित कोकून बैंक के माध्यम से प्राप्त हुई।

जोरण्डाझरिया गाँव में हुए इस टसर पौधरोपण ने हरियाली से विकास की एक नई दास्तां लिख दी है। इसके साथ ही गाँव का 59 हेक्टेयर क्षेत्र संरक्षित होकर अब दूर से ही हरा-भरा नजर आता है।

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एक नजर-
कार्य का नाम- टसर खाद्य पौध रोपण नर्सरी कार्य, क्षेत्रफल- 9 हेक्टेयर, पौधों की संख्या- 36900, प्रजाति- अर्जुन,
ग्रा.पं.- जोरण्डाझरिया, विकासखण्ड- फरसाबहार, जिला- जशपुर,
स्वीकृत राशि- 11.589 लाख, स्वीकृत वर्ष- 2012-13, सृजित मानव दिवस- 7183, नियोजित श्रमिक- 161
कार्यावधि- 2 वर्ष

कोसाफल उत्पादन कार्य में लाभान्वित मनरेगा श्रमिकों के नाम- श्री शिवप्रसाद पिता श्री विच्छन, श्री पिताम्बर पिता श्री जगत, श्रीमती रमिला पति श्री तिलेश्वर, श्री निरंजन पिता श्री रविन्द्र, श्रीमती हबीरा पति श्री गोवर्धन, सुश्री राजकुमारी, श्री चिन्ता पिता श्री सुधराम, श्री उतियानन्द पिता श्री जयराम, श्री दिलेश्वर पिता कलिन्द्रो, श्री लक्ष्मण पिता श्री पुरन, श्री जयराम पिता श्री अघन एवं श्री नन्दकुमार पिता श्री रामचन्द्र
 
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रिपोर्टिंग-         श्री शशिकांत गुप्ता, सहायक परियोजना अधिकारी, जिला पंचायत- जशपुर, छत्तीसगढ़।

तथ्य एवं स्त्रोत- 1. श्री अश्विनी व्यास, शिकायत समन्वयक, जिला पंचायत- जशपुर, छत्तीसगढ़।

                        2. श्री ऋषि कुमार सिंह, फिल्ड ऑफिसर- सिंघीबहार, रेशम विभाग, विकासखण्ड-फरसाबहार, जिला-जशपुर, छ.ग.।

लेखन-            श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।

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