Monday, 26 October 2020

महात्मा गांधी नरेगा से समूह की आजीविका हुई समृद्ध

0 राधा स्व सहायता समूह को लाख उत्पादन से एक साल में दो लाख रुपए से अधिक की आय.
0 मनरेगा से 5 एकड़ भूमि पर सेमियालता पौधरोपण.
0 लाख उत्पादक किसानों के लिए लाख बीज की उपलब्धता हुई सहज.

रायपुर। प्रदेश में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से हुए नर्सरी कार्य और वृक्षारोपण से जहाँ पर्यावरण हरा-भरा हो रहा है, वहीं ग्रामीण आजीविका भी समृद्ध हो रही है। ऐसी ही समृद्धि हमें काँकेर जिले में जिला मुख्यालय से 46 किलोमीटर दूर बनौली गाँव में देखने को मिल रही है। यहाँ करीब दो साल पहले महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से सेमियालता के पौधे रोपे गए थे। रोपण के एक वर्ष बाद, इनमें लाख उत्पादन का कार्य शुरु कर राधा स्व सहायता समूह की महिलाओं ने लाख विक्रय से दो लाख से अधिक की कमाई कर ली है। वहीं कृषि विज्ञान केन्द्र, सिंगारभाठ के तकनीकी मार्गदर्शन से 'बिहन लाख' यानि की लाख-बीज का बैंक भी स्थापित कर लिया है। इस बीज-बैंक की सहायता से वे अब आस-पास के लाख उत्पादक किसानों को लाख उत्पादन के लिए बीज उपलब्ध करा रही हैं। इससे उन्हें अतिरिक्त आय भी हो रही है। 

बनौली गाँव उत्तर बस्तर काँकेर जिले के भानुप्रतापपुर विकासखण्ड के बांसकुण्ड ग्राम पंचायत का आश्रित गाँव है। यहाँ लगभग दो हेक्टयेर की शासकीय भूमि अनुपयोगी एवं खाली पड़ी थी। केवल कुसुम के पेड़ों की हरियाली ही यहाँ दिखाई देती थी। ग्राम पंचायत इस भूमि का उपयोग गाँव की महिलाओं की आजीविका की समृद्धि के लिए करना चाहती थी। इसके लिए पंचायत ने कृषि विज्ञान केन्द्र, सिंगारभाठ के वैज्ञानिकों से संपर्क किया। यहाँ केन्द्र में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महात्मा गांधी नरेगा) से सात लाख 7 हजार रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति से सेमियालता पौधरोपण एवं लाख उत्पादन की परियोजना पर कार्य तो चल ही रहा था। सो, पंचायत के अनुरोध पर कृषि विज्ञान केन्द्र ने बनौली गाँव में पाँच एकड़ की शासकीय भूमि में चार हजार सेमियालता पौधों का रोपण किया। इस कार्य में महात्मा गांधी नरेगा से दो लाख 68 हजार रुपए व्यय हुए। इसमें गाँव के 30 मनरेगा श्रमिकों को 710 मानव दिवस का सीधा रोजगार मिला था और मजदूरी के रुप में एक लाख 22 हजार 142 रुपए मिले थे। बनौली गाँव की यह खाली पड़ी भूमि अब सेमियालता और कुसुम के पेड़ों से आच्छादीत हो गई है।

वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रमुख डॉ. बीरबल साहू बताते हैं कि यहाँ अगस्त, 2018 में सेमियालता पौधों का रोपण वैज्ञानिक पद्धति से किया गया था। इसके लिए सभी पौधों को कतार से कतार में 2 मीटर और पौधे से पौधे में 1 मीटर की दूरी पर रोपा गया था, ताकि ये अच्छी वृद्धि पा सकें। पौधों के लिए पानी की व्यवस्था टपक सिंचाई यूनिट की स्थापना करके की गई। वर्तमान में इनकी लंबाई 6 से 7 फीट तक हो चुकी है। यहाँ लाख उत्पादन का कार्य राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एन.आर.एल.एम.) के अंतर्गत गठित राधा स्व सहायता समूह की महिलाएँ कर रही हैं। केन्द्र के द्वारा इन्हें इस संबंध में प्रशिक्षण भी दिया गया है और नियमित अंतराल पर मार्गदर्शन भी दिया जा रहा है।

वहीं समूह की सचिव श्रीमती कौशल्या मंडावी का कहना हैं कि समूह की महिलाओं के द्वारा जुलाई, 2019 में पौधों में बिहन लाख निवेशित (इनाकुलेशन) किया गया था, जिसके छः माह बाद करीब 2 क्विंटल लाख का उत्पादन प्राप्त हुआ। इस उत्पादन में से एक क्विंटल को समूह ने 350 रुपए प्रति कि.ग्रा. की दर से 35 हजार रुपए में बेचा और बचत 01 क्विंटल को जनवरी-फरवरी माह 2020 में कुसुम वृक्ष में बिहन लाख के रूप में उपयोग किया गया था, जिससे माह- जुलाई, 2020 में पुनः 8 क्विंटल लाख का उत्पादन प्राप्त हुआ। इसमें से फिर 6.45 क्विंटल को 270 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से विक्रय कर एक लाख 74 हजार 150 रूपये की आमदनी प्राप्त की गई तथा बचत 1.55 क्विंटल को पुनः सेमियालता पौधे में बिहन लाख के रूप में लगाया गया है, जिससे आगामी दिसम्बर माह, 2020 तक 7 से 8 क्विंटल लाख के उत्पादन होने की संभावना है।

इस प्रकार गांव की खाली पड़ी शासकीय भूमि में महात्मा गांधी नरेगा की सहायता से राधा स्व सहायता समूह की महिलाओं ने एक बार निवेशित किये गये लाख से पुनः सेमियालता एवं कुसुम के पेड़ों में वर्ष भर लाख उत्पादन के मॉडल को सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया है। पंचायत की पहल और कृषि विज्ञान केन्द्र के मार्गदर्शन से अब जहाँ समूह की महिलाओं के पास सालभर का रोजगार उपलब्ध है, वहीं लाख उत्पादक किसानों के लिए बिहन लाख की उपलब्धता भी सहज हो गई है।

-0-
एक नजर-
कार्य का नाम- सेमियालता पौध रोपण एवं लाख उत्पादन कार्य, क्षेत्रफल- 5 एकड़, पौधों की संख्या- 4000,
ग्राम-बनोली, ग्रा.पं.- बांसकुण्ड, विकासखण्ड- भानुप्रतापपुर, जिला- उत्तर बस्तर काँकेर,
स्वीकृत राशि- 7.7 लाख, स्वीकृत वर्ष- 2018-19, सृजित मानव दिवस- 710.
------------------------------------------------------
रिपोर्टिंग- श्री ऋषि जैन, शिकायत निवारण अधिकारी, जिला पंचायत- उत्तर बस्तर काँकेर, छत्तीसगढ़।
तथ्य एवं स्त्रोत- श्री अनिल पटेल, पंचायत सचिव, ग्रा.पं.-बांसकुण्ड, ज.पं.-भानुप्रतापपुर, जिला- उत्तर बस्तर काँकेर, छत्तीसगढ़।
लेखन- श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।

------------------------------------------------------
Pdf अथवा Word Copy डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें-

महात्मा गांधी नरेगा से बने कुएं ने दिखाई कर्ज मुक्ति की राह

कुएं ने धान की पैदावार तो बढ़ाई ही, आजीविका का नया जरिया भी दिया. ईंट निर्माण से तीन सालों में साढ़े तीन लाख की कमाई. स्टोरी/रायपुर/बीजापुर/...