महात्मा गांधी नरेगा फलोद्यान ने बदली किसानों की तकदीर, आम उत्पादक किसान के रुप में मिली नई पहचान
स्टोरी/रायपुर/दंतेवाड़ा/02 अगस्त, 2021. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (महात्मा गांधी नरेगा) से मिले संसाधनों और परस्पर सहकार की भावना ने दंतेवाड़ा के आठ किसानों की जिंदगी बदल दी है। दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय से लगे गीदम विकासखण्ड के कारली गाँव के आठ आदिवासी किसानों ने करीब दस हेक्टेयर भूमि में महात्मा गांधी नरेगा के माध्यम से आम के एक हजार पौधों लगाए थे। दस साल पहले रोपे गए ये पौधे अब 10 से 12 फीट के हरे-भरे फलदार पेड़ बन चुके हैं। पिछले छह वर्षों से ये किसान आम के पेड़ों के बीच अंतरवर्ती फसल के रुप में सब्जियों, दलहन-तिलहन एवं धान की उपज भी ले रहे हैं। आम की पैदावार के साथ अंतरवर्तीय खेती से उन्हें सालाना चार से पाँच लाख रुपयों की अतिरिक्त कमाई हो रही है। ये किसान अब अपने इलाके में आम उत्पादक कृषक के रुप में भी जाने-पहचाने लगे हैं।
दंतेवाड़ा कृषि विज्ञान केन्द्र और कारली गाँव के आदिवासी किसान श्री राजूराम कश्यप आम से खास बनने की इस कहानी के नायक हैं। श्री कश्यप के खेत की सीमा से गाँव के ही श्री छन्नू, श्री दसरी, श्री अर्जुल, श्री झुमरलाल, श्री पाली, श्री सुन्दरलाल और श्री पाओ की कृषि भूमि लगती है। इन आठों किसानों की कुल 16 हेक्टेयर जमीन में से दस हेक्टेयर सिंचाई के साधनों के अभाव में वर्षों से बंजर पड़ी थी। श्री राजूराम कश्यप की सबसे ज्यादा दो हेक्टेयर जमीन अनुपयोगी पड़ी थी। अपनी और साथी किसानों की इस समस्या को लेकर उन्होंने दंतेवाड़ा के कृषि विज्ञान केन्द्र में संपर्क किया। वैज्ञानिकों की सलाह पर उन्होंने साथी किसानों से चर्चा कर खाली पड़ी जमीन पर फलदार पौध लगाने की योजना पर काम शुरु किया।
किसानों की सहमति मिलने के बाद, कृषि विज्ञान केन्द्र ने वर्ष 2011-12 में महात्मा गांधी नरेगा के अंतर्गत नौ लाख 56 हजार रुपयों की प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त कर 25 एकड़ बंजर भूमि का फलोद्यान के रुप में विकसित करने का काम शुरु किया। वैज्ञानिक पद्धति से वहाँ एक हजार आम के पौधे रोपे गए, जिनमें 500 नग दशहरी और 500 नग बैगनफली प्रजाति के थे। प्रत्येक पौधों के बीच दस-दस मीटर की दूरी रखी गई, ताकि उनकी वृद्धि अच्छे से हो सके। समय-समय पर खाद का भी छिड़काव भी गया। परियोजना की सफलता के लिए यह जरुरी था कि फलोद्यान के संपूर्ण प्रक्षेत्र को सुरक्षित रखा जाए। इसके लिए 13वें वित्त आयोग की राशि के अभिसरण से 12 लाख 58 हजार रूपए की लागत से तार फेंसिग की गई एवं सिंचाई के लिए दो ट्यूबवेल भी खोदे गए। प्रक्षेत्र के आकार देखते हुए सिंचाई के साधनों की उपलब्धता एवं भू-जल स्तर बनाए रखने के लिए महात्मा गांधी नरेगा से आठ लाख 64 हजार रूपए की लागत से पांच कुंओं का भी निर्माण किया गया।
फलोद्यान के शुरूआती तीन सालों में पौधरोपण एवं संधारण के काम में भू-स्वामी आठ किसानों के साथ ही गांव के 45 अन्य परिवारों को भी सीधा रोजगार मिला। इस दौरान 3072 मानव दिवसों का रोजगार सृजन कर उन्हें पांच लाख आठ हजार रूपए का मजदूरी भुगतान किया गया। दस साल पहले रोपे गए इन पौधों से अब हर साल चार हजार किलोग्राम आम का उत्पादन हो रहा है। इनकी बिक्री से किसानों को सालाना लगभग दो लाख रूपए की आय हो रही है।
कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. नारायण साहू बताते हैं कि इस परियोजना में शामिल आठों किसानों को आम के उत्पादन और अंतरवर्ती खेती के बारे में गहन प्रशिक्षण दिया गया है। इनकी मेहनत व लगन तथा कृषि विज्ञान केन्द्र के सुझावों को गंभीरता से अमल में लाने के कारण अच्छी पैदावार और अच्छी कमाई हो रही है। वे बताते हैं कि वृक्षारोपण के दौरान प्रत्येक पौधे के बीच दस-दस मीटर की दूरी रखी गई थी, जिनके बीच इन्हें अंतरवर्ती फसलों की खेती का भी प्रशिक्षण दिया गया था। अभी ये किसान बगीचे में सात हेक्टेयर में धान तथा एक हेक्टेयर में दलहन, एक हेक्टेयर में तिलहन और एक हेक्टेयर में सब्जियों की पैदावार ले रहे हैं। अंतरवर्ती फसलों से वे हर साल लगभग दो लाख रूपए की अतिरिक्त कमाई कर रहे हैं।
-0-
एक नजरः-
ग्राम पंचायत- कारली, विकासखण्ड- गीदम, जिला- दंतेवाड़ा,
क्रियान्वयन एजेंसी- कृषि विज्ञान केन्द्र, दंतेवाड़ा, जी.पी.एस. लोकेशन- 18°56'20.0"N 81°20'56.9"E, पिनकोड- 494441
अ) महात्मा गांधी नरेगा से
1. कार्य का नाम- फलदार आम बाग वृक्षारोपण (अवधि-3 वर्ष), कार्य का कोड- 3312005/DP/1014347,
स्वीकृत वर्ष- 2011-12, स्वीकृत राशि- रुपए 9.56 लाख, सृजित मानव दिवस- 3072, मजदूरी भुगतान- रुपए 5.08 लाख
2. कार्य का नाम- कूप निर्माण (6 नग), कार्य का कोड- 3312005021/IF/12141084, स्वीकृत वर्ष- 2011-12,
स्वीकृत राशि- रुपए 8.64 लाख, सृजित मानव दिवस- 1393, मजदूरी भुगतान- रुपए 0.86 लाख
ब) 13वें वित्त से
1. कार्य का नाम- तार फेंसिग व ट्यूब वेल खनन, स्वीकृत वर्ष- 2011-12, स्वीकृत राशि- रुपए 12.98 लाख
-0-
परियोजना में शामिल हितग्राहीवार रकबाः-
क्रमांक |
हितग्राही का नाम | कुल रकबा (हे.) | वृक्षारोपण हेतु उपयोग रकबा (हे.) |
1. | श्री राजूराम कश्यप | 3.10 | 2 |
2. | श्री छन्नू | 2.60 | 1.50 |
3. | श्री दसरी | 1.30 | 0.70 |
4. | श्री अर्जुल | 1 | 0.30 |
5. | श्री झुमरलाल | 2.70 | 2 |
6. | श्री पाली | 2 | 1.5 |
7. | श्री सुन्दरलाल | 1.5 | 0.80 |
8. | श्री पाओ | 1.80 | 1.20 |
-0-
रिपोर्टिंग - श्री राजेश वर्मा, सहायक परियोजना अधिकारी, जिला पंचायत-दंतेवाड़ा, छत्तीसगढ़।
तथ्य व आंकड़े - डॉ. नारायण साहू, वरिष्ठ वैज्ञानिक व केन्द्र प्रमुख, कृषि विज्ञान केन्द्र, जिला-दंतेवाड़ा, छत्तीसगढ़।
पुनर्लेखन - श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
संपादन- श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क संचालनालय, रापपुर, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।