Thursday, 5 August 2021

मनरेगा से बने तालाब ने दिया आजीविका का नया साधन, बेटी की बीमारी में साबित हुई संजीवनी

मछलीपालन से 6 माह में ही 50 हजार की कमाई,
सिंचाई की व्यवस्था होने से खेती में भी बढ़ी आमदनी.


थैलेसीमिया की बिमारी से जूझ रही है 10 साल की पूर्णिमा.


स्टोरी/रायपुर/कोरिया/05 अगस्त, 2021. महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) कई रूपों में लोगों का जीवन बदल रहा है। जरूरत के समय सीधा रोजगार देने के साथ ही आजीविका के साधनों को भी मजबूत कर रहा है। ग्रामीणों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए रोजगार के वैकल्पिक साधन भी निर्मित कर रहा है। कोरिया जिले के किसान श्री धर्मपाल सिंह के जीवन में मनरेगा हवा का सुखद झोंका लेकर आया है। खेत में मनरेगा से बने तालाब में मछलीपालन कर वे अतिरिक्त कमाई कर रहे हैं। सिंचाई का साधन मिलने से खेती में अब जोखिम कम हो गया है। पैदावार बढ़ गई है और मुनाफा भी। बेहतर हुई माली हालत के कारण बेटी के थैलेसीमिया से पीड़ित होने पर अच्छा उपचार करा पाए। इलाज हेतु आर्थिक मदद के लिए किसी का मुंह नहीं ताकना पड़ा। मुश्किल वक्त में महात्मा गांधी नरेगा से बना तालाब संजीवनी बन गया।

मनेन्द्रगढ़ विकासखण्ड के मुसरा ग्राम पंचायत के आश्रित गांव बाही के साढ़े तीन एकड़ जोत के छोटे किसान हैं श्री धर्मपाल सिंह। महात्मा गांधी नरेगा से खेत में तालाब खुदाई के पहले उनकी कृषि बारिश के भरोसे थी। धान की खेती के बाद आजीविका के लिए वे महात्मा गांधी नरेगा के अंतर्गत होने वाले कार्यों तथा गांव के दूसरे बड़े किसानों के यहां मिलने वाले कामों पर निर्भर थे। अपनी पत्नी श्रीमती लक्ष्मी के साथ मजदूरी कर परिवार का पेट पालते थे। पांच सदस्यों के परिवार में जब उनकी तीसरी संतान दस साल की पूर्णिमा को थैलेसीमिया नामक रक्त न बनने की बीमारी हुई, तो परिवार परेशानी में आ गया। श्री धर्मपाल सिंह के सामने परिवार के भरण-पोषण के साथ बेटी के लगातार चलने वाले इलाज के लिए पैसों के इंतजाम की भी चुनौती थी।

इस कठिन समय में सहायक मत्स्य अधिकारी श्री हिमांचल नाथ वर्मा की सलाह उम्मीद की किरण लेकर आई। उन्होंने आजीविका संवर्धन और आमदनी बढ़ाने के लिए श्री धर्मपाल सिंह को मछलीपालन की सलाह दी। महात्मा गांधी नरेगा के तहत खेत में तालाब निर्माण के लिए श्री धर्मपाल सिंह के आवेदन के ग्रामसभा में अनुमोदन के बाद वर्ष 2019-20 में इसके लिए तीन लाख रूपए मंजूर किए गए। तालाब खुदाई के लिए मछलीपालन विभाग को निर्माण एजेंसी बनाया गया। तालाब निर्माण के दौरान श्री धर्मपाल सिंह के परिवार को भी 84 मानव दिवस का सीधा रोजगार प्राप्त हुआ, जिसके लिए उन्हें 15 हजार रूपए की मजदूरी मिली।

खेत में तालाब के निर्माण से जहां कम बारिश की स्थिति में फसलों को बचाने का साधन मिल गया, तो वहीं इससे खेतों में नमी भी बनी रहने लगी। तालाब खुदाई के बाद पिछले साल से श्री धर्मपाल सिंह के खेतों में धान की अच्छी उपज होने लगी है। वे धान के बाद अब सब्जी की भी खेती कर रहे हैं, जिससे उन्हें अतिरिक्त कमाई होने लगी है। पिछले साल रबी सीजन में उन्होंने उड़द लगाकर एक क्विंटल उत्पादन प्राप्त किया था। तालाब में मछलीपालन का धंधा भी अच्छा चल रहा है। पिछले एक साल से बेटी के लगातार चल रहे इलाज में मछलीपालन से हो रही कमाई ने अच्छा संबल दिया है। थैलेसीमिया के कारण उसे हर माह खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। श्री धर्मपाल सिंह के मुश्किल समय में महात्मा गांधी नरेगा से निर्मित तालाब ने बड़ा सहारा दिया है। बीते छह महीनों में उन्होंने मछली बेचकर 50 हजार रूपए कमाए हैं। इसकी बदौलत उन्होंने परिवार के भरण-पोषण और बेटी के इलाज के खर्च की चुनौतियों का मजबूती से सामना किया है। 

-0-

एक नजरः-
कार्य का नाम- नवीन तालाब निर्माण कार्य, हितग्राही- श्री धर्मपाल पिता श्री विक्रम सिंह, क्रियान्वयन एजेंसी- मत्स्य विभाग
ग्राम पंचायत- मुसरा, विकासखण्ड- मनेन्द्रगढ़, जिला- कोरिया, कार्य का कोड- 3306004031/IF/1111333842
स्वीकृत वर्ष- 2018-19, स्वीकृत राशि- रुपए 3 लाख, सृजित मानव दिवस- 1441,
पूर्णता वर्ष- 2020-21, मजदूरी भुगतान- रुपए 2.54 लाख, कुल व्यय राशि- रुपए 2,54,948.00 मात्र
जी.पी.एस. लोकेशन- 23°34'84.38" N 82°19'85.76"E, पिनकोड- 497442

-----

रिपोर्टिंग व लेखन - श्री रुद्र मिश्रा, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत-कोरिया, छत्तीसगढ़।
तथ्य एवं आंकड़े - श्री रमणीक गुप्ता, कार्यक्रम अधिकारी, जनपद पंचायत-मनेन्द्रगढ़, जिला-कोरिया, छत्तीसगढ़।
पुनर्लेखन - श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
संपादन- श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क संचालनालय, रापपुर, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।

-----

Pdf अथवा Word Copy डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें- http://mgnrega.cg.nic.in/success_story.aspx

महात्मा गांधी नरेगा से बने कुएं ने दिखाई कर्ज मुक्ति की राह

कुएं ने धान की पैदावार तो बढ़ाई ही, आजीविका का नया जरिया भी दिया. ईंट निर्माण से तीन सालों में साढ़े तीन लाख की कमाई. स्टोरी/रायपुर/बीजापुर/...