कुएं ने धान की पैदावार तो बढ़ाई ही, आजीविका का नया जरिया भी दिया.
ईंट निर्माण से तीन सालों में साढ़े तीन लाख की कमाई.
स्टोरी/रायपुर/बीजापुर/ 7 मार्च 2022. महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) हितग्राही के तौर पर निजी भूमि में निर्मित कुएं ने परिवार के हालात बदल दिए हैं। पहले केवल चार एकड़ कृषि भूमि के भरोसे जीवन-यापन करने वाला परिवार कुएं की खुदाई के बाद अब धान की ज्यादा पैदावार ले रहा है। पानी की पर्याप्त उपलब्धता को देखते हुए परिवार ने ईंट निर्माण के व्यवसाय में हाथ आजमाया। इस काम में परिवार को अच्छी सफलता मिल रही है। ईंटों की बिक्री से पिछले तीन वर्षों में परिवार को साढ़े तीन लाख रूपए की आमदनी हुई है। इससे वे ट्रैक्टर खरीदने के लिए बैंक से लिए कर्ज की किस्त नियमित रूप से चुका रहे हैं।
महात्मा गांधी नरेगा से निर्मित कुएं ने बीजापुर जिले के धनोरा गांव की श्रीमती महिमा कुड़ियम और उसके परिवार की जिंदगी बदल दी है। इस कुएं की बदौलत अब उसका परिवार तेजी से कर्जमुक्त होने की राह पर है। पहले श्रीमती महिमा कुड़ियम और उसके पति श्री जेम्स कुड़ियम खरीफ मौसम में अपने चार एकड़ खेत में धान उगाकर बमुश्किल गुजर-बसर कर पाते थे। श्री जेम्स कुड़ियम बताते है कि सिंचाई का साधन नहीं होने से केवल बारिश के भरोसे सालाना 15-20 क्विंटल धान की पैदावार होती थी। वर्ष 2017 में उन्होंने बैंक से कर्ज लेकर ट्रैक्टर खरीदा था, जिसका हर छह महीने में 73 हजार रूपए का किस्त अदा करना पड़ता था। आय के सीमित साधनों और ट्रैक्टर से भी आसपास लगातार काम नहीं मिलने से वे इसका किस्त समय पर भर नहीं पा रहे थे, जिससे ब्याज बढ़ता जा रहा था। इसने पूरे परिवार को मुश्किल में डाल दिया था।
इन्हीं परेशानियों के बीच एक दिन श्रीमती महिमा कुड़ियम की धान की सूखती फसल को देखकर ग्राम रोजगार सहायक श्री सोहन ने उन्हें महात्मा गांधी नरेगा से खेत में कुआं निर्माण का सुझाव दिया। ग्राम रोजगार सहायक की सलाह पर उसने अपनी निजी भूमि में कुआं खुदाई के लिए ग्राम पंचायत को आवेदन दिया। पंचायत की पहल पर महात्मा गांधी नरेगा के अंतर्गत उसके खेत में कुआं निर्माण का काम स्वीकृत हो गया और 11 फरवरी 2019 को इसकी खुदाई भी शुरू हो गई। सात फीट की गहराई में ही गीली मिट्टी में पानी नजर आने लगा। चार महीनों के काम के बाद जून 2019 को कुआं बनकर तैयार हो गया। कुएं में लबालब पानी आ गया।
श्रीमती महिमा कुड़ियम बताती है कि उसके कुएं में पर्याप्त पानी है। कुएं के पानी का उपयोग वे अपने चार एकड़ खेत में लगे धान की सिंचाई के लिए करते है। इससे धान की पैदावार अब बढ़कर लगभग 50 क्विंटल हो गई है। इसमें से वे कुछ को स्वयं के उपभोग के लिए रखकर शेष पैदावार को बेच देते हैं। धान की उपज बढ़ने के बाद भी ट्रैक्टर का किस्त पटाने की समस्या बरकरार थी। ऐसे में उन्होंने कुएं से लगी अपनी एक एकड़ खाली जमीन पर ईंट बनाने का काम शुरू किया। पिछले तीन सालों से वे लाल ईंट का कारोबार कर रहे हैं। स्थानीय स्तर पर उसके परिवार के द्वारा बनाए गए ईटों की काफी मांग है। ईंट की बिक्री से उन्हें वर्ष 2019 में 50 हजार रूपए, 2020 में एक लाख रूपए और 2021 में डेढ़ लाख रूपए की कमाई हुई है।
खेत में कुआं निर्माण के बाद बदले हालातों के बारे में श्रीमती कुड़ियम बताती है कि फसल का उत्पादन बढ़ने और ईंट के कारोबार से परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है। उसका परिवार अब चिंतामुक्त होकर सुखी और समृद्ध जीवन की ओर बढ़ रहा है। ट्रैक्टर के ऋण की अदायगी भी अब वे नियमित रूप से कर रहे हैं। अपने तीनों बच्चों जॉन, रोशनी और अभिलव को अच्छे स्कूल में पढ़ाने का उनका सपना भी अब पूरा हो गया है। वह कहती है – “कभी-कभी मन में यह विचार आता है कि यदि सही समय में उन्हें महात्मा गांधी नरेगा से जल संसाधन के रूप में कुआं नहीं मिला होता, तो वे कर्ज में डूब गए होते। महात्मा गांधी नरेगा सच में हम जैसे गरीब परिवारों के लिए वरदान है।”
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एक नजरः-
कार्य का नाम- कुआँ निर्माण, हितग्राही- श्रीमती महिमा कुड़ियम पति श्री जेम्स कुड़ियम, मो.-9302961825,
परिवार रोजगार कार्ड (जॉब कार्ड)- CH-12-004-005-001/248, ग्राम पंचायत- धनोरा, विकासखण्ड- बीजापुर,
क्रियान्वयन एजेंसी- ग्राम पंचायत, स्वीकृत वर्ष- 2018-19, स्वीकृत राशि- 2.30 लाख रुपए, व्यय राशि- 2.23 लाख रुपए
कार्य प्रारंभ तिथि- 11.02.2019, कार्य पूर्णता तिथि- 11.06.2019, वर्क कोड- 3312004005/IF/1111373077,
सृजित मानव दिवस- 426, नियोजित परिवारों की संख्या- 12, मजदूरी भुगतान- 74,292.00 रुपए,
सामग्री भुगतान- 1,49,200.00 रुपए, जी.पी.एस. लोकेशन- 21°32'59.0"N 83°07'24.8"E, पिनकोड- 494444,
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तथ्य एवं आंकड़े- 1. श्री पदुम साहू, लेखापाल, जनपद पंचायत-बीजापुर, जिला-बीजापुर, छ.ग.।
2. श्री सोहन कुड़ियम, ग्राम रोजगार सहायक, ग्रा.पं.-धनोरा, वि.ख.-बीजापुर, जिला-बीजापुर, छ.ग.।
लेखन- श्री प्रशांत यादव, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत-बीजापुर, छत्तीसगढ़।
संपादन-
1. श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
2. श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क संचालनालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
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