पानी की कीमत
0 मनरेगा के कुएं ने लाया जीवन में परिवर्तन
पानी की प्रत्येक बूंद की कीमत क्या होती है, यह गोविंद
चक्रधारी जैसे किसानों से बेहतर और कौन समझ सकता है, जिनके खेत बारिश के बाद सिंचाई के
साधनों के अभाव में विरान और सूखे पड़े रहते थे। रायपुर जिले के अभनपुर विकासखण्ड
की ग्राम पंचायत- नवागांव (ल) में रहने वाले किसान गोविंद के पास भी खेती-बाड़ी के
लिए 2 एकड़ 70 डिसमिल कृषि भूमि तो थी, किन्तु सिंचाई के साधनों के अभाव में बारिश
की अवधि के बाद सालभर विरान पड़ी रहती थी। बारिश के समय जो धान की फसल हो जाती थी,
उसी से जीवन चलता था। ऐसे में महात्मा गांधी नरेगा योजना गोविन्द के लिए जीवन के
परिवर्तन का महत्वपूर्ण कारक बनी। योजना ने न केवल उसकी किसानी जीवन में बदलाव
लाया अपितु उसके परिवार के रहन-सहन को बेहतर बना दिया। साल 2016-17 में महात्मा
गांधी नरेगा से गोविन्द के खेत में 2 लाख 11 हजार की लागत से बने कुएं से उनके खेत
हरे-भरे दिखाई देते हैं। कुएं के पानी से अब सालभर में गोविन्द धान के अलावा गेहूँ
की फसल भी लेने लगे हैं। इसके अलावा साग-सब्जियों से खेत में रौनक तो सालभर बनी ही
रहती है।
जीवन में आये बदलाव के प्रश्न पर मुस्कुराते हुये श्री गोविन्द
बताते हैं कि खेत में कुआं खुदने से पहले वे केवल बारिश के दिनों में ही धान की
खेती करते थे, उससे बमुश्किल 30 बोरा धान हो जाता था, इसे बेचकर जैसे-तैसे परिवार
की जरुरतों को पूरा कर रहे थे। ऐसे में भला हो हमारे सरपंच श्री भागवत साहू जी का,
जिन्होंने मुझे महात्मा गांधी नरेगा योजना से कुआं बनाने और उससे सिंचाई की समस्या
हल होने की बात बताई। उनके दिखाये रास्ते पर चलकर और गांव के संगवारी संग मैंने
अपने खेत में महात्मा गांधी नरेगा से कुआं बना लिया। कुएं की खुदाई के समय ही
इसमें पानी आ गया था और अब गर्मी के दिनों में भी इसमें पानी भरा रहता है। कुएं के
पानी से सबसे पहले मैंने अपने खेत में करेला, बरबट्टी, धनिया, प्याज, मिर्ची,
टमाटर और गोभी उगाया और बेचा। इससे मिले पैसों से फिर दूसरी फसल के रुप में गेहूँ
की खेती की। आज हम सपरिवार अच्छा जीवन जी रहे हैं।
श्री गोविन्द चक्रधारी के सुखद अनुभवों के
अनुक्रम में ग्राम पंचायत के ग्राम रोजगार सहायक श्री यादराम पटेल कहते हैं कि
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना ने छोटे किसानों के जीवन को
बेहतर बनाया है। योजना से हमारे गांव में गोविन्द के अलावा सुकालु राम और सोनू राम
ध्रुव के खेतों में भी कुओं का निर्माण हुआ है। इनमें से सुकालु राम ने सरकार की
सौर सुजला योजना से सौर पंप का लाभ भी ले लिया है, ताकि वह बिना बिजली के अपने
कुएं से सिंचाई के लिए पानी ले सके।