खरीफ के साथ अब रबी फसलों के लिए भी मिल रहा पानी.बमुश्किल सितम्बर तक बहने वाले बुडरा नरवा में अब फरवरी तक पानी, पंचायत की डेढ़ साल की मेहनत रंग लाई.
जल-संचय और जल-स्रोतों के संरक्षण-संवर्धन के लिए महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के माध्यम से हो रहे कार्यों से खेती-किसानी को मजबूती मिल रही है। इनके जरिए सिंचाई सुविधाओं के विस्तार से किसानों की आजीविका सशक्त हो रही है। कोंडागांव में बुडरा नरवा (नाला) के उपचार से 25 किसानों को खरीफ के साथ ही रबी फसलों के लिए भी पानी मिल रहा है। पहले बमुश्किल सितम्बर माह तक बहने वाले नरवा के ड्रेनेज ट्रीटमेंट और कैचमेंट एरिया ट्रीटमेंट के बाद अब यह फरवरी माह तक बह रहा है। ग्राम पंचायत द्वारा बुडरा नरवा के पुनर्जीवन के लिए किए गए योजनाबद्ध कार्यों ने किसानों की खुशहाली और समृद्धि का रास्ता खोल दिया है।
कोंडागांव जिले के माकड़ी विकासखंड मुख्यालय से पांच किलोमीटर की दूरी पर ग्राम पंचायत पीढ़ापाल है, जहां से होकर यह बुडरा नरवा बहता है। नजदीक के राकसबेड़ा गांव के घने जंगलों से निकलने वाला यह नरवा पीढ़ापाल ग्राम पंचायत की सीमा से होकर करीब पांच किलोमीटर की यात्रा करते हुए नारंगी नदी में जाकर मिल जाता है। महात्मा गांधी नरेगा के माध्यम से नरवा उपचार के बाद कभी सितम्बर तक सूख जाने वाले इस नरवा में अब बरसात के बाद पांच महीनों तक पानी भरा रहता है। बुडरा नरवा की इस कायापलट में पीढ़ापाल पंचायत की डेढ़ साल की मेहनत लगी है। वहां नरवा उपचार के तहत नरवा के भीतर और उसके सतह क्षेत्र (कैचमेंट एरिया) में जल संरक्षण एवं जल संवर्धन के कई कार्य किए गए हैं, जिससे आसपास के क्षेत्र में हरियाली की चादर फैली रहती है।
33 संरचनाओं के माध्यम से किया गया है नरवा ड्रेनेज ट्रीटमेंट
नरवा पुनर्जीवन की इस परियोजना पर तकनीकी मार्गदर्शन दे रही तकनीकी सहायक सुश्री बुधमनी पोयाम बताती हैं कि पिछले साल (2020 में) जनवरी-फरवरी में बुडरा नाले के भीतर “ड्रेनेज लाइन ट्रीटमेंट” और नरवा के बाहरी हिस्से में “कैचमेंट एरिया ट्रीटमेंट” के लिए महात्मा गांधी नरेगा से जल संरक्षण एवं जल संचय के लिए संरचनाओं का निर्माण कार्य शुरू किया गया था। ड्रेनेज लाइन ट्रीटमेंट के अंतर्गत नरवा के भीतर ब्रशवुड चेकडेम की 22, अर्दन गलीप्लग की चार, लूज बोल्डर चेकडेम की तीन और अंडरग्राउंड डाइक की चार जल संरक्षण संरचनाएं बनाई गईं। इससे जहां जलस्तर में सुधार देखने को मिल रहा है, वहीं नरवा से लगी भूमि में नमी की मात्रा बनी रहने लगी है। इससे आसपास के 25 किसान लाभान्वित हो रहे हैं।
कैचमेंट एरिया ट्रीटमेंट के लिए बनाई गईं रिचार्ज पिट एवं डबरियां
बुडरा नरवा का कैचमेंट एरिया करीब 791 हेक्टेयर है। इतने बड़े क्षेत्र में गिरने वाले वर्षा जल को संरक्षित कर भू-जल का स्तर बढ़ाने के लिए 150 रिचार्ज पिट बनाए गए हैं। कैचमेंट एरिया ट्रीटमेंट के लिए स्वीकृत दस डबरियों में से छह डबरियां भी बना ली गई हैं।
डबरी निर्माण से भू-जल स्तर में वृद्धि के साथ-साथ खेतों में जल संचय का साधन भी किसानों को मिल गया है। इसका उपयोग वे अल्प वर्षा या खेतों के सूखने की स्थिति में अपनी फसलों को बचाने में कर रहे हैं। बुडरा नरवा के उपचार से लाभान्वित होने वाले किसान श्री बिसरू के खेत में जल संग्रह के साधन के रूप में डबरी का निर्माण करवाया गया है। इस वर्ष उन्होंने डबरी की बदौलत पहली बार मक्के की उपज अपने खेतों में ली है। श्री सोमाराम और श्री रसन लाल के खेत भी इस नरवा से लगे हुए हैं। नरवा उपचार के बाद इन दोनों ने भी पहली बार रबी फसल लगाकर इस साल अतिरिक्त कमाई की है।
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एक नजरः-
कार्य का नाम- बुडरा नरवा उपचार अंतर्गत जल संरक्षण एवं जल संचय की संरचनाओं का निर्माण,
ग्राम पंचायत- पीढ़ापाल, विकासखण्ड- माकड़ी, जिला- कोण्डागांव,
ड्रेनेज ट्रीटमेंट अंतर्गत नाले में हुए कार्यों का विवरणः-
स.क्रं. |
कार्य का नाम |
संख्या |
कुल राशि |
सृजित मानव दिवस |
1. |
ब्रशवुड चेकडेम |
22 |
29,062.00 |
46 |
2. |
अर्दन ग्लीप्लग |
4 |
10,640.00 |
24 |
3. |
लूज बोल्डर
चेकडेम |
3 |
27,590.00 |
27 |
4. |
अंडरग्राउंड डाइक |
4 |
1,20,694.00 |
301 |
एरिया ट्रीटमेंट अंतर्गत नाले में हुए कार्यों का विवरणः-
स.क्रं. |
कार्य का नाम |
संख्या |
कुल राशि |
सृजित मानव दिवस |
1. |
रिचार्ज पिट |
150 |
1,67,014.00 |
802 |
2. |
डबरी निर्माण |
6 |
14,28,020.00 |
7580 |
जी.पी.एस. लोकेशन- Latitude : 19°45'25.91" N, Longitude : 81°56'34.98"E, पिनकोड- 494237
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रिपोर्टिंग - श्री त्रिलोकी प्रसाद, सहायक परियोजना अधिकारी, जिला पंचायत-कोंडागाँव, छत्तीसगढ़।
तथ्य एवं आंकड़े - सुश्री सारिका देवांगन, कार्यक्रम अधिकारी, जनपद पंचायत-माकड़ी, जिला-कोण्डागांव, छत्तीसगढ़।
लेखन - श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
संपादन - श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क संचालनालय, रापपुर, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग - श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
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