Thursday, 30 September 2021

मनरेगा और जनभागीदारी से हुआ प्राथमिक स्कूल-सकड़ा का कायाकल्प


स्टोरी/रायपुर/कोरिया/30 सितम्बर, 2021. अगर आपके अंदर इच्छाशक्ति है और आप कुछ कर गुजरने की चाहत रखते हैं, तो परिस्थितियां खुद ब खुद मददगार बनने लगती हैं। ऐसा ही एक वाक्या कोरिया जिले के खड़गवां विकासखण्ड के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र ‘सकड़ा’ में देखने को मिला है। इस गाँव में बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा के लिए बनाए गए प्राथमिक विद्यालय में संसाधनों के अभाव के कारण, यहाँ एक नैराश्य का भाव बना रहता था। परंतु यहां पदस्थ शिक्षकों के मनोयोग, महात्मा गांधी नरेगा के मिले आर्थिक सहयोग और ग्रामीणों की भागीदारी की सकारात्मक पहल से यह विद्यालय आज दर्शनीय हो चुका है। आलम यह है कि आज की स्थिति में ग्राम पंचायत सकड़ा का यह प्राथमिक विद्यालय जिले के साथ-साथ प्रदेश स्तर पर उत्कृष्ट प्राथमिक विद्यालयों में शुमार हो चुका है। इसका एक उदाहरण यह है कि जब आप इस विद्यालय के परिसर में प्रवेश करेंगे, तो प्राथमिक स्तर में पढ़ने वाले आदिवासी बच्चे पहले पहल अंग्रेजी में स्वयं का परिचय देकर आपसे भी अंग्रेजी में ही आपका परिचय पूछेंगे।

इस स्कूल में बच्चों के लिए सुरक्षित परिसर, सुव्यवस्थित मैदान और भोजन शेड जैसी आवश्यक जरुरतों को पूरा करने में महात्मा गांधी नरेगा ने अहम भूमिका निभाई है। इसके बाद यहां पदस्थ शिक्षकों द्वारा पढ़ाई को लेकर किए गए भागीरथ प्रयासों के बाद गांव में पालकों में शिक्षा के प्रति जागरूकता की ऐसी अलख जगी है कि अब ग्रामीणजन विद्यालय में हर गतिविधि में समर्पित भाव से आगे आने लगे हैं और यहां पढ़ने वाले आदिवासी बच्चों में शिक्षा को लेकर गजब का उत्साह और आत्मविश्वास दिखाई देने लगा है। विशेष रूप से उल्लेखनीय यह भी है कि इस विद्यालय के बच्चे अब एकलव्य विद्यालय जैसे उच्च स्तरीय शिक्षण संस्थानों में प्रवेश पाने में सफल होने लगे हैं।

ग्राम पंचायत सकड़ा के वर्तमान सरपंच श्री शंकर सिंह पोर्ते कहते हैं कि इस विद्यालय के कायाकल्प में शिक्षक श्री रूद्र प्रताप सिंह राणा और पूर्व सरपंच श्रीमती जयमन बाई ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यहाँ के शिक्षकों की मांग पर विद्यालय परिसर के उन्नयन के लिए ग्राम सभा में एक प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसमें प्राथमिक विद्यालय में भोजन के लिए सुरक्षित कमरा और पूरे परिसर की पक्की घेराबंदी करने के लिए अहाता निर्माण का कार्य प्रस्तावित था। चूँकि मामला गाँव के बच्चों का था, इसलिए इसे ग्रामवासियों ने पूरे समर्थन से पारित कर दिया। ग्राम सभा से पारित निर्णय के आधार पर महात्मा गांधी नरेगा से यहाँ 2 लाख 23 हजार रुपए की लागत से भोजन हेतु शेड निर्माण तथा 11 लाख 53 हजार रुपये की लागत से स्कूल परिसर उन्नयन कार्य कराया गया। इन दोनों कार्यों से 26 ग्रामीणों को एक हजार 304 मानव दिवस का रोजगार भी प्राप्त हुआ।

विद्यालय के प्रधानपाठक श्री दिलीप सिंह मार्को ने बताया कि इस विद्यालय के कायाकल्प के बाद आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री आदित्येश्वर शरण सिंहदेव ने इस विद्यालय के लिए एक ई-आटो रिक्शा भेंट किया था, जिसका उपयोग बारिश या खराब मौसम में बच्चों को विद्यालय लाने के लिए भी करते हैं। इस विद्यालय में हुए कायाकल्प के बारे में विस्तार से यहाँ पदस्थ शिक्षक श्री रूद्रप्रताप सिंह राणा बताते हैं कि बच्चों को पढ़ाने के लिए पहले संसाधन कम पड़ते थे, लेकिन हम निरंतर प्रयास करते रहे। बच्चों को शिक्षा के प्रति उत्साहित करने के लिए खेल के माध्यम से शिक्षा देने का चलन प्रारंभ किया। इसके सुखद परिणाम मिलने लगे। आधारभूत संरचना के लिए यहां महात्मा गांधी नरेगा से स्कूल के पूरे परिसर का पक्का घेराव किया गया और बच्चों के लिए एक बड़ा स्टेजनुमा कक्ष बनाया गया, जिसका बच्चे कई तरह से उपयोग करते हैं। इसमें बच्चे बड़े आराम से बैठकर मध्याह्न भोजन करते हैं और कोरोना से सुरक्षा के मद्देनजर बच्चों के मध्य पर्याप्त शारीरिक दूरी रखते हुए पढ़ाई भी हो जाती है। इसके अलावा यह एक मंच के रूप में भी काम आता है।

शिक्षक श्री राणा आगे बताते हैं कि स्कूल के कायाकल्प से प्रभावित होकर यहां ग्रामीणों से प्राप्त जनसहयोग से बच्चों के लिए गार्डन, पाथ-वे और खेल उपकरणों का निर्माण भी किया गया है। इससे विद्यालय, एक नई पहल और उत्साह के साथ उत्कृष्टता की ओर बढ़ चला है। इस विद्यालय के कायाकल्प में शाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष श्री कमोद सिंह की भूमिका भी उल्लेखनीय रही है। उन्होंने लॉकडाउन के दौरान लगभग दो वर्षों तक बिना किसी अवकाश के इस परिसर में हुए पूरे निर्माण कार्यों और पौधरोपण की देखभाल करते रहे। वे बताते हैं कि इस विद्यालय में वर्तमान में बच्चों की कुल दर्ज संख्या 84 है और खास बात यह है कि महात्मा गांधी नरेगा और जनसहयोग से बने विद्यालय के इस नये सुंदर परिसर और बेहतर शिक्षा व्यवस्था के कारण शत-प्रतिशत बच्चे नियमित विद्यालय आने लगे हैं।

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एक नजरः-

ग्राम पंचायत- सकड़ा, विकासखण्ड- खड़गंवा, जिला- कोरिया, क्रियान्वयन एजेंसी- ग्राम पंचायत, पिनकोड- 497449,
कार्य श्रेणी- ग्रामीण अवसंरचना
1. कार्य का नाम- प्राथमिक शाला सकड़ा में भोजन हेतु शेड निर्माण, कार्य का कोड- 3306003058/AV/1111320166
स्वीकृत वर्ष- 2018-19, पूर्णता वर्ष- 2020-21, स्वीकृत राशि- रुपए 2.23 लाख, सृजित मानव दिवस- 240,
मजदूरी भुगतान- रुपए 0.42132 लाख, व्यय राशि- 2.14 लाख,
जी.पी.एस. लोकेशन- 22°57'59.6" N 82°12'35.8"E,

2. कार्य का नाम- प्राथमिक शाला सकड़ा परिसर उन्नयन कार्य, कार्य का कोड- 3306003058/AV/1111320167
स्वीकृत वर्ष- 2018-19, पूर्णता वर्ष- 2020-21, स्वीकृत राशि- रुपए 11.53 लाख, सृजित मानव दिवस- 1064,
मजदूरी भुगतान- रुपए 1.73722 लाख, व्यय राशि- 11.21 लाख,
जी.पी.एस. लोकेशन- 22°57'59.6" N 82°12'35.8"E,
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तथ्य एवं आंकड़े- 1. श्री राजनारायण सिंह, कार्यक्रम अधिकारी, जनपद पंचायत-खड़गवां, जिला- कोरिया, छत्तीसगढ़।
2. श्री रुद्र प्रताप सिंह राणा, शिक्षक, प्राथमिक शाला-सकड़ा, जिला- कोरिया, छत्तीसगढ़।
लेखन - श्री रुद्र मिश्रा, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत- कोरिया, छत्तीसगढ़।
संपादन- श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
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Friday, 17 September 2021

मनरेगा से सशक्त हुए दिव्यांग रामनंदन

मनरेगा से रोजगार प्राप्त करते हुए कोरोनाकाल में ग्रामीणों को जागरुक करने में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका



स्टोरी/रायपुर/सरगुजा/17 सितम्बर, 2021. ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों के लिए शहर आकर काम करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होता और शहर में हर किसी को काम मिले, इसकी कोई गारण्टी भी नहीं होती। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महात्मा गांधी नरेगा) ने ग्रामीणों की इस बड़ी चुनौती को गाँव में ही अकुशल श्रम के रुप में 100-दिनों के रोजगार की गारण्टी देकर काफी हद तक दूर करने की कोशिश की है। दूसरी तरफ योजनांतर्गत होने वाले निर्माण कार्यों में अर्द्धकुशल एवं कुशल श्रमिकों को भी रोजगार मिल रहा है। इससे समाज के कमजोर वर्ग के लोगों को विकास की मुख्यधारा में शामिल होने का समान अवसर प्राप्त हो रहा है।

सरगुजा जिले के अम्बिकापुर विकासखण्ड की ग्राम पंचायत चठिरमा के निवासी श्री रामनंदन पिता श्री शिवप्रसाद के लिए भी शहर आकर रोजगार के लिए काम ढूंढना चुनौतियों और मुश्किलों से भरा था। एक तरफ एक पैर से दिव्यांगता के कारण अधिक मेहनत या भार उठाने वाला काम नहीं कर पाने की मुश्किल थी, तो दूसरी तरफ हायर सेकेण्डरी तक की शिक्षा के कारण उपयुक्त रोजगार मिलना चुनौतीपूर्ण बन गया था। ऐसे में महात्मा गांधी नरेगा श्री रामनंदन के लिए सहारा बना। उन्हें ग्राम रोजगार सहायक श्री वीरसाय से जानकारी मिली कि योजनांतर्गत दिव्यांग व्यक्ति को भी उनकी क्षमता के अनुसार रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं।

ग्राम रोजगार सहायक की ये बातें श्री रामनंदन की सभी मुश्किलों का मानों संकट मोचन सी बन गई थी। उन्होंने बिना कोई देर किए, ग्राम पंचायत में रोजगार के लिए आवेदन दे दिया। ग्राम पंचायत ने उन्हें उनकी दिव्यांगता के अनुसार महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत कार्यस्थल पर श्रमिकों के प्रबंधन के लिए मेट के रुप में एवं समय-समय पर श्रमिकों को पानी पिलाने काम देते हुए रोजगार के अवसर प्रदान किए। स्थानीय स्तर पर महात्मा गांधी नरेगा से काम मिलना दिव्यांग रामनंदन के लिए कल्पना से कम नहीं रहा।

साल 2015 से उन्हें महात्मा गांधी नरेगा से लगातार काम मिल रहा है और पिछले पाँच सालों में उन्हें 79 हजार 895 रुपए का मजदूरी भुगतान किया गया है। गाँव में ही रोजगार प्राप्त करके वे अब पहले से कहीं अधिक सशक्त भी हो गए हैं। महात्मा गांधी नरेगा में उन्होंने गाँव में भगवानपुर जलाशय के दाई तट नहर का मरम्मत कार्य, अर्जुन एवं सुखसाय की निजी भूमि पर डबरी का निर्माण, घुमाडांड तालाब का गहरीकरण, सी.पी.टी. निर्माण और वन अधिकार पट्टाधारी किसानों की जमीनों पर डबरी का निर्माण प्रमुखता से करवाया है। योजनांतर्गत इन परिसम्पत्तियों के निर्माण से गाँव और ग्रामवासियों का बेहतर विकास हो सका।

दिव्यांग श्री रामनंदन बताते हैं कि उनके परिवार में उनकी धर्मपत्नी श्रीमती विफाईया के अलावा दो बच्चे हैं। वे योजना से मिली मजदूरी को अपने दोनों बच्चों सूर्यकांत और रविकांत की पढ़ाई और परिवार के भरण-पोषण में खर्च करते हैं तथा बचे हुए पैसों को खेती-बाड़ी में लगाते हैं। वे आगे बताते हैं कि उनके पास 0.8 एकड़ कृषि भूमि है, जिसे उनकी पत्नी संभालती है। वह उसमें धान की पैदावार लेती है और साग-सब्जियाँ उगाती हैं।

ग्राम रोजगार सहायक श्री वीरसाय बताते हैं कि वर्ष 2020-21 एवं 2021-22 में ग्राम पंचायत के सामने लॉकडाउन अवधि में ग्रामीणों को कोरोना बीमारी के संक्रमण से बचाते हुए रोजगार उपलब्ध कराना सबसे बड़ी चुनौती थी। श्री रामनंदन ने इस चुनौती का सामना करने में ग्राम पंचायत की काफी मदद की। वे कार्यस्थल पर मजदूरों को नियमित रुप से हाथ धुलाकर, काम में लगाते थे और हमेशा मास्क या गमछा लगाए रहने की हिदायत देते रहते थे। वे प्रतिदिन काम पर आने वाले श्रमिकों को कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के संबंध में बरती जाने वाली सावधानियों को लेकर उनसे बातचीत करते रहते थे। महात्मा गांधी नरेगा में रोजगार मिलने से उनका आत्मविश्वास बढ़ा है।

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एक नजरः-
ग्राम पंचायत- चठिरमा, विकासखण्ड- अंबिकापुर, जिला- सरगुजा, पिनकोड- 497001
दिव्यांग हितग्राही का नाम- श्री रामनंदन पिता श्री शिवप्रसाद, उम्र- 50 वर्ष,
दिव्यांग हितग्राही की पत्नी का नाम- श्रीमती विफाईया, उम्र- 38 वर्ष,
दिव्यांग हितग्राही के बच्चों का विवरण- श्री सूर्यकांत (उम्र- 14 वर्ष, शिक्षा- 8वीं), श्री रविकांत (उम्र- 11 वर्ष, शिक्षा- 6वीं),
दिव्यांग हितग्राही का जॉब कार्ड नम्बर- CH-05-001011-001/158, मोबाईल नम्बर- 8120895119,
दिव्यांग रामनंदन को योजनांतर्गत प्राप्त मजदूरी-
स.क्रं. वित्तीय वर्ष 2017-18 2018-19 2019-20 2020-21 2021-22
1. रोजगार दिवस 133 81 126 72 39
2. मजदूरी (रुपए में) 22,876 14,094 21,718 13,680 7,527

# नोटः- महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत अतिरिक्त 50 दिवस का रोजगार राज्य सरकार के द्वारा राज्य बजट से दिया जाता है। 

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तथ्य एवं आंकड़े- श्री निलेश जायसवाल, कार्यक्रम अधिकारी, जनपद पंचायत-अंबिकापुर, जिलाः सरगुजा, छत्तीसगढ़।
लेखन– सुश्री मिनाक्षी वर्मा, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत- सरगुजा, छत्तीसगढ़।
संपादन- श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
संपादकीय सहयोग– श्री देवेन्द्र कुमार यादव, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत- जांजगीर चांपा, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
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महात्मा गांधी नरेगा से बने कुएं ने दिखाई कर्ज मुक्ति की राह

कुएं ने धान की पैदावार तो बढ़ाई ही, आजीविका का नया जरिया भी दिया. ईंट निर्माण से तीन सालों में साढ़े तीन लाख की कमाई. स्टोरी/रायपुर/बीजापुर/...