Monday, 24 January 2022

पटपर नरवा को मिला पुनर्जीवन

रबी फसल के लिए किसानों को मिल रहा पानी.
महात्मा गांधी नरेगा से 48.31 लाख रूपए की लागत से हो रहा नरवा उपचार.
तीन गांवों के किसानों को फायदा.

रायपुर, 24 जनवरी 2022. विलुप्त होते नरवा (नालों) के पुनर्जीवन की कोशिशें अब रंग ला रही हैं। राजनांदगांव जिले का ठाकुरटोला-गर्रा नरवा जिसे 'पटपर' नरवा के नाम से भी जाना जाता है, अब जनवरी के महीने में भी नजर आ रहा है। ग्राम पंचायत की पहल और किसानों की मेहनत तथा महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) से 48 लाख 31 हजार रूपए की लागत से हो रहे नरवा उपचार के कार्यों ने इस नाले को पुनर्जीवित कर दिया है। नरवा उपचार के बाद वहां ठहरे पानी से पटपर गांव के 20 किसान 50 एकड़ में रबी की फसल ले रहे हैं। पटपर नरवा के संरक्षण और संवर्धन के लिए वर्ष-2019 में स्वीकृत 27 कार्यों में से 20 अब पूरे हो चुके हैं। इस दौरान गर्रा पंचायत के 521 मनरेगा श्रमिकों को 31 हजार 231 मानव दिवस का रोजगार भी मिला है। नरवा उपचार के लिए पटपर गांव में नया तालाब भी निर्माणाधीन है।

राजनांदगांव जिले के छुईखदान विकासखण्ड मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर गर्रा ग्राम पंचायत है। इसके आश्रित गांव पटपर में कोहकाझोरी बांध के नजदीक की पहाड़ी से पटपर नरवा का उद्गम होता है। गर्रा, पटपर और ग्राम पंचायत के एक अन्य आश्रित ग्राम जुझारा से होकर यह लगभग 7.77 किलोमीटर की यात्रा करते हुए एक दूसरे नरवा मंडीपखोल में जाकर मिल जाता है। पटपर नरवा का कुल जलग्रहण क्षेत्र (कैचमेन्ट एरिया) 1006.5 हेक्टेयर है। वन क्षेत्र में इसकी लम्बाई 3.62 किलोमीटर और राजस्व क्षेत्र में 4.15 किलोमीटर है, जबकि जलग्रहण क्षेत्र क्रमशः 394.89 हेक्टेयर और 611.61 हेक्टेयर है।

नरवा ड्रेनेज लाईन ट्रीटमेंट
पटपर नरवा में पानी को रोकने के लिए लूज बोल्डर चेकडेम की छह और गेबियन की दो संरचनाएं बनाई गई हैं। चार लाख 68 हजार रूपए की लागत की इन संरचनाओं के निर्माण से अब पहाड़ी से आने वाले पानी का बहाव धीमा हो गया है। इससे भू-जल स्तर में सुधार देखने को मिला है। नरवा में पानी रूकने से आसपास की जमीन में नमी की मात्रा बनी रहने लगी है, जिससे इसके दोनों ओर के 20 किसान लाभान्वित हुए हैं। नरवा उपचार के लिए जुझारा गांव में भी छह संरचनाओं का निर्माण प्रस्तावित है। इसके बनने से वहां के 12 किसान प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होंगे और उनके कुल 30 एकड़ खेत तक पानी पहुंचेगा।

कैचमेन्ट एरिया (सतही क्षेत्र) ट्रीटमेन्ट
वहीं पटपर नरवा के कैचमेन्ट एरिया में जल-संचय व संवर्धन के लिए पटपर में श्मशान घाट के पास एक नए तालाब के निर्माण के साथ ही गिट्टी खदान के पास स्थित तालाब का गहरीकरण किया गया है। पटपर में नए तालाब की खुदाई भी प्रगतिरत है। नरवा से लगी जमीन वाले किसानों सर्वश्री करण, हरीराम, लोकेश, रोशन, परदेशी, सुन्दरलाल, सुखदेव और केदार के खेतों में भूमि सुधार और मेड़ बंधान का कार्य भी कराया गया है। इसके अंतर्गत खेतों के मेड़ की ऊंचाई को अपेक्षाकृत ज्यादा रखा गया है, ताकि नरवा में पानी के तेज बहाव से खेतों को नुकसान नहीं पहुंचे। नरवा उपचार के बाद इन किसानों के कुल 28 एकड़ खेत में धान की भरपूर पैदावार हुई है। अभी इन किसानों ने उन खेतों में चना बोया है।

नरवा पर बनाए गए विविध संरचनाओं का सीधा लाभ ग्रामीणों व किसानों को जल संग्रहण और सिंचाई सुविधा के रूप में मिल रहा है। किसान श्री हरीराम 'पटपर नरवा' के पुनरूद्धार से हो रहे फायदे के बारे में बताते हैं कि वे पहले अपने तीन एकड़ जमीन पर एक बोर के सहारे केवल सोयाबीन और चना की ही खेती करते थे। पर इस बार भूमि सुधार के बाद बोर के साथ ही नरवा में रूके पानी का उपयोग कर उन्होंने साढ़े चार एकड़ में चना, धान और गेहूं की फसल ली है। इससे खेती से होने वाली उसकी कमाई बढ़ी है। वह क्षेत्र में नरवा उपचार के कार्यों से बेहद खुश है।

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एक नजर (27.12.2021 की स्थिति में) -
ग्राम पंचायत- गर्रा, विकासखण्ड- छुईखदान, जिला- राजनांदगांव, जी.पी.एस. लोकेशन- 21°36'47.9"N 80°57'24.3"E,
पटपर नरवा विकास कार्यक्रम में शामिल गांवों का नाम- गर्रा, पटपर एवं जुझारा,
क्रियान्वयन एजेंसी- ग्राम पंचायत, पिनकोड- 491888

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तथ्य एवं आंकड़े-
1. श्री विमल सिंह ठाकुर, तकनीकी सहायक, जनपद पंचायत-छुईखदान, जिला-राजनांदगांव, छत्तीसगढ़।
2. श्री जीवन सोरी, ग्राम रोजगार सहायक, ग्राम पंचायत-गर्रा, जनपद पंचायत-छुईखदान, जिला-राजनांदगांव, छत्तीसगढ़।
रिपोर्टिंग- श्री सिध्दार्थ जैसवाल, कार्यक्रम अधिकारी, जनपद पंचायत-छुईखदान, जिला-राजनांदगांव, छत्तीसगढ़।
लेखन एवं संपादन-
1. श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
2. श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क संचालनालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
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Tuesday, 18 January 2022

मनरेगा डबरी से फुलेशराम की खेती हुई बेहतर

धान की 25 क्विंटल अधिक हुई पैदावार
सब्जी-भाजी उत्पादन के साथ मछलीपालन से अतिरिक्त कमाई


स्टोरी/रायपुर/जांजगीर चांपा/18 जनवरी 2022. जांजगीर चांपा जिले में दमाऊ पहाड़ की सुरम्मयवादियों के बीच बसे हुए गांव बरपाली कलां के रहने वाले श्री फुलेशराम आज बेहद खुश नजर आते हैं। उनकी खुशी का असल कारण है, उनके खेतों में बनी हुई निजी डबरी। यह डबरी, उनके खेत में महात्मा गांधी नरेगा से बनी है, जिसमें एकत्र हुई बारिश की बूंदों से उनके जमीन में नमी बनी रही और धान की फसल बेहतर हो सकी। डबरी से मिले फायदे से फुलेशराम इतने उत्साहित हैं कि उन्होंने इसके इर्द-गिर्द ही अपने भविष्य की योजनाओं का ताना-बाना बुन लिया है। वे खेतों में धान की फसल के साथ ही मछलीपालन और सब्जी-भाजी उत्पादन का कार्य कर रहे हैं।

फुलेशराम की डबरी जहां पर बनी है, वह जगह जांजगीर-चांपा मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर दूर और सक्ती विकासखण्ड से 15 किलोमीटर दूर बरपाली कलां ग्राम पंचायत में है। श्री फुलेशराम बरेठ पिता श्री कायतराम बरेठ के पास 5 एकड़ जमीन है, जिस पर वे कई सालों से खेती-किसानी करते आ रहे हैं, लेकिन जल संचय या जल स्त्रोतों के अभाव में वे हमेशा एक ही फसल ले पा रहे थे। अपनी इस समस्या से जूझते हुए एक दिन उनकी मुलाकात ग्राम रोजगार सहायक श्री अनिल कुमार जायसवाल से हुई। इस मुलाकात में उन्हें पता चला कि महात्मा गांधी नरेगा के माध्यम से खेतीहर किसानों की जमीन पर डबरी और कुआं निर्माण जैसे जल संसाधनों का निर्माण किया जा सकता है, जिससे किसान आवश्यकता अनुसार अपनी पानी की जरुरतों को पूरा कर सकते हैं। इनके निर्माण के दौरान हितग्राही को उसमें मजदूरी करने का अवसर भी मिलता है।

'एक पंथ दो काज' की कहावत की तरह यह बातें श्री फुलेशराम के समझ में आ गई और उन्होंने बिना एक पल की देरी किये, अपने खेत में डबरी बनाए जाने का आवेदन ग्राम पंचायत को दे दिया। अंततः ग्राम पंचायत के प्रयास से श्री फुलेशराम के खेत में निजी डबरी निर्माण के लिए 2.99 लाख रूपए की मंजूरी मिल गई और 4 दिसंबर 2020 को वहाँ डबरी खुदाई का काम शुरू हो गया। मनरेगा श्रमिकों के साथ ही उन्होंने भी डबरी की खुदाई में कंधे से कंधा मिलाकर काम किया। दिनांक 20 फरवरी 2021 को सभी की मेहनत सफल हुई और श्री फुलेशराम के खेत में डबरी का निर्माण पूरा हो गया। इस कार्य में गांव के ही 91 परिवारों को 1452 मानव दिवस रोजगार प्रदान किया गया, जिसके लिए उन्हें 2 लाख 75 हजार 880 रूपए की मजदूरी का भुगतान किया गया। वहीं दूसरी ओर हितग्राही श्री फुलेशराम के परिवार को भी इसमें रोजगार मिला और उन्हें इसके लिए 19 हजार 380 रूपए की मजदूरी प्राप्त हुई।

धान की 25 क्विंटल अधिक पैदावार
फुलेशराम बताते हैं कि जब डबरी नहीं बनी थी, तो खेती के लिये बारिश के पानी पर ही निर्भर रहना पड़ता था। यदि बारिश की आँख-मिचौली हो जाए, तो फिर पैदावार राम भरोसे हो जाती थी। ऐसी स्थिति में लगभग 80 क्विंटल के आस-पास ही धान की पैदावार हो पाती थी। वहीं इस साल इस डबरी की बदौलत उतनी ही जमीन पर 105 क्विंटल धान की पैदावार हुई, जो पिछले साल की तुलना में 25 क्विंटल अधिक थी। वे आगे बताते हैं कि इस साल हुई अधिक पैदावार से जो मुनाफा होगा, उससे वे खेती-किसानी के उपकरण खरीदेंगे। डबरी से हुए फायदे से उनके परिवार के सभी सदस्य विशेषकर उनकी जीवन संगिनी श्रीमती फिरतिन बाई बरेठ बहुत खुश हैं।

बाड़ी के साथ मछलीपालन
इस साल एक ओर जहाँ श्री फुलेशराम ने धान की फसल लगाई, जिससे उन्हें फायदा मिला। तो वहीं दूसरी ओर डबरी के आसपास की जमीन पर बाड़ी के रुप में टमाटर, मिर्च, धनिया, बरबट्टी आदि सब्जियां भी लगाई हैं, जो उनके परिवार के प्रतिदिन के भोजन की जरुरतों को पूरा कर रही हैं। इसके अलावा बारिश के बाद जब डबरी में पर्याप्त पानी भर गया था, तो उन्होंने मछलीपालन के उद्देश्य से उसमें 5 किलोग्राम मछली बीज डाले थे, जो आने वाले दिनों में उनकी अतिरिक्त आय का जरिया बनेंगे।
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एक नजरः-
कार्य का नाम- डबरी निर्माण, हितग्राही का नाम- फुलेशराम बरेठ, क्रियान्वयन एजेंसी- ग्राम पंचायत, स्वीकृत वर्ष- 2020-21
ग्राम पंचायत- बरपाली कलां, विकासखण्ड- सक्ती, जिला- जांजगीर चांपा, स्वीकृत राशि- 299582.00 लाख रुपए,
व्यय राशि- 285342.00 लाख रुपए, कार्य प्रारंभ तिथि- 04.12.2020, कार्य पूर्णता तिथि- 20.02.2021,
वर्क कोड- 3314003066/IF/1111495923, जी.पी.एस. लोकेशन- 22°07'34.9"N 82°51'20.1"E, पिनकोड- 495689,
सृजित मानव दिवस- 1452, नियोजित श्रमिकों परिवारों की संख्या- 91, मजदूरी भुगतान- 275880 रुपए,
संपर्क- हितग्राही श्री फुलेशराम बरेठ के पुत्र श्री सुरेश कुमार बरेठ का मोबाईल नं. 918085441620

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तथ्य एवं आंकड़े-श्री अनिल कुमार जायसवाल, ग्राम रोजगार सहायक, ग्रा.पं.- बरपाली कलां, ज.पं.-सक्ती, जिला-जांजगीर चांपा, छ.ग.।
रिपोर्टिंग- श्रीमती आकांक्षा सिन्हा, कार्यक्रम अधिकारी, जनपद पंचायत-सक्ती, जिला-जांजगीर चांपा, छ.ग.।
लेखन- श्री देवेन्द्र कुमार यादव, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत-जांजगीर चांपा, जिला-जांजगीर चांपा, छ.ग.।
संपादन- श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
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Monday, 3 January 2022

मनरेगा अभिसरण और ‘बिहान’ ने दिया कमाई का जरिया

स्वसहायता समूह की चार महिलाएं कैंटीन चलाकर रोज हज़ार से 12 सौ रूपए कमा रहीं


स्टोरी/रायपुर/कबीरधाम (कवर्धा)/ 3 जनवरी 2022. इंद्राणी, उर्मिला, सुनीता और सातोबाई की जिंदगी अब बदल चुकी है। महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) और ‘बिहान’ (राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन) ने उनका जीवन बदलने में बड़ी भूमिका निभाई है। महात्मा गांधी नरेगा और 14वें वित्त आयोग मद के अभिसरण से निर्मित वर्क-शेड में स्वसहायता समूह की ये महिलाएं ‘बिहान कैंटीन’ संचालित कर रोज लगभग एक हजार से 1200 रूपए की कमाई कर रही हैं।

ये चारों महिलाएं कबीरधाम जिले के बोड़ला विकासखंड के राजानवागांव के भारत माता स्वसहायता समूह की सदस्य हैं। इन महिलाओं ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत गठित ग्राम संगठन से 30 हजार रूपए का कर्ज लेकर कैंटीन शुरू किया है। इनके हुनर और इनके बनाए नाश्ते के स्वाद से कैंटीन में भीड़ जुटने लगी है। प्रसिद्ध पर्यटन एवं धार्मिक स्थल भोरमदेव पहुंचने वाले पर्यटक, कैंटीन के पास स्थित भोरमदेव आजीविका केन्द्र में काम करने वाले तथा नजदीकी धान खरीदी केन्द्र में आने वाले किसानों की भीड़ वहां लगी रहती है। इससे इनकी आमदनी बढ़ रही है। अक्टूबर-2021 के आखिरी सप्ताह में शुरू हुई इस कैंटीन से इन महिलाओं ने अब तक लगभग 60 हजार रूपए का नाश्ता बेचा है। इसमें से 30 हजार रूपए बचाकर उन्होंने आमदनी में हिस्सेदारी के साथ ग्राम संगठन से लिया गया कर्ज लौटाना भी शुरू कर दिया है।

‘बिहान कैंटीन’ संचालित करने वाली भारत माता स्वसहायता समूह की सचिव श्रीमती उर्मिला ध्रुर्वे बताती हैं कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत उनके समूह का गठन हुआ है। समूह ने कैंटीन चलाने के लिए बर्तन और राशन खरीदने ग्राम संगठन से 30 हजार रूपए का ऋण लिया है। समूह की चार महिलाएं इस कैंटीन का संचालन कर रही हैं। उर्मिला आगे बताती है कि समूह की कोशिश रहती है कि कैंटीन में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को गरमा-गरम चाय-नाश्ता परोसा जाए। दिनभर की मेहनत के बाद चारों सदस्यों को 300-300 रूपए की आमदनी हो जाती है। महात्मा गांधी नरेगा और ‘बिहान’ के सहयोग से वे अब आर्थिक रूप से स्वावलंबी हो रही हैं।

राजानवागांव के सरपंच श्री गंगूराम धुर्वे स्व सहायता समूह के लिए महात्मा गांधी नरेगा अभिसरण से बने इस वर्क-शेड के बारे में बताते हैं कि ग्राम पंचायत के प्रस्ताव के आधार पर वर्ष 2020-21 में इसकी स्वीकृति मिली थी। भोरमदेव आजीविका केन्द्र से लगा यह शेड सात लाख आठ हजार रूपए की लागत से जुलाई-2021 में बनकर तैयार हुआ। गांव के मनरेगा श्रमिकों को इसके निर्माण के दौरान 335 मानव दिवस का रोजगार प्राप्त हुआ जिसके लिए उन्हें करीब 64 हजार रूपए का मजदूरी भुगतान किया गया। महात्मा गांधी नरेगा और 14वे वित्त आयोग के अभिसरण के तहत निर्मित इस परिसम्पत्ति ने कैंटीन के रूप में महिलाओं को आजीविका का नया साधन दिया है।

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एक नजरः-
कार्य का नाम- शेड निर्माण कार्य स्व सहायता महिला समूह के लिए, क्रियान्वयन एजेंसी- ग्राम पंचायत, स्वीकृत वर्ष- 2020-21
ग्राम पंचायत- राजानवागांव, विकासखण्ड- बोडला, स्वीकृत राशि- 7.30 लाख रुपए, व्यय राशि- 7.08 लाख रुपए
कार्य प्रारंभ तिथि- 03.11.2020, कार्य पूर्णता तिथि- 24.07.2021, वर्क कोड- 3302002041/AV/1111385308,

परियोजना में शामिल योजनावार लागतें-
स्वीकृत राशि रुपए 7.30 लाख रुपए में महात्मा गांधी नरेगा से ₹ 6 लाख 64 हजार और 14वे वित्त से ₹ 66 हजार रुपए,
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत 30 हजार रुपए (लोन) से कैंटीन हेतु बर्तन एवं खाद्य सामग्री की खरीदी

सृजित मानव दिवस- 335, नियोजित श्रमिकों की संख्या- 58, मजदूरी भुगतान- 63815.00 रुपए,
जी.पी.एस. लोकेशन- 22°04'43.6"N 81°11'54.8"E, पिनकोड- 491995,
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तथ्य एवं आंकड़े-
1. श्री अभिषेक जायसवाल, बी.पी.एम.-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान), ज.पं.-बोडला, जिला-कबीरधाम, छ.ग.।
2. श्रीमती गीतू वर्मा, तकनीकी सहायक, जनपद पंचायत-बोडला, जिला-कबीरधाम, छ.ग.।
3. श्री मनोज यादव, ग्राम रोजगार सहायक, ग्रा.पं.-राजानवागांव, ज.पं.-बोडला, जिला-कबीरधाम, छ.ग.।

रिपोर्टिंग- श्री रमेश भास्कर, कार्यक्रम अधिकारी, जनपद पंचायत-बोडला, जिला-कबीरधाम, छ.ग.।
लेखन- श्री विनीत दास, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत-कबीरधाम, जिला-कबीरधाम, छ.ग.।
पुनर्लेखन एवं संपादन-
1. श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
2. श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क संचालनालय, रापपुर, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
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महात्मा गांधी नरेगा से बने कुएं ने दिखाई कर्ज मुक्ति की राह

कुएं ने धान की पैदावार तो बढ़ाई ही, आजीविका का नया जरिया भी दिया. ईंट निर्माण से तीन सालों में साढ़े तीन लाख की कमाई. स्टोरी/रायपुर/बीजापुर/...