Tuesday, 7 December 2021

दिव्यांग सुश्री ठगन ने संघर्ष कर बदली अपनी तकदीर

मनरेगा मेट बनकर योजना में बढ़ाई महिलाओं की भागीदारी
और खुद को भी बनाया सशक्त.


स्टोरी/रायपुर/राजनांदगांव/07 दिसम्बर 2021. दुनिया में ऐसे कई दिव्यांग हैं, जिन्होंने अपनी कमजोरी को ही अपनी ताकत बनाया है। इन्होंने कभी हौसला नहीं खोया और सफलता के मुकाम पर पहुँचकर औरों के लिए आदर्श प्रस्तुत किया है। दिव्यांगता को कभी जीवन में बाधक बनने नहीं दिया और संघर्ष कर अपनी तकदीर को बदला है। राजनांदगांव जिले के छुईखदान विकासखण्ड की मुंडाटोला ग्राम पंचायत की दिव्यांग महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) मेट सुश्री ठगन मरकाम की कहानी भी ऐसी ही है। परिवार में माता-पिता के गुजरने के बाद गाँव के बड़े-बुर्जुगों को ही अपना अभिभावक मानकर मनरेगा के जरिये गाँव के लिए कुछ कर गुजरने का हौसला रखने वाली वह आज सबकी, विशेषकर महिलाओं की आदर्श बन गई है।

35 वर्षीया सुश्री ठगन एक पैर से दिव्यांग हैं और जनवरी 2021 से गाँव में महिला मेट की भूमिका का सफलतापूर्वक निर्वहन कर रही हैं। मेट बनने के बाद उन्होंने गाँव में नया तालाब निर्माण, श्री विनय धुर्वे के खेत में भूमि सुधार कार्य एवं श्री श्यामलाल के खेत में कूप निर्माण का कार्य करवाया है। उनकी सक्रियता से योजनांतर्गत खुले कामों में महिला श्रमिकों की भागीदारी बढ़कर 50 प्रतिशत पर पहुँच गई है। महात्मा गांधी नरेगा में वर्ष 2019-20 में जहाँ महिलाओं के द्वारा सृजित मानव दिवस रोजगार का प्रतिशत 42.36 था, वह वर्ष 2020-21 में बढ़कर 50.86 प्रतिशत हो गया। गाँव में महिलाओं के बीच अपने सरल व्यवहार को लेकर लोकप्रिय सुश्री ठगन ने अपनी लगनशीलता के बलबते चालू वित्तीय वर्ष में भी महिलाओं की भागीदारी को 50 प्रतिशत बनाकर रखा है। नवम्बर, 2021 की समाप्ति तक गाँव में कुल रोजगार प्राप्त 615 श्रमिकों में से 310 महिला श्रमिकों को 6802 मानव दिवस का रोजगार मिल चुका है।

मनरेगा मेट सुश्री ठगन का अतीत संघर्षों से भरा रहा है। मनरेगा मजदूर से मनरेगा मेट बनने का सफर उनके लिए आसान नहीं था। माता-पिता के स्वर्गवास होने और बहनों के विवाह उपरांत वह परिवार में अकेली हो गई थी। एक पैर से दिव्यांग होने के कारण पंचायत से उन्हें उनकी क्षमता के अनुसार काम मिलता था। । अपने संघर्षों के बारे में ठगन मरकाम कहती हैं कि उनके पास लगभग डेढ़ एकड़ की पुश्तैनी कृषि भूमि है, जिसे वे अधिया में देकर कृषि कार्य कराती हैं। जीवन-यापन के सीमित साधनों के कारण उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। ऐसे में ग्राम रोजगार सहायक सुश्री सरिता ध्रुर्वे उनके लिए नवा बिहान (नई सुबह) बनकर आयी और उन्हें महात्मा गांधी नरेगा में महिला मेट के रुप में काम करने की सलाह दी। यह उनकी सलाह का ही परिणाम है कि सुश्री ठगन गाँव में आज मनरेगा मेट के रुप में सम्मानपूर्वक अपने दायित्वों का निर्वहन कर पा रही हैं। मनरेगा से मिले पारिश्रमिक से उन्होंने अपने लिए एक सिलाई मशीन खरीद ली है, जिसका उपयोग वे अपनी आजीविका समृद्धि के लिए कर रही हैं।

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वित्तीय वर्ष 2021-22 में दिनांक- 04.12.2021 की स्थिति में एक नजरः-
जारी जॉब कार्ड संख्या- 314, सक्रिय जॉब कार्ड संख्या- 303,
रोजगार प्राप्त परिवारों की संख्या- 286, रोजगार प्राप्त श्रमिकों की संख्या- 615, सृजित मानव दिवस- 13602,
रोजगार प्राप्त महिला श्रमिकों की संख्या- 310, महिला श्रमिकों के द्वारा सृजित मानव दिवस- 6802,
मेट का नाम- सुश्री ठगन मरकाम पिता स्व. श्री राम मरकाम, उम्र- 35 वर्ष, मोबाईल नं.-82258 93923

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तथ्य/आंकड़े– श्री सिद्धार्थ जायसवाल, कार्यक्रम अधिकारी, जनपद पंचायत-छुईखदान, जिला-राजनांदगांव, छत्तीसगढ़,
रिपोर्टिंग- श्री फैज मेमन, सहायक परियोजना अधिकारी, जिला पंचायत-राजनांदगांव, जिला-राजनांदगांव, छत्तीसगढ़,
लेखन- श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।

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