चम्पाबाई ने 6 महीने में ही कमाए 89 हजार रूपए, बकरियों की संख्या 4 से बढ़कर 26 हुई
स्टोरी/रायपुर/रायगढ़/ 3 मार्च 2022. ग्रामीण क्षेत्र में गरीब की गाय के नाम से मशहूर बकरी आजीविका का महत्वपूर्ण साधन शुरु से रही है। यह बहुपयोगी होने के कारण भूमिहीन, छोटे और सीमांत किसानों के भरण-पोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यही कारण है कि रायगढ़ जिले की ग्राम पंचायत- बटाऊपाली (ब) की रहने वाली श्रीमती चम्पाबाई ने भी बकरी पालन व्यवसाय को अपनाया और अपनी मेहनत के बलबूते आज उन्होंने अपने जीवन की दशा और दिशा, दोनों बदली दी है। बकरी पालन के लिए महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) से पक्का शेड बनने के बाद श्रीमती चम्पाबाई अब व्यवस्थित ढंग से अपने व्यवसाय को आगे बढ़ा पा रही है। शेड बनने से पहले उसके पास केवल चार बकरी थी। महात्मा गांधी नरेगा के माध्यम से घर में बकरी शेड बनने के बाद उसके बकरी पालन के व्यवसाय ने जोर पकड़ा और कमाई बढ़ने लगी। अब उसके पास 26 बकरे-बकरियां हो गए हैं। बकरी पालन से उसने छह महीने में ही 89 हजार रूपए कमाए हैं।
चम्पाबाई का जीवन
श्रीमती चम्पाबाई, पति श्री कार्तिकराम पटेल, बकरी पालन से अपने परिवार की आर्थिक हालात सुधार रही है। उसके इस काम में घर में महात्मा गांधी नरेगा से निर्मित बकरी पालन शेड ने बड़ी भूमिका निभाई है। चम्पाबाई की लगन, मेहनत और योजना से मिले सहयोग से उसका व्यवसाय तेजी से फल-फूल रहा है और अच्छी आमदनी हो रही है। मां गंगा स्वसहायता समूह की सदस्य चम्पाबाई के परिवार के पास करीब पांच एकड़ जमीन है। इसमें से केवल तीन एकड़ में ही खेती-बाड़ी हो पाती है। खेती के बाद के समय में मजदूरी कर परिवार गुजर-बसर करता है। चम्पाबाई ने घर की आमदनी बढ़ाने के लिए बकरी पालन का काम शुरू किया। लेकिन कच्चा और टूटा-फूटा कोठा के कारण इसमें बहुत कठिनाई हो रही थी। वह इसे व्यवस्थित ढंग से आगे नहीं बढ़ा पा रही थी। अपनी परेशानी को उसने समूह की बैठक में रखा। समूह के सदस्यों की सलाह पर उसने महात्मा गांधी नरेगा के तहत अपनी निजी भूमि पर पक्का कोठा के निर्माण के लिए ग्राम पंचायत को आवेदन दिया।
महात्मा गांधी नरेगा से मिली सहायता
ग्राम पंचायत की पहल पर महात्मा गांधी नरेगा के अंतर्गत वर्ष 2020-21 में बतौर हितग्राही चम्पाबाई की निजी जमीन पर 61 हजार 265 रुपयों की लागत से बकरी शेड निर्माण (कोठा) के लिए प्रशासकीय स्वीकृति मिली। लगातार 15 दिनों के काम के बाद दिसम्बर-2020 में उसका कोठा बनकर तैयार हो गया। इस काम में उसके और गांव के एक अन्य परिवार को 34 मानव दिवसों का रोजगार भी प्राप्त हुआ, जिसके लिए उन्हें 6 हजार 460 रूपए का मजदूरी भुगतान किया गया। शेड बनने के बाद चम्पाबाई को बकरी पालन के लिए पर्याप्त जगह मिली और उसका धंधा जोर पकड़ने लगा।
पक्का बकरी शेड निर्माण के पहले चम्पाबाई के पास केवल चार बकरियाँ थीं। शेड बनने के बाद उसने चार और बकरियाँ खरीदीं। इन बकरियों से जन्मे मेमनों के बाद उसके पास कुल 26 बकरे-बकरियाँ हो गए हैं। इनमें से 15 बकरे-बकरियों को बेचकर उसने छह महीनों में 89 हजार रूपए कमाए हैं। वह बकरी को पांच हजार रूपए और बकरा को सात हजार रूपए की दर से बेचती है। बकरी पालन से कम समय में हुए इस लाभ से चम्पाबाई खुश हैं। इससे उसकी माली हालत तो सुधरी ही, घर के लिए उसने नई टी.वी., पंखा और आलमारी भी खरीदी है।
श्रीमती चम्पाबाई बकरी पालन के अपने इस धंधे को और आगे बढ़ाना चाहती है। वह कहती है कि अगर उसे बकरी पालन के लिए मनरेगा से शेड नहीं मिलता, तो वह अपना काम आगे नहीं बढ़ा पाती। अब वह गांव के दूसरे लोगों को भी बकरी पालन को व्यवसाय के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
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कार्य का नाम- बकरी शेड (कोठा) निर्माण कार्य, हितग्राही- श्रीमती चम्पाबाई पति श्री कार्तिकराम पटेल, मो.-7489033936,
परिवार रोजगार कार्ड (जॉब कार्ड)- CH-13-008-096-001/41
क्रियान्वयन एजेंसी- ग्राम पंचायत, स्वीकृत वर्ष- 2020-21, ग्राम पंचायत- बटाऊपाली (ब), विकासखण्ड- सारंगढ़,
स्वीकृत राशि- 61,265.00 रुपए, व्यय राशि- 54,938.00 लाख रुपए
कार्य प्रारंभ तिथि- 24.11.2020, कार्य पूर्णता तिथि- 08.12.2020, वर्क कोड- 3313008096/IF/1111513039,
सृजित मानव दिवस- 34, नियोजित परिवारों की संख्या- 02, मजदूरी भुगतान- 6,460.00 रुपए,
सामग्री भुगतान- 48,478.00 रुपए, जी.पी.एस. लोकेशन- 21°32'59.0"N 83°07'24.8"E, पिनकोड- 496445,
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तथ्य एवं आंकड़े-
1. श्री युवराज पटेल, कार्यक्रम अधिकारी, ज.पं.-सारंगढ़, जिला-रायगढ़, छ.ग.।
2. श्री मुकेश सुमन, तकनीकी सहायक, जनपद पंचायत-सारंगढ़, जिला-रायगढ़, छ.ग.।
3. कु. रेशमा सिदार, ग्राम रोजगार सहायक, ग्रा.पं.-बटाऊपाली (ब), ज.पं.-सारंगढ़, जिला-रायगढ़, छ.ग.।
रिपोर्टिंग- श्री राजेश शर्मा, समन्वयक (शिकायत निवारण), जिला पंचायत-रायगढ़, छ.ग.।
लेखन- श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
संपादन- श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क संचालनालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
लेखन- श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
संपादन- श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क संचालनालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
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