Monday, 16 April 2018

सरपंच की सोच और अभिसरण से आंगनबाड़ी बनी फुलवारी


सरपंच की सोच और अभिसरण से
आंगनबाड़ी बनी फुलवारी
जीवन में माहौल काफी मायने रखता है। यदि माहौल खूबसूरत और खुशनुमा हो तो सीखने और समझने में सहायता मिलती है। छोटे बच्चों के संदर्भ में यह बात काफी मायने रखती है। इसीलिए शहरों में छोटे बच्चों के लिए जो प्ले-स्कूल होते हैं, वे बड़े मन-भावन होते हैं। उनकी भीतरी और बाहरी दीवारों पर सुंदर-सुंदर और रंग-बिरंगे चित्र बने होते हैं। इसके अलावा स्कूल के प्रांगण में सुगंधित और खूबसूरत फूलों के पौधे भी होते हैं। यह माहौल बच्चों ही नहीं बल्कि बड़ों को भी आकर्षित करता है। मैं जब भी शहर जाता, तो ये सब वहाँ देखता और सोचा करता कि अपने गांव के छोटे बच्चों के लिए भी कम-से-कम एक ऐसी प्ले-स्कूल जैसी आंगनबाड़ी होनी चाहिए।

आज जो आप यह आंगनबाड़ी देख रहे हैं, यह इसी सोच का परिणाम है। सभी पंचों और ग्रामीणों की मेहनत से हमारे गांव में भी शहर के प्ले-स्कूल के भांति सुंदर आंगनबाड़ी, सामने की ओर खूबसूरत बगीचा और झूलें हैं। इन्हें देखने से यह भवन और परिसर, आंगनबाड़ी न होकर फुलवारी हो गया है। यह कहना है बालोद जिले की ग्राम पंचायत- कुरदी के सरपंच श्री देवी प्रसाद देवांगन का।
गुण्डरदेही विकासखण्ड में फुलवारी के नाम से प्रसिद्ध हो रही इस आंगनबाड़ी के सम्बन्ध में सरपंच श्री देवांगन जी बताते  हैं कि बच्चों के लिए फुलवारी बनाने कि मेरी इस सोच को मैदानी स्तर पर आधार मिला है, महात्मा गांधी नरेगा और योजनाओं के परस्पर तालमेल से। योजनाओं के तालमेल यानि अभिसरण के अंतर्गत महात्मा गांधी नरेगा से 5 लाख रुपये और महिला व बाल विकास विभाग से 1 लाख 45 हजार रुपयों को मिलाकर, नवीन आंगनबाड़ी भवन के निर्माण के लिए राशि 6 लाख 45 हजार रुपयों की स्वीकृति प्राप्त हुई थी। ग्राम पंचायत ने बतौर क्रियान्वयन एजेंसी के रुप में इस महत्वपूर्ण कार्य का प्रारंभ दिनांक 22 मार्च, 2016 को किया। सभी की मेहनत रंग लाई और दिनांक 9 अक्टूबर, 2016 को यह आंगनबाड़ी भवन बिल्कुल शहरी प्ले-स्कूल के भांति बनकर तैया र हो गया। भवन के निर्माण में यह बात महत्वपूर्ण रही, कि इसके निर्माण में गांव के 13 भाईयों और 10 बहनों ने जी-जान के साथ मिलकर काम किया। इन बहनों में से क्षमाबाई और मुन्नीबाई के बच्चे त्रिदेव और घनिता इसी आंगनबाड़ी में शिशु शिक्षा और देखभाल पा रहे हैं।

इसी दरम्यान आंगनबाड़ी में बच्चों से मुलाकात करवाते हुये आंगनबाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती युगेश्वरी देवांगन कहती हैं कि अब हमारे गांव में 2 आंगनबाड़ी हो गई है। गांव में बच्चों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर और गांव की बसाहट के कारण दूसरी आंगनबाड़ी की आवश्यकता लंबे समय से महसूस हो रही थी, जिसे इस नवीन आंगनबाड़ी भवन ने पूरा कर दिया है। मेरी इस नवीन आंगनबाड़ी का क्रमांक 2 है। गांव में 12 वार्ड हैं, तो यहाँ 6 वार्डों के 27 बच्चे, 8 गर्भवती महिलाएं और 9 शिशुवती महिलाएं आती हैं। सरपंच जी की इच्छाशक्ति और ग्राम पंचायत के प्रयासों से हमारे गांव को भी शहरों के भांति नये रुप-रंग में आंगनबाड़ी मिल गई है। इसकी बाहरी दिवारों पर हुई रंग-बिरंगी चित्रकारी और कलात्मक बनावट, बच्चों को अपनी ओर आकर्षित करती है। आंगनबाड़ी का यह नया स्वरुप बच्चों में अवलोकन एवं अनुकरण की क्षमता को बढ़ाता है।

नवीन भवन में पृथक से रसोईघर, स्टोर और शौचालय की व्यवस्था से आंगनबाड़ी सहायिका को कार्य करने में काफी  सहुलियतें हुई हैं। आंगनबाड़ी भवन के बाहर परिसर में ही बनाये गये सुंदर गार्डन और झूले, इसे फुलवारी का स्वरुप प्रदान करते हैं। बच्चे आंगनबाड़ी में शिशु शिक्षा और पोषण प्राप्त करने के बाद, बाहर गार्डन में खेलते हैं और झूले में झूलते हैं। गार्डन और झूलों के कारण, कई बार तो प्राथमिक शाला के बच्चे भी यहाँ नजर आते हैं। अपनी बातों को विस्तार देते हुये सरपंच श्री देवीप्रसाद आगे बताते हैं कि जिले में इस नये स्वरुप में अन्य ग्राम पंचायतों में भी नवीन भवन बन रहे हैं, किन्तु हमने यहाँ छांयादार व फूलदार पौधों के साथ एक सुंदर गार्डन बनाया है और झूलों की व्यवस्था भी की है। इससे बच्चों का मानसिक और शारीरिक, दोनों विकास हो रहा है। इसी अनुक्रम में सरपंच जी की बातों के समर्थन में तकनीकी जानकारी देते हुये ग्राम रोजगार सहायक श्री भीखम साहू कहते हैं कि यहाँ झूलों की व्यवस्था और गार्डन का निर्माण भी योजनाओं के अभिसरण के जरीये किया गया है। इसके अंतर्गत महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का अभिसरण 14वें वित्त योजना और जिला खनिज न्यास निधि से किया गया है।









इस प्रकार नवीन भवन और परिसर में बने गार्डन-झूलों से यह बात सार्थक प्रतीत हो रही है कि जिला-बालोद की ग्राम  पंचायत-कुरदी में योजनाओं के अभिसरण ने आंगनबाड़ी को फुलवारी का स्वरुप दे दिया है। यह फुलवारी, गांव के प्ले-स्कूल के रुप में शिशुओं के संज्ञानात्मक, व्यक्तिगत-सामाजिक एवं संवेगात्मक, शारीरिक, भाषायी एवं सृजनात्मक विकास में सहायक हो रही है।



  






Monday, 9 April 2018

जागरुकता और भागीदारी का प्रकाशपुंज बना, नवीन पंचायत भवन




जागरुकता और भागीदारी का प्रकाशपुंज बना, नवीन पंचायत भवन


कई बार सहसा, कोई निर्माण कार्य भी किसी उद्देश्य की प्राप्ति के मार्ग को सहज कर देते हैं। ऐसा ही निर्माण कार्य रायपुर जिले के आरंग विकासखण्ड की ग्राम पंचायत-बेनीडीह में देखने को मिलता है। यहाँ महात्मा गांधी नरेगा के साथ पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओं के अभिसरण से बने नवीन पंचायत भवन की बाहरी दीवारों पर चित्रित विभिन्न योजनाओं की जानकारियां, ग्रामीणों को जागरुक कर उनकी स्थानीय स्वशासन में भागीदारी को बढ़ा रही हैं। ग्राम पंचायत के द्वारा नवाचार के तहत इस नवीन भवन में कुछ इस तरह प्रकाश व्यवस्था की गई है कि, रात को यह रंग-बिरंगी रोशनी में जगमगाता हुआ दिखाई देता है। इस रोशनी में भवन की बाह्य दीवारों पर उकेरे गये चित्र और जानकारियाँ सहसा ही यहाँ से गुजरने वालों का मन मोह लेती हैं। इस प्रकार यह भवन दिन और रात, दोनों ही अवधि में ग्रामीणजनों को जागरुक करने और उनकी पंचायतराज व्यवस्था में भागीदारी को प्रेरित करने के लिए प्रकाशपुंज की भूमिका निभा रहा है।
साल 2014 तक बेनीडीह, ग्राम पंचायत-राटाकाट का आश्रित गांव हुआ करता था। बारिश के समय महानदी के पानी के बहाव के कारण ग्राम पंचायत मुख्यालय पहुँचने का रास्ता बंद हो जाता था। परिणामस्वरुप लभगभ 7 किलोमीटर का रास्ता घूमकर ही ग्राम पंचायत- कार्यालय में पहुँचा जा सकता था। ग्रामीणों की इस समस्या को समझते हुये प्रदेश सरकार ने प्रशासनिक संवेदनशीलता के तहत् बेनीडीह को आरंग विकासखण्ड का ग्राम पंचायत घोषित किया । इससे यहाँ के ग्रामीणों को ग्रामीण सचिवालय के कार्यों के लिए तो सहुलियत हो गई, किन्तु ग्राम पंचायत भवन नहीं होने के कारण पंचायत की बैठकें और ग्राम सभा की कार्यवाही जैसे कार्य सामुदायिक भवन में संपादित करने पड़ रहे थे। ग्राम पंचायत की इस समस्या का समाधान भी शीघ्र ही निकल आया। यहाँ नवीन पंचायत भवन के निर्माण के लिए साल 2016-17 में प्रशासकीय स्वीकृति मिल गई। भवन निर्माण के लिए शासन की विभिन्न योजनाओं की निधियों के अभिसरण की युक्ति अपनाई गई। इसके अंतर्गत महात्मा गांधी नरेगा से 8 लाख 15 हजार तथा राज्य सरकार की योजना मुख्यमंत्री समग्र ग्रामीण विकास योजना से 5 लाख व 14वें वित्त योजना से 1 लाख रुपये की राशि जारी की गई। ग्राम पंचायत के पदाधिकारियों और ग्रामीणों की लगन का ही परिणाम था कि राशि 14 लाख 15 हजार रुपयों की कुल लागत से यह भवन अक्टूबर-2017 में बनकर तैयार हो गया।
ग्रामीण श्री दिनेश कुमार सिन्हा, श्री चैतराम साहू और श्री मुकेश सिन्हा से मौके पर हुई चर्चा में वे बताते हैं कि गांव में नवीन पंचायत भवन बनने के बाद से पंचायत के कार्यों में तेजी आई है। अब हमें अपने गांव की समस्याओं, मांगो और विकास के कार्यों पर अपने विचार रखने के लिए एक समुचित स्थान मिल गया है। पंचायत भवन पर योजनाओं की जानकारी इतने सरल शब्दों में दी गई है कि अब हम सभी योजनाओं के बारे नई-नई बातें जानने के लिए ग्राम पंचायत कार्यालय में होने वाली बैठकों में आते रहते हैं। विशेष अवसरों पर हमारा पंचायत भवन देर शाम या रात तक भी खुला रहता है। ऐसे में यहां की गई रोशनी व्यवस्था से यह भवन जगमगाता हुआ बहुत सुंदर दिखाई देता है। इसके कारण यह पंचायत भवन आस-पड़ोस की दूसरी ग्राम पंचायतों के भवनों से अलग नजर आता है।
ग्राम पंचायत- बेनीडीह की सरपंच श्रीमती ईश्वरी देवदास ग्रामीणों से नये पंचायत भवन पर हो रही चर्चा को आगे बढ़ाते हुये कहती हैं कि इस तरह का भवन निर्माण, उसकी बाहरी दिवारों पर योजनाओं की सारगर्भित जानकारियाँ और रोशनी व्यवस्था पंचायत के सभी प्रतिनिधियों का सामूहिक संकल्प था, जिसे ग्रामीणों की भागीदारी से पूरा किया गया। खुद का भवन होने से पंचायत के कार्यों को व्यवस्थित ढंग से करने में सहायता मिल रही है। भवन की बाहरी दीवारों पर योजनाओं की जानकारियों के रेखांकन के बाद से ग्रामीणों में जागरुकता का स्तर बढ़ा है। वे अब योजनावार चर्चा में अपनी मांगों और समस्याओं पर खुलकर चर्चा करते हैं। यह पंचायत भवन हम सभी के लिए विकास का एक प्रकाशपुंज बनकर सामने आया है।

महात्मा गांधी नरेगा से बने कुएं ने दिखाई कर्ज मुक्ति की राह

कुएं ने धान की पैदावार तो बढ़ाई ही, आजीविका का नया जरिया भी दिया. ईंट निर्माण से तीन सालों में साढ़े तीन लाख की कमाई. स्टोरी/रायपुर/बीजापुर/...