छोटी शुरुआत से उम्मीदों की
उड़ान
दुग्ध
उत्पादन कर, आदिवासी संवार रहे हैं अपनी जिंदगी
किसी भी कार्य की शुरुआत अच्छी होनी चाहिए। यह
जरुरी नहीं की वो बड़ी हो या छोटी। अक्सर छोटी-छोटी शुरुआतें और सफलता,
आत्मविश्वास को बढ़ाती हैं। इसी आत्मविश्वास के सहारे उम्मीदों के उड़ानों की
शुरुआत होती है। कोरिया जिले के बैकुण्ठपुर विकासखण्ड की ग्राम पंचायत-जगतपुर में
आदिवासी परिवारों द्वारा संचालित एक छोटी-सी डेयरी को देखकर ये बातें निश्चित तौर
पर कही जा सकती हैं। यहाँ डेयरी में एक गिलास दूध पीने से इस बात का अहसास हो जाता
है, कि ये आदिवासी समूह किस शिद्द्त से अपनी आजीविका को बेहतर बनाने के लिए
दिलों-जान से लगा हुआ है।
इनकी
इस शुरुआत को आधार मिला, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और
जिला खनिज न्यास संस्थान (डिस्ट्रीक मिनरल फण्ड) के परस्पर तालमेल से। इस तालमेल
में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महात्मा गांधी नरेगा)
से प्राप्त दो लाख रुपयों से जहाँ डेयरी के लिए शेड का निर्माण हुआ, वहीं जिला
खनिज न्यास संस्थान की निधि से प्राप्त नौ लाख नब्बे हजार रुपयों से डेयरी निर्माण
की शेष आवश्यकताओं की पूर्ति की गई और गायों व सांड की व्यवस्था हुई।
यहाँ आदिवासी किसान अवधनारायण, जगजीत सिंह, शोभनाथ
सिंह, बुधराम और संतोष सिंह ने डेयरी व्यवसाय की
शुरुआत करके, अपनी आजीविका को बेहतर बनाने की सोच रखने वाले ग्रामीणों और छोटे
किसानों के सामने मिसाल पेश की हैं। समूह के सदस्य अवधनारायण बताते हैं कि वे
परिवार में पुरखों से गाय-पालन करते आए हैं और यह उनकी परंपरा और रुचि का काम भी
है। यह कभी नहीं सोचा था कि इस काम को रोजी-रोटी का भी हिस्सा बनाएंगे। एक दिन
हमें ग्राम पंचायत और कृषि विज्ञान केन्द्र से डेयरी चलाने का कौशल प्रशिक्षण
मिलने की जानकारी प्राप्त हुई, तभी से हमनें सोच लिया था कि अब अपने परंपरागत
कार्य को अपना हुनर बनाकर जिंदगी संवारेंगे। हमने महात्मा गांधी नरेगा के अंतर्गत
प्रोजेक्ट लाइफ से डेयरी संचालन का प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद कृषि विज्ञान
केन्द्र-बैकुण्ठपुर के विषय विशेषज्ञ श्री संदीप शर्मा जी के मार्गदर्शन में हमारी
इस डेयरी का प्रोजेक्ट बना और महात्मा गांधी नरेगा योजना के अभिसरण के अंतर्गत
स्वीकृत हुआ। हम पांचो ने मिलकर एक सितम्बर 2017 को डेयरी निर्माण की शुरुआत की।
लगभग नौ महिनों की मेहनत के बाद हमारी डेयरी बनकर तैयार हो गई। प्रशिक्षण तो हमें
मिल ही चुका था। इसलिये हम जी-जान से डेयरी के काम में जुट गये।
पशुओं
की देखभाल पर पूरा ध्यान
डेयरी में गायों की देखभाल और दूध
दुहने की जिम्मेदारी समूह के सदस्य मिलकर निभाते हैं। समूह का कोई न कोई सदस्य हर
समय डेयरी में मौजूद रहता ही है। चार गायों से शुरु हुई इस डेयरी में प्रजनन के
बाद सदस्यों की संख्या 5 से बढ़कर 8 हो गई है। पशुओं के बीमार होने पर तत्काल पशु चिकित्सक को बुलाकर उपचार कराया जाता
है। समूह के सदस्य गायों की नस्ल सुधारने के काम में भी लगे हुए हैं। इस डेयरी
केन्द्र में यहाँ के अलावा गांव की अन्य 10 गायों का भी नस्ल सुधार किया जा चुका
है।
शुरुआत
में 16 लीटर से ज्यादा दूध का हो रहा उत्पादन
अभी शुरुआत में डेयरी में एक गाय रोजाना औसतन 4 से
6 लीटर दूध दे रही हैं, जो कुछ दिनों में ओर अधिक बढ़
जायेगा। समूह के सदस्य श्री अवधनारायण के मुताबिक उनकी डेयरी में रोजाना 20 से 22 लीटर
के बीच दूध का उत्पादन होता है। दूध की अधिकांश खपत नजदीकी कोरिया-कॉलरी में हो
जाती है, जहाँ उन्हें दूध का 40 रुपये प्रति लीटर का दाम मिल जाता है। यानी महीने
भर में करीब पच्चीस हजार रुपये का दूध बिक जाता है। इतना ही नहीं डेयरी से निकलने
वाले गोबर से गांव में स्थापित वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन इकाई में जैविक खाद तैयार
करते हैं और उसे अपने खेतों में इस्तेमाल भी करते हैं।
कड़ी
मेहनत और समय पर मार्गदर्शन से सफलता
आम
कृषक से प्रगतिशील डेयरी किसान बनने वाले जगजीत सिंह का कहना है कि जो दिन-रात काम
कर सकता है, उसे ही डेयरी खोलनी चाहिए। जगजीत के मुताबिक डेयरी में हर वक्त पशुओं
का ध्यान रखना पड़ता है। उनके खाने से लेकर साफ-सफाई और दवा-पानी, सब कुछ देखना
होता है। यह बहुत मेहनत का काम है लेकिन इसे करने से आत्मसंतुष्टि भी मिलती है। डेयरी
के काम में धैर्य भी रखना होता है और समस्याएं भी आती रहती हैं, जिन्हें डॉक्टरों
और विशेषज्ञों के मार्गदर्शन से दूर किया जा सकता है।
डेयरी
संचालन के समस्त कार्यों में ग्राम पंचायत का भरपूर सहयोग मिला। डेयरी स्थापना से
आज तक कृषि विज्ञान केन्द्र, बैकुण्ठपुर के वैज्ञानिक व विषय-विशेषज्ञों का नियमित
मार्गदर्शन मिल रहा है।
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एक
नजरः-
कार्य
का नाम- आदिवासी किसानों द्वारा सामूहिक गाय प्रजनन
केंद्र,
हितग्राही
का नाम- अवधनारायण सिंह, जगजीत सिंह, शोभनाथ सिंह,
बुधराम और संतोष सिंह
ग्राम पंचायत-
जगतपुर, विकासखण्ड- बैकुण्ठपुर, जिला- कोरिया, छत्तीसगढ़
अभिसरण में शामिल योजना/विभाग व परियोजना की लागत-
13.90
लाख (महात्मा गांधी नरेगा- 2.00 लाख
व जिला खनिज न्यास संस्थान निधि- 9.90 लाख),
निर्माण वर्ष- 2017-18
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