Thursday, 13 December 2018

बंजर टापू हुआ गुलजार

बंजर टापू हुआ गुलजार

मनरेगा से वीरान भूमि में किया वृक्षारोपण, सींचकर बिखेरी हरियाली


       
      धमतरी जिले के कुरुद विकासखण्ड के अंतर्गत ग्राम पंचायत- परखंदा में महानदी के जल प्रवाह क्षेत्र में बना टापू, जो करीब दशकों पहले से वीरान और बंजर था, उसे कड़ी मेहनत और हौसलों के दम पर परखंदा के सरपंच और ग्रामीणों ने मिलकर हरा-भरा कर दिया है। आज उसमें हरे-भरे फलदार वृक्ष लहलहा रहे हैं। इन पेड़-पौधों के बीच अंतरवर्तीय सब्जी की खेती करके ग्रामीणों ने बंजर टापू को आजीविका का जरिया भी बना लिया है। आज यहाँ से उत्पादित फलों और सब्जियों की नजदीकी बाजारों में काफी मांग है।
        परखंदा गांव की इस उपजाऊ भूमि की आज जो यह तस्वीर दिखाई देती है, वह पहले ऐसी नहीं थी। मानवीय हस्तक्षेप और बदलती प्राकृतिक दशाओं के बीच कभी तरबूज की खेती का केन्द्र रहा यह स्थल लगभग बंजर और वीरान हो गया था। इतनी बड़ी भूमि का उपयोग नहीं होने और बंजर रहने का यहाँ के ग्रामीणों को काफी मलाल था। किन्तु भूमि के बड़े आकार, प्रबंध और तकनीकी उपायों के अभाव के कारण कोई राह नहीं सूझ रही थी। मन में बंजर भूमि के पर्यावरण को ठीक करने और फलदार वृक्षों से ग्राम पंचायत व ग्रामीणों की आय बढ़ाने के जज्बे ने एक दिन ग्राम पंचायत के सरपंच श्री रमेश कुमार साहू को एक राह भी दिखा दी। उन्होंने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महात्मा गांधी नरेगा) और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पी.एम.के.एस.वाय.) के परस्पर तालमेल से टापू के लगभग 15 एकड़ क्षेत्र में भूमि समतलीकरण, मिश्रित पौधरोपण एवं वृक्षारोपण में टपक पद्धति से सिंचाई कार्य की परियोजना को ग्रामीणों के सामने रखा। इस परियोजना के अंतर्गत पहले समतलीकरण व पौधारोपण कार्य से मजदूरी प्राप्त होने, फिर रोपित फलदार पौधों के फलों की बिक्री और पौधों के बीच सब्जियों की खेती से होने वाली आमदनी के प्रस्ताव से ग्रामीणों में खुशी का ठिकाना नहीं रहा। सभी ने सहर्ष अपनी सहमति दे दी।

        ग्रामीणों की सहमति और ग्राम सभा के अनुमोदन के बाद, विधिवत ग्राम पंचायत को आखिरकार उनका यह प्रस्ताव 16 जून 2016 को तेइस लाख अट्ठारह हजार रुपयों की स्वीकृति के साथ प्राप्त हो गया, जिसमें महात्मा गांधी नरेगा से बारह लाख उन्तीस हजार और पी.एम.के.एस. योजना से दस लाख नवासी हजार रुपये शामिल हैं। इसके बावजूद पर्यावरण को बेहतर करने के जज्बे के सामने परियोजना को शुरु करने के लिए गांव की आबादी भूमि से नदी के बीचों-बीच टापू की बंजर भूमि तक संसाधन पहुँचाना एक बड़ी बाधा थी, लेकिन हौसले पस्त नहीं हुए। मेहनत और लगन के बूते जुलाई, 2016 को ग्रामीणों ने मिलकर इस बंजर जमीन को हरा-भरा करने की शुरुआत कर दी। तीन साल की परियोजना में सबसे पहले भूमि का समतलीकरण कर, उसमें फलदार पौधे रोपे गए। पौधारोपण को सुरक्षा देने के उद्देश्य से बांस और करौंदे के पौधों की चारों ओर बायो-फेंसिंग की गई। फिर सिंचाई के लिए टपक पद्धति अपनाई गई। इसके लिए क्षेत्र में बोरिंग की व्यवस्था की गई। सिंचाई के साधन होने और सुरक्षा मिलने से पौधे तेजी से बढ़े। ग्रामीणों ने मिलकर सभी पौधों की परवरिश की और सिंचाई कर, बंजर भूमि को हरा-भरा बना दिया।

बेमिसाल काम
            अपने हौंसले, कड़ी मेहनत और लगन के कारण आज परखंदा गांव के सरपंच और ग्रामीण आस-पास के गांवों में पर्यावरण संरक्षण और आजीविका की दिशा में बेहतर कार्य के लिए मिसाल बन गए हैं। ग्राम रोजगार सहायक श्री श्यामलाल सोनकर का कहना है कि दो साल पहले इस टापू पर कुछ नहीं था, नाम मात्र की घास-फूस और कटीली झाड़ियां नजर आती थीं। ग्राम पंचायत ने ग्रामीणों की मदद से इसे हरा-भरा कर न सिर्फ पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति बेहतर कदम उठाया है, बल्कि बंजर में भी फल व सब्जियां पैदाकर यह साबित कर दिखाया है कि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती। यहाँ की हरियाली से प्रभावित होकर बच्चे भी खेलने आ जाते हैं। बच्चे इस जगह को बगीचा कहने लगे हैं। इस बगीचे में वे शाम होते ही लुका-छिपी, छू-छुआउल, पिठ्ठुल आदि खेल खेलते हैं।

लगभग दो हजार पौधों ने बिखेरी हरियाली
ग्राम पंचायत के सरपंच श्री रमेश कुमार साहू ने बताया कि दो हजार छः सौ छियासी पौधे टापू में लगाये हैं। इसमें आम के 524, अमरुद के 378, कटहल के 129, जामुन के 130, करौंदा के 1200 एवं बांस के 325 पौधे शामिल हैं। उन्होंने बताया कि पौधे अब लगभग 7 फुट जितने बड़े हो गए हैं और अमरुद के पेड़ में तो दूसरी बार फल आ गए हैं। ग्रामीणों के द्वारा ही समूह में इन पौधों की देखभाल की जाती है। समूह के सदस्य बिसहत राम निषाद, तामेश्वर साहू, कामता निषाद, देव कुमार निषाद, राधेश्याम यादव और उत्तम कुमार साहू के द्वारा परियोजना क्षेत्र में रोपित पौधों के बीच इंटर क्रॉपिंग करके फलों और सब्जियों का उत्पादन किया जा रहा है और कुरुद सहित आसपास के गांवों के बाजारों में विक्रय किया जाता है। इस जमीन पर तरबूज की फसल से 80 हजार, अमरुद से 5 हजार और सब्जियों से 70 हजार रुपये की आमदनी हुई है।
             सभी की मेहनत से बंजर टापू की यह जमीन आय का एक जरिया बन गई है।
   
--0--


----------------------------------------------------------------------------
एक नजरः-
कार्य का नाम- भूमि समतलीकरण, वृक्षारोपण एवं वृक्षारोपण में टपक (ड्रीप) सिंचाई कार्य, 
ग्राम पंचायत- परखंदा,  विकासखण्ड- कुरुद,  जिला- धमतरी, छत्तीसगढ़
अभिसरण में शामिल योजना/विभाग व परियोजना की लागत- 23.18 लाख (महात्मा गांधी नरेगा- 12.29 लाख व प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना- 10.89 लाख), निर्माण वर्ष2016-17 से 2018-19
---------------------------------------------------------------------------------------------




महात्मा गांधी नरेगा से बने कुएं ने दिखाई कर्ज मुक्ति की राह

कुएं ने धान की पैदावार तो बढ़ाई ही, आजीविका का नया जरिया भी दिया. ईंट निर्माण से तीन सालों में साढ़े तीन लाख की कमाई. स्टोरी/रायपुर/बीजापुर/...