Monday, 17 December 2018

तालाब संवरा और लौटे आये अच्छे दिन


तालाब संवरा और लौटे आये अच्छे दिन

महात्मा गांधी नरेगा से अभिसरण के तहत हुआ तालाब गहरीकरण

 किसी तालाब के गहरे होने से उस गाँव के अच्छे दिन लौट आना आखिर कैसे सम्भव है। कोई एक तालाब कैसे किसी की दशा और दिशा को बदल पाने में समर्थ हो सकता है... लेकिन यह हुआ है धमतरी जिले के मगरलोड विकासखण्ड में ग्राम पंचायत-मुड़केरा के आश्रित गांव राउतमुडा। यहाँ पर इन दिनों तालाब की सफलता की कहानी सुनी जा सकती है। गाँव के ग्रामीण इस तालाब की चर्चा ऐसे उत्साह से करते हैं कि जैसे गाँव के किसी युवा ने कोई उपलब्धि हासिल की हो।
तालाब दिखाते हुए वे कहते हैं कि देखिए, साहब... पहले बस इत्ता-सा रह गया था यह तालाब और इसका पानी। पानी इतना गंदा हो गया था कि हवा के चलने पर इसकी बदबू दूर तक महसूस होती थी। बारिश खत्म होने के कुछ दिनों बाद ही यह सूख जाया करता था। पर अभी देखिए... कितना सुंदर है यह तालाब और इसका पानी। तालाब में पानी क्या लौटा, हमारे तो जैसे अच्छे दिन ही लौट आए।
तालाब के संबंध में विस्तार से बताते हुए यहाँ की महिला सरपंच नूरजहाँ रिजवी कहती हैं कि हम सोच भी नहीं सकते थे कि एक तालाब गांव की दशा और दिशा को बदल सकता है। सरपंच के तौर पर मैं तालाब की दशा को लेकर काफी चिंतित थी। बस, एक ही ख्याल रहता था कि किसी भी तरह से इस तालाब को फिर से पुनर्जीवित तो करना ही है। लगभग 237 जनसंख्या वाले इस गांव में पानी की काफी समस्या भी थी। दूरस्थ अंचल एवं वन क्षेत्र में होने के कारण निस्तारी के लिए पानी की कमी की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। 
तालाब के संबंध में विस्तार से बताते हुए यहाँ की महिला सरपंच नूरजहाँ रिजवी कहती हैं कि हम सोच भी नहीं सकते थे कि एक तालाब गांव की दशा और दिशा को बदल सकता है। सरपंच के तौर पर मैं तालाब की दशा को लेकर काफी चिंतित थी। बस, एक ही ख्याल रहता था कि किसी भी तरह से इस तालाब को फिर से पुनर्जीवित तो करना ही है। लगभग 237 जनसंख्या वाले इस गांव में पानी की काफी समस्या भी थी। दूरस्थ अंचल एवं वन क्षेत्र में होने के कारण निस्तारी के लिए पानी की कमी की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था।
उन्होंने आगे बताया कि तालाब को पुनर्जीवित करने के लिए ग्राम पंचायत ने ग्रामीणों की बैठक आयोजित की। यहाँ सभी के बीच काफी चर्चा हुई। धीरे-धीरे बात बनने और बढ़ने लगी। आखिरकार यह तय हुआ कि पानी की समस्या को दूर करने के लिए तालाब का गहरीकरण किया जाए और इसके पाटों को बांधने के लिए पीचिंग का कार्य भी करवाया जाए। अब सवाल पैसों का था, तो यह भी हल हो गया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से राशि प्राप्त की जाए।
ग्रामवासियों के इस निर्णय पर ग्राम पंचायत ने एक प्रस्ताव तैयार किया और विधिवत अनुमोदन प्राप्त कर, नौ लाख छियत्तर हजार रुपये की लागत से तालाब गहरीकरण की प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त की। इसमें महात्मा गांधी नरेगा से सात लाख छिहत्तर हजार रुपये और मुख्यमंत्री समग्र ग्रामीण विकास योजना से दो लाख रुपयों का अभिसरण शामिल है। इस तरह तालाब गहरीकरण के लिए संसाधनों की व्यवस्था के बाद 15 मार्च 2016 को तालाब गहरीकरण की शुरुआत हई। ग्रामीणों, विशेषकर महिलाओं की भागीदारी और मेहनत से तालाब का आकार खुलने लगा एवं गहरीकरण भी हुआ। इस कार्य से जहाँ ग्रामीणों को सीधे रोजगार के अवसर प्राप्त हुए, वहीं गांव को जल संरक्षण का साधन भी उपलब्ध हो गया।

होने लगा साग-भाजी उत्पादन
तालाब गहरीकरण के बाद बारिश का मौसम आया और बारिश का पानी मोतियों की तरह तालाब में समाने लगा। बारिश में लबालब भर जाने से ग्रामीणों का उत्साह बढ़ गया। इसका एक फायदा यह भी हुआ कि तालाब के आस-पास के खेत भी सिंचित हो गए और भू-जल स्तर में भी वृद्धि हुई। ग्राम पंचायत के उपसरपंच श्री मोहम्मद अय्यूब खान कहते हैं कि गांव में तालाब से लगे खेतों में महिलाएँ तालाब के पानी से सब्जी-भाजी लगा रही हैं, जिसे वे गांव में ही बेचकर रुपये कमा रही हैं।  

मछलीपालन से हुई आय
गाँव में पानी आया तो दूसरे काम भी होने लगे। तालाब में भरपूर पानी होने के बाद, यह तालाब सिर्फ निस्तारी के कार्य तक ही सीमित नहीं रहा। लबालब भरे इस तालाब को देखकर गांव के ही जय माँ दुर्गा स्वसहायता समूह ने ग्राम पंचायत के समक्ष मछलीपालन हेतु निवेदन किया। उनकी इच्छा और उत्साह को देखकर ग्राम पंचायत ने तालाब को एक साल के लिए उन्हें पट्टे पर दे दिया। इससे ग्राम पंचायत को दस हजार रुपये की आय प्राप्त हुई। स्वसहायता समूह ने भी लगन से मछलीपालन किया और मछली बेचकर लगभग एक लाख पचास हजार रुपये की आय प्राप्त की। समूह की अध्यक्ष श्रीमती शालिनी ध्रुव ने कहा कि सभी सदस्यों ने मिलजुल कर मछलीपालन किया। बाजार में समूह की महिला सदस्यों ने ही मछली बेचने का काम किया। घर के पुरुष सदस्यों ने तालाब से मछली पकड़ने में हमारी मदद की।
तालाब का पुनर्जीवन, गांव के लिए इतना फायदेमन्द होगा, यह शायद ही किसी ने सोचा होगा। पर आज तालाब ने काफी कुछ बदल दिया है। 





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एक नजरः-
कार्य का नाम- तालाब सौंदर्यीकरण निस्तारी तालाब, 
ग्राम पंचायत- मुड़केरा, आश्रित ग्राम- राऊतमुडा  विकासखण्ड- मगरलोड,  जिला- धमतरी, छत्तीसगढ़
अभिसरण में शामिल योजना/विभाग व परियोजना की लागत- 9.76 लाख (महात्मा गांधी नरेगा- 7.76 लाख व मुख्यमंत्री समग्र ग्रामीण विकास योजना- 2.00 लाख), निर्माण वर्ष2017-18
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रिपोर्टिंग - श्री देवेन्द्र यादव, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत- जांजगीर चाम्पा
तथ्य व स्त्रोत- श्री आयुष झा, कार्यक्रम अधिकारी, जनपद पंचायत-मगरलोड, धमतरी,
लेखन - श्री संदीप सिंह चैधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर
संपादन - श्री आलोक कुमार सातपुते, प्रकाशन शाखा, विकास आयुक्त कार्यालय, रायपुर
श्री प्रशांत कुमार यादव, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, प्रकाशन शाखा, विकास आयुक्त कार्यालय, रायपुर
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