Friday, 28 December 2018

मनरेगा के कुएँ से मनहरण के जीवन में आयी हरियाली

 मनरेगा के कुएँ से मनहरण के जीवन में आयी हरियाली

कुएँ के पानी से उत्पादित सब्जियों ने जिंदगी का स्वाद बदल दिया। आसपास के गाँवों में सायकल पर घूम-घूमकर हरी भरी सब्जी-भाजी बेचने वाले श्री मनहरण साहू के जीवन में हरियाली ने दस्तक दे दी है। अब बाजार से साग-सब्जी खरीद कर बेचने के स्थान पर मनहरण अपनी एक एकड़ जमीन में ही साग-सब्जी उगाते हैं और बेचते हैं। जैसा मौसम - वैसी सब्जी...। वे सुबह-सुबह अपनी सायकल पर सब्जियाँ लादते हैं और बेचने के लिये निकल पड़ते हैं। इन हरी-भरी सब्जियों को बेचने पर अब जहाँ उन्हें दिल से खुशी महसूस होती है, वहीं पहले से ज्यादा कमा भी पा रहे हैं। इस कमाई से वे अब अपने परिवार के लिए खुशियों के साधन आसानी से जुटा पा रहे हैं। इस खुशी का कारण बना है, उनके खेत में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से बना कुआँ। 
धमतरी जिले के कुरुद विकासखण्ड के ग्राम पंचायत-बकली में रहने वाले मनहरण साहू, पिता तिहारु राम एक साधारण सीमांत किसान हैं। वे किसानी और मजदूरी करके अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे। इसके अलावा कुरुद और नयापारा में लगने वाले बाजार से साग-सब्जियाँ खरीदकर, बकली सहित आस-पास के गाँवों में सब्जियों को बेचकर दो-पैसे अधिक जुगाड़ने की कोशिश में लगे रहते थे। इस कोशिश में उन्हें अक्सर यह मलाल रहा करता था कि काश उनके खेत में सिंचाई का कोई साधन होता, तो अपनी मेहनत से हरी-भरी सब्जी उगाता और उन्हें बेचकर ज्यादा पैसे कमा पाता। वहीं हरी-भरी और ताजी सब्जियों को लेकर जो तारीफ ग्राहकों से मिलती हैं, वो उनकी खुद की अपने खेत में पैदा की हुई होती, तो दिल से खुशी होती।
मनहरण के मन की यह तमन्ना भी तब पूरी हो गई, जब उन्हें ग्राम पंचायत से यह सूचना मिली कि उनकी जमीन पर महात्मा गांधी नरेगा से कुआँ निर्माण स्वीकृत हो गया है। यह सूचना केवल सूचना नहीं, बल्कि उनके जीवन में हरियाली की दस्तक थी। साल 2017 के जून माह की 3 तारीख को मनहरण की जमीन पर कुँआ निर्माण का श्रीगणेश हुआ। कुआँ के निर्माण में नियोजित महात्मा गांधी नरेगा श्रमिकों की मेहनत से यह 13 जुलाई 2017 को बनकर तैयार भी हो गया। मनहरण को कुएँ के निर्माण में कार्य करने पर मजदूरी के रुप में दस हजार आठ सौ छत्तीस रुपयों की मजदूरी भी मिली। कुआँ निर्माण कर अब वे खुशहाल किसान कहलाने लगे हैं। फिलहाल एक एकड़ भूमि में कुँए की बदौलत वह बरबट्टी, भिंडी, सेमी, तोरई, टमाटर, फूलगोभी और गाँठगोभी जैसी सब्जियों की खेती कर रहे हैं।
कुएँ से मोटर पंप के सहारे सब्जी-बाड़ी में सिंचाई करते हुए मनहरण बताते हैं कि जब से उन्हें कुँआ मिला है, तब से मैं खेत में सपरिवार काम करके साग-सब्जियाँ उगाता हूँ, फिर उन्हें साइकिल पर ले जा करके आसपास के गाँव सिवनीकला, चीवरी, भैंसमुडी, गौरी, ददहा, पारसवानी और रावनगुडा में बेचने जाता हूँ। पहले बाजार से साग-सब्जी खरीदकर बेचने पर लगभग सौ रुपए प्रतिदिन की कमाई हो जाती थी। अब अपने खेत की उत्पादित सब्जियों को बेचने पर 200 से 350 रुपये तक की आमदनी हो जाती है। सारा खर्चा काटकर महीने भर में लगभग छः हजार रुपये की बचत हो जाती है।
उन्होंने आगे बताया कि सब्जियों के बेचने से होने वाली आय से वे अपने बच्चों को शिक्षित करने का दायित्व बखूबी निभा रहे हैं। बच्चों को भोजन में हरी-भरी सब्जियाँ भी खाने को मिल रही हैं, जिससे उन्हें सही पोषण मिल पा रहा है। परिवार की खुशहाली में मेरी धर्मपत्नी श्रीमती गोदावरी के साथ अब यह कुआँ भी मेरा महत्वपूर्ण साथी बन गया है।   

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एक नजरः-
कार्य का नाम- कुआँ निर्माण ग्राम पंचायत- बकली,  विकासखण्ड- कुरुद,  जिला- धमतरी, छत्तीसगढ़
कार्य की लाग1.88 लाखस्वीकृत वर्ष2017-18
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रिपोर्टिंग          -           श्री देवेन्द्र यादव, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत- जांजगीर चाम्पा
तथ्य व स्त्रोत     -           श्री धरम सिंह, सहायक परियोजना अधिकारी एवं श्री डुमनलाल ध्रुव, सहायक प्रचार                                        प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत-धमतरी,
लेखन              -           श्री संदीप सिंह चैधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय
संपादन            -           श्री आलोक कुमार सातपुते एवं  श्री प्रशांत कुमार यादवसहायक प्रचार प्रसार                                                अधिकारीप्रकाशन शाखाविकास आयुक्त कार्यालय, इन्द्रावती भवन,अटल नगर,रायपुर



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