सिरसिदा गाँव में चेकडेम बना समृद्धि का जरिया
'कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों' कवि दुष्यंत की इन पंक्तियों को धमतरी जिले के कुरुद विकासखण्ड की सिरसिदा ग्राम पंचायत के किसानों और ग्रामीणों ने चरितार्थ कर दिखाया है। उन्होंने एकजुटता और तत्परता दिखाते हुये डीही नाले से हर साल यूँ ही बह जाने वाले बारिश के पानी को चेकडेम बनाकर बांध लिया। इससे इनके बोरवेल भी अब साँस लेने लगे हैं। पहले जहाँ बारिश के महीने - दो महीने बाद ही भू-जल स्तर के गिरने के कारण पम्प सूख जाया करते थे, वहीं अब गर्मी का मौसम आने तक पम्प प्राणमय बने रहते हैं और खेतों को सींचते हैं।
इस चेकडेम का प्रभाव वर्षः 2018-19 में ही गाँव में साफ दिखाई देने लगा था। इस चेकडेम से डीही नाले से लगे दोनों ओर के खेतों को पानी मिल रहा है। इससे कृषि रकबे में बढ़ोत्तरी हुई है। पहले जहाँ सिर्फ 34 एकड़ कृषि भूमि सिंचित हो पाती थी, वहाँ आज लगभग 200 एकड़ कृषि भूमि सिंचित हो रही है। इस चेकडेम के बन जाने से करीब एक किलोमीटर तक लबालब भरे पानी का उपयोग किसान गर्मी तक कर पा रहे हैं। कल तक सिर्फ धान की फसल लेने वाले किसानों ने अब चना और गेहूँ की फसल भी लेना शुरु कर दिया है। कुछ किसान तो सब्जी-भाजी का उत्पादन कर, अच्छा-खासा लाभ कमा रहे हैं।
इस संबंध में सरपंच श्रीमती लीला बाई देवदास ने बताया कि हर साल डीही नाले से बारिश का पानी बहकर महानदी में चला जाता था। नाले के आस-पास के किसानों ने ग्राम पंचायत से नाले पर चेकडेम बनाने की माँग की थी, ताकि गाँव का पानी गाँव में निस्तारी और खेतों की सिंचाई के काम आ सके। नाले के आकार को देखते हुये, इस पर चेकडेम बनाने के लिए अधिक राशि लगने की संभावना लग रही थी, जिसकी अनुमति तत्काल मिल पाना संभव नहीं था। ऐसे में जनपद पंचायत-कुरुद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री वीरेन्द्र जायसवाल ने योजनाओं के तालमेल यानि कि अभिसरण के जरिये राशि जुटाने का उपाय बताया। बस, फिर क्या था, ग्राम पंचायत ने प्रस्ताव तैयार किया और 22 फरवरी 2017 को महात्मा गांधी नरेगा एवं प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अभिसरण से चेकडेम का कार्य स्वीकृत भी हो गया। इधर चेकडेम निर्माण के लिए 34 लाख 97 हजार रुपयों की स्वीकृति की खबर पाकर, किसानों ने भी कमर कस ली। ग्राम पंचायत ने 6 मार्च 2017 को चेकडेम के निर्माण का काम शुरु कर दिया। पहले पांच सौ मीटर की दूरी तक नाले की गाद निकासी (गहरीकरण) करते हुये, अनुपयोगी झाड़ियाँ हटाई गई, फिर चेकडेम का निर्माण प्रारंभ हुआ। महज चार महीने में चेकडेम बनकर तैयार हो गया। सरपंच ने आगे बताया कि जैसे ही चेकडेम बनकर तैयार हुआ, इंद्रदेव भी मेहरबान हुए और बारिश हो गई। इससे डेम में पानी ही पानी दिखाई देने लगा। यह सब किसानों की लगन से ही संभव हो पाया था।
चेकडेम निर्माण से लाभान्वित हुए किसान डेगेश्वर राम पटेल कहते हैं कि पहले यहाँ एक ही फसल ली जाती थी, लेकिन चेकडेम के निर्माण के बाद से गाँव के किसान दो फसल लेकर दोगुनी आमदनी पा रहे हैं। मैं खुद अब अपने 2 एकड़ के खेत में सिंचाई कर पा रहा हूँ। पहले पम्प और पाईप से पानी खेतों तक लाना पड़ता था, अब सीधे चेकडेम से पानी ले लेता हूँ। मेरे साथी किसान सदानंद ने, अपने एक एकड़ खेत में खरीफ के बाद रबी की फसल लेना शुरु कर दिया है। चेकडेम निर्माण से नाले में अप्रैल माह तक पानी को रोककर रख लिया जाता है, जो गाँव वालों के दैनिक कामों के उपयोग में आता है।
खेती-किसानी से जुड़े राजाराम ध्रुव चेकडेम के निर्माण के बाद के अपने अनुभवों को साझा करते हुये बताते हैं कि लगभग सभी किसान सिंचाई के लिए अपने खेतों में बोरवेल करा लिये थे। सभी के बोरवेल चलने से जमीन के भीतर का पानी धीरे-धीरे 60 फीट नीचे तक चला गया था। जिन किसानों के बोरवेल की गहराई 30-40 फीट थी, उन्हें फिर से बोरवेल कराना पड़ गया था। स्टॉपडेम बनने के बाद से भू-जल स्तर वापस 25-30 फीट पर आ गया है। इससे सीधे तौर पर श्री डेगेश्वर पटेल, श्री जीवन निषाद और श्री खड़ानंद सिन्हा सहित 15 किसानों के बोरवेल में पर्याप्त पानी आ गया है।
श्री चन्द्रहास ध्रुव, जो कि गाँव में ग्राम रोजगार सहायक हैं, चेकडेम निर्माण को गाँव की आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण कड़ी बताते हुये कहते हैं कि चेकडेम में पानी रुकने से जहाँ किसान लाभान्वित हुये हैं, वहीं इसके निर्माण और नाले के गहरीकरण से 242 ग्रामीणों को रोजगार भी मिला, जिसमें 110 महिलाएँ और 132 पुरुष शामिल थे। इस चेकडेम निर्माण के बाद से नाले के आसपास खेतों की मेड़ों का कटाव भी बहुत कम हो गया है। जल संचय होने से भू-जल स्तर भी बढ़ रहा है। गाँव के बाजार चौक एवं उप स्वास्थ्य केन्द्र के पास स्थित 3 हैण्डपम्पों में अब बारहों माह पानी रहता है।
श्री ध्रुव ने आगे बताया कि चेकडेम बनने के बाद बाड़ी लगाने की इच्छा रखने वाले किसानों को भी फायदा हुआ है। गिरधारी राम साहू ने अपने दो एकड़ खेत में इसी चेकडेम के पानी से साग-सब्जी उगाना शुरु कर दिया है। वे अपनी बाड़ी में करेला, भाटा, भिन्डी एवं कई तरह की भाजियाँ उगाते हैं। पिछले साल उन्हें सिर्फ बाड़ी से ही 40 हजार रुपयों की आय हुई थी। श्री जीवन निषाद भी चेकडेम के पानी से अपने डेढ़ एकड़ खेत में सब्जियाँ उगाते हैं। इससे उन्हें लगभग 30 हजार रुपयों की आय हुई थी।
चेकडेम बनने के बाद, गाँव की दूसरी अन्य परसम्पत्तियों के साथ ही एक जल संचय एवं जल संवर्धन का स्थाई स्त्रोत शामिल हो गया है। इससे गाँव और ग्रामीण, दोनों खुश हैं।
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कार्य का नामः चेक डेम निर्माण कार्य, स्वीकृत वर्षः 2016-17, पूर्णता वर्षः2017-18
स्वीकृत राशिः 34.97 लाख, अभिसरणः मनरेगा-13.04 लाख व पी.एम.के.एस.वाय.-21.93 लाख
संक्षिप्त शब्दावलीः पी.एम.के.एस.वाय.- प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना एवं
मनरेगा- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना
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माह- सितम्बर, 2019
रिपोर्टिंग व लेखन - श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, इंद्रावती भवन, नवा रायपुर अटल नगर, जिला-रायपुर, छत्तीसगढ़ ।
तथ्य व स्त्रोत - श्री धरम सिंह, सहायक परियोजना अधिकारी, जिला पंचायत-धमतरी, छ.ग.।श्री रामचंद्र खरे, कार्यक्रम अधिकारी, जनपद पंचायत-कुरुद, जिला-धमतरी, छ.ग़.।
संपादन - श्री आलोक कुमार सातपुते, प्रकाशन शाखा, विकास आयुक्त कार्यालय, इंद्रावती भवन, नवा रायपुर अटल नगर, जिला-रायपुर, छत्तीसगढ़ ।
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