Thursday, 11 June 2020

डबरी बनी नूतन के विश्वास का आधार

काँकेर जिले के निवासी श्री नूतन दर्रो पेशे से आज किसान हैं और उन्हें विश्वास है कि पिछले साल की भाँति इस साल भी उनकी खरीफ की फसल को अनियमित वर्षा से नुकसान नहीं होगा। खेतों में सूखे की दरारें नहीं अपितु हरी-भरी धान की फसल दिखाई देगी। उनके इस विश्वास का आधार बनी है, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महात्मा गांधी नरेगा) से बनी डबरी। इस डबरी की बदौलत श्री नूतन ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में धान और काले चने की अच्छी पैदावार ली थी। अब डबरी में मछलीपालन कर, लॉकडाउन के कारण पैदा हुई आर्थिक मंदी में भी मुनाफा कमा रहे हैं।

भानुप्रतापपुर विकासखण्ड की ग्राम पंचायत-चिचगाँव के कृषक श्री नूतन, अपने जीवन में आये इस बदलाव के बारे में बताते हैं कि पिछले तीन-चार सालों से बारिश के मौसम में अनियमित वर्षा हो रही है। बारिश में बीच-बीच में सूखे का एक लंबा अंतराल आ जाता था, जिससे धान के खेत पानी की कमी के कारण सूखने लगते और उनमें दरारें साफ-साफ नजर आने लगतीं। हालात तो यहाँ तक खराब हो गये थे कि सूखे के बाद जब पानी गिरता तो फिर से खेतों की बुआई करनी पड़ती। इससे खेती-किसानी को बहुत नुकसान हो रहा था। इस नुकसान से मैं बहुत परेशान रहने लगा था।

 श्री नूतन की इस परेशानी को समझते हुए, ग्राम पंचायत ने उनकी बहुत मदद की । उनके खेत में महात्मा गांधी नरेगा से ग्राम पंचायत ने डबरी का निर्माण करवाया। इसमें उनके परिवार को 112 दिनों की 19 हजार 264 रुपये मजदूरी भी प्राप्त हुई। डबरी बनने के बाद एकत्र हुये वर्षाजल का उपयोग श्री नूतन ने अनियमित वर्षा के दौरान किया और अपनी धान एवं काले चने की फसल को बचाया। खरीफ की फसल लेने के बाद उन्होंने डबरी में जून, 2018 से मछलीपालन शुरु किया। अब तक वे मछलियों को बेचकर लगभग 50 हजार रुपये कमा चुके हैं। लॉकडाउन की अवधि में उन्होंने 20 हजार रुपये की मछलियाँ बेची हैं। डबरी बनने के बाद हुई आय से श्री नूतन ने सबसे पहले अपनी 20 हजार रुपये की उधारी को चुकाया और शेष बचे पैसे का उपयोग बच्चों की शिक्षा और खेती-बाड़ी में किया।

ग्राम रोजगार सहायक श्री उपेन्द्र शोरी नूतन के खेत में निर्मित डबरी के बारे में कहते हैं कि इनके खेत में महात्मा गांधी नरेगा से साल 2018-19 में राशि 2 लाख 94 हजार रुपयों की लागत से डबरी का निर्माण करवाया गया था। डबरी बनने के बाद से नूतन में एक गजब का आत्मविश्वास दिखाई देता है। वे अब अपने खेती-किसानी और मछलीपालन के काम में लगे रहते हैं।

जल संग्रहण का साधन मिलने के बाद, हर साल खेत से यूँ ही बह जाने वाला वर्षाजल, अब डबरी के जरिये नूतन और नूतन जैसे किसानों के जीवन को खुशियों से भिगा रहा है।

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माह- जून, 2020
रिपोर्टिंग व लेखन             - श्री ऋषि जैन, शिकायत निवारण अधिकारी, जिला पंचायत-काँकेर, छ.ग.। 
पुनर्लेखन व सम्पादन         - श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, इंद्रावती भवन, नवा रायपुर अटल नगर, जिला-रायपुर, छत्तीसगढ़ ।
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