Tuesday, 14 July 2020

ग्रामीणों की मेहनत और महात्मा गांधी नरेगा से बना उपवन

लहलहा रहे आँवला, सीताफल, करौंदा और नीम के पेड़.
महात्मा गांधी नरेगा योजना से मिला 1360 मानव दिवस का रोजगार.

मेहनतकश इंसान, अपनी मेहनत और हौसलों के दम पर चाहे तो चट्टान को तोड़कर पत्थर में बदल दे, चाहे तो नदी की धारा मोड़ दे और अगर चाहे तो बंजर धरती को भी हरे-भरे उपवन में बदल दे। अपने भगीरथ प्रयास से ऐसा ही बड़ा कारनामा कर दिखाया है दुर्ग जिला एवं विकासखण्ड मुख्यालय से 7 किलोमीटर दूर महमरा गांव के ग्रामीणों ने। ‘‘पेड़-पौधे लगाओं--जीवन बचाओ’’ का नारा लेकर महमरा गांव के ग्रामीणों ने 2017 में जो मुहिम शुरू की थी, वो आज आंखों को सुकून देने वाले एक खूबसूरत उपवन में तब्दील हो गई है। इस मुहिम को आधार मिला, महात्मा गांधी नरेगा और पंचायत से।

पंचायत का मिला साथ
यहां के ग्रामीणों को एहसास हुआ कि शहर के नजदीक होने के कारण गाँव के आस-पास शहरीकरण तथा औद्योगिकीकरण से विकास तो हुआ, मगर पेड़-पौधे कम होने लगे। लहलहाते खेतों का स्थान कांक्रीट के स्ट्रक्चर लेने लगे। इससे हरियाली गायब होने लगी। ये चिंता लेकर महमरा गाँव के ग्रामीण ग्राम पंचायत कार्यालय पहुंचे। यहाँ सरपंच एवं पंचों ने उनकी पूरी बात ध्यान से सुनी और वृक्षारोपण के लिए अपनी सहमति भी दे दी। पंचायत ने ग्रामीणों की बात से सहमत होते हुये ग्राम सभा का आयोजन किया और गाँव में फलदार और छाँवदार पौधरोपण का प्रस्ताव पारित किया।

रोजगार और हरियाली
जब ग्रामीणों ने गाँव में वृक्षारोपण की ठानी, तो उनके इस प्रयास को पंचायत और स्थानीय जनप्रतिनिधियों का भी भरपूर साथ मिला। वृक्षारोपण अंतर्गत पौधरोपण कार्य के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महात्मा गांधी नरेगा) से 4 लाख 32 हजार रुपए मंजूर किए गए। जुलाई, 2017 में काम शुरू हुआ और 0.30  हेक्टेयर क्षेत्र में मिश्रित प्रजाति के 300 पौधे रोपे गए। सप्ताह में एक बार कीटनाशक का छिड़काव भी करवाया गया। महात्मा गांधी नरेगा से पौधरोपण के बाद, पौधों की सिंचाई के लिए पंचायत से पम्प की व्यवस्था की गई।
                        इस पौधा रोपण से जहाँ गाँव में हरियाली लाने का मार्ग प्रशस्त हुआ, वहीं 359 ग्रामीणों को 1360 मानव दिवसों का सीधे रोजगार मिला। श्रीमती बेलसिया को यहाँ 96 दिनों का रोजगार प्राप्त हुआ है। वे कहती हैं कि यह कार्य अब गाँव की पहचान बन चुका है। इसमें पहले हमें रोजगार मिला और अब हरियाली।

थकान मिटाने रुकते हैं, राहगीर
इस संबंध में ग्राम रोजगार सहायक श्री गंगाराम प्रसाद बताते हैं कि यहाँ पर आँवला, बेल, करौंदा, सीताफल, नीम, मुनगा एवं छायादार पौधे लगाए गए थे। आज यह जगह इतनी खूबसूरत हो गई है कि अब राहगीर, यहाँ हरियाली का आनंद उठाने के लिए दो क्षण रुक जाते हैं और अपनी थकान भी मिटा लेते हैं। यहाँ साल-दर-साल पेड़-पौधों की छाँव घनी होती जा रही है और जल्द ही गांव वालों को इनके फलों का स्वाद भी मिलेगा।

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एक नजरः-
कार्य का नाम-   आवास पारा में वृक्षारोपण (0.30 हेक्टेयर एरिया में),
ग्रा.पं.- महमरा, विकासखण्ड- दुर्ग, जिला- दुर्ग, छत्तीसगढ़।
स्वीकृत राशि- 4.32 लाख, स्वीकृत वर्ष- 2017-18, परियोजना अवधि- 3 वर्ष, रोपित पौधों की संख्या- 300
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रिपोर्टिंग -          श्रीमती रिता चाटे, सहा. प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत- दुर्ग, जिला-दुर्ग, छत्तीसगढ़।
तथ्य व स्त्रोत -     श्रीमती गौरव मिश्रा, कार्यक्रम अधिकारी, जनपद पंचायत-दुर्ग, जिला-दुर्ग, छत्तीसगढ़।
लेखन-               सुश्री आमना मीर, जिला जनसंपर्क कार्यालय, जिला-दुर्ग, छत्तीसगढ़।
संपादन -            श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
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