Thursday, 9 July 2020

बोल्डर चेक डेम निर्माण से आयी हरियाली और खुशहाली

62 किसानों की 75 एकड़ कृषि भूमि को हुआ फायदा.

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महात्मा गांधी नरेगा) ने मजदूरों और किसानों की जिंदगी के अलावा गाँव के प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन को भी बेहतर बनाया है। पहले बरसात के मौसम में ही बहता दिखाई देने वाला जीरानाला, अब जल संवर्धन के कार्यों से बारिश के पहले और बाद में भी जीवंत दिखाई दे रहा है। रायगढ़ जिले के डूमरपाली गाँव में बहने वाले जीरानाले में महात्मा गांधी नरेगा से सात नग बोल्डर चेक डेम का निर्माण पंचायत ने करवाया था। साल 2019 में बरसात के बाद, यहाँ रुके पानी से आस-पास की जमीन हरी-भरी हो गई। गाँव के लगभग 60 से 70 किसानों ने नाले से लगे अपने खेतों में धान के अलावा सब्जियों का भरपूर उत्पादन लिया, इससे उन्हें अच्छी-खासी आमदनी हुई। इस प्रकार जीरानाला में बने छोटे-छोटे बोल्डर चेक डेमों ने किसानों की जिन्दगी को खुशहाल बना दिया है।


जिले के बरमकेला विकासखण्ड की डूमरपाली ग्राम पंचायत में दिखाई दे रही इस हरियाली और खुशहाली के पीछे पंचायत की सोच और ग्रामीणों की मेहनत है। पंचायत ने साल 2019-20 में इस गाँव में बहने वाले जीरानाले में भूमि क्षरण को रोकने एवं संग्रहित जल के जरिये भू-जल भंडारण के उद्देश्य से महात्मा गांधी नरेगा के तहत जल संवर्धन का कार्य कराया था। इसके अंतर्गत 77 हजार 136 रुपये की लागत से नाले पर अलग-अलग स्थानों में 7 बोल्डर चेक डेम का निर्माण कराया गया। यहाँ 20 महिलाओं और 33 पुरुषों को मिलाकर, कुल 53 ग्रामीणों को 317 मानव दिवस का रोजगार महात्मा गांधी नरेगा से मिला।

डूमरपाली पंचायत के ग्राम रोजगार सहायक श्री रामेश्वर साहू कहते हैं कि गाँव के जीरानाले में महात्मा गांधी नरेगा योजना से हुए इस जल संवर्धन के काम ने बड़ा असर डाला है। इसमें 33 ग्रामीण परिवारों को सीधे रोजगार मिला। नाले में अलग-अलग चिन्हाँकित जगहों पर बोल्डर चेक डेम बनाने से नाले में अधिक समय तक पानी रुका, जिसका उपयोग नाले से लगी कृषि भूमि के किसानों ने अपनी खेती-बाड़ी में किया। इस कार्य से गाँव 62 किसानों की लगभग 75 एकड़ कृषि भूमि सिंचित हुई है।


श्री रामेश्वर साहू आगे बताते हैं कि जीरानाले में पानी रुकने से रिसन के माध्यम से भू-जल भंडारण में वृद्धि हुई है। इसका प्रभाव नाले से लगे किसानों की खेती-जमीन में खुदे 12 नल कूपों में साफ देखा जा सकता है। बोल्डर चेक डेम बनने के पूर्व मई-जून महिने में इन नल कूप में जल स्तर 400 से 500 फीट नीचे चला जाता था, जो आज 150 से 250 फिट पर आ गया है। भू-जल स्तर बढ़ने से आस-पास हरियाली भी बढ़ गई है।

जीरानाले में हुये जल संवर्धन के कार्य से लाभान्वित किसान श्री प्रफुल्ल भोये बताते हैं कि उन्होंने बोल्डर चेक डेम निर्माण में 6-दिन कार्य किया था, जिससे उन्हें 1056 रुपये की मजदूरी प्राप्त हुई। नाले से लगकर उनकी 2.1 एकड़ कृषि भूमि है, जिसमें उन्होंने नाले के पानी से बरबट्टी, बैंगन, करेला, मिर्च और तोरई सब्जियों की पैदावार ली। इस साल, जिसमें लॉकडाउन की अवधि भी शामिल है, इन सब्जियों को बेचने से उन्हें लगभग डेढ़ लाख रुपये की आमदनी हुई।

श्री प्रफुल्ल के खेत के नजदीक श्री प्रमोद भोये, श्री रिबे साहू, श्री नातोकुमार खमारी और श्री हेमराज भोई भी ऐसे ही किसान हैं, जिन्होंने नाले से लगी अपनी कृषि भूमि पर इस साल सब्जियों का उत्पादन लेकर लाभ कमाया। महात्मा गांधी नरेगा योजना से हुये इस छोटे से कार्य ने किसानों की जिंदगी में खुशियों के बड़े-बड़े पल लाकर, उन्हें खुशहाल बना दिया है।

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एक नजरः-
कार्य का नाम- बोल्डर चेक निर्माण-डुमरपाली में,
ग्रा.पं.- डूमरपाली, विकासखण्ड- बरमकेला, जिला- रायगढ़, छत्तीसगढ़।
स्वीकृत राशि- 1.547 लाख, स्वीकृत वर्ष- 2019-20
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रिपोर्टिंग - श्री योगेश देवांगन, तकनीकी सहायक, जनपद पंचायत- बरमकेला, जिला-रायगढ़, छत्तीसगढ़।
तथ्य व स्त्रोत - श्री आशीष कुमार भारती, कार्यक्रम अधिकारी, जनपद पंचायत- बरमकेला, जिला-रायगढ़, छत्तीसगढ़।
संकलन- श्री राजेश शर्मा, प्रभारी सहायक परियोजना अधिकारी, जिला पंचायत-रायगढ़, छत्तीसगढ़।
लेखन व संपादन - श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
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