Thursday, 24 September 2020

काजू वृक्षारोपण से बदली गाँव और पंचायत की दशा एवं दिशा

 काजू वृक्षारोपण से बदली गाँव और पंचायत की दशा एवं दिशा

रायपुर। आईये आपको आज एक ऐसी ग्राम पंचायत के बारे में बताते हैं, जिसने एक छोटे से प्रयास से अपने गाँव की बंजर और पथरीली भूमि की तस्वीर ही बदल दी है। पूरी कहानी पढ़कर आपको इस बात का अंदाजा हो जाएगा कि प्रदेश में किस तरह पंचायतें अपनी और अपने गाँव की दशा एवं दिशा को बदल रही हैं। 

हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के सुदूर वनांचल बस्तर जिले के बकावंड विकासखण्ड की ग्राम पंचायत भेजरीपदर की। यहाँ लगभग 14 साल पहले पंचायत ने गाँव की 2.64 एकड़ बंजर एवं अनुपयोगी पड़ी भूमि पर महात्मा गांधी नरेगा से काजू वृक्षारोपण किया था, जिसने आज ग्राम पंचायत की दशा और दिशा, दोनों ही बदल दी है। पंचायत के इस प्रयास से गाँव की लगभग ढाई एकड़ की इस बंजर भूमि ने हरित चादर ओढ़ ली है और रोपे गए पौधे आज लगभग 11 फीट के काजू के पेड़ बन चुके हैं। ग्राम पंचायत वर्ष 2013 से हर साल इन पेड़ों से प्राप्त होने वाले काजू के फलों की बिक्री से लगभग 20 हजार रुपये की सालाना आय अर्जित कर रही है। पंचायत के इस छोटे से प्रयास से जहाँ गाँव की बंजर पड़ी भूमि उपयोगी बनी है, वहीं यह अतिक्रमण से भी सुरक्षित होकर ग्राम पंचायत के लिए आय का साधन बन गई है।

काजू उत्पादन के लिए उपयुक्त जलवायु के मद्देनजर जिला मुख्यालय से 20 किमी दूर भेजरीपदर ग्राम पंचायत के आश्रित गाँव दशापाल में जुलाई, 2006 में ग्राम पंचायत ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से काजू वृक्षारोपण कार्य कराया था। इसके लिए 40 हजार 500 रुपयों की प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त हुई थी। पंचायत ने यह कार्य 16 हफ्तों में 49 मनरेगा श्रमिकों की मदद से पूरा किया। पौधरोपण का कार्य कतार विधि से हुए, 1 हजार 385 काजू के पौधे रोपे गए । इस कार्य में 34 मनरेगा परिवारों को 232 मानव दिवस का सीधा रोजगार मिला और उन्हें 13 हजार 696 रुपयों का मजदूरी भुगतान किया गया।

पंचायत के इस प्रयास के बारे में और अधिक जानकारी देते हुए सरपंच श्री रघुनाथ कश्यप बताते हैं कि काजू की फसल को पानी की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती और इसे जानवर भी नुकसान नहीं पहुँचाते हैं। इसलिए ग्रामीणों के सहयोग से यहाँ महात्मा गांधी नरेगा से काजू का पौधरोपण किया गया। नमी बनाये रखने के दृष्टिकोण से प्रत्येक पौधे के साथ गोलाकार ट्रेंच का निर्माण भी कराया गया था। आज ये पौधे पेड़ बन चुके हैं और फल दे रहे हैं। ग्रामीणजनों की मदद से इस अनुपजाऊ भूमि को काजू की फसल के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।

दशापाल गाँव में हुए इस काजू वृक्षारोपण से फैली हरियाली इस बात का सबूत दे रही है कि महात्मा गांधी नरेगा से किया गया पंचायत का यह प्रयास सफल होकर अब फलता-फूलता नजर आ रहा है। 

-0-


एक नजर- 
कार्य का नाम- काजू वृक्षारोपण कार्य-दशापाल, क्षेत्रफल- 2.64 एकड़, पौधों की संख्या- 1385 
ग्रा.पं.- भेजरीपदर, विकासखण्ड- बकावण्ड, जिला- बस्तर, जनसंख्या- 1038 
स्वीकृत राशि- 0.405 लाख, स्वीकृत वर्ष- 2006-07, कार्यावधि- 1 वर्ष, सृजित मानव दिवस- 232 

----------------------------------------------------------------------

रिपोर्टिंग- श्री पवन कुमार सिंह, सहायक परियोजना अधिकारी, जिला पंचायत- बस्तर, छत्तीसगढ़। 
तथ्य एवं स्त्रोत- श्री लोकनाथ पटेल, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत- बकावंड, छत्तीसगढ़। 
लेखन- श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
----------------------------------------------------------------------

Pdf अथवा Word Copy डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें-
http://mgnrega.cg.nic.in/success_story.aspx

महात्मा गांधी नरेगा से बने कुएं ने दिखाई कर्ज मुक्ति की राह

कुएं ने धान की पैदावार तो बढ़ाई ही, आजीविका का नया जरिया भी दिया. ईंट निर्माण से तीन सालों में साढ़े तीन लाख की कमाई. स्टोरी/रायपुर/बीजापुर/...