Friday, 23 July 2021

मनरेगा से बुडरा नरवा को मिला नया जीवन

खरीफ के साथ अब रबी फसलों के लिए भी मिल रहा पानी.
बमुश्किल सितम्बर तक बहने वाले बुडरा नरवा में अब फरवरी तक पानी, पंचायत की डेढ़ साल की मेहनत रंग लाई.


जल-संचय और जल-स्रोतों के संरक्षण-संवर्धन के लिए महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के माध्यम से हो रहे कार्यों से खेती-किसानी को मजबूती मिल रही है। इनके जरिए सिंचाई सुविधाओं के विस्तार से किसानों की आजीविका सशक्त हो रही है। कोंडागांव में बुडरा नरवा (नाला) के उपचार से 25 किसानों को खरीफ के साथ ही रबी फसलों के लिए भी पानी मिल रहा है। पहले बमुश्किल सितम्बर माह तक बहने वाले नरवा के ड्रेनेज ट्रीटमेंट और कैचमेंट एरिया ट्रीटमेंट के बाद अब यह फरवरी माह तक बह रहा है। ग्राम पंचायत द्वारा बुडरा नरवा के पुनर्जीवन के लिए किए गए योजनाबद्ध कार्यों ने किसानों की खुशहाली और समृद्धि का रास्ता खोल दिया है।

कोंडागांव जिले के माकड़ी विकासखंड मुख्यालय से पांच किलोमीटर की दूरी पर ग्राम पंचायत पीढ़ापाल है, जहां से होकर यह बुडरा नरवा बहता है। नजदीक के राकसबेड़ा गांव के घने जंगलों से निकलने वाला यह नरवा पीढ़ापाल ग्राम पंचायत की सीमा से होकर करीब पांच किलोमीटर की यात्रा करते हुए नारंगी नदी में जाकर मिल जाता है। महात्मा गांधी नरेगा के माध्यम से नरवा उपचार के बाद कभी सितम्बर तक सूख जाने वाले इस नरवा में अब बरसात के बाद पांच महीनों तक पानी भरा रहता है। बुडरा नरवा की इस कायापलट में पीढ़ापाल पंचायत की डेढ़ साल की मेहनत लगी है। वहां नरवा उपचार के तहत नरवा के भीतर और उसके सतह क्षेत्र (कैचमेंट एरिया) में जल संरक्षण एवं जल संवर्धन के कई कार्य किए गए हैं, जिससे आसपास के क्षेत्र में हरियाली की चादर फैली रहती है।

33 संरचनाओं के माध्यम से किया गया है नरवा ड्रेनेज ट्रीटमेंट


नरवा पुनर्जीवन की इस परियोजना पर तकनीकी मार्गदर्शन दे रही तकनीकी सहायक सुश्री बुधमनी पोयाम बताती हैं कि पिछले साल (2020 में) जनवरी-फरवरी में बुडरा नाले के भीतर “ड्रेनेज लाइन ट्रीटमेंट” और नरवा के बाहरी हिस्से में “कैचमेंट एरिया ट्रीटमेंट” के लिए महात्मा गांधी नरेगा से जल संरक्षण एवं जल संचय के लिए संरचनाओं का निर्माण कार्य शुरू किया गया था। ड्रेनेज लाइन ट्रीटमेंट के अंतर्गत नरवा के भीतर ब्रशवुड चेकडेम की 22, अर्दन गलीप्लग की चार, लूज बोल्डर चेकडेम की तीन और अंडरग्राउंड डाइक की चार जल संरक्षण संरचनाएं बनाई गईं। इससे जहां जलस्तर में सुधार देखने को मिल रहा है, वहीं नरवा से लगी भूमि में नमी की मात्रा बनी रहने लगी है। इससे आसपास के 25 किसान लाभान्वित हो रहे हैं।

कैचमेंट एरिया ट्रीटमेंट के लिए बनाई गईं रिचार्ज पिट एवं डबरियां

बुडरा नरवा का कैचमेंट एरिया करीब 791 हेक्टेयर है। इतने बड़े क्षेत्र में गिरने वाले वर्षा जल को संरक्षित कर भू-जल का स्तर बढ़ाने के लिए 150 रिचार्ज पिट बनाए गए हैं। कैचमेंट एरिया ट्रीटमेंट के लिए स्वीकृत दस डबरियों में से छह डबरियां भी बना ली गई हैं।
डबरी निर्माण से भू-जल स्तर में वृद्धि के साथ-साथ खेतों में जल संचय का साधन भी किसानों को मिल गया है। इसका उपयोग वे अल्प वर्षा या खेतों के सूखने की स्थिति में अपनी फसलों को बचाने में कर रहे हैं। बुडरा नरवा के उपचार से लाभान्वित होने वाले किसान श्री बिसरू के खेत में जल संग्रह के साधन के रूप में डबरी का निर्माण करवाया गया है। इस वर्ष उन्होंने डबरी की बदौलत पहली बार मक्के की उपज अपने खेतों में ली है। श्री सोमाराम और श्री रसन लाल के खेत भी इस नरवा से लगे हुए हैं। नरवा उपचार के बाद इन दोनों ने भी पहली बार रबी फसल लगाकर इस साल अतिरिक्त कमाई की है।

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एक नजरः-
कार्य का नाम- बुडरा नरवा उपचार अंतर्गत जल संरक्षण एवं जल संचय की संरचनाओं का निर्माण,
ग्राम पंचायत- पीढ़ापाल, विकासखण्ड- माकड़ी, जिला- कोण्डागांव,
ड्रेनेज ट्रीटमेंट अंतर्गत नाले में हुए कार्यों का विवरणः-

स.क्रं.

कार्य का नाम

संख्या

कुल राशि

सृजित मानव दिवस

1.

ब्रशवुड चेकडेम

22

29,062.00

46

2.

अर्दन ग्लीप्लग

4

10,640.00

24

3.

लूज बोल्डर चेकडेम

3

27,590.00

27

4.

अंडरग्राउंड डाइक

4

1,20,694.00

301


एरिया ट्रीटमेंट अंतर्गत नाले में हुए कार्यों का विवरणः-

स.क्रं.

कार्य का नाम

संख्या

कुल राशि

सृजित मानव दिवस

1.

रिचार्ज पिट

150

1,67,014.00

802

2.

डबरी निर्माण

6

14,28,020.00

7580


जी.पी.एस. लोकेशन- Latitude : 19°45'25.91" N, Longitude : 81°56'34.98"E, पिनकोड- 494237

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रिपोर्टिंग - श्री त्रिलोकी प्रसाद, सहायक परियोजना अधिकारी, जिला पंचायत-कोंडागाँव, छत्तीसगढ़।
तथ्य एवं आंकड़े - सुश्री सारिका देवांगन, कार्यक्रम अधिकारी, जनपद पंचायत-माकड़ी, जिला-कोण्डागांव, छत्तीसगढ़।
लेखन - श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
संपादन - श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क संचालनालय, रापपुर, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग - श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
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Friday, 16 July 2021

मनरेगा से बनी नहर से किसानों के चेहरों पर आई मुस्कुराहट

80 किसानों के खेतों तक महीडबरा जलाशय का पानी पहुंचा, 75 हेक्टेयर रकबे में सिंचाई सुविधा का विस्तार.

नहर के लिए किसानों ने स्वेच्छा से दी अपनी जमीन.


महीडबरा के किसान इस साल मुस्कुरा रहे हैं। महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) से बनी नहर ने उन्हें यह मौका दिया है। नहर विस्तारीकरण कार्य एवं माइनर नहरों के निर्माण के बाद अब महीडबरा जलाशय का पानी गांव के 80 किसानों की 75 हेक्टेयर जमीन तक पहुंचेगा। सिंचाई के साधनों के अभाव में केवल खरीफ के मौसम में कोदो-कुटकी उगाने वाले आदिवासी बाहुल्य गांव महीडबरा के किसानों के लिए रबी की फसल के बारे में सोचना भी कभी दूर की कौड़ी हुआ करती थी। पर मनरेगा ने अब उनके खेतों तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था कर दी है।

कबीरधाम जिले के बैगा आदिवासी बाहुल्य पंडरिया विकासखण्ड के सुदूर वनांचल क्षेत्र के महीडबरा में सिंचाई के लिए न तो नहर-नाली बनी थी और न ही कोई नरवा (बरसाती नाला) बहता था। वहां महीडबरा नाम से ही एक पुराना जलाशय जरूर है, पर सिंचाई के लिए कोई नहर-नाली की संरचना इससे नहीं जुड़ी थी। गांव के किसान लंबे समय से इस जलाशय का पानी अपने खेतों तक पहुंचाना चाह रहे थे, जिससे वे खेतों को भी एक-फसली से दो-फसली में बदल सकें। ग्रामीणों की यह बहुप्रतीक्षित मांग वर्ष 2020-21 में पूरी हुई, जब महात्मा गांधी नरेगा से 14 लाख 66 हजार रूपए की लागत के महीडबरा जलाशय से मुख्य नहर विस्तारीकरण एवं दो माइनर नहरों के निर्माण का कार्य स्वीकृत हुआ। तकनीकी तौर पर भी यह काम अच्छे से हो सके, इसके लिए जल संसाधन विभाग को क्रियान्वयन एजेंसी बनाया गया।

फरवरी-2021 में नहर निर्माण का काम शुरू हुआ। स्थानीय किसानों में इसके प्रति उत्साह इस कदर था कि नहर विस्तारीकरण में जहां-जहां शासकीय जगह की कमी हुई, वहां-वहां संबंधित किसानों ने अपनी निजी जमीन का कुछ हिस्सा स्वेच्छा से दे दिया। इस काम में 1455 मनरेगा श्रमिकों को 6403 मानव दिवस का सीधा रोजगार मिला। इसके एवज में उन्हें 12 लाख 21 हजार रूपए का मजदूरी भुगतान किया गया। कार्य की अच्छी गुणवत्ता के लिए जरूरत के मुताबिक दो लाख 39 हजार रूपए सामग्री मद में भी व्यय किया गया।

मनरेगा श्रमिकों ने लगातार 12 सप्ताह तक काम कर 1800 मीटर लंबी मुख्य नहर विस्तारीकरण एवं माइनर नहरों का निर्माण कार्य पूरा किया। इस साल मई में नहर के तैयार हो जाने के बाद महीडबरा जलाशय से पानी छोड़ा गया, जो 80 किसानों के करीब 75 हेक्टेयर रकबे में पहुंचा। रबी सीजन में पहली बार अपने खेतों तक पानी पहुंचता देख किसान काफी खुश हुए। सिंचाई का साधन नहीं होने से जो किसान अब तक केवल वर्षा आधारित खरीफ की फसलें ले पाते थे, वे अब रबी की फसलें भी ले सकेंगे। इससे उनकी खुशहाली और समृद्धि का रास्ता भी खुलेगा।


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एक नजरः-
कार्य का नाम- महीडबरा जलाशय के मुख्य नहर विस्तारीकरण एवं 02 नग माईनर नहर निर्माण कार्य,
क्रियान्वयन एजेंसी- जल संसाधन विभाग, संभाग-कवर्धा,
ग्राम पंचायत- मडीडबरा, विकासखण्ड- पंडरिया, जिला- कबीरधाम, कार्य का कोड- 3302/IC/1111336971,
स्वीकृत वर्ष- 2020-21, स्वीकृत राशि- रुपए 14.66 लाख, सृजित मानव दिवस- 6403,
नियोजित श्रमिकों की संख्या- 1455, मजदूरी भुगतान- रुपए 12.21 लाख, सामग्री भुगतान- रुपए 2.39 लाख,
कुल व्यय राशि- रुपए 14.60 लाख, जी.पी.एस. लोकेशन- 22°40'72.97" N 81°28'32.18"E, पिनकोड- 491559
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रिपोर्टिंग व लेखन - श्री विनीत दास, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत-कबीरधाम, छत्तीसगढ़।
विशेष सहयोग - श्री बाबूलाल मेहरा, कार्यक्रम अधिकारी, जनपद पंचायत-पंडरिया, जिला-कबीरधाम, छत्तीसगढ़।
पुनर्लेखन - श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
संपादन - श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क संचालनालय, रापपुर, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग - श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।

Thursday, 15 July 2021

मनरेगा ने किया सपना पूरा

सुकमन के खेत में मछलीपालन के लिए बना तालाब, पानी की कमी से अब खेत भी नहीं सूखेंगे.


मछलीपालक दोस्तों के साथ उठते-बैठते कृषक श्री सुकमन मरकाम के मन में भी सपना पला कि उनका भी एक निजी तालाब हो तो मछलीपालन कर वे अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। वे गांव के अधिकांश किसानों की तरह वर्षा आधारित खेती करते हैं। सिंचाई का साधन नहीं होने के कारण बरसात के बाद कोई और फसल लेने की संभावना नहीं थी। अपने साथियों से वे मछलीपालन से कम समय में होने वाली कमाई के बारे में सुनते रहते थे। इसने उनके मन में भी मछलीपालन का सपना जगा दिया था।

धमतरी जिले के नगरी विकासखंड के सरईटोला (मा.) ग्राम पंचायत के आश्रित गांव गट्टासिल्ली (रै.) के किसान श्री सुकमन मरकाम का यह सपना महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) ने पूरा कर दिया है। उन्होंने मछलीपालन के लिए अपनी निजी जमीन पर तालाब की मांग ग्राम पंचायत से साझा की। ग्राम पंचायत की पहल से मनरेगा से उनके लिए तीन लाख रूपए की लागत से निजी तालाब के निर्माण का कार्य स्वीकृत हो गया। पिछले साल नवम्बर में तालाब की खुदाई शुरू हुई और इस वर्ष मई में इसका काम पूरा हो गया। तालाब खुदाई के दौरान गांव के 76 श्रमिकों को 1 हजार 424 मानव दिवस का रोजगार प्राप्त हुआ, जिसके लिए उन्हें दो लाख 71 हजार रूपए का मजदूरी भुगतान किया गया। श्री सुकमन मरकाम के परिवार को भी इस काम में 54 मानव दिवस का सीधा रोजगार मिला, जिसके एवज में उन्हें दस हजार 260 रूपए की मजदूरी मिली।

महात्मा गांधी नरेगा से श्री सुकमन मरकाम के खेत में 30 मीटर लंबाई और इतनी ही चौड़ाई का तालाब खोदा गया है। वे बताते हैं कि आसपास के जलस्रोतों और बारिश के पानी से तालाब भर गया है। उन्होंने इसमें सात किलो मछली बीज (स्पान) डाला है। कुछ दिनों बाद बाजार में बेचने लायक मछलियाँ तैयार हो जाएंगी और श्री सुकमन मरकाम का सपना साकार हो जाएगा। तालाब के पानी से अल्प वर्षा की स्थिति में वे अपने खेतों की सिंचाई भी कर सकेंगे। महात्मा गांधी नरेगा से निर्मित यह तालाब श्री सुकमन को आजीविका के लिए मछलीपालन का मजबूत विकल्प देने के साथ ही सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराकर उनके फसलों की पैदावार भी बढ़ाएगा। इससे उनकी कमाई बढ़ेगी और परिवार की आर्थिक समृद्धि का रास्ता खुलेगा।

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एक नजरः-

कार्य का नाम- निजी तालाब निर्माण, हितग्राही- श्री सुकमन मरकाम पिता श्री देवसिंह,
ग्राम पंचायत- सरईटोला (मा.), विकासखण्ड- नगरी, जिला- धमतरी, कार्य का कोड- 3309003024/IF/1111476417,
स्वीकृत वर्ष- 2020-21, स्वीकृत राशि- रुपए 3 लाख, सृजित मानव दिवस- 1424, नियोजित श्रमिकों की संख्या- 76,
मजदूरी भुगतान- रुपए 2,70,875.00 मात्र, कुल व्यय राशि- रुपए 2,75,875.00 मात्र
जी.पी.एस. लोकेशन- 20°26'32.41" N 81°50'21.41"E, पिनकोड- 493773
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रिपोर्टिंग - श्री डुमन लाल ध्रुव, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत-धमतरी, छत्तीसगढ़।
तथ्य एवं आंकड़े - श्री आयुष झा, कार्यक्रम अधिकारी, जनपद पंचायत-नगरी, जिला-धमतरी, छत्तीसगढ़।
लेखन - श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
संपादन- श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क संचालनालय, रापपुर, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
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0 माह- जुलाई, 2021 (स्त्रोतः जिला पंचायत-धमतरी)

Monday, 5 July 2021

मनरेगा ने तैराकी की पाठशाला को किया पुनर्जीवित

तालाब गहरीकरण के बाद निस्तारी के साथ ही सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी


शारीरिक तंदुरूस्ती के लिए तैराकी को सबसे अच्छे व्यायामों में से एक माना जाता रहा है। इससे एक ओर जहां शरीर में स्फूर्ति आती है, तो वहीं दूसरी ओर निरंतर अभ्यास से हड्डियां भी मजबूत बनती हैं। गांवों में बच्चे और बड़े पहले तालाबों, पोखरों, नदी-नहरों में तैराकी और जल-क्रीड़ा करते थे। लेकिन तालाबों की अनदेखी और उनके गंदगी से पटने के कारण बच्चों-बड़ों की ये गतिविधि सिमटते गई। महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) से रोजगार के साथ ही तालाबों के संरक्षण और पुनर्जीवन के काम भी हो रहे हैं। इसके माध्यम से नए तालाबों की खुदाई तथा पुराने तालाबों की साफ-सफाई, गहरीकरण और गाद निकासी के बाद वर्षा जल के भराव से ये जल-क्रीड़ा और तैराकी जैसी गतिविधियों की पाठशाला बन गए हैं। यहाँ अब बच्चे पहले की तरह बड़ों के मार्गदर्शन में तैराकी का हुनर सीख रहे हैं।

जांजगीर-चांपा जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर बोकरामुड़ा गांव के इस तालाब को महात्मा गांधी नरेगा से नया जीवन मिला है। अब वापस तैराकी की पाठशाला बन चुका बलौदा विकासखंड के इस गांव का यह तालाब कुछ समय पहले तक गंदगी और गाद से लगभग पट चुका था। इस साल की गर्मी में यह करीब-करीब सूख ही गया था। कभी गांव में निस्तारी, खेती-किसानी और बच्चों की जल-क्रीड़ा का केन्द्र रहे इस तालाब की हालत ने गांववालों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी थीं।

सरपंच श्री जगजीवन ने ग्रामीणों के साथ मिलकर इसका समाधान निकाला और ग्रामसभा में इसके गहरीकरण का प्रस्ताव स्वीकृत कराकर इस साल फरवरी में काम शुरू करवाया। महात्मा गांधी नरेगा श्रमिकों की तीन महीनों की मेहनत से अप्रैल-2021 में तालाब के गहरीकरण व पचरी निर्माण का काम पूरा होने के बाद अब यह अपने पुराने समृद्ध स्वरुप में नजर आने लगा है। लॉक-डाउन के बीच मार्च-अप्रैल में महात्मा गांधी नरेगा के अंतर्गत तालाब गहरीकरण का काम चला। इसमें गांव के 155 परिवारों को 4232 मानव दिवसों का सीधा रोजगार प्राप्त हुआ। इसके एवज में ग्रामीणों को सात लाख 52 हजार रूपए की मजदूरी का भुगतान किया गया।

तैराकी के प्रति रुझान बढ़ा, निस्तारी के साथ खेती के लिए मिला पानी
बोकरामुड़ा के इस तालाब में जल-क्रीड़ा करने आने वाले बच्चे आयुष, आर्यन, ध्रुव, सुरेन्द्र और साहिल कहते हैं कि गहरीकरण के पहले यह इतना स्वच्छ एवं सुंदर नहीं था। अब तालाब का पानी साफ-सुथरा हो गया है। हमें यहां रोज तैराकी करने में बहुत मजा आता है। किसान श्री सुकदेव रजक, श्री नाथूराम रजक, श्री संतोष दास, श्री मोहनलाल एवं श्री रामाधार बताते हैं कि तालाब के गहरीकरण के बाद अब गांव में निस्तारी के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध है। तालाब में बारिश का पानी भरने लगा है। इससे खेती के लिए पानी मिलेगा और आसपास के जलस्रोतों का भूजल स्तर भी बढ़ेगा।


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माह- जुलाई, 2021

 रिपोर्टिंग व लेखन             - श्री देवेन्द्र कुमार यादव, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत-जाँजगीर चाम्पा, छ.ग.।

 
पुनर्लेखन व सम्पादन प्रथम - श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, विकास भवन, नार्थ ब्लॉक, सेक्टर-19, नवा रायपुर अटल नगर, जिला-रायपुर, छत्तीसगढ़।
अंतिम संपादन                 - श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क अधिकारी, जनसंपर्क संचालनालय, छत्तीसगढ़ ।
प्रूफ रिडिंग                      - श्री महेन्द्र कहार

 

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Saturday, 3 July 2021

मनरेगा से बनी डबरी से मिला सिंचाई का साधन, सब्जी की खेती से गोपाल ने बढ़ाई कमाई


रायपुर, 03 जुलाई 2021. कई बार महज एक साधन आपकी समस्या रुपी ताले की चाबी बन जाता है। ऐसी ही एक चाबी कोरिया जिले के किसान श्री गोपाल सिंह के हाथों लग गई है। इस चाबी से उन्होंने खुद का सिंचाई का साधन न होने की समस्या रुपी ताले को खोल लिया है। महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी अधिनियम) से गोपाल के खेत में निर्मित डबरी ने उसे सब्जियों की खेती की कुंजी दे दी है, जिसकी कमाई से परिवार की आमदनी लगातार बढ़ रही है। डबरी खुदाई के बाद उनके खेतों में हरियाली अब दूर से ही नजर आने लगी है। इस साल आयी पहली बारिश से डबरी में जमा हुए पानी से गोपाल की सब्जियों की नई फसल बिकने को तैयार हो गई है। भिंडी और बरबट्टी की पैदावार के बाद अब जल्दी ही मनेन्द्रगढ़ के बाजारों में उनके उगाए मिर्च और बैगन भी नजर आएंगे।

महात्मा गांधी नरेगा से खेत में डबरी खुदाई के बाद कोरिया के मनेन्द्रगढ़ विकासखण्ड के डंगौरा में रहने वाले गोपाल अब अकुशल रोजगार की चिंता से मुक्त हो गए हैं। खुद का सिंचाई का साधन विकसित हो जाने से उनकी कई समस्याओं का एक साथ निदान हो गया है। पहले सिंचाई की सुविधा नहीं होने से वे अपने दो एकड़ खेतों के लिए पाइप लगाकर दूर नदी से पानी लाते थे। इसमें काफी समय और श्रम लगता था। असामाजिक तत्वों द्वारा कभी पाइप या तार काट देने से आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ता था। डबरी बन जाने से इन परेशानियों से मुक्ति मिल गई है। अब गोपाल के खेतों में पर्याप्त हरियाली है। सब्जियां बेचकर वे परिवार की जरूरतों को आसानी से पूरा कर रहे हैं। इस साल अप्रैल-मई में लॉक-डाउन के दौरान उन्होंने हर सप्ताह तीन से चार हजार रूपए की सब्जी बेची। अब बारिश के मौसम की अग्रिम खेती से भी उन्हें हर सप्ताह दो से ढाई हजार रूपए का लाभ मिलना शुरू हो गया है।

ग्राम पंचायत डंगौरा के अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसान गोपाल के परिवार में पत्नी और चार बच्चे हैं। गांव में एक दूसरे किसान की डबरी की सफलता से प्रभावित होकर उन्होंने भी महात्मा गांधी नरेगा नरेगा से डबरी निर्माण के लिए आवेदन दिया। पंचायत ने मार्च-2021 में गोपाल के खेत में डबरी खुदाई के लिए एक लाख 94 हजार रूपए स्वीकृत किए। अप्रैल में काम शुरू हुआ और पांच सप्ताह बाद मई में डबरी का निर्माण पूर्ण भी हो गया। गोपाल और उनकी पत्नी कैलासिया बाई को इस काम में मजदूरी के रूप में दस हजार रूपए भी प्राप्त हुए।

डबरी निर्माण के समय को याद करते हुए गोपाल बताते हैं कि सही जगह का चयन होने से पहले सप्ताह की खुदाई के बाद से ही डबरी में पानी आने लगा, जिसे उन्होने पंप लगाकर पास के खेतों में उपयोग करना प्रारंभ कर दिया। इससे उन्हें अच्छा लाभ हुआ और गर्मी के मौसम में ही भिंडी और बरबट्टी बेचकर प्रति सप्ताह तीन से चार हजार रूपए की कमाई हुई। बरसात की सब्जियों की अग्रिम खेती से अब उनके खेतों में भिंडी की अच्छी फसल तैयार है, जिसे वह हर दो-तीन दिनों में मनेन्द्रगढ़ के बाजार में बेचकर डेढ़ हजार रूपए का लाभ कमा रहे हैं। गोपाल ने बताया कि उनके खेतों में मिर्च और बैगन की भी फसल तैयार हो रही है। जुलाई के अंतिम सप्ताह तक वह बेचने लायक हो जाएगी। वे कहते हैं कि मनरेगा से डबरी खुदाई के बाद उनकी कई समस्याओं का समाधान हो गया है।

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महत्वपूर्ण आंकड़ेः
(1) स्वीकृत राशि- 1.94 लाख रुपये, (2) कार्य प्रारंभ तिथि- 22.04.2021, (3) कार्य पूर्णता तिथि- 25.05.2021


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माह- जुलाई, 2021
रिपोर्टिंग व लेखन - श्री रुद्र मिश्रा, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत-कोरिया, छत्तीसगढ़।
पुनर्लेखन व सम्पादन प्रथम - श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, विकास भवन, तृतीय तल, नार्थ ब्लॉक, सेक्टर-19, नवा रायपुर अटल नगर, जिला-रायपुर, छत्तीसगढ़ ।
अंतिम संपादन - श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क अधिकारी, जनसंपर्क संचालनालय, छत्तीसगढ़ ।
प्रूफ रिडिंग-    श्री महेन्द्र कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, विकास भवन, तृतीय तल, नार्थ ब्लॉक, सेक्टर-19, नवा रायपुर अटल नगर, जिला-रायपुर, छत्तीसगढ़ ।
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महात्मा गांधी नरेगा से बने कुएं ने दिखाई कर्ज मुक्ति की राह

कुएं ने धान की पैदावार तो बढ़ाई ही, आजीविका का नया जरिया भी दिया. ईंट निर्माण से तीन सालों में साढ़े तीन लाख की कमाई. स्टोरी/रायपुर/बीजापुर/...