Saturday, 23 October 2021

हरियाली की ब्रांड एम्बेसडर है मनरेगा मेट पुष्पा

पर्यावरण प्रेमी महिला मेट पुष्पा की कोशिशों से आबाद है दो फलदार पौधरोपण क्षेत्र.

स्वसहायता समूहों की महिलाएं फल उत्पादन के साथ दोनों उद्यानों में कर रही हैं अंतरवर्ती फसलों की खेती.

हरियाली के साथ ही आजीविका का भी संवर्धन.




स्टोरी/रायपुर/धमतरी/23 अक्टूबर, 2021. कुछ लोग जो बदलाव की ओर अपने कदमों को बढ़ाते हैं और देखते ही देखते अपने आस-पास के लोगों के लिए एक मिसाल बन जाते हैं, या यूं कहें कि एक हस्ती बन जाते हैं। ऐसी ही एक शख्सियत का नाम है- श्रीमती पुष्पा बाई पटेल। महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) कार्यों में मेट का काम करने वाली श्रीमती पुष्पा पटेल गांव को हरा-भरा बनाने के साथ ही महिलाओं को रोजगार के नए अवसरों से भी जोड़ रही हैं। धमतरी जिले के कुरुद विकासखण्ड के सिरसिदा गांव की पुष्पा 'महिला मेट' के रूप में अपने कर्तव्यों के निर्वहन के साथ ही स्वसहायता समूह की सक्रिय सदस्य के तौर पर लोगों को, खासतौर से 'महिलाओं' को वृक्षारोपण से जोड़ने का भी काम कर रही हैं। उसकी कोशिशों से गांव में महानदी के किनारे पांच साल पहले पांच एकड़ में रोपे गए फलदार पौधे अब 5-6 फीट के हरे-भरे पेड़ बन गए हैं। उसके प्रोत्साहन से तीन स्वसहायता समूहों की महिलाएं वहां फल उत्पादन के साथ अंतरवर्ती खेती कर अपनी आजीविका संवार रही हैं। इस उद्यम की कामयाबी को देखकर ग्राम पंचायत ने वर्ष 2020-21 में महात्मा गांधी नरेगा और डीएमएफ (जिला खनिज न्यास निधि) के अभिसरण से 12 लाख 51 हजार रूपए की लागत से 7.41 एकड़ में 850 फलदार पौधों का और रोपण करवाया है। गांव की शिव गंगा स्वसहायता समूह की 11 महिलाएं इनकी देखभाल करने के साथ रोपित पौधों के बीच अंतरवर्ती खेती कर रही हैं।

पेड़-पौधों से बचपन से ही लगाव रखने वाली पुष्पा का सिरसिदा में दोनों पौधरोपण क्षेत्रों में पौधों की देखभाल और महिलाओं को वहां आजीविकामूलक गतिविधियों से जोड़ने में अहम योगदान है। बारहवीं तक शिक्षित 39 साल की पुष्पा गांव की महिलाओं के लिए 'प्रेरणा-पुंज' है। मेट के रूप में पुष्पा के कार्यों से प्रेरित होकर इस साल गांव की पांच अन्य महिलाएं श्रीमती नेहा साहू, श्रीमती चमेली निषाद, श्रीमती देवली दीवान, श्रीमती टिकेश्वरी निषाद और श्रीमती खिलेश्वरी साहू भी महात्मा गांधी नरेगा में महिला मेट बन गई हैं। पुष्पा बताती है कि वर्ष 2016-17 में महात्मा गांधी नरेगा और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अभिसरण से गांव में मिश्रित पौधरोपण का कार्य स्वीकृत हुआ था। इसके अंतर्गत पांच एकड़ क्षेत्र में छह लाख 48 हजार रूपए की लागत से 1120 फलदार पौधों का रोपण करना था। पौधरोपण के बाद नियमित रूप से उनकी देखभाल भी करनी थी, इसलिए इसमें महिलाओं की भागीदारी जरूरी थी। गांव की महिलाएं शुरू में इस काम के लिए तैयार नहीं हो रही थीं। उन्होंने स्वसहायता समूहों की महिलाओं के साथ लगातार बैठक कर इसके लिए उन्हें राजी किया। इन महिलाओं की मेहनत से पांच एकड़ का यह क्षेत्र आज दूर से ही हरा-भरा दिखाई देता है। कटहल, जामुन, अमरुद, बेर, आम और करौंदा के पेड़ वहां लहलहा रहे हैं। महिलाओं ने इस साल 112 किलोग्राम आम बेचकर साढ़े चार हजार रूपए कमाए भी हैं।

स्वसहायता समूहों के जरिए रोजगार

पुष्पा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत गठित जय मां शारदा स्वसहायता समूह की सक्रिय सदस्य है। वह पिछले पांच सालों से गांव की महिलाओं के साथ काम कर रही है और उन्हें स्वसहायता समूह के रूप में संगठित कर आजीविका मूलक गतिविधियों से भी जोड़ रही है। उसकी कोशिशों से गांव में अब तक 21 स्वसहायता समूह गठित हो चुके हैं। इनमें से तीन समूहों की महिलाएं फलदार पौधरोपण क्षेत्र में पेड़ों के मध्य अंतरवर्ती खेती कर शकरकंद, मूंगफल्ली, भाजी, बरबट्टी, सेमी, मूली और गोभी की पैदावार ले रही हैं।

मनरेगा कार्यों में बढ़ाई महिलाओं की भागीदारी

महिला मेट के तौर पर पुष्पा की सक्रियता और प्रोत्साहन से मनरेगा कार्यों में गांव की महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है। सिरसिदा में कुल पंजीकृत महिला श्रमिकों की संख्या 400 है। वर्ष 2017-18 में 179 महिला श्रमिकों ने 3606 मानव दिवस रोजगार सृजित किया था, जो वर्ष 2018-19 में बढ़कर 255 महिला श्रमिकों द्वारा 3752 मानव दिवस, वर्ष 2019-20 में 286 महिला श्रमिकों द्वारा 7754 मानव दिवस एवं वर्ष 2020-21 में 334 महिला श्रमिकों द्वारा 11 हजार 925 मानव दिवस हो गया।

परिवार के आर्थिक हालात भी बदले

गांव में हरियाली बढ़ाने के साथ-साथ अपने परिवार की माली स्थिति को सुधारने में भी पुष्पा ने अपनी भूमिका का बखूबी निर्वहन किया है। मेट बनने के पहले वह पढ़ी-लिखी होने के बावजूद घर की चार-दीवारी तक सीमित थी। पति श्री करण सिंह पटेल मोटर सायकल रिपेयरिंग का काम करते हैं। आय के सीमित साधनों के कारण परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। पति की प्रेरणा और ग्राम पंचायत के सहयोग से पुष्पा वर्ष 2011 से मनरेगा कार्यों में मेट का काम कर रही है। मेट बनने के बाद बच्चों की परवरिश और घर-परिवार की जरूरतों को पूरा करने में वह अपने पति की मदद कर रही है। अपने स्वसहायता समूह के साथ उद्यान में सब्जियों की अंतरवर्ती खेती कर अतिरिक्त आय भी जुटा रही है।

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वित्तीय वर्ष 2021-22 में दिनांक- 21.10.2021 की स्थिति में एक नजरः-
जारी जॉब कार्ड संख्या- 321, सक्रिय जॉब कार्ड संख्या- 313, सक्रिय श्रमिकों की संख्या- 744
रोजगार प्राप्त परिवारों की संख्या- 310, रोजगार प्राप्त श्रमिकों की संख्या- 665 सृजित मानव दिवस- 9573
रोजगार प्राप्त महिला श्रमिकों की संख्या- 326, महिला श्रमिकों के द्वारा सृजित मानव दिवस- 4485
मेट का नाम- श्रीमती पुष्पा बाई पटेल पति श्री करण सिंह पटेल, उम्र- 39 वर्ष


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तथ्य एवं आंकड़े-
1. श्री धरम सिंह, सहायक परियोजना अधिकारी, जिला पंचायत-धमतरी, छत्तीसगढ़।
2. श्रीमती कुंती देवांगन, कार्यक्रम अधिकारी, विकासखण्ड-कुरुद, जिला-धमतरी, छत्तीसगढ़।
3. श्री प्रदीप साहू, तकनीकी सहायक, विकासखण्ड-कुरुद, जिला-धमतरी, छत्तीसगढ़।
4. श्री अभिमन्यु निषाद, सरपंच, ग्राम पंचायत-सिरसिदा, विकासखण्ड-कुरुद, जिला-धमतरी, छत्तीसगढ़।

लेखन - श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
संपादन - श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क संचालनालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।

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Monday, 18 October 2021

पांच महिला मेटो ने बढ़ाई ‘आधी आबादी’ की भागीदारी

मेट का काम कुशलता से अंजाम देने के साथ ही महिलाओं को कर रहीं प्रेरित


स्टोरी/रायपुर/गरियाबंद/18 अक्टूबर, 2021. ‘हर हाथ को काम और काम का वाजिब दाम’ की उक्ति को धरातल पर उतारने वाली महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) देश की ‘आधी आबादी’ को भी आर्थिक मजबूती प्रदान कर रही है। हर हाथ को काम देने का आशय केवल पुरूष मजदूर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें ऐसे सभी महिला श्रमिक भी शामिल हैं जो काम की इच्छुक हैं और जो काम कर सकती हैं। देश की ‘आधी आबादी’ यानि महिलाएं महात्मा गांधी नरेगा में पुरूषों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर रोजगार सृजन कर रही हैं। महिला मेटो की नियुक्ति से कार्यस्थल में उनकी उपस्थिति और भी ज्यादा सुनिश्चित हुई है। महात्मा गांधी नरेगा के कार्यों में महिला मेट नाप से लेकर रिकॉर्ड संधारण का कार्य बखूबी कर रही हैं। वे महिला मजदूरों को प्रोत्साहित भी कर रही हैं। फलस्वरूप अनेक जिलों में कार्यस्थलों में महिला मजदूरों की भागीदारी 50 प्रतिशत से अधिक हो गई है।

गरियाबंद जिले के फिंगेश्वर विकासखण्ड मुख्यालय से दस किलोमीटर की दूरी पर सघन वनों के बीच ग्राम पंचायत गुन्डरदेही बसा है। वहां पंजीकृत पांच महिलो मेटों में एक श्रीमती गिरजा साहू भी है।

बदल दिए घर के हालात
मजदूर परिवार की गिरजा बारहवीं तक शिक्षित है। पहले उनका परिवार पति की रोजी-मजदूरी पर ही निर्भर था। पर अब जब से वह मेट बनी है, अपने परिवार को आर्थिक संबल प्रदान कर रही है। वर्ष 2015 से मेट का काम कर रही गिरजा ने धीरे-धीरे रकम जोड़कर अब कपड़े की एक दुकान भी खोल ली है। आय का अतिरिक्त साधन होने से परिवार की आर्थिक स्थिति अब पहले से काफी बेहतर हो गई है।

दूसरी महिलाओं को कर रही प्रेरित
गिरजा को मेट का काम करते देख गांव की केशरी ध्रुव, मंजू साहू, उर्वशी यादव और त्रिवेणी साहू भी प्रेरित हुईं और मेट का काम सीखकर अब वे भी महिला मेट के रूप में सेवाएं दे रही हैं। इन लोगों ने मनरेगा के तकनीकी सहायक से खनती की माप एवं मजदूरों का नियोजन सीखने के बाद महिला मेटों के लिए आयोजित प्रशिक्षण में पंजी संधारण एवं दस्तावेजों के रखरखाव का काम भी कुशलता से सीख लिया है। गांव में नवीन तालाब निर्माण, तालाब गहरीकरण, नाला सफाई एवं भूमि सुधार जैसे अनेक कार्यों में मेट के रूप में मजदूरों के कुशल नियोजन के साथ-साथ उन्हें जरूरी दिशा-निर्देश देने, पंजी संधारण तथा मस्टररोल में हाजिरी दर्ज करने जैसे महत्वपूर्ण काम वे कर रही हैं।

महिलाओं की 50% प्रतिशत से अधिक भागीदारी
वन क्षेत्र में स्थित होने के कारण गुण्डरदेही में खेती-किसानी का रकबा बहुत कम है। रोजगार के अन्य साधन भी कम संख्या में हैं। वहां मनरेगा कार्यों में महिला श्रमिकों की भागीदारी बढ़ाने में गांव की इन पांचों महिला मेटो का विशेष योगदान है। इनके प्रोत्साहन से पिछले तीन वर्षों में मनरेगा कार्यों में महिला श्रमिकों की भागीदारी 50 प्रतिशत से अधिक रही है। गुन्डरदेही में वर्ष 2018-19 में सृजित कुल मानव दिवस रोजगार में से 55 प्रतिशत, 2019-20 में 56 प्रतिशत और 2020-21 में करीब 54 प्रतिशत महिलाओं द्वारा सृजित किए गए हैं। गांव की महिला मेटो द्वारा आजीविका संवर्धन के कार्यों के प्रति महिलाओं को प्रोत्साहित करने से ही इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं को रोजगार देना संभव हो पाया है।
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वित्तीय वर्ष 2021-22 में दिनांक- 18.10.2021 की स्थिति में एक नजरः-
जारी जॉब कार्ड संख्या- 641, सक्रिय जॉब कार्ड संख्या- 614, सक्रिय श्रमिकों की संख्या- 1246,
रोजगार प्राप्त परिवारों की संख्या- 449, सृजित मानव दिवस- 8890,
रोजगार प्राप्त महिला श्रमिकों की संख्या- 384, महिला श्रमिकों के द्वारा सृजित मानव दिवस- 4430
मेट का नाम- श्रीमती गिरजा साहू पति श्री कृष्ण कुमार साहू, उम्र- 37 वर्ष, मोबाईल नं.- 8435778737
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तथ्य एवं आंकड़े-
1. श्री बुद्धेश्वर साहू, सहायक परियोजना अधिकारी, जिला पंचायत-गरियाबंद, छत्तीसगढ़।
2. श्री अंकित वर्मा, प्रोग्रामर, जिला पंचायत-गरियाबंद, छत्तीसगढ़ ।
3. श्री कपिल नायक, तकनीकी सहायक, वि.ख.-फिंगेश्वर, जिला-गरियाबंद, छ.ग.।

लेखन- श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
संपादन- श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क संचालनालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।

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Monday, 11 October 2021

आत्मविश्वास के बूते राजकुमारी ने तय किया गृहिणी से महिला मेट तक का सफर

स्टोरी/रायपुर/बलरामपुर-रामानुजगंज/11 अक्टूबर, 2021. कल तक घर की चारदीवारी के बीच रहने वाली राजकुमारी, आज बड़े ही आत्मविश्वास के साथ मनरेगा कार्य स्थल पर श्रमिकों के बीच मस्टर रोल पर उनकी हाजिरी लेती है और उन्हें गोदी का साइज बता कर काम पर लगाती है। जिस कुशलता के साथ वे गृहिणी के किरदार में घर के कामों और जिम्मेदारियों को निभाती है; वैसी ही वह घर के बाहर महिला मेट के रूप में मनरेगा के कामों और जिम्मेदारियों को पूरा करती है।

बलरामपुर जिला के शंकरगढ़ विकासखण्ड के खरकोना गांव की निवासी श्रीमती राजकुमारी बरगाह के जीवन में आए इस बदलाव के पीछे उनके पति श्री चंद्रपाल बरगाह का प्रोत्साहन एवं संबल है। विवाह के बाद राजकुमारी भी आम गृहणियों की भांति घर को संभालने में लग गई थी। इसी दरम्यान समय-समय पर राजकुमारी में पढ़ने-लिखने के प्रति रुचि को देखते हुए पति चंद्रपाल ने उन्हें दसवीं कक्षा की परीक्षा देने के लिए प्रोत्साहित किया। लगातार प्रोत्साहन से वर्ष 2015 में उन्होंने अपनी दसवीं पूरी कर ली।

पति से मिले प्रोत्साहन और हाई स्कूल की परीक्षा पास करने के बाद राजकुमारी का आत्मविश्वास काफी बढ़ गया था, जिसके बलबूते उन्होंने मनरेगा में मेट के रूप में काम करने का निर्णय लिया। पिछले 3 साल से वे खरोकना ग्राम पंचायत में महिला मेट का काम बड़ी ही निष्ठा से कर रही हैं। अपने काम को बेहतर बनाने के उद्देश्य से उन्होंने जनपद पंचायत-शंकरगढ़ में संपन्न हुए विशेष मेट प्रशिक्षण में भागीदारी भी की थी। वे अब योजना अंतर्गत "काम की मांग लेने, काम का आबंटन, श्रमिकों की हाजिरी व उनके काम की माप-पंजी में एंट्री, कार्यस्थल पर सुविधाएं एवं समय-सीमा में काम कराने” जैसे विषयों में पारंगत हो गई हैं। उन्होंने ग्राम पंचायत में महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत वृक्षारोपण, निजी तालाब निर्माण एवं 06 किसानों की निजी भूमि पर डबरियों (फार्म पोण्ड) का निर्माण करवाया है।

श्रीमती राजकुमारी के पति किसान हैं और मनरेगा में भी मजदूरी करते हैं। घर की आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के लिए मनरेगा में मेट के रूप में काम करने का राजकुमारी का निर्णय, आज फलीभूत होता नजर आ रहा है। वे बताती हैं कि मेट के काम से मिले पारिश्रमिक से वे अब तक 27 हजार रुपए जोड़ चुकी हैं, जो उनके परिवार के लिए जरूरत के समय काम आएंगे।


मेट राजकुमारी के जीवन में आया यह बदलाव ग्रामीण क्षेत्रों में महात्मा गांधी नरेगा के एक नए आयाम को दर्शा रहा है। योजना में मेट के रूप में महिला की नियुक्ति से जहां एक ओर महिला सशक्तिकरण हो रहा है; वहीं ग्रामीण स्तर पर एक सामाजिक परिवर्तन होता भी नजर आ रहा है।

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वित्तीय वर्ष 2021-22 में दिनांक- 11.10.2021 की स्थिति में एक नजरः-
जारी जॉब कार्ड संख्या- 423, सक्रिय जॉब कार्ड संख्या- 398, सक्रिय श्रमिकों की संख्या- 889,
रोजगार प्राप्त परिवारों की संख्या- 318, सृजित मानव दिवस- 11637, सौ-दिवस रोजगार प्राप्त परिवार- 6
रोजगार प्राप्त महिला श्रमिकों की संख्या- 261, महिला श्रमिकों के द्वारा सृजित मानव दिवस- 5235,
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तथ्य एवं आंकड़े-
1. श्री अनिल कुमार गुप्ता, प्रोग्रामर, जिला पंचायत-बलरामपुर रामानुजगंज, छत्तीसगढ़।
2. श्री मुरारीलाल यादव, ग्राम रोजगार सहायक, ग्राम पंचायत-खरकोना, वि.ख.-शंकरगढ़, जिला-बलरामपुर रामानुजगंज, छ.ग.।
3. श्री अविनाश कुमार भारती, तकनीकी सहायक, वि.ख.-शंकरगढ़, जिला-बलरामपुर रामानुजगंज, छ.ग.।

लेखन- श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
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Friday, 8 October 2021

मेट फूलमती के हाथों फल-फूल रही मनरेगा योजना

स्टोरी/रायपुर/बीजापुर/08 अक्टूबर, 2021. साधारण-सी नजर आने वाली 24 वर्षीय फूलमती पोयामी के हाथों में गांव के मनरेगा श्रमिकों को कार्य आबंटन और उनसे कार्य कराने की महती जिम्मेदारी है। वे पिछले 2 सालों से गांव में योजनान्तर्गत महिला मेट की जिम्मेदारी को बखूबी निभा रही हैं। यही कारण है कि जहाँ वर्ष 2019-20 में 211 मनरेगा परिवारों को 14 हजार 403 मानव दिवस का रोजगार मिल था, वह वर्ष 2020-21 में बढ़कर 237 परिवारों द्वारा सृजित मानव दिवस 21 हजार 451 हो गया। यह इनकी मेहनत का ही परिणाम है कि वर्तमान वर्ष 2021-22 के प्रथम छ:माही में 229 परिवारों को 9 हजार 685 मानव दिवस का रोज़गार प्राप्त हो चुका है और अभी वित्तीय वर्ष की समाप्ति को पाँच माह से अधिक का समय बचा है। बीजापुर जिले के कोडोली गांव में मनरेगा की इस प्रगति के पीछे फूलमती का अपनी एक दास्तां है।

फूलमती की अल्प आयु में उनके सिर से पिता का हाथ उठ गया था। ऐसे में सात सदस्यों वाले बड़े परिवार की जिम्मेदारी उन पर और उनके बड़े भाई पर आन पड़ी थी। बारहवीं तक पढ़ाई कर चुकी फूलमती इन परिस्थितियों में गांव में ही रहकर रोज़गार ढूंढ रही थीं, ताकि घर के सदस्यों का भी ध्यान रख सकें। इसके लिए वह गांव में मनरेगा योजना में चलने वाले कार्यों में मजदूरी करने जाती थी। इसी दरम्यान पंचायत सचिव श्री राममूर्ति से उन्हें यह जानकारी मिली कि पढ़ी-लिखी लड़कियों को योजना में गोदी की नाप और कार्य कराने के लिए मेट रखा जाता है। ये जानकर उन्होंने मेट बनने का निर्णय लिया और साल 2019 से ग्राम रोजगार सहायक सुश्री कमलदई नाग के मार्गदर्शन में काम करना प्रारम्भ कर दिया। अपनी लगनशीलता के बलबूते वे थोड़े दिनों में ही मेट के काम में दक्ष हो गई।

महात्मा गांधी नरेगा के विभिन्न पहलुओं से मेटों को अवगत कराने और उनके उन्मुखीकरण के लिए जनपद पंचायत-भैरमगढ़ में दो-सप्ताह का विशेष प्रशिक्षण आयोजित किया गया था, जिसमें फूलमती ने सफलतापूर्वक प्रशिक्षण प्राप्त किया। वे बताती हैं कि प्रशिक्षण से उनकी कार्य-कुशलता में वृद्धि हुई है। वे अब कार्यस्थल पर श्रमिकों का बेहतर तरीके से प्रबंधन कर पाती हैं। साथ ही नागरिक सूचना पटल निर्माण और जॉब कार्ड अद्यतनीकरण के बारे में काफी कुछ जानने और सीखने को मिला। महात्मा गांधी नरेगा को अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा मानने वाली फूलमती बीते दिनों को याद करते हुए बताती है कि उन्होंने योजना से मिले पारिश्रमिक में से 23 हजार रुपए जोड़कर रखे थे और जब घर की मरम्मत का काम चल रहा था, तब वे रुपए काम आ गए।

महिला सशक्तिकरण
ग्राम रोजगार सहायक और मेट, दोनों के महिला होने का फायदा गाँव की महिलाओं को हुआ। इनके मिलनसार व्यवहार के चलते महात्मा गांधी नरेगा में पिछले दो सालों में महिलाओं की भागीदारी 50 प्रतिशत से अधिक रही है। वर्ष 2019-20 में 277 महिलाओं ने काम करते हुए 7 हजार 658 मानव दिवस, वर्ष 2020-21 में 329 महिलाओं ने 11 हजार 684 मानव दिवस और वर्तमान वित्तीय वर्ष 2021-22 में सितम्बर माह तक 268 महिलाओं ने 5 हजार 299 मानव दिवस का रोज़गार प्राप्त किया।

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दिनांक- 08.10.2021 की स्थिति में एक नजरः-
जारी जॉब कार्ड संख्या- 241, सक्रिय जॉब कार्ड संख्या- 238, सक्रिय श्रमिकों की संख्या- 549,
रोजगार प्राप्त परिवारों की संख्या- 229, सृजित मानव दिवस- 9685,
रोजगार प्राप्त महिला श्रमिकों की सख्या- 268, महिला श्रमिकों के द्वारा सृजित मानव दिवस- 5299,

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तथ्य एवं आंकड़े- सुश्री कमलदई नाग, ग्राम रोजगार सहायक, ग्राम पंचायत-कोडोली, वि.ख.-भैरमगढ़, जिला-बीजापुर, छ.ग.।
लेखन- श्री प्रशांत यादव, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत-बीजापुर, छत्तीसगढ़।
संपादन- श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
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Thursday, 7 October 2021

हेमलता कभी खुद करती थीं मजदूरी, अब महिला मेट बन लोगों को दिला रही रोजगार

स्टोरी/रायपुर/कोण्डागांव/07 अक्टूबर, 2021. कोरोना काल एक ऐसा समय था, जब सभी दुकानों में ताले पड़ गये थे और विकास के पहियों पर लॉकडाउन की जंजीरे लटक रही थीं। इस समय महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महात्मा गांधी नरेगा) संकटमोचक के रूप में सामने आई, जिसने दैनिक मजदूरी करने वाले लोगों को नियमित रोजगार देने के साथ उनमें उम्मीद की एक किरण जगायी रखी। परंतु इस समय जब लोग घरों से निकलना भी सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे थे; ऐसे में लोगों को रोजगार से जोड़ने का बीड़ा कोण्डागांव जिले की ग्राम पंचायत-बड़ेडोंगर की सुश्री हेमलता यादव ने उठाया। कोरोना वॉरियर की भांति संकटकाल में वे घर-घर जाकर लोगों से रोजगार का आवेदन लेने का काम कर रहीं थी। वे लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के साथ-साथ कार्यस्थल पर कोरोना से सुरक्षा-सावधानियों की व्यवस्था के संबंध में भी जानकारी देकर उन्हें स्वस्थ कार्य परिस्थितियों के बारे में बताती थी।

फरसगांव विकासखण्ड मुख्यालय से 18 कि.मी. की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत-बड़ेडोंगर की महिला मेट की जिम्मेदारी निभा रही हेमलता यादव का जीवन संघर्षपूर्ण रहा है। वे मजदूर परिवार से होने के कारण परिवार के सदस्यों के साथ महात्मा गांधी नरेगा के कार्यों में मजदूरी करने जाया करती थी, जिससे उनके परिवार का भरण-पोषण होता था। महात्मा गांधी नरेगा के कार्यों में जाने के कारण योजना के संबंध में थोड़ी बहुत जानकारी उन्हें पहले से ही थी। इस दौरान उन्हें ग्राम रोजगार सहायक श्री दुलेन्द्र पात्र से योजनांतर्गत महिला मेट के संबंध में जानकारी प्राप्त हुई।

यह जानकारी प्राप्त होने पर बारहवीं तक पढ़ी-लिखी हेमलता यादव के भीतर उम्मीद की किरण जगी और उन्होंने अपना पंजीयन महिला मेट के रूप मे कराने के बाद जनपद पंचायत स्तर पर आयोजित तीन दिवसीय मेट-प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद कोरोना की दस्तक के साथ रोजगार कार्यों पर असर पड़ा। ऐसे में हेमलता ने हिम्मत दिखाते हुए कोरोना काल में फ्रंट लाईन वॉरियर बन कर ग्राम पंचायत में चल रहे सड़क निर्माण कार्य एवं डबरी निर्माण कार्य में महिला मेट के रूप में कार्य कर ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इस संबंध में हेमलता बताती हैं कि महात्मा गांधी नरेगा योजना में मेट के रूप मे कार्य करने से उसे ग्राम पंचायत स्तर पर बहुत-सी जानकारियां जैसे कि 'कार्ययोजना कैसे तैयार की जाती है', 'कार्य कैसे होता है', 'ग्राम पंचायत में सात पंजी एवं मेट पंजी का संधारण', 'जॉब कार्ड का अद्यतन' एवं 'कार्य स्थल में श्रमिकों का काम का आबंटन' आदि प्राप्त हुई। जिसके साथ उन्होंने रोजगार दिलाने में अपनी सहभागिता दी। वर्तमान में महिला मेट के रूप में प्रशिक्षण प्राप्त होने से बेहतर कार्य करने का प्रोत्साहन मिला है। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2021-22 में ग्राम पंचायत के 10 परिवारों को 100 दिवस का रोजगार प्राप्त हो चुका है, जिसमें उनका परिवार भी शामिल है।

इसके अलावा उन्होंने बताया कि महिला मेट के रूप में कार्य करने से उन्हें समाज में मान-सम्मान मिलने के साथ कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा, परंतु महिला मेट के रूप में कार्य करते हुए उन्हें यह आत्म संतुष्टि प्राप्त हुई कि वह संकट काल से लोगों को उबारने का कार्य कर सकी।

ग्राम पंचायत-बड़ेडोंगर के सरपंच श्री विद्यासागर नायक ने बताया कि सुश्री हेमलता यादव के कार्य से अन्य महिलाओं को मनोबल प्राप्त हुआ है। इससे ग्राम पंचायत के विकास में एवं महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के कार्यों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। इस वित्तीय वर्ष में ग्राम पंचायत में कुल 9870 मानव दिवस सृजित हुआ है; जिसमें महिलाओं की सहभागिता का प्रतिशत 59.13% जबकि पुरूष श्रमिकों की भागीदारी का प्रतिशत केवल 40.87% रहा।

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एक नजरः-
जारी जॉब कार्ड संख्या- 718, सक्रिय जॉब कार्ड संख्या- 628, सक्रिय पंजीकृत महिला श्रमिक- 801

वित्तीय वर्ष 2021-22 में दिनांक- 07.10.2021 की स्थिति में,
रोजगार प्राप्त परिवारों की संख्या- 297, सृजित मानव दिवस- 9870, सौ-दिवस रोजगा प्राप्त परिवारों की संख्या- 10
रोजगार प्राप्त महिला श्रमिकों की सख्या- 316, महिला श्रमिकों के द्वारा सृजित मानव दिवस-5788

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तथ्य एवं आंकड़े- 
1. श्री त्रिलोकी प्रसाद अवस्थी, सहायक परियोजना अधिकारी, जिला पंचायत-कोण्डागांव, छत्तीसगढ़।
2. श्री पवन साहू, शिकायत समन्वयक, जिला पंचायत-कोण्डागांव, छत्तीसगढ़।
3. श्री वीरेन्द्र साहू, कार्यक्रम अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा, जनपद पंचायत-फरसगांव, जिला-कोण्डागांव, छ.ग.।

लेखन- श्री गोपाल शुक्ला, जिला जनसंपर्क कार्यालय, जिला-कोण्डागांव, छत्तीसगढ़।
संपादन- श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
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Wednesday, 6 October 2021

मनरेगा मेट पुलोजमा को मिली ‘इंजीनियर दीदी’ की नई पहचान

तालाब गहरीकरण, डबरी निर्माण से लेकर मिट्टी सड़क निर्माण में अपनी भूमिका को किया है सिद्ध.
परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाकर कर रही हैं गांव के विकास का कार्य.

स्टोरी/रायपुर/जांजगीर-चाँपा/06 अक्टूबर, 2021. पुलोजमा, अपने गांव में इंजीनियर दीदी के नाम से जानी और पहचानी जाती हैं। हर किसी की जुबान पर उनका ही नाम रहता है। गांव में जहां से भी वे निकलती हैं, सभी उनका आदर के साथ अभिवादन करते हैं और उनके काम की तारीफ करते हैं। उनकी इस पहचान के पीछे उनका अपना एक संघर्ष है। कुछ साल पहले तक वे भी आम गृहणी की तरह अपने परिवार की देखभाल में लगी रहती थी, उनकी पहचान का दायरा केवल उनके परिवार तक ही सीमित था। लेकिन एक ऐसा दिन भी आया, जब उन्हें अपनी पहचान बदलने का मौका मिला। यह मौका, उन्हें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महात्मा गांधी नरेगा) में महिला मेट के काम के रूप में मिला। यहीं से उनके जीवन में असली बदलाव आया और वे पिछले 10 सालों से लगातार गाँव में महिला मेट की जिम्मेदारी बखूबी निभाते आ रही हैं। उनकी कार्यशैली को देखते हुए महात्मा गांधी नरेगा के श्रमिकगण और ग्रामीणजन उन्हें इंजीनियर दीदी के नाम से बुलाने लगे हैं और यही उनकी पहचान बन गई है।

ग्राम पंचायत जूनाडीह जांजगीर-चांपा जिले के बलौदा विकासखण्ड के अंतर्गत आता है। इसी गांव की रहने वाली हैं मेट श्रीमती पुलोजमा खैरवार, जो कि अनुसूचित जनजाति वर्ग से आती हैं। वे बताती हैं कि वे संयुक्त परिवार में रहती हैं। उनके ससुर के पास एक एकड़ जमीन है, जिस पर परिवार का गुजर-बसर चलता रहा। कहते हैं कि समय हर इंसान की परीक्षा लेता है, तो उनका परिवार भी कठिन समय की परीक्षा से गुजर रहा था। बदलते पारिवारिक घटनाक्रम के चलते उनके परिवार के पालन-पोषण की जिम्मेदारी उन पर ही आन पड़ी थी। आर्थिक स्थिति काफी खराब होने के कारण वे अपने बच्चों पर भी उतना ध्यान नहीं दे पा रही थी। लगातार इन परेशानियों से जूझते हुए एक दिन उन्हें ग्राम रोजगार सहायक श्री महेन्द्र कुमार चौसले के माध्यम पता चला कि महात्मा गांधी नरेगा के कार्यों में मेट की आवश्यकता है। ऐसे में श्रीमती पुलोजमा की बारहवीं तक की पढ़ाई उनके काम आ गई और उन्हें 11 अक्टूबर 2011 को पंचायत से मेट का काम मिल गया।

बस फिर क्या था, पुलोजमा मेहनती तो थी ही। उन्होंने धीरे-धीरे महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत मेट का पूरा काम सीख लिया। इसके अंतर्गत कार्यस्थल पर मजदूरों की संख्या को दर्ज करना, किये जा रहे कार्यों का माप पंजी में रिकार्ड रखना, काम का आबंटन करना एवं प्रत्येक श्रमिकों के पास उसका जॉब-कार्ड रहे इसका ध्यान रखना, कार्यस्थल पर साफ पीने का पानी और प्राथमिक चिकित्सा पेटी की उपलब्धता जैसी जानकारी शामिल है। काम सीखने के बाद उनकी मेहनत रंग लाई और गांव में उनकी सराहना होने लगी। पहले साल उन्होंने 31 मार्च 2011 तक योजना में मेट के रुप में काम करते हुए 8 हजार 500 रूपए बतौर पारिश्रमिक प्राप्त किए, जिसे उन्होंने अपने परिवार के पालन-पोषण पर खर्च किया। 

कोरोना काल में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका 
जूनाडीह गांव की जनसंख्या एक हजार 62 है, जिसमें 527 महिलाएं एवं 535 पुरूष हैं। वहीं महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत 371 पंजीकृत परिवार हैं। यह जानकारी मेट श्रीमती पुलोजमा हमेशा अपने पास रखती हैं, ताकि जब भी गाँव में योजनांतर्गत कोई काम शुरु हो, तो वे जॉबकार्डधारियों को काम पर आने की सूचना दे सके। आज वे अपने काम में परिपक्व हो गई हैं। इसका उदाहरण कोरोना काल में देखने को मिला। उन्होंने कार्यस्थल पर मनरेगा श्रमिकों विशेषकर महिलाओं को कोविड-19 से बचने के उपाय बताए और उन्हें नियमित रूप से मास्क पहनने एवं समय-समय पर हाथों की धुलाई करने के साथ ही निश्चित शारीरिक दूरी बनाए रखते हुए काम करने के लिए प्रेरित किया। यही कारण रहा कि महामारी के दौरान वर्ष 2020-21 में योजनांतर्गत 548 महिलाओं ने 19 हजार 194 मानव दिवस का रोजगार प्राप्त किया। वहीं चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में अब तक 465 महिलाओं के द्वारा 10 हजार 460 मानव दिवस का रोजगार अर्जित किया जा चुका है। ग्राम रोजगार सहायक श्री महेन्द्र कुमार चौसले बताते हैं कि श्रीमती पुलोजमा मेट के रुप में काफी सक्रिय महिला हैं। वे काम के दौरान नियमित रूप से गोदी की नापजोख करते हुए उसे माप पंजी में संधारण करती हैं। इसके अलावा कार्यस्थल पर पानी की व्यवस्था, बच्चों के लिए छांव एवं चिकित्सा सुविधा की व्यवस्था का ख्याल भी रखती हैं। कार्यस्थल पर जब भी कार्य शुरू होता है, तो नागरिक सूचना पटल के निर्माण की जिम्मेदारी उन्होंने बखूबी निभाई है। श्रमिक परिवारों के जॉब कार्ड को अद्यतन करने के काम में भी वे ग्राम पंचायत की मदद करती हैं।
 
सतत रूप से कार्यों की करती हैं मॉनिटरिंग 
महात्मा गांधी नरेगा के निर्माण कार्यों में गुणवत्ता का ख्याल रखने के लिए मेट श्रीमती पुलोजमा ने नियमित रूप से कार्यस्थल पर जाकर मानीटरिंग की। उनके द्वारा इस तरह से कार्यों में रूचि लेने से समय-सीमा में कार्यों का संपादन बेहतर हो सका। श्रमिकों को समय पर मजदूरी भुगतान के लिए उन्होंने मस्टर रोल भरने में ग्राम रोजगार सहायक की मदद की। यही कारण रहा कि योजना में श्रमिकों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी होती गई और योजना में उनका विश्वास बढ़ता गया। उनके द्वारा बांध तालाब गहरीकरण, नया डबरी निर्माण, मूडा तालाब गहरीकरण, मेन रोड डबरी गहरीकरण, बरडबरी तालाब गहरीकरण, नया तालाब गहरीकरण, देवरहा तालाब गहरीकरण, नया तालाब गहरीकरण, पानी पिया तालाब गहरीकरण, कार्तिक पटेल के घर से जंगल तक मिट्टी सड़क निर्माण, मेन रोड से आंगनबाड़ी भवन तक मिट्टी सड़क निर्माण के कार्यों में अहम भूमिका निभाई गई। 

परिवार की जिम्मेदारी को उठाया कंधों पर 
मेट श्रीमती पुलोजमा बताती हैं कि उनके परिवार की जिम्मेदारी उनके ही कंधों पर है। परिवार में ससुर श्री मायाराम खैरवार, सास श्रीमती रथबाई, बेटा श्री सौम्य, कैलाश और विशाल, ननंद विजय कुमारी हैं। मेट के रूप में कार्य करते हुए जो राशि मिलती है, उससे ही वे अपने परिवार का भरण-पोषण करती हैं।

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तथ्य एवं आंकड़े- 
1. श्री हृदय शंकर, कार्यक्रम अधिकारी, जनपद पंचायत-बलौदा, जिलाः जांजगीर-चाँपा, छत्तीसगढ़।
2. श्री महेन्द्र कुमार चौसले, ग्राम रोजगार सहायक, ग्रा.पं.-जूनाडीह, जिलाः जांजगीर-चाँपा, छत्तीसगढ़।
लेखन - श्री देवेन्द्र कुमार यादव, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायतः जांजगीर-चाँपा, छत्तीसगढ़।
संपादन- श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
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Tuesday, 5 October 2021

भादा के निवासियों को आजादी के पर्व के साथ मिली नवीन पंचायत भवन की सौगात

आश्रित ग्राम भादा एवं गाड़ापाली को मिलाकर नवगठित ग्राम पंचायत-भादा बना.
मनरेगा अभिसरण से बने पंचायत भवन से अब हर कार्य एक ही छत के नीचे.


स्टोरी/रायपुर/जांजगीर-चांपा/05 अक्टूबर, 2021. आजादी की 75वीं वर्षगाँठ के अवसर पर पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। यह महोत्सव जांजगीर चाम्पा जिले के नवागढ़ विकासखण्ड के भादा और गाड़ापाली गाँव के निवासियों के लिए एक खास पल के रुप में सदा के लिए यादगार बन गया है। यहाँ के निवासियों को एक लंबे इंतजार के बाद आजादी के पर्व स्वतंत्रता दिवस पर 15 अगस्त 2021 को नवीन पंचायत भवन की सौगात मिली है। सुंदर और सुव्यवस्थित भवन की यह सौगात उन्हें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (महात्मा गांधी नरेगा) और 14वें वित्त की निधियों के अभिसरण से प्राप्त हुई है। पंचायत गठन के बाद भादा ग्राम पंचायत में सबसे पहले संसाधन के रुप में नवीन पंचायत भवन बनने से ग्रामीणों के साथ-साथ पंचायत राज पदाधिकारी भी काफी खुश हैं। अब नये भवन में सभी सरकारी काम एक ही छत के नीचे होने से भादा और गाड़ापाली के निवासियों को राहत और सुकून मिला है।

नवीन ग्राम पंचायत गठन के पहले भादा गाँव ग्राम पंचायत-नवापारा का और गाड़ापाली गाँव ग्राम पंचायत-अकलतरी का आश्रित ग्राम हुआ करता था। यहाँ के निवासियों को ग्राम पंचायत स्तर के छोटे-छोटे कामों के लिए संबंधित ग्राम पंचायतों के मुख्यालयों तक दौड़ लगानी पड़ती थी, जो काम निपटने तक काफी लम्बी और थकाने वाली हो जाया करती थी। परिणामस्वरुप खेती-बाड़ी और मजदूरी का कार्य छोड़कर पूरा दिन पंचायती कामों में निकल जाता था।

प्रदेश सरकार ने इन गाँवों के ग्रामीणजनों की समस्या को समझते हुए भादा और गाड़ापाली गाँव को मिलाकर एक नवीन ग्राम पंचायत-भादा का गठन कर दिया। पंचायत गठन के बाद नव-निर्वाचित पंचायतीराज पदाधिकारियों के सामने पंचायत के संसाधनों का निर्माण सबसे बड़ी चुनौती थी। नवीन गठित पंचायत का अपना भवन नहीं होने से विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन और पंचायती कामों के संपादन में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। सामुदायिक भवन में ग्राम पंचायत का कार्यालय संचालित करने से पंचायत के कार्मिकों को विभिन्न योजनाओं के कार्यों का संपादन, उनके दस्तावेजों का उचित संधारण एवं अन्य शासकीय कार्यों को करने में बड़ी कठिनाई आ रही थी।

ऐसे में महात्मा गांधी नरेगा से 14 लाख 32 हजार रुपए और 14वें वित्त आयोग की 10 हजार रुपए की राशि के अभिसरण (कन्वर्जेंस) ने पंचायत के नवीन भवन निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया। 13 जुलाई 2020 को पंचायत भवन का निर्माण शुरु हुआ। ग्रामीणों ने भी बढ़-चढ़कर निर्माण कार्य में हिस्सा लिया और 690 मानव दिवस सृजित करते हुए ग्राम पंचायत के नवीन भवन को तैयार कर दिया। सरपंच श्री सुनिल कुमार गोंड बताते हैं कि इस नवीन पंचायत भवन में पंचायत राज पदाधिकारियों और कर्मचारियों के लिए पृथक-पृथक बैठक व्यवस्था की गई है। इसके अलावा पृथक से कम्प्यूटर कक्ष का भी निर्माण किया गया है। पंचायत की बैठकों के लिए एक बैठक कक्ष बनाया गया है। स्वच्छता व निजता का ध्यान रखते हुए नवीन पंचायत भवन में महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग प्रसाधन (टॉयलेट) बनाये गये हैं। परिसर की सुरक्षा के लिए इसे चारों तरफ से दीवार से घेरा गया है और हरियाली के लिए किनारे-किनारे पौधरोपण भी किया गया है। सरपंच श्री सुनिल आगे बताते हैं कि पंचायत भवन का निर्माण कार्य कोरोना काल में प्रारंभ हुआ था, जिसके चलते निर्माण कार्य में कुछ दिक्कतें जरुर आयी थीं, किन्तु तकनीकी सहायक श्री अब्दुल कामिल सिद्दीकी से मिले लगाता मार्गदर्शन एवं पंचों के साथ से यह निर्धारित समय पर बनकर तैयार हो गया।

सरपंच एवं पंचों ने सर्वसम्मति से ग्रामीणों के साथ 15 अगस्त 2021 को स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का ध्वजारोहरण करते हुए इस नवीन भवन में पंचायत का काम-काज शुरु कर दिया। इस कार्य के परिणामस्वरुप अब एक ही छत के नीचे ग्राम पंचायत स्तर की विभिन्न योजनाओं का लाभ ग्रामीणों को मिलने लगा है। पंचायत भवन में कार्मिकों की उपस्थिति रहने से ग्रामीणों को अपना कार्य करवाने में काफी सहूलियत हो रही है। इससे उनके धन और समय की भी बचत हो रही है।

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एक नजरः-
ग्राम पंचायत- भादा, विकासखण्ड- नवागढ़, जिला- जांजगीर चांपा, क्रियान्वयन एजेंसी- ग्राम पंचायत, पिनकोड- 495668,
कार्य श्रेणी- ग्रामीण अवसंरचना, कार्य का नाम- नवीन पंचायत भवन निर्माण, स्वीकृत वर्ष- 2020-21, पूर्णता वर्ष- 2020-21,
स्वीकृत राशि- रुपए 14.42 लाख (महात्मा गांधी नरेगा- रुपए 14.32 लाख एवं 14वां वित्त आयोग- रुपए 10 हजार),
व्यय राशि- रुपए 13.54 लाख, मजदूरी भुगतान- रुपए 1,31,100.00, सृजित मानव दिवस- 690, नियोजित श्रमिक- 24,
कार्य का कोड- 3314001095/AV/1111378714, जी.पी.एस. लोकेशन- 21°56'56.7"N 82°40'16.2"E,

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तथ्य एवं आंकड़े- 
1. श्री अब्दुल कामिल सिद्दकी, तकनीकी सहायक, जनपद पंचायत-नवागढ़, जिला- जांजगीर-चांपा, छत्तीसगढ़।
2. श्री राजपाल गाड़ा, ग्राम रोजगार सहायक, ग्राम पंचायत-भादा, वि.ख.-नवागढ़, जिला- जांजगीर-चांपा, छ.ग.।
लेखन - श्री देवेन्द्र कुमार यादव, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत- जांजगीर-चांपा, छत्तीसगढ़।
संपादन- श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
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महात्मा गांधी नरेगा से बने कुएं ने दिखाई कर्ज मुक्ति की राह

कुएं ने धान की पैदावार तो बढ़ाई ही, आजीविका का नया जरिया भी दिया. ईंट निर्माण से तीन सालों में साढ़े तीन लाख की कमाई. स्टोरी/रायपुर/बीजापुर/...