पर्यावरण प्रेमी महिला मेट पुष्पा की कोशिशों से आबाद है दो फलदार पौधरोपण क्षेत्र.
स्वसहायता समूहों की महिलाएं फल उत्पादन के साथ दोनों उद्यानों में कर रही हैं अंतरवर्ती फसलों की खेती.
हरियाली के साथ ही आजीविका का भी संवर्धन.
स्टोरी/रायपुर/धमतरी/23 अक्टूबर, 2021. कुछ लोग जो बदलाव की ओर अपने कदमों को बढ़ाते हैं और देखते ही देखते अपने आस-पास के लोगों के लिए एक मिसाल बन जाते हैं, या यूं कहें कि एक हस्ती बन जाते हैं। ऐसी ही एक शख्सियत का नाम है- श्रीमती पुष्पा बाई पटेल। महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) कार्यों में मेट का काम करने वाली श्रीमती पुष्पा पटेल गांव को हरा-भरा बनाने के साथ ही महिलाओं को रोजगार के नए अवसरों से भी जोड़ रही हैं। धमतरी जिले के कुरुद विकासखण्ड के सिरसिदा गांव की पुष्पा 'महिला मेट' के रूप में अपने कर्तव्यों के निर्वहन के साथ ही स्वसहायता समूह की सक्रिय सदस्य के तौर पर लोगों को, खासतौर से 'महिलाओं' को वृक्षारोपण से जोड़ने का भी काम कर रही हैं। उसकी कोशिशों से गांव में महानदी के किनारे पांच साल पहले पांच एकड़ में रोपे गए फलदार पौधे अब 5-6 फीट के हरे-भरे पेड़ बन गए हैं। उसके प्रोत्साहन से तीन स्वसहायता समूहों की महिलाएं वहां फल उत्पादन के साथ अंतरवर्ती खेती कर अपनी आजीविका संवार रही हैं। इस उद्यम की कामयाबी को देखकर ग्राम पंचायत ने वर्ष 2020-21 में महात्मा गांधी नरेगा और डीएमएफ (जिला खनिज न्यास निधि) के अभिसरण से 12 लाख 51 हजार रूपए की लागत से 7.41 एकड़ में 850 फलदार पौधों का और रोपण करवाया है। गांव की शिव गंगा स्वसहायता समूह की 11 महिलाएं इनकी देखभाल करने के साथ रोपित पौधों के बीच अंतरवर्ती खेती कर रही हैं।
पेड़-पौधों से बचपन से ही लगाव रखने वाली पुष्पा का सिरसिदा में दोनों पौधरोपण क्षेत्रों में पौधों की देखभाल और महिलाओं को वहां आजीविकामूलक गतिविधियों से जोड़ने में अहम योगदान है। बारहवीं तक शिक्षित 39 साल की पुष्पा गांव की महिलाओं के लिए 'प्रेरणा-पुंज' है। मेट के रूप में पुष्पा के कार्यों से प्रेरित होकर इस साल गांव की पांच अन्य महिलाएं श्रीमती नेहा साहू, श्रीमती चमेली निषाद, श्रीमती देवली दीवान, श्रीमती टिकेश्वरी निषाद और श्रीमती खिलेश्वरी साहू भी महात्मा गांधी नरेगा में महिला मेट बन गई हैं। पुष्पा बताती है कि वर्ष 2016-17 में महात्मा गांधी नरेगा और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अभिसरण से गांव में मिश्रित पौधरोपण का कार्य स्वीकृत हुआ था। इसके अंतर्गत पांच एकड़ क्षेत्र में छह लाख 48 हजार रूपए की लागत से 1120 फलदार पौधों का रोपण करना था। पौधरोपण के बाद नियमित रूप से उनकी देखभाल भी करनी थी, इसलिए इसमें महिलाओं की भागीदारी जरूरी थी। गांव की महिलाएं शुरू में इस काम के लिए तैयार नहीं हो रही थीं। उन्होंने स्वसहायता समूहों की महिलाओं के साथ लगातार बैठक कर इसके लिए उन्हें राजी किया। इन महिलाओं की मेहनत से पांच एकड़ का यह क्षेत्र आज दूर से ही हरा-भरा दिखाई देता है। कटहल, जामुन, अमरुद, बेर, आम और करौंदा के पेड़ वहां लहलहा रहे हैं। महिलाओं ने इस साल 112 किलोग्राम आम बेचकर साढ़े चार हजार रूपए कमाए भी हैं।
स्वसहायता समूहों के जरिए रोजगार
पुष्पा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत गठित जय मां शारदा स्वसहायता समूह की सक्रिय सदस्य है। वह पिछले पांच सालों से गांव की महिलाओं के साथ काम कर रही है और उन्हें स्वसहायता समूह के रूप में संगठित कर आजीविका मूलक गतिविधियों से भी जोड़ रही है। उसकी कोशिशों से गांव में अब तक 21 स्वसहायता समूह गठित हो चुके हैं। इनमें से तीन समूहों की महिलाएं फलदार पौधरोपण क्षेत्र में पेड़ों के मध्य अंतरवर्ती खेती कर शकरकंद, मूंगफल्ली, भाजी, बरबट्टी, सेमी, मूली और गोभी की पैदावार ले रही हैं।
मनरेगा कार्यों में बढ़ाई महिलाओं की भागीदारी
महिला मेट के तौर पर पुष्पा की सक्रियता और प्रोत्साहन से मनरेगा कार्यों में गांव की महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है। सिरसिदा में कुल पंजीकृत महिला श्रमिकों की संख्या 400 है। वर्ष 2017-18 में 179 महिला श्रमिकों ने 3606 मानव दिवस रोजगार सृजित किया था, जो वर्ष 2018-19 में बढ़कर 255 महिला श्रमिकों द्वारा 3752 मानव दिवस, वर्ष 2019-20 में 286 महिला श्रमिकों द्वारा 7754 मानव दिवस एवं वर्ष 2020-21 में 334 महिला श्रमिकों द्वारा 11 हजार 925 मानव दिवस हो गया।
परिवार के आर्थिक हालात भी बदले
गांव में हरियाली बढ़ाने के साथ-साथ अपने परिवार की माली स्थिति को सुधारने में भी पुष्पा ने अपनी भूमिका का बखूबी निर्वहन किया है। मेट बनने के पहले वह पढ़ी-लिखी होने के बावजूद घर की चार-दीवारी तक सीमित थी। पति श्री करण सिंह पटेल मोटर सायकल रिपेयरिंग का काम करते हैं। आय के सीमित साधनों के कारण परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। पति की प्रेरणा और ग्राम पंचायत के सहयोग से पुष्पा वर्ष 2011 से मनरेगा कार्यों में मेट का काम कर रही है। मेट बनने के बाद बच्चों की परवरिश और घर-परिवार की जरूरतों को पूरा करने में वह अपने पति की मदद कर रही है। अपने स्वसहायता समूह के साथ उद्यान में सब्जियों की अंतरवर्ती खेती कर अतिरिक्त आय भी जुटा रही है।-0-
जारी जॉब कार्ड संख्या- 321, सक्रिय जॉब कार्ड संख्या- 313, सक्रिय श्रमिकों की संख्या- 744
रोजगार प्राप्त परिवारों की संख्या- 310, रोजगार प्राप्त श्रमिकों की संख्या- 665 सृजित मानव दिवस- 9573
रोजगार प्राप्त महिला श्रमिकों की संख्या- 326, महिला श्रमिकों के द्वारा सृजित मानव दिवस- 4485
मेट का नाम- श्रीमती पुष्पा बाई पटेल पति श्री करण सिंह पटेल, उम्र- 39 वर्ष
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तथ्य एवं आंकड़े- 1. श्री धरम सिंह, सहायक परियोजना अधिकारी, जिला पंचायत-धमतरी, छत्तीसगढ़।
2. श्रीमती कुंती देवांगन, कार्यक्रम अधिकारी, विकासखण्ड-कुरुद, जिला-धमतरी, छत्तीसगढ़।
3. श्री प्रदीप साहू, तकनीकी सहायक, विकासखण्ड-कुरुद, जिला-धमतरी, छत्तीसगढ़।
4. श्री अभिमन्यु निषाद, सरपंच, ग्राम पंचायत-सिरसिदा, विकासखण्ड-कुरुद, जिला-धमतरी, छत्तीसगढ़।
लेखन - श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
संपादन - श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क संचालनालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
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