Sunday, 21 November 2021

बुलंद है सोमारी के हौसले

महिला मेट बन लोगों को स्वाभिमान से जीने का दिखा रहीं रास्ता


स्टोरी/रायपुर/कोण्डागांव/21 नवम्बर 2021. कहते हैं सफलता का कोई कद-काठी, रंग-रुप और आकार-प्रकार नहीं होता। यह इंसान के किये गये संघर्ष पर निर्भर करती है। उसे बस एक मौके की आवश्यकता होती है और वह अपनी इच्छाशक्ति एवं मेहनत के दम पर हर चुनौतियों को पार करते हुए सफलता के शिखर पर पहुँच जाता है। जहाँ से वह आने वाली पीढ़ी के लिए एक मिशाल कायम कर देता है। ऐसी मिशाले लोगों के लिए वर्षों तक प्रेरणा का कार्य करती है। कुछ ऐसी ही हौसले से भरी प्रेरक कहानी है कोण्डागांव जिले के फरसगांव विकासखण्ड के ग्राम पंचायत आलोर की रहने वाली सोमारी मरकाम की। सुश्री सोमारी 23 साल की है और उनकी कद-काठी तीन फूट व पांच इंच की है। उनका कद भले ही छोटो हों, पर उनके हौसले काफी बुलंद है। वे आज जितनी सहजता से गाँव में महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत चलने वाले कार्य में मनरेगा श्रमिकों को काम पर लगाती हैं, उतनी ही सरलता के साथ ग्राम रोजगार सहायक के साथ मिलकर कार्यस्थल पर बी.सी. (बिजनेस करेसपोंडेंट) सखी के माध्यम से श्रमिकों का नगद मजदूरी भुगतान करा देती है। इससे गाँव में ग्रामीणों का महात्मा गांधी नरेगा के कार्यों के प्रति रूझान बढ़ा है। सोमारी की लगन और कर्तव्यपरायणता ने उनके व्यक्तित्व को आज इतना ऊँचा कर दिया है कि वह आम आदमी को स्वाभिमान से जीवन जीने की राह दिखा रही हैं।

वर्ष 2016 में बारहवीं की परीक्षा पास करने वाली सोमारी का कद अनुवांशिक बीमारी के कारण जन्म से भले ही छोटा रह गया था परंतु बढ़ती उम्र के साथ कुछ न कुछ कर गुजरने का जुनून हमेशा से ही उनके दिमाग में सवार रहता था। घर की आर्थिक जरुरतों के कारण उन्हें बारहवीं कक्षा के बाद ही नौकरी की आवश्यकता आन पड़ी थी। इसके लिए उन्होंने कई स्थानों पर नौकरी के लिए प्रयास किया, किन्तु उन्हें निराशा ही हाथ लगी। इससे उनके परिजनों तथा उन्हें अपने भविष्य की चिंता होने लगी थी। ऐसे में उन्हें गाँव की ग्राम रोजगार सहायक गौरी देहरी का साथ मिला, जिनसे उन्हें महात्मा गांधी नरेगा के अंतर्गत महिला मेट की नियुक्ति के बारे में जानकारी प्राप्त हुई।

कर्मठता से जुटी काम में

मेट बनने के बाद सोमारी को यह अहसास हुआ कि वे महात्मा गांधी नरेगा की जरिये अपने जैसे कई लोगों को रोजगार दिलाकर और उनकी निजी भूमि पर आजीविकामूलक कार्यों को कराकर उनके जीवन में परिवर्तन ला सकती है। यह अहसास आगे चलकर उनका उद्देश्य बन गया। वे महिला मेट के रूप में कर्मठता से कार्य करते हुए रोज सुबह 5 बजे से कार्यस्थल पर पहुंच कर गोदी की चुने द्वारा मार्किंग कर वहाँ मनरेगा श्रमिकों से खुदाई कार्य शुरु करवाती। इसके अलावा मेट माप-पंजी का संधारण कर, श्रमिकों के जॉबकार्ड अद्यतन करने एवं मोबाईल एप्प द्वारा मस्टर रोल में उनकी ऑनलाईन हाजिरी भरने का कार्य भी करती है। सोमारी कहती है कि उन्हें अपना कार्य बहुत पसंद है। वे प्रतिदिन लोगों से मिलकर उन्हें महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत रोजगार के अधिकार से अवगत कराकर उन्हें रोजगार हेतु प्रेरित करती है।

तीन देवियों की संज्ञा

मेट सुश्री सोमारी मरकाम, बी.सी.सखी श्रीमती सावित्री कोर्राम एवं ग्राम रोजगार सहायक श्रीमती गौरी देहारी के द्वारा महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत मिलकर किए जा रहे कामों को देखकर ग्रामीणों के द्वारा इन्हें तीन देवियों की संज्ञा दी गई है। ग्रामीण, जहाँ श्रीमती सावित्री को बैंक दीदी और श्रीमती गौरी को रोजगार दीदी कहकर बुलाते हैं, वहीं सुश्री सोमारी का परिचय मनरेगा मेट का है। वह राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के अंतर्गत गठित लक्ष्मी देवी स्व सहायता समूह की सक्रिय सदस्य भी है और समूह के माध्यम से महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में कार्य कर रही हैं। इन तीनों के प्रयास से गांव में महात्मा गांधी नरेगा के अंतर्गत नवीन कार्यों के चयन, उनके क्रियान्वयन के साथ समय पर भुगतान प्राप्त होने से लोगों में योजना के प्रति विश्वास पहले से काफी बढ़ा है।

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वित्तीय वर्ष 2021-22 में दिनांक- 21.11.2021 की स्थिति में एक नजरः-
जारी जॉब कार्ड संख्या- 383, सक्रिय जॉब कार्ड संख्या- 381, सक्रिय श्रमिकों की संख्या- 837,
सक्रिय महिलाओं की संख्या- 413, रोजगार प्राप्त परिवारों की संख्या- 145, रोजगार प्राप्त श्रमिकों की संख्या- 260
सृजित मानव दिवस- 5994, रोजगार प्राप्त महिला श्रमिकों की संख्या- 129,
महिला श्रमिकों के द्वारा सृजित मानव दिवस- 2920, सौ-दिवस रोजगार पूर्ण करने वाले परिवारों की संख्या- 13
मेट का नाम- सुश्री सोमारी मरकाम , उम्र- 23 वर्ष
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तथ्य/आंकड़े एवं लेखन-
श्री वीरेन्द्र साहू, कार्यक्रम अधिकारी, विकासखण्ड-फरसगांव, जिला-कोंडागाँव, छत्तीसगढ़।

संपादन - श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
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Thursday, 18 November 2021

पंचायत के साथ मिलकर गांव में “वित्तीय समावेशन की मशाल” जला रही है गंगोत्री

महिलाओं को स्वरोजगार और महात्मा गांधी नरेगा कार्यों से भी जोड़ रही


स्टोरी/रायपुर/सुकमा/18 नवम्बर, 2021. घर की चारदीवारी और मजदूरी करने तक सीमित रहने वाली ग्रामीण महिलाएं आज महात्मा गांधी नरेगा में महिला मेट के रूप में काम कर बदलाव की कहानियां गढ़ रही हैं। हाथ में टेप लेकर गोदी की माप का लेखा-जोखा अपने रजिस्टर में दर्ज करने से लेकर महात्मा गांधी नरेगा के कार्यों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने और स्वरोजगार के माध्यम से उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करने की मुहिम की अगुवाई भी वे बखूबी कर रही हैं। महात्मा गांधी नरेगा और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के जरिए महिलाओं के आजीविका संवर्धन और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में महिला मेट महत्वपूर्ण काम कर रही हैं। नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के कोंटा विकासखंड की दुब्बाटोटा ग्राम पंचायत की आदिवासी महिला मेट श्रीमती गंगोत्री पुनेम भी अपने गांव की महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने में लगी हुई हैं। महात्मा गांधी नरेगा के साथ ही सरकार की दूसरी योजनाओं के माध्यम से वह महिलाओं की आमदनी बढ़ा रही है।

महात्मा गांधी नरेगा में मेट की अपनी जिम्मेदारियों को कुशलता से अंजाम देने के साथ ही 30 साल की गंगोत्री पंचायत के साथ मिलकर गांव में वित्तीय समावेशन को भी बढ़ा रही है। दुब्बाटोटा में महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत मजदूरी का भुगतान पहले नगद होता था। गंगोत्री की पंचायत के संग की गई कोशिशों से अब श्रमिकों के बैंक खातों में इसका भुगतान हो रहा है। गांव से छह किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक की दोरनापाल शाखा में पिछले साल तक 300 महात्मा गांधी नरेगा श्रमिकों का बचत खाता था। गंगोत्री ने इस वर्ष 66 और श्रमिकों का वहां खाता खुलवा दिया है। श्रमिकों की मजदूरी अब सीधे उनके खातों में आ रही है।

गांव में महात्मा गांधी नरेगा के कार्यों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने में गंगोत्री की बड़ी भूमिका है। उन्होंने गांव की चार अन्य महिला मेट के साथ घर-घर जाकर महिलाओं से बात की और उन्हें महिला मेट के सुपरविजन में काम करने के लिए प्रेरित किया। उन लोगों का यह प्रयास रंग लाया। उनकी लगातार कोशिशों से इस साल गांव की 480 महिला श्रमिकों को 23 हजार 272 मानव दिवस का रोजगार मिल चुका है। महिला मेट की उपस्थिति से आदिवासी क्षेत्रों की महिलाएं कार्यस्थल पर सहजता महसूस कर रही हैं। इससे महात्मा गांधी नरेगा कार्यों में महिला श्रमिकों की भागीदारी निरंतर बढ़ रही है।

गंगोत्री एक साल पहले तक खेती में पति का हाथ बटाकर और मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करती थी। वह गांव में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एन.आर.एल.एम.) के अंतर्गत गठित ‘सीता स्वसहायता समूह’ से जुड़ी और आजीविकामूलक गतिविधियों में सक्रिय हुई। उन्होंने अन्य महिलाओं को भी इसके लिए प्रेरित किया। बारहवीं तक शिक्षित गंगोत्री शुरूआत से ही अपने समूह में 'बुक-कीपर' की जिम्मेदारी उठा रही है। उसका समूह मुर्गीपालन और अंडा उत्पादन के काम में लगा हुआ है। इससे हो रही आमदनी से समूह की महिलाएं अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही हैं।

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वित्तीय वर्ष 2021-22 में दिनांक- 18.11.2021 की स्थिति में एक नजरः-
जारी जॉब कार्ड संख्या- 524, सक्रिय जॉब कार्ड संख्या- 524, सक्रिय श्रमिकों की संख्या- 934,
सक्रिय महिलाओं की संख्या- 498, रोजगार प्राप्त परिवारों की संख्या- 506, रोजगार प्राप्त श्रमिकों की संख्या- 898
सृजित मानव दिवस- 44057, रोजगार प्राप्त महिला श्रमिकों की संख्या- 480,
महिला श्रमिकों के द्वारा सृजित मानव दिवस- 23272, सौ-दिवस रोजगार पूर्ण करने वाले परिवारों की संख्या- 149
मेट का नाम- श्रीमती गंगोत्री पुनेम पति श्री सोना पुनेम, उम्र- 30 वर्ष
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तथ्य एवं आंकड़े-
1. श्री अखिलेश सिंह राजपूत, प्रोग्रामर, जिला पंचायत-सुकमा, छत्तीसगढ़।
2. श्री लोकेश कुमार बघेल, कार्यक्रम अधिकारी, विकासखण्ड-कोंटा, जिला-सुकमा, छत्तीसगढ़।
3. श्री देवा करको, ग्राम रोजगार सहायक, ग्रा.पं.-दुब्बाटोटा, विकासखण्ड-कोंटा, जिला-सुकमा, छत्तीसगढ़।

लेखन - श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
संपादन - श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क संचालनालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।

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Thursday, 11 November 2021

दिव्यांग मेट लक्ष्मीन ने अपने हौसलों से जिंदगी में नए रंग भरे

टेक्नोलॉजी के उपयोग में दक्ष लक्ष्मीन है कई लोगों की प्रेरणा,
मनरेगा मेट के दायित्वों के साथ श्रमिकों की कई तरह से करती है मदद


स्टोरी/रायपुर/मुंगेली/11 नवम्बर, 2021. दुनिया में सिर्फ एक ही विकलांगता है... नकारात्मक सोच। यदि सोच सकारात्मक हो तो कठिनाईयों के बीच भी सफलता का द्वार खुल जाता है। ऐसे बहुत से लोग हैं, जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और मजबूत इच्छाशक्ति से शारीरिक अक्षमता को कमजोरी नहीं बनने दिया। मुंगेली जिले के पथरिया विकासखंड की सांवा ग्राम पंचायत की दिव्यांग महात्मा गांधी नरेगा-मेट श्रीमती लक्ष्मीन साहू की कहानी भी ऐसी ही है। अपनी लगन और ललक से नई टेक्नोलॉजी के उपयोग में दक्षता हासिल कर वह गांव के कई लोगों की प्रेरणा बन गई है। महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के कार्यों में मेट के अपने दायित्वों के निर्वहन के साथ ही वह श्रमिकों की कई तरीकों से मदद भी करती है।

गांव में महात्मा गांधी नरेगा के कार्य संचालित होने पर लक्ष्मीन हर सुबह तैयार होकर कार्यस्थल पर पहुंचती है और वहां काम कर रहे श्रमिकों की उपस्थिति अपने मोबाइल में मौजूद ‘मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम एप’ में दर्ज करती है। यदि किसी मजदूर को अपने बैंक खाते में महात्मा गांधी नरेगा से मिली मजदूरी आने की जानकारी लेनी होती है, तो वह सीधे लक्ष्मीन के पास आता है। लक्ष्मीन महात्मा गांधी नरेगा-पोर्टल से रिपोर्ट देखकर उसकी मजदूरी के खाते में जमा होने या नहीं होने की जानकारी दे देती है। इससे श्रमिकों को अनावश्यक बार-बार बैंक नहीं जाना पड़ता है। लक्ष्मीन तकनीकी कारणों से मजदूरी भुगतान के रिजेक्ट खातों का पता कर उन्हें सुधारने में ग्राम पंचायत एवं जनपद पंचायत के कर्मचारियों की मदद करती है। बारहवीं तक पढ़ी-लिखी लक्ष्मीन ने सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग कर अपनी शारीरिक अक्षमता को ऐसी दिव्यांगता में बदल दिया है, जिसकी लोग मिसाल देते हैं। उसके हौसले को देखकर गांव की दो अन्य दिव्यांग महिलाएं श्रीमती कांतिबाई और श्रीमती संगीता राजपूत भी महात्मा गांधी नरेगा के कार्यों से जुड़ीं। पिछले वित्तीय वर्ष 2020-21 में उन्होंने क्रमशः 23 और 26 दिनों का रोजगार प्राप्त किया।

महात्मा गांधी नरेगा में मेट लक्ष्मीन का अतीत संघर्ष से भरा रहा है। महात्मा गांधी नरेगा के मजदूर से मेट बनने का सफर उसके लिए आसान नहीं था। वह पैर से 50 प्रतिशत दिव्यांग हैं। उसके पति श्री नरेश साहू कृषक हैं। लक्ष्मीन मेट बनने के पहले परिवार के साथ महात्मा गांधी नरेगा के कार्यों में अपनी शारीरिक क्षमता के हिसाब से मजदूरी किया करती थी। परन्तु दिव्यांग होने के कारण अन्य मजदूरों की भांति कार्य करने में उसे कठिनाई होती थी। इससे उसके मन में संकोच का भाव भर आता था। सरंपच श्रीमती मुद्रिका साहू और ग्राम रोजगार सहायक ने उसकी शैक्षणिक योग्यता को देखकर महात्मा गांधी नरेगा के कार्यों के लिए तैयार किए जा रहे मेट-पैनल में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। लक्ष्मीन की सहमति के बाद पथरिया विकासखण्ड में क्लस्टर लेवल पर आयोजित मेट-प्रशिक्षण में उसका प्रशिक्षण भी शुरू हो गया। इस दौरान उसे फील्ड में चल रहे कार्यों का भ्रमण भी कराया गया। चूंकि लक्ष्मीन पहले ही मजदूर के रूप में योजना को भली-भांति समझती थी और पढ़ी-लिखी भी थी, इसलिए तुरंत सभी बारीकियों को समझ गई। नरेगा-सॉफ्ट के प्रशिक्षण के दौरान उसने ऑनलाइन जॉब-कार्ड एवं मजदूरी भुगतान संबंधी अपडेट देखना भी सहजता से सीख लिया।

महात्मा गांधी नरेगा में मेट के रूप में अपने पांच साल के अनुभव के बारे में लक्ष्मीन कहती है कि जब से उसने मेट के तौर पर काम करना शुरू किया है, लोगों का उसके प्रति नजरिया बदल गया है। अब वे मुझे सम्मान देते हैं। गांव की अन्य महिलाएं भी अब मेट का काम करना चाहती हैं। ग्राम पंचायत के मेट-पैनल में अब दस अन्य महिलाएं भी हैं, जिनके साथ मिलकर वह मजदूरों की हाजिरी भरने के साथ-साथ उनके द्वारा खोदी गई गोदियों के माप का रिकार्ड भी रखती है। वह कहती है – “गांव के लोग अब मेरी बातों को सुनते हैं और मुझसे राय भी लेते हैं। ये सब बहुत अच्छा लगता है। महात्मा गांधी नरेगा से मेरे जीवन में बहुत बदलाव आया है। इसने मुझे बांकी से अलग नहीं किया, बल्कि औरों से जोड़ दिया है।’’

मेट बनने के बाद से लक्ष्मीन के जीवन में रंग निखरने लगा है। वह गांव की मां कर्मा स्वसहायता समूह की सक्रिय सदस्य भी है। सावां ग्राम पंचायत में बने मुंगेली जिले के पहले आदर्श गौठान में वह अपनी समूह की अन्य महिलाओं के साथ मिलकर वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन, मछली पालन, मुर्गी पालन एवं बांस से ट्री-गार्ड बनाने का भी काम कर रही है। इन सब गतिविधियों से प्राप्त आमदनी से उसके परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है।


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वित्तीय वर्ष 2021-22 में दिनांक- 11.11.2021 की स्थिति में एक नजरः-
जारी जॉब कार्ड संख्या- 597, सक्रिय जॉब कार्ड संख्या- 499, सक्रिय श्रमिकों की संख्या- 760,
सक्रिय महिलाओं की संख्या- 381, रोजगार प्राप्त परिवारों की संख्या- 347, रोजगार प्राप्त श्रमिकों की संख्या- 674
रोजगार प्राप्त महिला श्रमिकों की संख्या- 340, सृजित मानव दिवस- 16621,
महिला श्रमिकों के द्वारा सृजित मानव दिवस- 8592, सौ-दिवस रोजगार पूर्ण करने वाले परिवारों की संख्या- 6
मेट का नाम- श्रीमती लक्ष्मीन साहू पति श्री नरेश साहू, उम्र- 35 वर्ष
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तथ्य एवं आंकड़े- 
1. श्री विनायक गुप्ता, सहायक परियोजना अधिकारी, जिला पंचायत-मुंगेली, छत्तीसगढ़।
2. श्री सागर खांड़े, कार्यक्रम अधिकारी, विकासखण्ड-पथरिया, जिला-मुंगेली, छत्तीसगढ़।
3. श्री राजेश कुमार बरगाह, ग्राम रोजगार सहायक, ग्रा.पं.-सांवा, विकासखण्ड-पथरिया, जिला-मुंगेली, छत्तीसगढ़।

लेखन- श्री नवीन जायसवाल, प्रोग्रामर, जिला पंचायत-मुंगेली, छत्तीसगढ़।
पुनर्लेखन- श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
संपादन- श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क संचालनालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
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Pdf अथवा Word Copy डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें- http://mgnrega.cg.nic.in/success_story.aspx

महात्मा गांधी नरेगा से बने कुएं ने दिखाई कर्ज मुक्ति की राह

कुएं ने धान की पैदावार तो बढ़ाई ही, आजीविका का नया जरिया भी दिया. ईंट निर्माण से तीन सालों में साढ़े तीन लाख की कमाई. स्टोरी/रायपुर/बीजापुर/...