Thursday, 11 November 2021

दिव्यांग मेट लक्ष्मीन ने अपने हौसलों से जिंदगी में नए रंग भरे

टेक्नोलॉजी के उपयोग में दक्ष लक्ष्मीन है कई लोगों की प्रेरणा,
मनरेगा मेट के दायित्वों के साथ श्रमिकों की कई तरह से करती है मदद


स्टोरी/रायपुर/मुंगेली/11 नवम्बर, 2021. दुनिया में सिर्फ एक ही विकलांगता है... नकारात्मक सोच। यदि सोच सकारात्मक हो तो कठिनाईयों के बीच भी सफलता का द्वार खुल जाता है। ऐसे बहुत से लोग हैं, जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और मजबूत इच्छाशक्ति से शारीरिक अक्षमता को कमजोरी नहीं बनने दिया। मुंगेली जिले के पथरिया विकासखंड की सांवा ग्राम पंचायत की दिव्यांग महात्मा गांधी नरेगा-मेट श्रीमती लक्ष्मीन साहू की कहानी भी ऐसी ही है। अपनी लगन और ललक से नई टेक्नोलॉजी के उपयोग में दक्षता हासिल कर वह गांव के कई लोगों की प्रेरणा बन गई है। महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के कार्यों में मेट के अपने दायित्वों के निर्वहन के साथ ही वह श्रमिकों की कई तरीकों से मदद भी करती है।

गांव में महात्मा गांधी नरेगा के कार्य संचालित होने पर लक्ष्मीन हर सुबह तैयार होकर कार्यस्थल पर पहुंचती है और वहां काम कर रहे श्रमिकों की उपस्थिति अपने मोबाइल में मौजूद ‘मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम एप’ में दर्ज करती है। यदि किसी मजदूर को अपने बैंक खाते में महात्मा गांधी नरेगा से मिली मजदूरी आने की जानकारी लेनी होती है, तो वह सीधे लक्ष्मीन के पास आता है। लक्ष्मीन महात्मा गांधी नरेगा-पोर्टल से रिपोर्ट देखकर उसकी मजदूरी के खाते में जमा होने या नहीं होने की जानकारी दे देती है। इससे श्रमिकों को अनावश्यक बार-बार बैंक नहीं जाना पड़ता है। लक्ष्मीन तकनीकी कारणों से मजदूरी भुगतान के रिजेक्ट खातों का पता कर उन्हें सुधारने में ग्राम पंचायत एवं जनपद पंचायत के कर्मचारियों की मदद करती है। बारहवीं तक पढ़ी-लिखी लक्ष्मीन ने सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग कर अपनी शारीरिक अक्षमता को ऐसी दिव्यांगता में बदल दिया है, जिसकी लोग मिसाल देते हैं। उसके हौसले को देखकर गांव की दो अन्य दिव्यांग महिलाएं श्रीमती कांतिबाई और श्रीमती संगीता राजपूत भी महात्मा गांधी नरेगा के कार्यों से जुड़ीं। पिछले वित्तीय वर्ष 2020-21 में उन्होंने क्रमशः 23 और 26 दिनों का रोजगार प्राप्त किया।

महात्मा गांधी नरेगा में मेट लक्ष्मीन का अतीत संघर्ष से भरा रहा है। महात्मा गांधी नरेगा के मजदूर से मेट बनने का सफर उसके लिए आसान नहीं था। वह पैर से 50 प्रतिशत दिव्यांग हैं। उसके पति श्री नरेश साहू कृषक हैं। लक्ष्मीन मेट बनने के पहले परिवार के साथ महात्मा गांधी नरेगा के कार्यों में अपनी शारीरिक क्षमता के हिसाब से मजदूरी किया करती थी। परन्तु दिव्यांग होने के कारण अन्य मजदूरों की भांति कार्य करने में उसे कठिनाई होती थी। इससे उसके मन में संकोच का भाव भर आता था। सरंपच श्रीमती मुद्रिका साहू और ग्राम रोजगार सहायक ने उसकी शैक्षणिक योग्यता को देखकर महात्मा गांधी नरेगा के कार्यों के लिए तैयार किए जा रहे मेट-पैनल में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। लक्ष्मीन की सहमति के बाद पथरिया विकासखण्ड में क्लस्टर लेवल पर आयोजित मेट-प्रशिक्षण में उसका प्रशिक्षण भी शुरू हो गया। इस दौरान उसे फील्ड में चल रहे कार्यों का भ्रमण भी कराया गया। चूंकि लक्ष्मीन पहले ही मजदूर के रूप में योजना को भली-भांति समझती थी और पढ़ी-लिखी भी थी, इसलिए तुरंत सभी बारीकियों को समझ गई। नरेगा-सॉफ्ट के प्रशिक्षण के दौरान उसने ऑनलाइन जॉब-कार्ड एवं मजदूरी भुगतान संबंधी अपडेट देखना भी सहजता से सीख लिया।

महात्मा गांधी नरेगा में मेट के रूप में अपने पांच साल के अनुभव के बारे में लक्ष्मीन कहती है कि जब से उसने मेट के तौर पर काम करना शुरू किया है, लोगों का उसके प्रति नजरिया बदल गया है। अब वे मुझे सम्मान देते हैं। गांव की अन्य महिलाएं भी अब मेट का काम करना चाहती हैं। ग्राम पंचायत के मेट-पैनल में अब दस अन्य महिलाएं भी हैं, जिनके साथ मिलकर वह मजदूरों की हाजिरी भरने के साथ-साथ उनके द्वारा खोदी गई गोदियों के माप का रिकार्ड भी रखती है। वह कहती है – “गांव के लोग अब मेरी बातों को सुनते हैं और मुझसे राय भी लेते हैं। ये सब बहुत अच्छा लगता है। महात्मा गांधी नरेगा से मेरे जीवन में बहुत बदलाव आया है। इसने मुझे बांकी से अलग नहीं किया, बल्कि औरों से जोड़ दिया है।’’

मेट बनने के बाद से लक्ष्मीन के जीवन में रंग निखरने लगा है। वह गांव की मां कर्मा स्वसहायता समूह की सक्रिय सदस्य भी है। सावां ग्राम पंचायत में बने मुंगेली जिले के पहले आदर्श गौठान में वह अपनी समूह की अन्य महिलाओं के साथ मिलकर वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन, मछली पालन, मुर्गी पालन एवं बांस से ट्री-गार्ड बनाने का भी काम कर रही है। इन सब गतिविधियों से प्राप्त आमदनी से उसके परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है।


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वित्तीय वर्ष 2021-22 में दिनांक- 11.11.2021 की स्थिति में एक नजरः-
जारी जॉब कार्ड संख्या- 597, सक्रिय जॉब कार्ड संख्या- 499, सक्रिय श्रमिकों की संख्या- 760,
सक्रिय महिलाओं की संख्या- 381, रोजगार प्राप्त परिवारों की संख्या- 347, रोजगार प्राप्त श्रमिकों की संख्या- 674
रोजगार प्राप्त महिला श्रमिकों की संख्या- 340, सृजित मानव दिवस- 16621,
महिला श्रमिकों के द्वारा सृजित मानव दिवस- 8592, सौ-दिवस रोजगार पूर्ण करने वाले परिवारों की संख्या- 6
मेट का नाम- श्रीमती लक्ष्मीन साहू पति श्री नरेश साहू, उम्र- 35 वर्ष
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तथ्य एवं आंकड़े- 
1. श्री विनायक गुप्ता, सहायक परियोजना अधिकारी, जिला पंचायत-मुंगेली, छत्तीसगढ़।
2. श्री सागर खांड़े, कार्यक्रम अधिकारी, विकासखण्ड-पथरिया, जिला-मुंगेली, छत्तीसगढ़।
3. श्री राजेश कुमार बरगाह, ग्राम रोजगार सहायक, ग्रा.पं.-सांवा, विकासखण्ड-पथरिया, जिला-मुंगेली, छत्तीसगढ़।

लेखन- श्री नवीन जायसवाल, प्रोग्रामर, जिला पंचायत-मुंगेली, छत्तीसगढ़।
पुनर्लेखन- श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
संपादन- श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क संचालनालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
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