दो एकड़ में 500 क्विंटल पपीता का उत्पादन, बिक्री से मिले 4 लाख रूपए.
महात्मा गांधी नरेगा, उद्यानिकी विभाग और कृषि विज्ञान केन्द्र के अभिसरण से शुरू की पपीता की खेती, इस साल खुद के पैसे से लगाए हैं 2600 पौधे.
रायपुर. 17 दिसम्बर 2021. महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी अधिनियम), उद्यानिकी विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र के अभिसरण से धान के बदले पपीता की खेती शुरू करने वाली श्रीमती कुंजबाई की किस्मत पपीता की एक फसल ने बदल दी है। उसके दो एकड़ खेतों में 500 क्विंटल पपीता का उत्पादन हुआ है। पपीता की गुणवत्ता ऐसी कि बिलासपुर के फल व्यवसाईयों ने खेत में खड़ी फसल ही खरीद ली। इससे कुंजबाई को चार लाख रूपए मिले। पपीता की पहली फसल के मुनाफे से उत्साहित कुंजबाई ने इस बार अपने पैसों से इसके 2600 पौधे लगाए हैं।
बेमेतरा जिले के बाराडेरा ग्राम पंचायत के आश्रित गांव मुंगेली की श्रीमती कुंजबाई साहू चार एकड़ की सीमांत किसान हैं। महात्मा गांधी नरेगा तथा उद्यानिकी विभाग के अभिसरण से मिले संसाधनों और बेमेतरा कृषि विज्ञान केन्द्र के मार्गदर्शन में उन्होंने पिछले साल अपने दो एकड़ खेत में पपीते के दो हजार पौधे लगाए थे। इनसे 500 क्विंटल पपीता की पैदावार हुई, जिसे थोक फल विक्रेताओं ने आठ रूपए प्रति किलोग्राम की दर से उनके खेतों से ही खरीद लिया। पपीता के पेड़ों में फल आने के बाद उद्यानिकी विभाग की मदद से बिलासपुर के थोक फल विक्रेताओं ने उससे संपर्क किया। अच्छी फसल देखकर व्यापारियों ने तुरंत ही पूरे दो एकड़ के फल खरीद लिए। कुंजबाई को पपीता की बिक्री के लिए कहीं बाहर जाना नहीं पड़ा और घर में ही रहकर फसल के अच्छे दाम मिल गए। इससे उत्साहित होकर उसने इस साल पपीता के 2600 पौधे लगाए हैं। कुंजबाई ने कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर पिछले वर्ष पपीता के पौधों के बीच में अंतरवर्ती फसल के रूप में भुट्टा, कोचई और अन्य सब्जियों की भी खेती की। इससे उसे अतिरिक्त कमाई हुई।
कुंजबाई का परिवार पहले परंपरागत रूप से धान की खेती से जीवन निर्वाह करता था। इसमें लगने वाली मेहनत और लागत की तुलना में फायदा कम होता था। कृषि विज्ञान केन्द्र बेमेतरा में सब्जी और फलों की खेती से होने वाले लाभ के संबंध में आयोजित प्रशिक्षण में शामिल होने से उसके विचार बदले। वहां विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए रास्ते पर चलने का निर्णय तो उसने ले लिया था, लेकिन आर्थिक रूप से सक्षम नहीं होने के कारण इसे शुरू नहीं कर पा रही थी। ग्राम पंचायत ने इस काम में उसकी सहायता की और महात्मा गांधी नरेगा के साथ उद्यानिकी विभाग की योजना का अभिसरण कर उसके दो एकड़ खेत में एक लाख 27 हजार रूपए की लागत से पपीता की खेती का प्रस्ताव स्वीकृत कराया।
कुंजबाई के खेत में जून-2020 में पपीता उद्यान का काम शुरू हुआ। महात्मा गांधी नरेगा से भूमि विकास का काम किया गया। इसमें दस मनरेगा मजदूरों को 438 मानव दिवस का रोजगार मिला, जिसके लिए 83 हजार रूपए से अधिक का मजदूरी भुगतान किया गया। कुंजबाई के परिवार को भी इसमें रोजगार मिला और 33 हजार रूपए की मजदूरी प्राप्त हुई। उद्यानिकी विभाग ने पपीता की खेती के लिए ड्रिप-इरिगेशन, खाद और पौधों की व्यवस्था की। खेत के तैयार होने के बाद कुंजबाई ने अपने बेटे श्री रामखिलावन साहू और बहु श्रीमती मालती बाई के साथ कृषि विज्ञान केन्द्र के मार्गदर्शन में दो हजार पौधों का रोपण किया। वहां के वैज्ञानिकों ने उसके परिवार को पपीता की खेती की बारिकियों का प्रशिक्षण दिया। महात्मा गांधी नरेगा, उद्यानिकी विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र की सहायता से कुंजबाई के परिवार की मेहनत रंग लाई और उसकी दो एकड़ की फसल चार लाख रूपए में बिकी। आधुनिक तौर-तरीकों से खेती उसे अच्छा मुनाफा दे रही। इससे उसका परिवार तेजी से समृद्धि का राह पर बढ़ रहा है।
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एक नजरः-
कार्य का नाम- कुंजबाई/उमाशंकर का पपीता उद्यान कार्य, क्रियान्वयन एजेंसी- ग्राम पंचायत, स्वीकृत वर्ष- 2020-21
ग्राम- मुंगेली, ग्राम पंचायत- बाराडेरा, विकासखण्ड- बेमेतरा, स्वीकृत राशि- 1.27 लाख रुपए, व्यय राशि- 1.23 लाख रुपए
कार्य प्रारंभ तिथि- 08.06.2020, कार्य पूर्णता तिथि- 02.07.2021, वर्क कोड- 3303002044/IF/1111497272,
परियोजना में शामिल योजनावार लागतें-
महात्मा गांधी नरेगा से 87 हजार रुपए, उद्यानिकी विभाग से 30 हजार रुपए एवं हितग्राही अंशदान 10 हजार रुपए
सृजित मानव दिवस- 438, नियोजित श्रमिकों की संख्या- 10, मजदूरी भुगतान- 83,265 रुपए,
हितग्राही का नाम- श्रीमती कुंजबाई साहू, पति स्व. श्री उमाशंकर साहू (जॉब कार्ड नं.- CH-03-002-044-003/182-A)
हितग्राही श्रीमती कुंजबाई साहू, उनके पुत्र श्री रामखिलावन और पुत्रवधु श्रीमती आरती को प्राप्त रोजगार दिवस एवं मजदूरी- 174 मानव दिवस एवं 33,087 रुपए।
कृषि विज्ञान केन्द्र से मार्गदर्शन- डॉ. चेतना बंजारे
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तथ्य एवं आंकड़े- श्री राकेश कुमार टंडन, तकनीकी सहायक, जनपद पंचायत-बेमेतरा, जिला-बेमेतरा, छ.ग.। लेखन- श्री संदीप वारे, कार्यक्रम अधिकारी, जनपद पंचायत-बेमेतरा, जिला-बेमेतरा, छ.ग.।
रिपोर्टिंग- श्री नवीन कुमार साहू, सहायक परियोजना अधिकारी, जिला पंचायत-बेमेतरा, छत्तीसगढ़।
पुनर्लेखन एवं संपादन -
1. श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
2. श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क संचालनालय, रापपुर, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
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