Showing posts with label Khamhanlal. Show all posts
Showing posts with label Khamhanlal. Show all posts

Saturday, 6 June 2020

महात्मा गांधी नरेगा से बनी डबरी में मछली पालन कर खम्हन ने लॉक-डाउन में भी कमाया मुनाफा

डबरी के आसपास की जमीन में उगाते हैं सब्जियां, मुश्किल समय में कई ग्रामीणों को बांटी सब्जी


महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) से हो रहे आजीविका संवर्धन के कार्यों ने कई परिवारों की जिंदगी बदल दी है। जीवन-यापन के साधनों को सशक्त कर इसने लोगों की आर्थिक उन्नति के द्वार खोले हैं। कोविड-19 से निपटने लागू देशव्यापी लॉक-डाउन के दौर में भी महात्मा गांधी नरेगा से निर्मित संसाधनों ने हितग्राहियों की आजीविका को अप्रभावित रखा है। नए संसाधनों ने उन्हें इस काबिल भी बना दिया है कि अब विपरीत परिस्थितियों में वे दूसरों की मदद कर रहे हैं।

लॉक-डाउन में जब लोग रोजी-रोटी की चिंता में घरों में बैठे हैं, तब जांजगीर-चांपा के सीमांत किसान खम्हन लाल बरेठ अपनी डबरी से मछली निकालकर बाजारों में बेच रहे हैं। डबरी के आसपास की जमीन में उगाई गई सब्जियां उन्हें अतिरिक्त आमदनी दे रही हैं। वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण पैदा हुए विपरीत हालातों के बीच भी उनका 14 सदस्यों का परिवार आराम से गुजर-बसर कर रहा है। खम्हन लाल की इस बेफिक्री का कारण मनरेगा के तहत उनके खेत में खुदी डबरी है। इस डबरी ने मछली पालन के रूप में कमाई का अतिरिक्त साधन देने के साथ ही बरसात में धान की फसल के बाद सब्जी की खेती को भी संभव बनाया है।
जांजगीर-चांपा जिले के मालखरौदा विकासखंड के चरौदा गांव के किसान खम्हन लाल के खेत में निर्मित डबरी ने उनके जीवन की दशा और दिशा बदल दी है। मनरेगा के अंतर्गत 20 मीटर लंबी, 20 मीटर चौड़ी एवं 10 मीटर गहरी निजी डबरी ने जीवन आसान कर दिया है। इस डबरी के निर्माण के दौरान खम्हन लाल के परिवार के साथ ही अन्य ग्रामीणों को भी कुल 656 मानव दिवसों का सीधा रोजगार मिला। खम्हन लाल और उनकी पत्नी ने 38 दिन साथ काम कर 6346 रूपए की मजदूरी प्राप्त की।

खम्हन लाल बताते हैं कि डबरी निर्माण के पहले वे धान की फसल के बाद मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते थे। लेकिन जब से डबरी बनी है वे धान की खेती के साथ मछली पालन भी कर रहे हैं। डबरी के आसपास चारों ओर सब्जी-भाजी तथा फलों के पेड़ भी लगाए हैं। पिछले दो वर्षों से वे मछली पालन और सब्जी बेचकर सालाना करीब 50 हजार रूपए की अतिरिक्त कमाई कर रहे हैं। 

खम्हन लाल के बेटे बसंत कुमार जो अभी गांव के सरपंच भी हैं, कहते हैं कि मनरेगा ने उनकी जिंदगी बदल दी है। डबरी ने उनकी आजीविका को स्थायी और सशक्त बनाया है। अभी डबरी के आसपास नमी वाली जगहों पर फल और सब्जियां उगा रहे हैं। यहां हम लोगों ने केला, पपीता, कटहल, मुनगा, अमरूद, हल्दी, मिर्च, लहसुन, तरोई, टमाटर, लौकी, मखना और बरबट्टी लगाया है। लॉक-डाउन में सब्जी की जो भी पैदावार हुई, उसे बाजार में बेचने के साथ-साथ गांव के जरूरतमंद परिवारों को भी दिया है। मुश्किल समय में लोगों की मदद कर सकें, इसका सुकुन है।


-***-

------------------------------------------------------------------------------------------------------
 माह- जून, 2020

रिपोर्टिंग व लेखन             - श्री देवेन्द्र कुमार यादव, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत-जाँजगीर चाम्पा, छ.ग.।
पुनर्लेखन व सम्पादन प्रथम - श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, इंद्रावती भवन, नवा रायपुर अटल नगर, जिला-रायपुर, छत्तीसगढ़ ।
अंतिम संपादन                 - श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क अधिकारी, जनसंपर्क संचालनालय, छत्तीसगढ़ ।
 ------------------------------------------------------------------------------------------------------



महात्मा गांधी नरेगा से बने कुएं ने दिखाई कर्ज मुक्ति की राह

कुएं ने धान की पैदावार तो बढ़ाई ही, आजीविका का नया जरिया भी दिया. ईंट निर्माण से तीन सालों में साढ़े तीन लाख की कमाई. स्टोरी/रायपुर/बीजापुर/...