Tuesday, 21 July 2020

मनरेगा सिल्क से चमकेगी श्रमिकों की किस्मत


अब तक आपने ओक, टसर, मलबरी जैसे सिल्क के नाम सुने होंगे, यदि सब कुछ योजना के अनुसार चलता रहा तो जल्द ही मनरेगा सिल्क की भी पहचान बन जाएगी। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिला नारायणपुर के बोरण्ड ग्राम पंचायत के गोटाजम्हरी गाँव में साल 2016-17 में महात्मा गांधी नरेगा से पैंसठ हजार छः सौ अर्जुन पौधों का रोपण किया गया था। अगले तीन सालों तक इनके संधारण का कार्य भी महात्मा गांधी नरेगा योजना से चला। इसमें 294 गरीब परिवारों को 10 हजार 561 मानव दिवस का सीधा रोजगार मिला। अब अगस्त, 2020 से यह सिल्क यानि रेशम उत्पादन के लिए तैयार हो गया है। यहाँ रेशम विभाग, स्थानीय 23 परिवारों के साथ अर्जुना के पेड़ों पर कीटपालन का कार्य शुरु कर रहा है। धीर-धीरे ये सभी ग्रामीण परिवार रेशम उत्पादन की प्रकिया में दक्ष हो जायेंगे। हालांकि अभी शुरुआत बस है, अगर परिणाम सकारात्मक आये तो यह नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में गरीब ग्रामीणों की तरक्की का आधार बन जाएगा। 

फाईल फोटोः जुलाई 2016 पौधरोपण
18.20 लाख रुपए का मजदूरी भुगतान 
गरीब ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने और उन्हें रेशम उत्पादन कार्य में स्वावलंबी बनाने की इस कहानी की शुरुआत होती है 2 जुलाई 2016 से। नारायणपुर जिला एवं विकासखण्ड मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दूर ग्राम गोटाजम्हरी में रेशम विभाग ने मनरेगा श्रमिकों को लेकर लगभग 40 एकड़ क्षेत्र में 65, 600 नग अर्जुन पौधों का रोपण किया। पौधरोपण और संधारण का यह कार्य जुलाई 2016 से मार्च 2020 तक चला। इन चार सालों में 294 ग्रामीण परिवारों को 10,561 मानव दिवस का रोजगार मिला, जिसकी मजदूरी के रुप में 18 लाख 20 हजार 301 रुपए उन्हें प्राप्त हुए।

जिला खनिज संस्थान न्यास के साथ अभिसरण
यहाँ रोपे गए पौधों की सुरक्षा के लिए रेशम विभाग के द्वारा काफी मेहनत की गई। इनकी सुरक्षा के लिए पूरे 40 एकड़ के क्षेत्र को तार फेंसिग से घेरा गया। पौधों की नियमित सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था नलकूप खनन करावाकर की गई। सिंचाई और सुरक्षा के इस कार्य की पूर्ति रेशम विभाग ने अभिसरण के तहत जिला खनिज संस्थान न्यास से मिली 7.34 लाख रुपये की स्वीकृत निधि से की।

रेशम उत्पादन कार्य में ग्रामीणों की रुचि पैदा हो और वह निरंतर बनी रहे तथा रोपे गए पौधों का भी नियमित रुप से विकास होते रहे, इसके लिए रेशम विभाग ने यहाँ महात्मा गांधी नरेगा से पौधा रोपण के बाद उनके संधारण का कार्य साल 2017-18 से 2019-20 तक मनरेगा श्रमिकों से करवाया। ग्राम पंचायत बोरण्ड की निवासी और मनरेगा श्रमिक श्रीमती जागेश्वरी बताती हैं कि उन्होंने यहाँ साल 2016-17 से 2019-20 तक कुल 191 दिन कार्य किया और उन्हें 31 हजार 448 रुपये की मजदूरी मिली। वहीं अन्य मनरेगा श्रमिक श्री मोहन सिंह राना का कहना है कि उन्हें योजना से 334 मानव दिवस का रोजगार मिला, जिसकी मजदूरी के रुप में 57 हजार 620 रुपये प्राप्त हुए। 

23-मनरेगा श्रमिकों को रेशम उत्पादन का प्रशिक्षण
साल 2016 में अर्जुन वृक्षारोपण की जो कवायद यहाँ शुरु हुई थी, उसने अपना असर दिखाना शुरु कर दिया है। आज अर्जुन के पेड़ लगभग 5 से 7 फीट के हो गये हैं। रेशम विभाग के कनिष्ठ रेशम निरीक्षक श्री ओ.पी.जैन इस कवायद के बारे में बताते हैं कि यहाँ विभाग टसर कोसा कीटपालन का कार्य शुरु करने वाला है। इसके लिए गाँव के ही 23 मनरेगा ग्रामीण श्रमिकों को लेकर उनका एक समूह बनाया बनाया गया है। पूरे 40 एकड़ के वृक्षारोपण को अलग-अलग भागों में बाँटा गया है, जहाँ समूह के सदस्यों को कीट पालन से लेकर कोसाफल संग्रहण तक के कार्य में प्रशिक्षत किया जावेगा। 

श्री जैन ने आगे बताया कि यह प्रशिक्षण ऑन जॉब ट्रेनिंग की तरह ही लगभग 35 से 40 दिनों का होगा। इसमें समूह के द्वारा उत्पादित कोसाफल को शासन द्वारा स्थापित कोकून बैंक के माध्यम से क्रय किया जावेगा। कोसाफल के विक्रय से प्राप्त राशि समूह के खाते में हस्तांतरित होगी। इस तरह समूह के सदस्यों को रोजगार प्राप्त होगा और वे रेशम उत्पादन में दक्ष होकर स्वावलंबी भी हो जायेंगे।
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एक नजरः-
कार्य का नाम-   टसर अर्जुना पौधरोपण एवं संधारण (16 हेक्टेयर एरिया में),
ग्राम- गोटाजम्हरी, ग्रा.पं.- बोरण्ड, विकासखण्ड- नारायणपुर, जिला- नारायणपुर, छत्तीसगढ़।
स्वीकृत राशि- 24.05 लाख (चार अलग-अलग वर्षों के स्वीकृति आदेश मिलाकर), स्वीकृत वर्ष- 2016-17,
रोपित पौधों की संख्या- 65,600
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रिपोर्टिंग -          श्री जितेन्द्र देवांगन, सहा. परियोजना अधिकारी, जिला पंचायत- नारायणपुर, छत्तीसगढ़।
तथ्य व स्त्रोत -     श्री ओ.पी. जैन, कनिष्ठ रेशम निरीक्षण, रेशम विभाग, जिला-नारायणपुर, छत्तीसगढ़।
            एवं श्रीमती गजबती, ग्राम रोजगार सहायक, ग्रा.पं.- बोरण्ड, जनपद पंचायत व जिला-नारायणपुर, छत्तीसगढ़।

लेखन-               श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
शीर्षक-              श्री प्रशांत कुमार यादव, सहा. प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत- बीजापुर, छत्तीसगढ़।

Tuesday, 14 July 2020

ग्रामीणों की मेहनत और महात्मा गांधी नरेगा से बना उपवन

लहलहा रहे आँवला, सीताफल, करौंदा और नीम के पेड़.
महात्मा गांधी नरेगा योजना से मिला 1360 मानव दिवस का रोजगार.

मेहनतकश इंसान, अपनी मेहनत और हौसलों के दम पर चाहे तो चट्टान को तोड़कर पत्थर में बदल दे, चाहे तो नदी की धारा मोड़ दे और अगर चाहे तो बंजर धरती को भी हरे-भरे उपवन में बदल दे। अपने भगीरथ प्रयास से ऐसा ही बड़ा कारनामा कर दिखाया है दुर्ग जिला एवं विकासखण्ड मुख्यालय से 7 किलोमीटर दूर महमरा गांव के ग्रामीणों ने। ‘‘पेड़-पौधे लगाओं--जीवन बचाओ’’ का नारा लेकर महमरा गांव के ग्रामीणों ने 2017 में जो मुहिम शुरू की थी, वो आज आंखों को सुकून देने वाले एक खूबसूरत उपवन में तब्दील हो गई है। इस मुहिम को आधार मिला, महात्मा गांधी नरेगा और पंचायत से।

पंचायत का मिला साथ
यहां के ग्रामीणों को एहसास हुआ कि शहर के नजदीक होने के कारण गाँव के आस-पास शहरीकरण तथा औद्योगिकीकरण से विकास तो हुआ, मगर पेड़-पौधे कम होने लगे। लहलहाते खेतों का स्थान कांक्रीट के स्ट्रक्चर लेने लगे। इससे हरियाली गायब होने लगी। ये चिंता लेकर महमरा गाँव के ग्रामीण ग्राम पंचायत कार्यालय पहुंचे। यहाँ सरपंच एवं पंचों ने उनकी पूरी बात ध्यान से सुनी और वृक्षारोपण के लिए अपनी सहमति भी दे दी। पंचायत ने ग्रामीणों की बात से सहमत होते हुये ग्राम सभा का आयोजन किया और गाँव में फलदार और छाँवदार पौधरोपण का प्रस्ताव पारित किया।

रोजगार और हरियाली
जब ग्रामीणों ने गाँव में वृक्षारोपण की ठानी, तो उनके इस प्रयास को पंचायत और स्थानीय जनप्रतिनिधियों का भी भरपूर साथ मिला। वृक्षारोपण अंतर्गत पौधरोपण कार्य के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महात्मा गांधी नरेगा) से 4 लाख 32 हजार रुपए मंजूर किए गए। जुलाई, 2017 में काम शुरू हुआ और 0.30  हेक्टेयर क्षेत्र में मिश्रित प्रजाति के 300 पौधे रोपे गए। सप्ताह में एक बार कीटनाशक का छिड़काव भी करवाया गया। महात्मा गांधी नरेगा से पौधरोपण के बाद, पौधों की सिंचाई के लिए पंचायत से पम्प की व्यवस्था की गई।
                        इस पौधा रोपण से जहाँ गाँव में हरियाली लाने का मार्ग प्रशस्त हुआ, वहीं 359 ग्रामीणों को 1360 मानव दिवसों का सीधे रोजगार मिला। श्रीमती बेलसिया को यहाँ 96 दिनों का रोजगार प्राप्त हुआ है। वे कहती हैं कि यह कार्य अब गाँव की पहचान बन चुका है। इसमें पहले हमें रोजगार मिला और अब हरियाली।

थकान मिटाने रुकते हैं, राहगीर
इस संबंध में ग्राम रोजगार सहायक श्री गंगाराम प्रसाद बताते हैं कि यहाँ पर आँवला, बेल, करौंदा, सीताफल, नीम, मुनगा एवं छायादार पौधे लगाए गए थे। आज यह जगह इतनी खूबसूरत हो गई है कि अब राहगीर, यहाँ हरियाली का आनंद उठाने के लिए दो क्षण रुक जाते हैं और अपनी थकान भी मिटा लेते हैं। यहाँ साल-दर-साल पेड़-पौधों की छाँव घनी होती जा रही है और जल्द ही गांव वालों को इनके फलों का स्वाद भी मिलेगा।

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एक नजरः-
कार्य का नाम-   आवास पारा में वृक्षारोपण (0.30 हेक्टेयर एरिया में),
ग्रा.पं.- महमरा, विकासखण्ड- दुर्ग, जिला- दुर्ग, छत्तीसगढ़।
स्वीकृत राशि- 4.32 लाख, स्वीकृत वर्ष- 2017-18, परियोजना अवधि- 3 वर्ष, रोपित पौधों की संख्या- 300
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रिपोर्टिंग -          श्रीमती रिता चाटे, सहा. प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत- दुर्ग, जिला-दुर्ग, छत्तीसगढ़।
तथ्य व स्त्रोत -     श्रीमती गौरव मिश्रा, कार्यक्रम अधिकारी, जनपद पंचायत-दुर्ग, जिला-दुर्ग, छत्तीसगढ़।
लेखन-               सुश्री आमना मीर, जिला जनसंपर्क कार्यालय, जिला-दुर्ग, छत्तीसगढ़।
संपादन -            श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
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Thursday, 9 July 2020

बोल्डर चेक डेम निर्माण से आयी हरियाली और खुशहाली

62 किसानों की 75 एकड़ कृषि भूमि को हुआ फायदा.

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महात्मा गांधी नरेगा) ने मजदूरों और किसानों की जिंदगी के अलावा गाँव के प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन को भी बेहतर बनाया है। पहले बरसात के मौसम में ही बहता दिखाई देने वाला जीरानाला, अब जल संवर्धन के कार्यों से बारिश के पहले और बाद में भी जीवंत दिखाई दे रहा है। रायगढ़ जिले के डूमरपाली गाँव में बहने वाले जीरानाले में महात्मा गांधी नरेगा से सात नग बोल्डर चेक डेम का निर्माण पंचायत ने करवाया था। साल 2019 में बरसात के बाद, यहाँ रुके पानी से आस-पास की जमीन हरी-भरी हो गई। गाँव के लगभग 60 से 70 किसानों ने नाले से लगे अपने खेतों में धान के अलावा सब्जियों का भरपूर उत्पादन लिया, इससे उन्हें अच्छी-खासी आमदनी हुई। इस प्रकार जीरानाला में बने छोटे-छोटे बोल्डर चेक डेमों ने किसानों की जिन्दगी को खुशहाल बना दिया है।


जिले के बरमकेला विकासखण्ड की डूमरपाली ग्राम पंचायत में दिखाई दे रही इस हरियाली और खुशहाली के पीछे पंचायत की सोच और ग्रामीणों की मेहनत है। पंचायत ने साल 2019-20 में इस गाँव में बहने वाले जीरानाले में भूमि क्षरण को रोकने एवं संग्रहित जल के जरिये भू-जल भंडारण के उद्देश्य से महात्मा गांधी नरेगा के तहत जल संवर्धन का कार्य कराया था। इसके अंतर्गत 77 हजार 136 रुपये की लागत से नाले पर अलग-अलग स्थानों में 7 बोल्डर चेक डेम का निर्माण कराया गया। यहाँ 20 महिलाओं और 33 पुरुषों को मिलाकर, कुल 53 ग्रामीणों को 317 मानव दिवस का रोजगार महात्मा गांधी नरेगा से मिला।

डूमरपाली पंचायत के ग्राम रोजगार सहायक श्री रामेश्वर साहू कहते हैं कि गाँव के जीरानाले में महात्मा गांधी नरेगा योजना से हुए इस जल संवर्धन के काम ने बड़ा असर डाला है। इसमें 33 ग्रामीण परिवारों को सीधे रोजगार मिला। नाले में अलग-अलग चिन्हाँकित जगहों पर बोल्डर चेक डेम बनाने से नाले में अधिक समय तक पानी रुका, जिसका उपयोग नाले से लगी कृषि भूमि के किसानों ने अपनी खेती-बाड़ी में किया। इस कार्य से गाँव 62 किसानों की लगभग 75 एकड़ कृषि भूमि सिंचित हुई है।


श्री रामेश्वर साहू आगे बताते हैं कि जीरानाले में पानी रुकने से रिसन के माध्यम से भू-जल भंडारण में वृद्धि हुई है। इसका प्रभाव नाले से लगे किसानों की खेती-जमीन में खुदे 12 नल कूपों में साफ देखा जा सकता है। बोल्डर चेक डेम बनने के पूर्व मई-जून महिने में इन नल कूप में जल स्तर 400 से 500 फीट नीचे चला जाता था, जो आज 150 से 250 फिट पर आ गया है। भू-जल स्तर बढ़ने से आस-पास हरियाली भी बढ़ गई है।

जीरानाले में हुये जल संवर्धन के कार्य से लाभान्वित किसान श्री प्रफुल्ल भोये बताते हैं कि उन्होंने बोल्डर चेक डेम निर्माण में 6-दिन कार्य किया था, जिससे उन्हें 1056 रुपये की मजदूरी प्राप्त हुई। नाले से लगकर उनकी 2.1 एकड़ कृषि भूमि है, जिसमें उन्होंने नाले के पानी से बरबट्टी, बैंगन, करेला, मिर्च और तोरई सब्जियों की पैदावार ली। इस साल, जिसमें लॉकडाउन की अवधि भी शामिल है, इन सब्जियों को बेचने से उन्हें लगभग डेढ़ लाख रुपये की आमदनी हुई।

श्री प्रफुल्ल के खेत के नजदीक श्री प्रमोद भोये, श्री रिबे साहू, श्री नातोकुमार खमारी और श्री हेमराज भोई भी ऐसे ही किसान हैं, जिन्होंने नाले से लगी अपनी कृषि भूमि पर इस साल सब्जियों का उत्पादन लेकर लाभ कमाया। महात्मा गांधी नरेगा योजना से हुये इस छोटे से कार्य ने किसानों की जिंदगी में खुशियों के बड़े-बड़े पल लाकर, उन्हें खुशहाल बना दिया है।

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एक नजरः-
कार्य का नाम- बोल्डर चेक निर्माण-डुमरपाली में,
ग्रा.पं.- डूमरपाली, विकासखण्ड- बरमकेला, जिला- रायगढ़, छत्तीसगढ़।
स्वीकृत राशि- 1.547 लाख, स्वीकृत वर्ष- 2019-20
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रिपोर्टिंग - श्री योगेश देवांगन, तकनीकी सहायक, जनपद पंचायत- बरमकेला, जिला-रायगढ़, छत्तीसगढ़।
तथ्य व स्त्रोत - श्री आशीष कुमार भारती, कार्यक्रम अधिकारी, जनपद पंचायत- बरमकेला, जिला-रायगढ़, छत्तीसगढ़।
संकलन- श्री राजेश शर्मा, प्रभारी सहायक परियोजना अधिकारी, जिला पंचायत-रायगढ़, छत्तीसगढ़।
लेखन व संपादन - श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़।
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महात्मा गांधी नरेगा से बने कुएं ने दिखाई कर्ज मुक्ति की राह

कुएं ने धान की पैदावार तो बढ़ाई ही, आजीविका का नया जरिया भी दिया. ईंट निर्माण से तीन सालों में साढ़े तीन लाख की कमाई. स्टोरी/रायपुर/बीजापुर/...