अब तक आपने ओक, टसर, मलबरी जैसे सिल्क के नाम सुने होंगे, यदि सब कुछ योजना के अनुसार चलता रहा तो जल्द ही मनरेगा सिल्क की भी पहचान बन जाएगी। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिला नारायणपुर के बोरण्ड ग्राम पंचायत के गोटाजम्हरी गाँव में साल 2016-17 में महात्मा गांधी नरेगा से पैंसठ हजार छः सौ अर्जुन पौधों का रोपण किया गया था। अगले तीन सालों तक इनके संधारण का कार्य भी महात्मा गांधी नरेगा योजना से चला। इसमें 294 गरीब परिवारों को 10 हजार 561 मानव दिवस का सीधा रोजगार मिला। अब अगस्त, 2020 से यह सिल्क यानि रेशम उत्पादन के लिए तैयार हो गया है। यहाँ रेशम विभाग, स्थानीय 23 परिवारों के साथ अर्जुना के पेड़ों पर कीटपालन का कार्य शुरु कर रहा है। धीर-धीरे ये सभी ग्रामीण परिवार रेशम उत्पादन की प्रकिया में दक्ष हो जायेंगे। हालांकि अभी शुरुआत बस है, अगर परिणाम सकारात्मक आये तो यह नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में गरीब ग्रामीणों की तरक्की का आधार बन जाएगा।
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फाईल फोटोः जुलाई 2016 पौधरोपण |
18.20 लाख रुपए का मजदूरी भुगतान
गरीब ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने और उन्हें रेशम उत्पादन कार्य में स्वावलंबी बनाने की इस कहानी की शुरुआत होती है 2 जुलाई 2016 से। नारायणपुर जिला एवं विकासखण्ड मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दूर ग्राम गोटाजम्हरी में रेशम विभाग ने मनरेगा श्रमिकों को लेकर लगभग 40 एकड़ क्षेत्र में 65, 600 नग अर्जुन पौधों का रोपण किया। पौधरोपण और संधारण का यह कार्य जुलाई 2016 से मार्च 2020 तक चला। इन चार सालों में 294 ग्रामीण परिवारों को 10,561 मानव दिवस का रोजगार मिला, जिसकी मजदूरी के रुप में 18 लाख 20 हजार 301 रुपए उन्हें प्राप्त हुए।
जिला खनिज संस्थान न्यास के साथ अभिसरण
यहाँ रोपे गए पौधों की सुरक्षा के लिए रेशम विभाग के द्वारा काफी मेहनत की गई। इनकी सुरक्षा के लिए पूरे 40 एकड़ के क्षेत्र को तार फेंसिग से घेरा गया। पौधों की नियमित सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था नलकूप खनन करावाकर की गई। सिंचाई और सुरक्षा के इस कार्य की पूर्ति रेशम विभाग ने अभिसरण के तहत जिला खनिज संस्थान न्यास से मिली 7.34 लाख रुपये की स्वीकृत निधि से की।
रेशम उत्पादन कार्य में ग्रामीणों की रुचि पैदा हो और वह निरंतर बनी रहे तथा रोपे गए पौधों का भी नियमित रुप से विकास होते रहे, इसके लिए रेशम विभाग ने यहाँ महात्मा गांधी नरेगा से पौधा रोपण के बाद उनके संधारण का कार्य साल 2017-18 से 2019-20 तक मनरेगा श्रमिकों से करवाया। ग्राम पंचायत बोरण्ड की निवासी और मनरेगा श्रमिक श्रीमती जागेश्वरी बताती हैं कि उन्होंने यहाँ साल 2016-17 से 2019-20 तक कुल 191 दिन कार्य किया और उन्हें 31 हजार 448 रुपये की मजदूरी मिली। वहीं अन्य मनरेगा श्रमिक श्री मोहन सिंह राना का कहना है कि उन्हें योजना से 334 मानव दिवस का रोजगार मिला, जिसकी मजदूरी के रुप में 57 हजार 620 रुपये प्राप्त हुए।
23-मनरेगा श्रमिकों को रेशम उत्पादन का प्रशिक्षण
साल 2016 में अर्जुन वृक्षारोपण की जो कवायद यहाँ शुरु हुई थी, उसने अपना असर दिखाना शुरु कर दिया है। आज अर्जुन के पेड़ लगभग 5 से 7 फीट के हो गये हैं। रेशम विभाग के कनिष्ठ रेशम निरीक्षक श्री ओ.पी.जैन इस कवायद के बारे में बताते हैं कि यहाँ विभाग टसर कोसा कीटपालन का कार्य शुरु करने वाला है। इसके लिए गाँव के ही 23 मनरेगा ग्रामीण श्रमिकों को लेकर उनका एक समूह बनाया बनाया गया है। पूरे 40 एकड़ के वृक्षारोपण को अलग-अलग भागों में बाँटा गया है, जहाँ समूह के सदस्यों को कीट पालन से लेकर कोसाफल संग्रहण तक के कार्य में प्रशिक्षत किया जावेगा।
श्री जैन ने आगे बताया कि यह प्रशिक्षण ऑन जॉब ट्रेनिंग की तरह ही लगभग 35 से 40 दिनों का होगा। इसमें समूह के द्वारा उत्पादित कोसाफल को शासन द्वारा स्थापित कोकून बैंक के माध्यम से क्रय किया जावेगा। कोसाफल के विक्रय से प्राप्त राशि समूह के खाते में हस्तांतरित होगी। इस तरह समूह के सदस्यों को रोजगार प्राप्त होगा और वे रेशम उत्पादन में दक्ष होकर स्वावलंबी भी हो जायेंगे।
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एक नजरः-
कार्य
का नाम- टसर अर्जुना पौधरोपण एवं संधारण (16 हेक्टेयर
एरिया में),
ग्राम- गोटाजम्हरी,
ग्रा.पं.- बोरण्ड, विकासखण्ड- नारायणपुर, जिला- नारायणपुर,
छत्तीसगढ़।
स्वीकृत
राशि-
24.05 लाख (चार अलग-अलग वर्षों के स्वीकृति आदेश मिलाकर), स्वीकृत वर्ष-
2016-17,
रोपित
पौधों की संख्या- 65,600
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रिपोर्टिंग - श्री
जितेन्द्र देवांगन, सहा. परियोजना अधिकारी, जिला पंचायत- नारायणपुर,
छत्तीसगढ़।
तथ्य व स्त्रोत - श्री
ओ.पी. जैन, कनिष्ठ रेशम निरीक्षण, रेशम विभाग, जिला-नारायणपुर, छत्तीसगढ़।
एवं
श्रीमती गजबती, ग्राम रोजगार सहायक, ग्रा.पं.- बोरण्ड, जनपद पंचायत व
जिला-नारायणपुर, छत्तीसगढ़।
लेखन- श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार
प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय,
रायपुर, छत्तीसगढ़।
शीर्षक- श्री
प्रशांत कुमार यादव, सहा. प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत- बीजापुर,
छत्तीसगढ़।