# महात्मा गांधी नरेगा, 14वां वित्त आयोग एवं जिला खनिज संस्थान न्यास निधि के अभिसरण से सामुदायिक मुर्गीपालन.
# समूह की महिलाएँ मुर्गीपालन व अंडा उत्पादन कर हुईं आत्मनिर्भर.
# परंपरागत मुर्गीपालन को व्यावसायिक रूप देकर महिलाओं ने कमाए 25 लाख रूपए.
स्टोरी/रायपुर/बीजापुर/23 दिसम्बर, 2021. आदिवासी अंचल की महिलाएं घर पर किए जाने वाले परंपरागत मुर्गीपालन को व्यावसायिक रूप देकर अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं। अलग-अलग स्वसहायता समूहों की ये महिलाएं स्वरोजगार के साथ ही कुपोषण को मात देने का भी काम कर रही हैं। महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम), डी.एम.एफ. (जिला खनिज संस्थान न्यास निधि) और 14वें वित्त आयोग के अभिसरण से सुदूर वनांचल बीजापुर जिले की 43 समूहों की महिलाएं सामुदायिक मुर्गीपालन कर अंडा उत्पादन कर रही हैं। स्थानीय जिला प्रशासन महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान हेतु आंगनबाड़ियों के लिए इन अंडों की खरीदी कर रही है। समूह की महिलाएं स्थानीय बाजारों में भी इन अंडों को बेचती हैं। विभिन्न स्वसहायता समूहों द्वारा जिले के 43 सामुदायिक मुर्गीपालन केन्द्रों में तीन लाख 77 हजार अण्डों का उत्पादन किया गया है। इनमें से तीन लाख 44 हजार अंडों की बिक्री से महिलाओं ने 25 लाख रूपए से अधिक की कमाई की है।
स्वरोजगार के साथ ही कुपोषण से मुक्ति की लड़ाई में जिले के बीजापुर विकासखण्ड में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के अंतर्गत गठित नौ, भैरमगढ़ विकासखण्ड के 14, भोपालपटनम विकासखण्ड के सात और उसूर विकासखण्ड के 13 स्वसहायता समूहों की महिलाएं अपनी सहभागिता दे रही हैं। पशुपालन विभाग के तकनीकी मार्गदर्शन में मुर्गीपालन में व्यावसायिक दक्षता हासिल कर ये महिलाएं बी.वी. 380 लेयर बर्ड्स प्रजाति की मुर्गियों का पालन शेड में कर रही हैं। सामुदायिक मुर्गीपालन के लिए चूजों की आपूर्ति, केज की व्यवस्था तथा वर्षभर के लिए चारा एवं आवश्यक दवाईयों का इंतजाम डी.एम.एफ. के माध्यम से किया गया था।
बीजापुर विकासखण्ड के तोयनार ग्राम पंचायत में मुर्गी शेड का संचालन करने वाली रानी दुर्गावती स्वसहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती सोनमणि पोरतेक बताती हैं कि उसके समूह द्वारा अब तक 49 हजार अण्डों का उत्पादन किया गया है। इनमें से साढ़े 48 हजार अण्डों की बिक्री से करीब तीन लाख रूपए की आमदनी हुई है। उसूर विकासखण्ड के नुकनपाल पंचायत में मुर्गी शेड संचालित करने वाली काव्या स्वसहायता समूह की सचिव सुश्री पार्वती कहती है कि इस परियोजना से हम महिलाओं को अपनी आजीविका चलाने का साधन मिल गया है। आर्थिक रूप से हम सक्षम हो गई हैं। मुर्गीपालन से समूह को हर माह अच्छी कमाई हो रही है। जिला प्रशासन की कोशिशों और महिलाओं की मेहनत का असर अब दिखने लगा है। बीजापुर में कुपोषण तेजी से घट रहा है। अक्टूबर-2019 में कुपोषण की दर वहां लगभग 38 प्रतिशत थी, जो जुलाई-2021 में आयोजित वजन त्यौहार के आंकड़ों के मुताबिक 13 प्रतिशत गिरकर 25 प्रतिशत पर आ गई है।
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एक नजरः-
कार्य का नाम- स्व सहायता समूह हेतु पोल्ट्री फार्म निर्माण, क्रियान्वयन एजेंसी- ग्राम पंचायत, स्वीकृत वर्ष- 2020-21
विकासखण्ड (ग्राम पंचायत)-
1. बीजापुर विकासखण्ड में शामिल ग्राम पंचायतें- तोयनार, ईटपाल, चेरपाल, बोरजे, मोरमेड़ एवं पापनपाल (6).
2. भैरमगढ़ विकासखण्ड में शामिल ग्राम पंचायतें- जैवारम, मटवाड़ा, मंगलनार, पातरपारा, नेलसनार, मिरतुर, कोडोली, तालनार, टिन्डोडी, जांगला, कॉन्ड्रोजी, मंगापेठा एवं फरसेगढ़ (13).
3. भोपालपटनम विकासखण्ड में शामिल ग्राम पंचायतें- तमलापल्ली, संगमपल्ली, दम्पाया, चेरपल्ली, रुद्राराम, गोटाइगुड़ा एवं भद्रकाली (7).
4. उसूर विकासखण्ड में शामिल ग्राम पंचायतें- आवापल्ली, नुकनपाल, मुरदण्डा, इलमिड़ी, संकनपल्ली, हीरापुर एवं बासागुड़ा (7).
परियोजना में शामिल 43 सामुदायिक मुर्गीशेड निर्माण में योजनावार लागत- महात्मा गांधी नरेगा से 60.09 लाख, 14वां वित्त आयोग से 29.72 लाख एवं जिला खनिज संस्थान न्यास निधि से 127.26 लाख रुपए।
प्रति इकाई लागत-
(क) 100 मुर्गियों के लिए एक सामुदायिक शेड की स्वीकृत राशि-
1.83 लाख रुपए (महात्मा गांधी नरेगा-1.13 लाख एवं 14वां वित्त आयोग राशि- 0.70 लाख)
(ख) 200 मुर्गियों के लिए एक सामुदायिक शेड की स्वीकृत राशि-
2.48 लाख रुपए (महात्मा गांधी नरेगा-1.48 लाख एवं 14वां वित्त आयोग राशि- 1 लाख)
(ग) प्रति यूनिट हेतु 50 मुर्गियाँ, वर्षभर का चारा, आवश्यक दवाईयाँ व केज हेतु स्वीकृत राशि-
1.14 लाख रुपए (जिला खनिज संस्थान न्यास निधि)
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तथ्य-आंकड़े एवं रिपोर्टिंग - श्री मनीष सोनवानी, सहायक परियोजना अधिकारी, जिला पंचायत-बीजापुर, छत्तीसगढ़।
लेखन - श्री प्रशांत यादव, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत-बीजापुर, छत्तीसगढ़।
पुनर्लेखन एवं संपादन -
1. श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
2. श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क संचालनालय, रापपुर, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग - श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
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