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Tuesday, 23 February 2021

महात्मा गांधी नरेगा से बने कुएँ ने बदला भोजन और जिंदगी का स्वाद

धान की खेती के बाद खाली रहने वाली जमीन पर अब आलू, टमाटर, बैंगन, कुंदरु, करेला, बरबट्टी, फूलगोभी, पत्तागोभी, बैंगन, टमाटर और मटर की पैदावार.


रायपुर, 23 फरवरी 2021/ सरगुजा के पोतका गांव के श्री दिका प्रसाद के भोजन और जिंदगी, दोनों का स्वाद अब बदल गया है। जीवन साथी श्रीमती लक्ष्मनिया के हाथों की बनी तरकारी में अब उन्हें पहले से कहीं अधिक स्वाद और आनंद आने लगा है। और आए भी क्यों न! आखिरकार ये तरकारियां उनकी अपनी बाड़ी की जो हैं, जिन्हें पहली बार दिका प्रसाद ने लक्ष्मनिया के साथ मिलकर उगाया है और महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) से बने अपने कुएं के पानी से सींचा व संवारा है। महात्मा गांधी नरेगा से घर की बाड़ी में कुआँ खुदाई के बाद से इस परिवार की जिंदगी बदल गई है। अब दिका प्रसाद सब्जी उत्पादक किसान कहलाने लगे हैं।

सरगुजा जिले के लखनपुर विकासखण्ड मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर पोतका ग्राम पंचायत के किसान दिका प्रसाद और लक्ष्मनिया अपने दो बच्चों के साथ रहते हैं। उनके जीवन में आए इस बदलाव की शुरुआत करीब दो साल पहले हुई थी। कुआँ खुदाई के पहले वे अपने घर से लगे दो एकड़ खेत में खरीफ सीजन में केवल परिवार के खाने लायक धान उगा पाते थे। सिंचाई का कोई साधन नहीं होने के कारण बाकी समय यह जमीन खाली पड़ी रहती थी। पूरे परिवार के लिए रोजमर्रा के पानी की जरूरतों के लिए लक्ष्मनिया को काफी मशक्कत भी करनी पड़ती थी। उसे सुबह-शाम घर से 300 मीटर दूर सार्वजनिक हैंडपंप से पानी भरना पड़ता था।

ग्राम पंचायत की पहल पर दिका प्रसाद की बाड़ी में कुआँ निर्माण ने उनकी खेती और परिवार की दिक्कत सुलझाने का रास्ता खोला। दो साल पहले महात्मा गांधी नरेगा से दो लाख दस हजार रूपए की लागत से निर्मित कुएँ से उनकी जिंदगी में बदलाव की शुरुआत हुई। जैसे-जैसे कुएँ की गहराई बढ़ती जा रही थी, वैसे-वैसे इनकी उम्मीदों की रोशनी भी बढ़ती जा रही थी। कुआँ खुदाई के दौरान उनके परिवार को महात्मा गांधी नरेगा के अंतर्गत 90 दिनों का सीधा रोजगार भी मिला। इससे उन्हें 15 हजार 840 रुपए की मजदूरी प्राप्त हुई। दिसम्बर-2019 में दिका प्रसाद, लक्ष्मनिया और गाँव के आठ अन्य मनरेगा श्रमिकों की मेहनत से कुएँ का निर्माण पूर्ण हुआ। जैसे-जैसे कूप निर्माण का काम पूर्णता की ओर बढ़ता गया, दिका प्रसाद और लक्ष्मनिया अपनी बाड़ी भी तैयार करते गए।

कुआँ बन जाने के बाद दिका प्रसाद ने अपनी बाड़ी में पिछले साल आलू, टमाटर, बैंगन, कुंदरु, करेला, बरबट्टी, फूलगोभी, पत्तागोभी, बैंगन, टमाटर और मटर उगाया। बाजार में इन्हें बेचकर परिवार ने 15 हजार रुपए की कमाई की। कुएँ के पानी से धान की खेती में भी मदद मिली और सात क्विंटल धान का उत्पादन हुआ। धान की फसल के बाद इस साल उन्होंने बाड़ी में फूलगोभी, पत्तागोभी, बैंगन, टमाटर और मटर लगाया है, जिन्हें बेचकर वे अब तक छह हजार रूपए कमा चुके हैं। अपनी बाड़ी में उगी सब्जियों की ओर इशारा करते हुए लक्ष्मनिया कहती हैं कि वह पहले बाजार से सब्जियां खरीदती थी। अब जब से कुआँ बना है, तब से अपनी ही बाड़ी से सब्जियाँ तोड़कर तरकारी बनाती हैं। अपनी मेहनत से उपजाई सब्जी-भाजी को परिवार का हर सदस्य बड़े चाव से खाता है। वहीं दिका प्रसाद बताते हैं कि बाड़ी में पहली बार सब्जियों की पैदावार से जो कमाई हुई, उससे बिजली से चलने वाला एक मोटर पम्प खरीदा। हमारी मेहनत और महात्मा गांधी नरेगा से बने कुएँ से हम बच्चों के बेहतर भविष्य के प्रति आशान्वित हैं। आजीविका सुदृढ़ होने से हम दोनों बच्चों को अच्छी शिक्षा दिला सकते हैं।
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एक नजरः-
कार्य का नाम- कूप निर्माण, हितग्राही- श्रीमती लक्ष्मनिया पिता श्री जय मंगल,
ग्रा.पं.- पोतका, विकासखण्ड- लखनपुर, जिला- सरगुजा, कार्य का कोड- 3305002047/IF/1111378086,
स्वीकृत वर्ष- 2018-19, स्वीकृत राशि- रुपए 2.10 लाख, सृजित मानव दिवस- 372, नियोजित श्रमिकों की संख्या- 10,
नियोजित श्रमिकों के नाम- श्री जगेश्वर, श्री धरमसाय, श्री अधनु, श्री दिका प्रसाद, श्री चैन सिंह, श्रीमती फुलसिया, श्रीमती रजमेत, श्रीमती उर्मिला, श्रीमती लक्ष्मनिया एवं श्रीमती फुलेश्वरी
जी.पी.एस. लोकेशन- 23°04'52.2"N 82°57'21.8"E, पिनकोड- 497117   
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रिपोर्टिंग व लेखन - सुश्री मीनाक्षी वर्मा, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत-सरगुजा, छत्तीसगढ़।
पुनर्लेखन - श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
संपादन- श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क संचालनालय, रापपुर, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग-
श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
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Saturday, 28 November 2020

मनरेगा से सुधन राम की खुशियों को मिला एक नया ठौर, पेश की आत्मनिर्भरता की मिसाल (लॉकडाउन टू अनलॉक विशेष)

रायपुर। मनुष्य में अगर काम करने की दृढ़ इच्छाशक्ति और लगन हो तो रास्ते खुद-ब-खुद बनते जाते हैं। ऐसी ही एक मिसाल जशपुर जिले की ग्राम पंचायत कण्डोरा के लघु कृषक श्री सुधन राम ने प्रस्तुत की है। कल तक बारिश के भरोसे खेतों में धान उगाकर और बाकी समय मजदूरी करके, अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाले श्री सुधन अब सालभर अपने खेतों में नजर आने लगे हैं। वे वहाँ महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से बने कुएँ के पानी से सिंचाई के द्वारा खेतों में धान के अलावा सब्जियों का उत्पादन लेकर अपने परिवार को बेहतर जिंदगी दे पा रहे हैं। उन्होंने कुएँ की बदौलत अपने खेतों में 16 क्विंटल धान की उपज प्राप्त की है और उत्पादित सब्जियों की बिक्री से 50 हजार रुपये की आय भी अर्जित की है।

जशपुर जिले के कुनकुरी विकासखण्ड से 8 कि.मी. दूर कण्डोरा ग्राम पंचायत है। इस पंचायत के निवासी श्री सुधन राम पिता श्री डूढ़ की गाँव में 4 एकड़ कृषि भूमि है। वहाँ वे परम्परागत तरीकों से खेती-किसानी कर अपने परिवार का जीवन-यापन जैसे-तैसे कर रहे थे, परन्तु समय के अनुसार बढ़ती पारिवारिक जरुरतों और आकस्मिक खर्चों को पूरा करने की चुनौती हमेशा बनी रहती थी। उस पर पूरी तरह बारिश पर निर्भरता भी एक समस्या बनी हुई थी, जो उन्हें सतत आजीविका के लिए एक नया रास्ता ढूंढने के लिए विवश कर रही थी। 

अंततः श्री सुधन राम को रास्ता मिला और खुशियों ने उनके घर-आँगन में दस्तक दे दी। ग्राम पंचायत के सहयोग से उनके खेत में दो लाख 10 हजार रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति के साथ कूप निर्माण का कार्य जो प्रारंभ हो गया था। स्वयं, परिवार के 2 सदस्यों और गाँव के 18 मनरेगा श्रमिकों की मदद से उनका यह कुआँ पाँच माह में बनकर तैयार हो गया। कार्य पूर्ण होने के बाद जुलाई 2019 में श्री सुधन ने पहली बार अपने कुएँ से लगी 2 एकड़ 20 डिसमिल जमीन में धान की फसल और बागवानी फसल के रुप में गोभी, टमाटर, आलू, मिर्च, धनिया, मूली, बैगन और प्याज लगाया, जिससे उन्हें लगभग 25 हजार रुपए की आमदनी हुई। उन्हें पहली बार जिंदगी में अपनी मेहनत का इतना ज्यादा मूल्य मिला था, सो पूरा परिवार खुश हो गया। 

लॉकडाउन में भी लॉक नहीं हुई आजीविका 

खेती-बाड़ी के लिए कुएँ के रुप में सिंचाई का साधन मिलने के बाद, जैसे ही श्री सुधन राम की जिंदगी की राह आसान बनने लगी थी कि अचानक कोरोना बीमारी के चलते लॉकडाउन लग गया और बाहरी काम बंद हो गए। ऐसे में कूएँ के पानी से खेत में सब्जी उत्पादन आय का एक प्रमुख साधन बन गया। श्री सुधन ने अपने खेतों में उत्पादित सब्जियों को घूम-घूमकर आस-पास के गाँव में और कुनकुरी के बाजार में बेचकर अच्छी कमाई की। आज उन्होंने सब्जी उत्पादन और बिक्री से लगातार बढ़ती आय को ही अपनी आजीविका का मुख्य आधार बना लिया है। 

इस संबंध में श्री सुधन राम बताते हैं कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना ने उनके जीवन को एक नया आधार दिया है। कुआं निर्माण से जहाँ अब उनके खेतों में साल भर सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता बनी रहती है, वहीं उन्हें सालभर का रोजगार अपने ही खेत से मिल रहा है। सालभर सब्जी उत्पादन होने से अच्छी-खासी आमदनी हो रही है और परिवार का भरण-पोषण अच्छे से कर पा रहे हैं। आर्थिक स्थिति बेहतर होने से उन्होंने अपने बेटे का इलाज भी अच्छे से करा पाया है। यह योजना और कुआँ, दोनों ही उनके परिवार की खुशियों का एक नया ठौर बन गया है। 

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एक नजरः-
कार्य का नाम- कूप निर्माण, कार्य प्रारंभ तिथि-19.02.2019, कार्य पूर्णता तिथि-01.07.2019,
ग्रा.पं.- कण्डोरा, विकासखण्ड-कुनकुरी, जिला-जशपुर
दूरी-कुनकुरी विकासखण्ड मुख्यालय से 8 कि.मी.,
स्वीकृत राशि-2.10 लाख, स्वीकृत वर्ष-2017-18, सृजित मानव दिवस- 566
जी.पी.एस. लोकेशन- Latitude: N 22◦45'41.7384″ एवं Longitude: E 84◦0'10.1196″
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रिपोर्टिंग एवं लेखन- श्री अश्वनी व्यास, समन्वयक (शिकायत निवारण), जिला पंचायत-जशपुर, छत्तीसगढ़, मो.-9165736925
तथ्य एवं स्त्रोत- श्री गोवर्धन प्रसाद नायक, कार्यक्रम अधिकारी, ज.पं.-कुनकुरी, जिला-जशपुर, छत्तीसगढ़, मो.-8889054279
संपादन- 1. श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़,
2. श्री आलोक कुमार सातपुते, प्रकाशन शाखा, विकास आयुक्त कार्यालय, इन्द्रावती भवन, नवा रायपुर अटल नगर, छत्तीसगढ़।

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Saturday, 6 June 2020

लॉक-डाउन में भी रोज अच्छी कमाई कर रहे हैं जयसिंह


मनरेगा से बने कुएं से अब खेतों में साल भर हरियाली, अभी सब्जी की खेती से कमा रहे मुनाफा


हौसलों को अगर संसाधन मिल जाए तो सफलता का रास्ता सुगम हो जाता है। कोविड-19 के चलते लॉक-डाउन के कारण जब लोग अपनी आजीविका को लेकर चिंतित हैं, कोरिया जिले के किसान जयसिंह रोज एक से डेढ़ हजार रूपए कमा रहे हैं। इन दिनों वे साग-सब्जी की खेती कर रहे हैं और इसकी बिक्री से हर दिन उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है। महात्मा गांधी नरेगा के अंतर्गत जयसिंह के खेत में खोदा गया कुआं विपरीत परिस्थितियों में उनकी मजबूत आजीविका का आधार बना है। कुएं की खुदाई के बाद से अब साल भर उनके खेतों में हरियाली रहती है। इस साल धान की बम्पर पैदावार के बाद अभी सब्जियों से उनके खेत लहलहा रहे हैं।

महात्मा गांधी नरेगा से निर्मित कुएं ने कोरिया जिले के मनेन्द्रगढ़ विकासखंड के पिपरिया के करीब छह एकड़ जोत के किसान जयसिंह की खेती की दशा और दिशा बदल दी है। वे बताते हैं कि पहले उनकी कृषि ट्यूब-वेल के भरोसे थी। लेकिन पर्याप्त पानी न होने के कारण बारिश के बाद बहुत दिक्कत आती थी। गर्मी के दिनों में फसल अकसर सूख जाती थी। परेशानियों के बीच उन्होंने पंचायत में महात्मा गांधी नरेगा के तहत खेत में कुआं खोदने के लिए आवेदन दिया। ग्राम पंचायत ने कुएं के लिए एक लाख 80 हजार रूपए मंजूर कर काम शुरू कर दिया। इस कुएं के साथ आदिवासी किसान जयसिंह की जिंदगी ने भी करवट ली।

देशव्यापी लॉक-डाउन में आर्थिक मंदी के इस दौर में जयसिंह छोटे किसानों के लिए नजीर बन गए हैं। महात्मा गांधी नरेगा के अंतर्गत आजीविका संवर्धन के लिए निर्मित कुएं ने आर्थिक समृद्धि का रास्ता खोला है। धान की अच्छी पैदावार के बाद उन्होंने पालक, लालभाजी और भिंडी लगाया। उन्हें सब्जियों की खेती से कम समय में ही 30 हजार रुपए का मुनाफा हुआ। अभी पिछले दो माह से वे औसतन 1200 रूपए की सब्जी रोज बेच रहे हैं। जयसिंह कहते हैं- 'लॉक-डाउन में भी मुझे कोई चिंता नहीं है। रोजी-रोटी के लिए अलग से कोई काम करने की जरूरत नहीं। महात्मा गांधी नरेगा से बने कुएं की बदौलत अब हर मौसम में मेरे खेतों में फसल और पर्याप्त आमदनी है।'

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संक्षिप्त शब्दावलीः-
कार्य का नाम- कूप निर्माण
मनरेगा/ महात्मा गांधी नरेगा- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना
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माह- जून, 2020
रिपोर्टिंग व लेखन             -           श्री रुद्र मिश्रा, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत-कोरिया, छ.ग.। 
पुनर्लेखन व सम्पादन प्रथम -           श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, इंद्रावती भवन, नवा रायपुर अटल नगर, जिला-रायपुर, छत्तीसगढ़ ।
अंतिम संपादन                 -           श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क अधिकारी, जनसंपर्क संचालनालय, छत्तीसगढ़ ।
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महात्मा गांधी नरेगा से बने कुएं ने दिखाई कर्ज मुक्ति की राह

कुएं ने धान की पैदावार तो बढ़ाई ही, आजीविका का नया जरिया भी दिया. ईंट निर्माण से तीन सालों में साढ़े तीन लाख की कमाई. स्टोरी/रायपुर/बीजापुर/...