मनरेगा से बनी डबरी से लाख रुपये की धान बेचकर, अब लॉकडाउन में मछलीपालन से कमाया लाभ.
हौसलों की उड़ान कभी नाकामियाब नहीं होती और
मुश्किलें उन्हें कमजोर नहीं, मजबूत बना देती हैं। कोरिया जिले के खड़गवाँ
विकासखण्ड के सुदूर गाँव पेण्ड्री के निवासी श्री रामसिंह ने इसे अपने आत्मविश्वास
और महात्मा गांधी नरेगा से मिली डबरी के दम पर साबित कर दिखाया है। बारिश में
खेती-बाड़ी कर, सालभर मजदूरी पर निर्भर रहने वाले श्री रामसिंह आज अपने खेत में
महात्मा गांधी नरेगा से बनी डबरी में मछलीपालन में व्यस्त हैं। उनके लिए मानों
लॉकडाउन जैसी कोई आर्थिक मुश्किल ही नहीं है। उन्होंने मछलीपालन कर लॉकडाउन में
मछली बेचकर बारह हजार रुपये से अधिक का लाभ कमाया है। महात्मा गांधी नरेगा के
अंतर्गत श्री रामसिंह के खेत में बनी डबरी ने उनकी आजीविका को मजबूती दी है। इससे
उनके हौंसलों को मजबूती मिली और उन्होंने पहली बार बम्पर धान का उत्पादन लेकर, उसे
सहकारी समिति को बेचकर एक लाख 20 हजार रुपयों की आय प्राप्त की।
महात्मा गांधी नरेगा से निर्मित डबरी ने कोरिया
जिले के वनवासी श्री रामसिंह पिता श्री पुरुषोत्तम के हौसलों को कभी कम नहीं होने
दिया है। वे हमेशा अपनी आजीविका की समृद्धि के लिए कोशिशे करते रहते हैं, जिसमें
यह डबरी उनकी सहायक बनी हुई है। छः एकड़ जोत के किसान श्री रामसिंह कहते हैं कि
पहले उनकी आजीविका बारिश के भरोसे वाली खेती और मजदूरी पर ही निर्भर थी। खेती से
सालभर खाने का अनाज ही मिल पाता था, बाकी जरुरतों के लिए मजदूरी करनी पड़ती थी।
ऐसे में एक दिन ग्राम पंचायत कार्यालय में ग्राम पंचायत विकास योजना के निर्माण के
लिए बुलाई गई बैठक में महात्मा गांधी नरेगा से किसानों के आजीविका विकास के लिए
डबरी निर्माण की जानकारी प्राप्त हुई। डबरी से मछलीपालन और खेती के लिए पानी के
प्रबंधन की बात ने तो मानो श्री रामसिंह के बेहतर आजीविका पाने के हौसलों को पंख
लगा दिये हों। उन्होंने तुरंत ही ग्राम पंचायत में अपने खेत में डबरी बनवाने का
आवेदन दे दिया। ग्राम पंचायत ने डबरी निर्माण के लिए एक लाख 60 हजार रुपए मंजूर कर
काम शुरु कर दिया। तीन सप्ताह तक चले इस कार्य में श्री रामसिंह के परिवार ने भी काम
किया और उन्हें 14 हजार रुपये की मजदूरी प्राप्त हुई। 18 अप्रेल 2017 को उनके खेत
में योजनांतर्गत डबरी बनकर तैयार हो गई।
देशव्यापी लॉकडाउन में आर्थिक मंदी के इस
दौर में जहाँ लोगों के हौसलें पस्त हुए हैं। वहाँ श्री रामसिंह जैसे किसान अपने
आत्मविश्वास और महात्मा गांधी नरेगा से मिले आजीविका के संसाधन के सहारे आगे बढ़ रहे
हैं। महात्मा गांधी नरेगा से डबरी खुदने के बाद, पहली ही बारिश में वह पानी से
लबालब भर गई। पहला साल नए संसाधन के उपयोग को समझने का रहा और दूसरे साल डबरी की
मदद से धान की अच्छी पैदावार के बाद श्री रामसिंह ने गेहूँ का भी उत्पादन लिया।
इसके बाद खड़गवाँ विकासखण्ड के आमाडांड से चार सौ रुपये की दर तीन किलो मछली बीज
लेकर उन्होंने डबरी में मछलीपालन शुरु किया। मछलीपालन की उनकी कोशिशें सफल हुई और 12
हजार रुपये से अधिक की मछली लॉकडाउन में बेच चुके हैं। इस प्रकार रामसिंह ने साबित
कर दिया है कि जो लोग अपने हौसलों को कभी कम नहीं होने देते और हमेशा कोशिश करते
रहते हैं, वे कभी भी नाकामियाब नहीं होते। उन्हें सफलता जरुर हासिल होती है।
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एक
नजर
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कार्य
का नाम -
डबरी निर्माण (हितग्राही- श्री राम सिंह)
ग्राम
पंचायत -
पेण्ड्री, विकासखण्ड - खड़गवाँ, जिला - कोरिया, छत्तीसगढ़।
स्वीकृत
राशि –
1.60 लाख.
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माह- जून, 2020
रिपोर्टिंग व लेखन - श्री रुद्र मिश्रा,
सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत-कोरिया, छ.ग.।
पुनर्लेखन व सम्पादन - श्री संदीप सिंह चौधरी,
प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, इंद्रावती भवन, नवा रायपुर अटल नगर, जिला-रायपुर, छत्तीसगढ़ ।