Tuesday, 23 February 2021

महात्मा गांधी नरेगा से बने कुएँ ने बदला भोजन और जिंदगी का स्वाद

धान की खेती के बाद खाली रहने वाली जमीन पर अब आलू, टमाटर, बैंगन, कुंदरु, करेला, बरबट्टी, फूलगोभी, पत्तागोभी, बैंगन, टमाटर और मटर की पैदावार.


रायपुर, 23 फरवरी 2021/ सरगुजा के पोतका गांव के श्री दिका प्रसाद के भोजन और जिंदगी, दोनों का स्वाद अब बदल गया है। जीवन साथी श्रीमती लक्ष्मनिया के हाथों की बनी तरकारी में अब उन्हें पहले से कहीं अधिक स्वाद और आनंद आने लगा है। और आए भी क्यों न! आखिरकार ये तरकारियां उनकी अपनी बाड़ी की जो हैं, जिन्हें पहली बार दिका प्रसाद ने लक्ष्मनिया के साथ मिलकर उगाया है और महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) से बने अपने कुएं के पानी से सींचा व संवारा है। महात्मा गांधी नरेगा से घर की बाड़ी में कुआँ खुदाई के बाद से इस परिवार की जिंदगी बदल गई है। अब दिका प्रसाद सब्जी उत्पादक किसान कहलाने लगे हैं।

सरगुजा जिले के लखनपुर विकासखण्ड मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर पोतका ग्राम पंचायत के किसान दिका प्रसाद और लक्ष्मनिया अपने दो बच्चों के साथ रहते हैं। उनके जीवन में आए इस बदलाव की शुरुआत करीब दो साल पहले हुई थी। कुआँ खुदाई के पहले वे अपने घर से लगे दो एकड़ खेत में खरीफ सीजन में केवल परिवार के खाने लायक धान उगा पाते थे। सिंचाई का कोई साधन नहीं होने के कारण बाकी समय यह जमीन खाली पड़ी रहती थी। पूरे परिवार के लिए रोजमर्रा के पानी की जरूरतों के लिए लक्ष्मनिया को काफी मशक्कत भी करनी पड़ती थी। उसे सुबह-शाम घर से 300 मीटर दूर सार्वजनिक हैंडपंप से पानी भरना पड़ता था।

ग्राम पंचायत की पहल पर दिका प्रसाद की बाड़ी में कुआँ निर्माण ने उनकी खेती और परिवार की दिक्कत सुलझाने का रास्ता खोला। दो साल पहले महात्मा गांधी नरेगा से दो लाख दस हजार रूपए की लागत से निर्मित कुएँ से उनकी जिंदगी में बदलाव की शुरुआत हुई। जैसे-जैसे कुएँ की गहराई बढ़ती जा रही थी, वैसे-वैसे इनकी उम्मीदों की रोशनी भी बढ़ती जा रही थी। कुआँ खुदाई के दौरान उनके परिवार को महात्मा गांधी नरेगा के अंतर्गत 90 दिनों का सीधा रोजगार भी मिला। इससे उन्हें 15 हजार 840 रुपए की मजदूरी प्राप्त हुई। दिसम्बर-2019 में दिका प्रसाद, लक्ष्मनिया और गाँव के आठ अन्य मनरेगा श्रमिकों की मेहनत से कुएँ का निर्माण पूर्ण हुआ। जैसे-जैसे कूप निर्माण का काम पूर्णता की ओर बढ़ता गया, दिका प्रसाद और लक्ष्मनिया अपनी बाड़ी भी तैयार करते गए।

कुआँ बन जाने के बाद दिका प्रसाद ने अपनी बाड़ी में पिछले साल आलू, टमाटर, बैंगन, कुंदरु, करेला, बरबट्टी, फूलगोभी, पत्तागोभी, बैंगन, टमाटर और मटर उगाया। बाजार में इन्हें बेचकर परिवार ने 15 हजार रुपए की कमाई की। कुएँ के पानी से धान की खेती में भी मदद मिली और सात क्विंटल धान का उत्पादन हुआ। धान की फसल के बाद इस साल उन्होंने बाड़ी में फूलगोभी, पत्तागोभी, बैंगन, टमाटर और मटर लगाया है, जिन्हें बेचकर वे अब तक छह हजार रूपए कमा चुके हैं। अपनी बाड़ी में उगी सब्जियों की ओर इशारा करते हुए लक्ष्मनिया कहती हैं कि वह पहले बाजार से सब्जियां खरीदती थी। अब जब से कुआँ बना है, तब से अपनी ही बाड़ी से सब्जियाँ तोड़कर तरकारी बनाती हैं। अपनी मेहनत से उपजाई सब्जी-भाजी को परिवार का हर सदस्य बड़े चाव से खाता है। वहीं दिका प्रसाद बताते हैं कि बाड़ी में पहली बार सब्जियों की पैदावार से जो कमाई हुई, उससे बिजली से चलने वाला एक मोटर पम्प खरीदा। हमारी मेहनत और महात्मा गांधी नरेगा से बने कुएँ से हम बच्चों के बेहतर भविष्य के प्रति आशान्वित हैं। आजीविका सुदृढ़ होने से हम दोनों बच्चों को अच्छी शिक्षा दिला सकते हैं।
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एक नजरः-
कार्य का नाम- कूप निर्माण, हितग्राही- श्रीमती लक्ष्मनिया पिता श्री जय मंगल,
ग्रा.पं.- पोतका, विकासखण्ड- लखनपुर, जिला- सरगुजा, कार्य का कोड- 3305002047/IF/1111378086,
स्वीकृत वर्ष- 2018-19, स्वीकृत राशि- रुपए 2.10 लाख, सृजित मानव दिवस- 372, नियोजित श्रमिकों की संख्या- 10,
नियोजित श्रमिकों के नाम- श्री जगेश्वर, श्री धरमसाय, श्री अधनु, श्री दिका प्रसाद, श्री चैन सिंह, श्रीमती फुलसिया, श्रीमती रजमेत, श्रीमती उर्मिला, श्रीमती लक्ष्मनिया एवं श्रीमती फुलेश्वरी
जी.पी.एस. लोकेशन- 23°04'52.2"N 82°57'21.8"E, पिनकोड- 497117   
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रिपोर्टिंग व लेखन - सुश्री मीनाक्षी वर्मा, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत-सरगुजा, छत्तीसगढ़।
पुनर्लेखन - श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
संपादन- श्री कमलेश साहू, जनसंपर्क संचालनालय, रापपुर, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग-
श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
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Wednesday, 10 February 2021

खाली खेतों में उम्मीदों के नए अंकुर

महात्मा गांधी नरेगा ने 34 एकड़ रकबे के एक फसली से द्विफसली खेतों में बदला.
आदिवासी किसानों के खेतों में पहली बार लहलहाई गेहूँ की फसल.


रायपुर, 10 फरवरी 2021/ आदिवासी किसान श्री छोटे लाल, श्री तुलसी दास और श्री रमाशंकर अपने जीवन में एक चमत्कार देख रहे हैं। कोरिया जिला मुख्यालय से 105 किलोमीटर दूर देवगढ़ गाँव में अभी जब वे अपने खेतों की ओर देखते हैं, तो वहाँ लहलहाती गेहूँ की फसल उनकी आँखों में खुशी के आँसू ला देती है। बस, कुछ समय का इंतजार है और वे पहली बार अपने ही खेत में उपजाए गेहूँ के आटे से बनी रोटी खा सकेंगे, और फसल बेचकर अतिरिक्त कमाई कर सकेंगे। ये वही जमीनें हैं जिन्हें कई वर्षों से वे खरीफ की फसल के बाद उसके हाल पर ही छोड़ देते थे, क्योंकि पानी के बिना इनमें एक अंकुर भी नहीं फूटता था। इन किसानों ने सपने में भी यह नहीं सोचा था कि उनकी जमीन पर कभी रबी की फसलें भी लहलहाएंगी।

कोरिया जिले के वनांचल भरतपुर विकासखण्ड के बैगा आदिवासी बाहुल्य देवगढ़ में केवल ये तीन किसान ही नहीं हैं, जिनके खेतों में अभी हरियाली नजर आ रही है। पचनी नाला पर महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी अधिनियम) से बने स्टॉपडेम से नाला के दोनों पार के गांवों देवगढ़ और जनुआ के दस किसानों की 34 एकड़ भूमि पर सिंचाई हो रही है। इस स्टॉपडेम से जनुआ के सात किसानों सर्वश्री दिनेश सिंह, बलीचरण सिंह, रामदास सिंह, प्रफुल्ल सिंह, भगवान दास, बुद्धु सिंह एवं श्रीमती खेलमती की कुल 15 एकड़ तथा देवगढ़ के तीन किसानों सर्वश्री छोटे लाल, तुलसी दास व रमाशंकर के कुल 19 एकड़ रकबे को रबी के मौसम में सिंचाई के लिए पानी मिल रहा है।

खरीफ मौसम में धान की फसल के बाद खाली पड़े रहने वाले खेतों में दूसरी फसल के लिए सिंचाई की व्यवस्था की कवायद करीब चार साल पहले शुरु हुई थी। देवगढ़ के बाहरी छोर से होकर बहने वाले पचनी नाले में बरसात के बाद पानी का बहाव कम होने लगता था। गर्मियों में तो काफी कम हो जाता था। ऐसे में आसपास के खेत असिंचित होकर अनुपयोगी रह जाते थे। किसानों को रबी फसलों के लिए पानी देने के लिए ग्राम पंचायत ने पचनी नाला पर स्टॉपडेम बनाने का निर्णय लिया। स्टॉपडेम के लिए ऐसे स्थान का चयन किया गया, जिससे देवगढ़ के साथ ही जनुआ के किसानों को भी पानी मिल सके।

देवगढ़ के सरपंच श्री लाल साय बताते हैं कि पचनी नाला का उद्गम ग्राम पंचायत नोढ़िया में है। यह गाँव से बहते हुए अंत में बनास नदी में जाकर मिल जाता है। इस नाले पर स्टॉपडेम बनाने के लिए महात्मा गांधी नरेगा से तीन वर्ष पहले 19 लाख 61 हजार रुपए मिले थे। गांव के 62 महात्मा गांधी नरेगा जॉब-कॉर्डधारी परिवारों ने मिलकर इसका निर्माण पूरा किया। इस दौरान ग्रामीणों को 3030 मानव दिवस का सीधा रोजगार मिला। स्टॉपडेम से अपने खेतों की सिंचाई करने वाले देवगढ़ के किसान श्री छोटे लाल, श्री तुलसी दास और श्री रमाशंकर कहते हैं कि अब पचनी नाला का पूरा उपयोग हो रहा है। पहले बारिश का पानी नाला से यूं ही बह जाता था। स्टॉपडेम के बन जाने से नीचे के खेतों में भी नमी बनी रहती है। वहां रुके पानी से हमारे खेत जीवंत हो उठे हैं।
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क नजरः-

कार्य का नाम- स्टॉप डेम निर्माण, ग्रा.पं.- देवगढ़, विकासखण्ड- भरतपुर, जिला- कोरिया,

कार्य का कोड- 3306005013/WC/1111332293, स्वीकृत वर्ष- 2017-18, स्वीकृत राशि- रुपए 19.61 लाख,
सृजित मानव दिवस- 3030, जी.पी.एस. लोकेशन- 23°46'46.1"N 81°36'38.8"E, पिनकोड- 497778   

लाभान्वित किसान और उनकी सिंचित भूमि-

(अ) ग्राम पंचायत- देवगढ़ में 3 किसानों की 19 एकड़ कृषि भूमि
1. श्री छोटे लाल    -           8 एकड़,
2. श्री तुलसी दास   -           6 एकड़,
3. श्री रमाशंकर      -           5 एकड़.
(ब) ग्राम पंचायत- जनुआ में 7 किसानों की 15 एकड़ कृषि भूमि
1. श्री दिनेश सिंह   -           4 एकड़,
2. श्री बलीचरण सिंह-         3 एकड़,
3. श्री रामदास सिंह -           1 एकड़,
4. श्रीमती खेलमति -           1 एकड़,
5. श्री प्रफुल सिंह   -           4 एकड़,
6. श्री भगवानदास  -           1 एकड़,
7. श्री बुद्धु सिंह      -           1 एकड़. 
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रिपोर्टिंग व लेखन - श्री रुद्र मिश्रा, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत-कोरिया, छत्तीसगढ़, मो.-9424259026
तथ्य एवं स्त्रोत-
1.       श्री नरेन्द्र कंवर, तकनीकी सहायक, वि.ख.-भरतपुर, जिला-कोरिया, छ.ग., मो.-9691022830
2.       श्रीमती प्रतिमा, ग्राम रोजगार सहायक, ग्रा.पं.-देवगढ़, वि.ख.-भरतपुर, जिला-कोरिया, छत्तीसगढ़।
पुनर्लेखन व संपादन- श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
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Saturday, 6 February 2021

महात्मा गांधी नरेगा खोल रहा किसानों की आर्थिक समृद्धि का रास्ता

 कुआँ खुदाई के बाद धान के साथ ही अब गेहूँ और सब्जी की भी खेती

रायपुर. 5 फरवरी 2021/ महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) लोगों को रोजगार मुहैया कराने के साथ ही लगातार उनकी आजीविका का संवर्धन भी कर रहा है। महात्मा गांधी नरेगा के जरिए निजी डबरियों, तालाबों और कुओं के निर्माण से सिंचाई की व्यवस्था हो जाने से छोटे व सीमांत किसानों की आर्थिक समृद्धि का रास्ता खुल रहा है। अब वे केवल धान की खेती तक सीमित नहीं हैं। रबी फसलों और सब्जी की पैदावार के साथ ही यह मछली पालन जैसे नए रोजगार का विकल्प भी प्रदाय कर रहा है। डबरियों, तालाबों और कुओं के निर्माण से आजीविका संवर्धन के साथ ही निस्तारी के लिए भी पानी मिल रहा है।

महात्मा गांधी नरेगा से खेत में बने कुएँ ने कोरिया जिले के वनांचल भरतपुर के ग्राम जमथान के किसान श्री समयलाल अहिरवार की जिंदगी बदल दी है। कुआँ खुदाई के बाद वे खेत से लगी अपनी बाड़ी में सब्जी उत्पादन कर रहे हैं। साथ ही बाड़ी के पास अपनी एक एकड़ भूमि में बाड़ लगाकर गेहूँ की फसल भी ले रहे हैं। श्री समयलाल बताते हैं कि पिछले साल उन्होंने तीन क्विंटल गेहूँ का उत्पादन लिया था, इस बार भी उन्होंने सब्जी के साथ गेहूँ की बुआई की है। चावल के साथ रोटी और सब्जी भी अब वे अपने खेत का उगा खा रहे हैं। अनाज और सब्जी अब उन्हें बाहर से खरीदना नहीं पड़ रहा है।

साढ़े तीन एकड़ कृषि भूमि के मालिक श्री समयलाल आगे बताते हैं कि पहले सिंचाई और पेयजल, दोनों का गंभीर संकट था। घर से दूर पानी का एकमात्र साधन हैंडपंप था। इससे वे पेयजल की व्यवस्था तो कर लेते, पर निस्तारी के लिए परेशान होना पड़ता। गर्मियों में यह समस्या और भी गंभीर हो जाती थी। उनकी बाड़ी के पास एक छोटी-सी पुरानी ढोड़ी थी, पर वह भी बरसात के बाद ठंड आते-आते सूखने लगती। महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत तीन वर्ष पहले खेत में कुएँ की खुदाई के बाद उनकी ये समस्याएं अब दूर हो गई हैं। अब उनके पास निस्तारी और सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी है। कुएँ ने उन्हें न केवल रोज-रोज की पानी की दिक्कतों से निजात दिला दी है, बल्कि धान के बाद गेहूँ और सब्जियों की खेती का रास्ता भी खोल दिया है।

पाँच सदस्यों वाले परिवार के मुखिया श्री समयलाल का कहना हैं कि तीन साल पहले उन्होंने गाँव आए जीपीडीपी (ग्राम पंचायत विकास योजना) दल से अपनी समस्या साझा की थी। दल के सुझाव पर ग्राम पंचायत ने उनकी समस्या के समाधान के लिए महात्मा गांधी नरेगा से खेत में कुआँ निर्माण का रास्ता निकाला। इसके लिए एक लाख 80 हजार रुपए की राशि मंजूर की गई। कुएँ की खुदाई के दौरान उनके परिवार को 120 मानव दिवस का सीधा रोजगार भी मिला, जिसके एवज में उन्हें 20 हजार 880 रुपए की मजदूरी मिली। उन्होंने इस रकम से बिजली से चलने वाला पंप खरीदा, जिसका इस्तेमाल वे अब कुएँ से अपने खेत और बाड़ी की सिंचाई के लिए करते हैं।

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एक नजरः-
कार्य का नाम- कूप निर्माण, हितग्राही- श्री समयलाल पिता श्री अदन, ग्रा.पं.- जमथान, विकासखण्ड- भरतपुर, जिला- कोरिया, 
कार्य का कोड- 3306005022/IF/1111294967, स्वीकृत वर्ष- 2017-18, स्वीकृत राशि- रुपए 1.80 लाख,
सृजित मानव दिवस- 438, जी.पी.एस. लोकेशन- 23°40'44.0"N 81°39'46.0"E, पिनकोड- 497778   
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रिपोर्टिंग व लेखन - श्री रुद्र मिश्रा, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत-कोरिया, छत्तीसगढ़, मो.-9424259026
तथ्य एवं स्त्रोत- श्री पंकज पटेल, तकनीकी सहायक, ग्रा.पं.-जमथान, वि.ख.-भरतपुर, जिला-कोरिया, छ.ग., मो.-7489033950
पुनर्लेखन व संपादन- श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग- श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
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Wednesday, 3 February 2021

दलदली जमीन पर पानी से लबालब हुए तालाब, अब भेड़सर नहीं रहा लद्दी वाला गाँव

दलदली जमीन पर पानी से लबालब हुए तालाब,
अब भेड़सर नहीं रहा लद्दी वाला गाँव

-महात्मा गांधी नरेगा से बदली गाँव की तस्वीर.
-योजना के तहत गाँव में तालाबों और डबरियों की खुदाई से बनी पानी की उपलब्धता.

दिनांक-03 फरवरी 2021/ जिला मुख्यालय दुर्ग से 18 किलोमीटर दूर है भेड़सर गाँव। एक समय था जब इस गाँव को लद्दी वाले गाँव के नाम से जाना जाता था, लेकिन अब इस गाँव की पहचान बदलने लगी है। दलदली और लद्दी वाली जमीन अब तालाब का रुप ले चुकी है। अब यहां पानी से लबालब तालाब और डबरियाँ हैं। इसके अलावा नालों की सफाई और गहरीकरण से यहाँ का परिदृश्य पूरी तरह बदल चुका है। गाँव को विकसित करने के लिए जब गाँव के लोगों ने जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली, तो एक तरफ जहाँ गाँव की तस्वीर बदलने लगी तो वहीं दूसरी तरफ गाँव के लोगों के आर्थिक हालात भी सुधरने लगे। यह सब कुछ संभव हुआ है पंचायत की पहल, ग्रामीणों की मेहनत और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना (महात्मा गांधी नरेगा) से।

दलदली और बंजर जमीन पर खुदवाए गए तालाब और डबरियाँ
पानी विकास का आधार है, इसी बात को ध्यान में रखते हुए महात्मा गांधी नरेगा योजना अंतर्गत दुर्ग विकासखण्ड के इस गाँव में तालाब तथा खेतों में डबरी खुदवाने के लिए ग्रामीणों को प्रेरित किया गया। पहले पहले जहाँ दलदली और बंजर भूमि थी, वहाँ तालाब का निर्माण कराया गया। इसका नतीजा यह हुआ कि गाँव में निस्तारी और सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी मिलने लगा, इससे भू-जल का स्तर भी सुधरने लगा। तालाब और डबरी निर्माण के लिए गाँव के ही लोगों को लगाया गया और इसमें उन्हें अकुशल श्रम के रुप में रोजगार भी मिला। अब गाँव में नगपुरा हरदेलाल मार्ग के किनारे नया तालाब निर्माण एवं नहर नाली के पास सार्वजनिक डबरी के रुप में नए जल स्रोत बन गए हैं। वहीं कलेन्द्री ठाकुर के खेत के पास नई सार्वजनिक डबरी की खुदाई प्रगतिरत है। इसके अलावा गाँव के पुराने मतखानवा तालाब, ठेठवार तालाब तथा मछरिया खार में बने नए तालाब के गहरीकरण का कार्य जारी है। आने वाले कुछ दिनों में इस गाँव में पानी के सार्वजनिक स्रोत बढ़ जाएँगे, जिनका लाभ गाँव, ग्रामीण और किसानों को मिलेगा।

जीवन में आई खुशहाली
भेड़सर के किसान तेजराम गौतम के पास 3 एकड़ जमीन है, जो सिंचाई के लिए पूरी तरह से बारिश पर निर्भर थी। अगर बारिश ठीक से नहीं होती थी, तो उनके समक्ष खेती-किसानी के लिए गंभीर स्थिति बन जाती थी। इसलिए उन्होंने सोचा कि क्यों न खेत में बोर खुदवाया जाए। लेकिन चार से पांच बार बोर कराने पर भी उन्हें सफलता नहीं मिली। इसमें धन भी व्यर्थ गया और खेत भी प्यासे ही रहे। पानी कम होने के कारण फसल का उत्पादन भी कम हो गया था। ऐसे में महात्मा गांधी नरेगा योजना के रुप में उनके सामने एक उम्मीद की किरण नजर आई। उन्हें पता चला कि योजना के तहत किसान अपने खेत में निजी डबरी का निर्माण करवा सकते हैं। ग्राम रोजगार सहायक से संपर्क करके सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद श्री तेजराम के खेत में डबरी की खुदाई शुरु हुई, जिसमें गाँव के लोगों ने ही काम किया और अच्छी मजदूरी प्राप्त की। डबरी बनने के बाद श्री तेजराम की मुसीबतें दूर हुईं। अब बारिश का पानी डबरी में इकट्ठा हो जाने से उन्हें बेहतर सिंचाई सुविधा मिलने लगी। इससे फसल का उत्पादन भी बढ़ा, पहले जहाँ वे 3 एकड़ जमीन में 25-30 क्विंटल उत्पादन ले रहे थे, वहीं अब डबरी बनने के बाद 50-55 क्विंटल धान की पैदावार ले रहे हैं। इतना ही नहीं खेत की मेड़ों में दलहन की फसल भी ले रहें हैं। यहाँ डबरी बन जाने से एक पंथ दो काज की बात सच होती नजर आई है, क्योंकि तेजराम की डबरी का उपयोग न केवल सिंचाई के लिए हो रहा है बल्कि वे इसमें मछली पालन भी कर रहे हैं।

दूर हुई पानी की कमी
ग्राम पंचायत भेड़सर के वार्ड क्रमांक 17, 18 व 19 में रहने वाले ग्रामीण अधिकांशतः पशुपालक हैं। इस क्षेत्र के दो तालाबों में जुलाई से नवंबर तक 4 माह पानी रहता था। इससे वर्ष की शेष अवधि में मवेशियों के लिए पानी की कमी की समस्या खड़ी हो जाती थी। इस समस्या को दूर करने के लिए महात्मा गांधी नरेगा के अंतर्गत विस्तृत कार्य योजना बनाई गई, जिसके तहत गाँव भर में कच्ची नालियों का निर्माण कराते हुए, उन्हें तालाबों से जोड़ा जा रहा है, ताकि वर्षा का जल तालाबों और डबरियों में संग्रहीत और संरक्षित होने लगे।



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एक नजरः-
ग्रा.पं.- भेड़सर, विकासखण्ड- दुर्ग, जिला- दुर्ग, पिनकोड- 491001, जी.पी.एस. लोकेशन- 21°13'50.08"N 81°15'05.77"E
1.   कार्य- नगपुरा हरदेलाल मार्ग में नया तालाब निर्माण, स्वीकृत राशि- 11.31 लाख, स्वीकृत वर्ष- 2018-19
2.   कार्य- कलेन्द्री ठाकुर के खेत के पास डबरी (नया तालाब) निर्माण, स्वीकृत राशि- 9.77 लाख, स्वीकृत वर्ष- 2019-20
3.   कार्य- नहर नाली के पास सार्वजनिक डबरी (नया तालाब) निर्माण, स्वीकृत राशि- 9.32 लाख, स्वीकृत वर्ष- 2019-20
4.   कार्य- मतखानवा तालाब गहरीकरण, स्वीकृत राशि- 9.10 लाख, स्वीकृत वर्ष- 2019-20
5.   कार्य- मछरिया खार में नया तालाब गहरीकरण, स्वीकृत राशि- 8.27 लाख, स्वीकृत वर्ष- 2019-20
6.   कार्य- ठेठवार तालाब गहरीकरण, स्वीकृत राशि- 9.99 लाख, स्वीकृत वर्ष- 2020-21
7.   कार्य- खलडबरा तालाब क्रमांक 3 के पास नाला डिस्लटिंग कार्य, स्वीकृत राशि- 4.88 लाख, स्वीकृत वर्ष- 2020-21
8.   कार्य- खलडबरा तालाब क्रमांक 4 के पास नाला डिस्लटिंग कार्य, स्वीकृत राशि- 5.07 लाख, स्वीकृत वर्ष- 2020-21
9.   कार्य- नाला गहरीकरण एवं पुनोरुद्धार (भरत देशमुख के खेत से उर्मिला देशमुख के खेत तक), स्वीकृत राशि- 9.97 लाख, स्वीकृत वर्ष- 2019-20
10. कार्य- नाला सफाई कार्य 900 मी. (बालाराम के खेत से भरत देशमुख के खेत तक), स्वीकृत राशि- 12.77 लाख, स्वीकृत वर्ष- 2017-18
11. कार्य- निजी डबरी निर्माण (श्री तेजराम गौतम पिता श्री हरखराम), स्वीकृत राशि-2.97 लाख, स्वीकृत वर्ष- 2017-18
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रिपोर्टिंग-           श्रीमती रीता चाटे, सहायक प्रचार प्रसार अधिकारी, जिला पंचायत-दुर्ग, छत्तीसगढ़, मो.-9131077675
लेखन-               सुश्री आमना मीर, सहायक जनसंपर्क अधिकारी, जिला-दुर्ग, छत्तीसगढ़।
तथ्य एवं स्त्रोत-
1. श्रीमती गौरव मिश्रा, कार्यक्रम अधिकारी, जनपद पंचायत-दुर्ग, जिला-जिला, छत्तीसगढ़
2. श्रीमती दीप्ती सिंह, तकनीकी सहायक, जनपद पंचायत-दुर्ग, जिला-जिला, छत्तीसगढ़
3. श्री ओंकार प्रसाद गौतम, ग्राम रोजगार सहायक, ग्रा.पं.-भेड़सर, वि.ख.-दुर्ग, जिला-दुर्ग, छ.ग., मो.-7000200760
संपादन-             श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
प्रूफ रिडिंग-       
श्री महेन्द्र मोहन कहार, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय, छत्तीसगढ़।
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महात्मा गांधी नरेगा से बने कुएं ने दिखाई कर्ज मुक्ति की राह

कुएं ने धान की पैदावार तो बढ़ाई ही, आजीविका का नया जरिया भी दिया. ईंट निर्माण से तीन सालों में साढ़े तीन लाख की कमाई. स्टोरी/रायपुर/बीजापुर/...