फलदार पौधरोपण से जमीन हुई अतिक्रमण से सुरक्षित, पर्यावरण हुआ हरा-भरा और पंचायत के लिए बने आय के अवसर.
एक पंथ
दो काज, यानि एक कार्य से दो लाभ प्राप्त होना। यह मुहावरा
तो हम सबने कभी न कभी सुना ही है, लेकिन एक पंथ तीन काज की बात शायद ही
किसी ने सुनी या देखी होगी। इसे छत्तीसगढ़ राज्य के मर्राकोना गाँव में जाकर देखा
और समझा जा सकता है। मुंगेली जिले के पथरिया विकासखण्ड के इस गाँव के आश्रित ग्राम
पीपरलोड़ में पंचायत ने साल 2018-19 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार
गारंटी योजना (महात्मा गांधी नरेगा) के तहत फलदार पौधरोपण कराया था। इसके अंतर्गत दो
हजार अमरुद के पौधे रोपे गए थे, जो आज दो साल बाद अमरुद वाटिका या बिही बाड़ी का
रुप ले चुके हैं। पंचायत का यह कार्य, आज सभी के लिए एक मिसाल बन गया है।
पंचायत के द्वारा महात्मा गांधी नरेगा से किए गए इस
काम से गाँव की 3.34 एकड़ सरकारी जमीन अतिक्रमण से सुरक्षित हुई ही, फलदार पौधरोपण
से गाँव का पर्यावरण भी हरा-भरा हो गया है। इससे गाँव को जलवायु परिवर्तन से
निपटने में भी मदद मिल रही है। वहीं यह, ग्राम पंचायत की आय का जरिया भी बनने जा
रहा है।
ग्राम पीपरलोड़ में महात्मा गांधी नरेगा से दो साल पहले लगभग तीन एकड़ से कुछ अधिक की शासकीय भूमि में 2 हजार अमरुद के पौधों का रोपण किया गया था। इस काम में 25 ग्रामीण परिवारों को सीधे रोजगार मिला। पौधों की सुरक्षा एवं संवर्धन के लिए यहाँ पूरे क्षेत्र की तार से फेंसिंग की गई। ग्राम पंचायत ने 14वें वित्त आयोग की राशि से अभिसरण करते हुए, यहाँ नलकूप कराकर पौधों के लिए पानी की व्यवस्था भी की।
मर्राकोना पंचायत की सरपंच श्रीमती फुलेश्वरी मरकाम कहती हैं कि पंचायत के लिए गाँव की शासकीय भूमि को अतिक्रमण से बचाना सबसे बड़ी चुनौती रहती है। इसे देखते हुए ही पंचायत ने महात्मा गांधी नरेगा योजना के माध्यम से पौधरोपण कर, इसे सुरक्षित करने का फैसला लिया था। इस फैसले के तहत योजनांतर्गत 12 लाख 93 हजार रुपयों की लागत से अमरुद के पौधों का रोपण कराया गया। पौधरोपण कार्य की अवधि तीन साल है, जिसमें प्रथम वर्ष रोपण और शेष दो वर्ष संधारण कार्य शामिल है। इस कार्य से गाँव के 25 परिवारों को कुल 1134 मानव दिवस का रोजगार महात्मा गांधी नरेगा से मिला। रोपित पौधों को संवारने में ग्रामवासियों ने भी पूरा सहयोग दिया है। जनभावना के अनुरुप पंचायत ने इस पूरे पौधरोपण को महात्मा गांधी अमरुद वाटिका का नाम दिया।
सरपंच श्रीमती मरकाम आगे बताती हैं कि मुख्य मार्ग के
किनारे और आवास मोहल्ला के पास लगाए गए अमरुद के पौधे अब बिही बगीचा का रुप ले
चुके हैं। यह पौधरोपण, जिसे कभी कोई अमरुद वाटिका कहता है, तो कभी कोई बिही बगीचा,
के साकार होने के पीछे सक्रिय जनभागीदारी का होना है। नियमित देखभाल के कारण
पौधरोपण के दो साल बाद, आज सभी पौधे जीवित हैं। उन्नत किस्म के पौधे होने के कारण
दूसरे साल में ही इनमें फल आने लगे हैं। यह पंचायत के लिए आय का साधन बन गया है।
पंचायत यहाँ स्व-सहायता समूहों को अंतर्वर्ती फसलों के रुप में सब्जियों के
उत्पादन के लिए प्रेरित करने की योजना बना रही है, जिससे गाँव की महिलाओं को
स्व-रोजगार का साधन मिल जाएगा और पौधरोपण की नियमित देखभाल भी होती रहेगी।
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एक नजरः-
कार्य
का नाम- वृक्षारोपण कार्य आवास मोहल्ला के पास पीपरलोड़,
ग्रा.पं.-
मर्राकोना,
विकासखण्ड- पथरिया, जिला- मुंगेली, छत्तीसगढ़।
स्वीकृत
राशि-
12.93 लाख, स्वीकृत वर्ष- 2018-19, कार्यावधि- तीन वर्ष।
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रिपोर्टिंग -
श्री विनायक गुप्ता, सहायक
परियोजना अधिकारी, जिला पंचायत- मुंगेली, छत्तीसगढ़।
तथ्य व
स्त्रोत - श्री ऋषि कुमार उइके, कार्यक्रम
अधिकारी, जनपद पंचायत- पथरीया, जिला-मुंगेली, छत्तीसगढ़।
लेखन व
संपादन - श्री संदीप सिंह चौधरी, प्रचार
प्रसार अधिकारी, महात्मा गांधी नरेगा राज्य कार्यालय,
रायपुर।